आत्मा की लंबाई कितनी होती है? - aatma kee lambaee kitanee hotee hai?

गरुड़ पुराण प्रमुख हिंदू धर्म ग्रंथों में से एक है। किसी की मृत्यु के बाद घर-परिवार के लोग ब्राह्मण द्वारा ये ग्रंथ सुनते हैं। इस पुराण में भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ को मृत्यु से संबंधित अनेक गुप्त बातें बताई हैं। मृत्यु के बाद जीवात्मा यमलोक तक किस प्रकार जाती है, इसका विस्तृत वर्णन गरुड़ पुराण में बताया गया है।

आज हम आपको गरुड़ पुराण में लिखी कुछ ऐसी ही खास व रोचक बातें बता रहे हैं:

1.गरुड़ पुराण के अनुसार, जिस मनुष्य की मृत्यु होने वाली होती है, वह बोलना चाहता है, लेकिन बोल नहीं पाता। अंत समय में उसकी सभी इंद्रियां (बोलने, सुनने आदि की शक्ति) नष्ट हो जाती हैं और वह जड़ अवस्था में हो जाता है, यानी हिल-डुल भी नहीं पाता।

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इसके बाद उसके मुंह से झाग निकलने लगता है और लार टपकने लगती है। उस समय दो यमदूत आते हैं। उनका चेहरा बहुत भयानक होता है, नाखून ही उनके शस्त्र होते हैं। उनकी आंखें बड़ी-बड़ी होती हैं। उनके हाथ में दंड रहता है। यमराज के दूतों को देखकर प्राणी भयभीत होकर मल-मूत्र त्याग करने लग जाता है। उस समय शरीर से अंगूष्ठमात्र (अंगूठे के बराबर) जीव हा हा शब्द करता हुआ निकलता है, जिसे यमदूत पकड़ लेते हैं।

2.यमराज के दूत उस शरीर को पकड़कर उसी समय यमलोक ले जाते हैं, जैसे- राजा के सैनिक अपराध करने वाले को पकड़कर ले जाते हैं। उस पापी जीवात्मा को रास्ते में थकने पर भी यमराज के दूत डराते हैं और उसे नरक में मिलने वाले दुखों के बारे में बार-बार बताते हैं। यमदूतों की ऐसी भयानक बातें सुनकर पापात्मा जोर-जोर से रोने लगती है, किंतु यमदूत उस पर बिल्कुल भी दया नहीं करते।

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3. इसके बाद वह अंगूठे के बराबर शरीर यमदूतों से डरता और कांपता हुआ, कुत्तों के काटने से दु:खी हो, अपने पापों को याद करते हुए चलता है। आग की तरह गर्म हवा तथा गर्म बालू पर वह जीव चल नहीं पाता है और वह भूख-प्यास से तड़पता है। तब यमदूत उसकी पीठ पर चाबुक मारते हुए उसे आगे ले जाते हैं। वह जीव जगह-जगह गिरता है और बेहोश हो जाता है। फिर उठकर चलने लगता है। इस प्रकार यमदूत जीवात्मा को अंधकार वाले रास्ते से यमलोक ले जाते हैं।

4.गरुड़ पुराण के अनुसार, यमलोक 99 हजार योजन (योजन वैदिक काल की लंबाई मापने की इकाई है। एक योजन बराबर होता है चार कोस यानी 13-16 कि.मी) है। वहां यमदूत पापी जीव को थोड़ी ही देर में ले जाते हैं। इसके बाद यमदूत उसे सजा देते हैं। इसके बाद वह जीवात्मा यमराज की आज्ञा से यमदूतों के साथ फिर से अपने घर आती है।

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5.घर आकर वह जीवात्मा अपने शरीर में पुन: प्रवेश करने की इच्छा करती है परंतु यमदूत के बंधन से वह मुक्त नहीं हो पाती और भूख-प्यास के कारण रोती है। पुत्र आदि जो पिंड और अंत समय में दान करते हैं, उससे भी प्राणी को तृप्ति नहीं होती, क्योंकि पापी लोग को दान, श्रद्धांजलि द्वारा तृप्ति नहीं मिलती। इस प्रकार भूख-प्यास से युक्त होकर वह जीव यमलोक जाता है।

6.इसके बाद पापात्मा के पुत्र आदि परिजन यदि पिंडदान नहीं देते हैं, तो वह प्रेत रूप हो जाती है और लंबे समय तक सुनसान जंगल में रहती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मनुष्य की मृत्यु के बाद 10 दिन तक पिंडदान अवश्य करना चाहिए। उस पिंडदान के प्रतिदिन चार भाग हो जाते हैं।

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उसमें दो भाग तो पंचमहाभूत देह को पुष्टि देने वाले होते हैं, तीसरा भाग यमदूत का होता है तथा चौथा भाग प्रेत (आत्मा) खाता है। नौवें दिन पिंडदान करने से प्रेत (आत्मा) का शरीर बनता है, दसवें दिन पिंडदान देने से उस शरीर को चलने की शक्ति प्राप्त होती है।

7. शव को जलाने के बाद पिंड से अंगूठे के बराबर का शरीर उत्पन्न होता है। वही, यमलोक के मार्ग में शुभ-अशुभ फल को भोगता है। पहले दिन पिंडदान से मूर्धा (सिर), दूसरे दिन से गर्दन और कंधे, तीसरे दिन से ह्रदय, चौथे दिन के पिंड से पीठ, पांचवें दिन से नाभि, छठे और सातवें दिन से कमर और नीचे का भाग, आठवें दिन से पैर, नौवें और दसवें दिन से भूख-प्यास आदि उत्पन्न होती है। ऐसे पिंड शरीर को धारण कर भूख-प्यास से व्याकुल प्रेत ग्यारहवें और बारहवें दिन का भोजन करता है।

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8.यमदूतों द्वारा तेरहवें दिन प्रेत (आत्मा) को बंदर की तरह पकड़ लिया जाता है। इसके बाद वह प्रेत भूख-प्यास से तड़पता हुआ यमलोक अकेला ही जाता है। यमलोक तक पहुंचने का रास्ता वैतरणी नदी को छोड़कर छियासी हजार योजन है। 47 दिन लगातार चलकर आत्मा यमलोक पहुंचती है। इस प्रकार मार्ग में सोलह पुरियों को पार कर पापी जीव यमराज के घर जाता है।

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9. इन सोलह पुरियों के नाम इस प्रकार हैं- सौम्य, सौरिपुर, नगेंद्रभवन, गंधर्व, शैलागम, क्रौंच, क्रूरपुर, विचित्रभवन, बह्वापाद, दु:खद, नानाक्रंदपुर, सुतप्तभवन, रौद्र, पयोवर्षण, शीतढ्य, बहुभीति। इन सोलह पुरियों को पार करने के बाद आगे यमराज पुरी आती है। पापी प्राणी यम, पाश में बंधे हुए मार्ग में हाहाकार करते हुए अपने घर को छोड़कर यमराज पुरी जाते हैं।

सतयुग के लिए माना जाता है कि इसयुग में भगवन राम ने रावण का वध करने लिए जन्म लिया था, क्योंकि जब-जब इस धरती पर पाप बढ़ा है तब -तब भगवन ने इस धरती को अपना विराट रूप दिखाया है। सतयुग में धरती पर आत्माओं का वास हुआ करता था जिसे वर्ल्ड ऑफ़ सोल भी कहा जाता है। जैसे हर शरीर का अंत होता है ठीक वैसे ही एक समय का अंत भी आता ही है। ऐसा माना जाता है कि सतयुग कि 1,728,000 बाद खत्म होती है, जिसमे एक सामान्य व्यक्ति 1 लाख साल तक जी सकता है जिनका कद 32 फुट लम्बा हुआ करता था।इस युग इंसान अपनी इच्छा अनुसार मर सकता था।

त्रेतायुग:-

हिन्दू धर्म में श्रीराम, श्रीविष्णु के 10 अवतारों में, सातवें अवतार हैं। लेकिन यह रहस्य बहुत कम लोगों को मालूम है कि श्रीराम की मृत्यु कैसे हुई? दरअसल भगवान श्रीराम की मृत्यु एक रहस्य है जिसका उल्लेख सिर्फ पौराणिक धर्म ग्रंथो में ही मिलता है।पद्म पुराण के अनुसार भगवान श्रीराम ने सरयु नदी में स्वयं की इच्छा से समाधि ली थी। इस बारे में विभिन्न धर्मग्रंथों में विस्तार से वर्ण मिलता है। श्रीराम द्वारा सरयु में समाधि लेने से पहले माता सीता धरती माता में समा गईं थी और इसके बाद ही उन्होंने पवित्र नदी सरयु में समाधि ली।

चरों युग हनुमान जी एक मात्र ऐसे भगवान हैं जो अमर हैं, त्रेतायुग में भी हनुमान जी ने भीम को चारों युग के बारे बताया था, किस युग में क्या होता ये भी बताया था। जानकारी के लिए बता दें त्रेतायुग 4 ,32 ,000 वर्षों का होता है, जिसमे एक सामान्य इंसान 10 ,000 साल तक जी सकता था। इस युग में भीम ने हनुमान जी को चारों युग के ज्ञानी के नाम से सम्बोधित किया था।

आत्मा की लंबाई कितनी होती है? - aatma kee lambaee kitanee hotee hai?

जब द्वापर युग में गंधमादन पर्वत पर महाबली भीम सेन हनुमान जी से मिले तो हनुमान जी से कहा - की हे पवन कुमार आप तो युगों से प्रथ्वी पर निवास कर रहे हो आप महा ज्ञान के भण्डार हो बल बुधि में प्रवीण हो कृपया आप मेरे गुरु बनकर मुझे सिस्य रूप में स्वीकार कर के मुझे ज्ञान की भिक्षा दीजिये तो हनुमान जी ने कहा - हे भीम सेन सबसे पहले सतयुग आया उसमे जो कामना मन में आती थी वो कृत (पूरी )हो जाती थी इसलिए इसे क्रेता युग (सत युग )कहते थे इसमें धर्म को कभी हानि नहीं होती थी उसके बाद त्रेता युग आया इस युग में यग करने की परवर्ती बन गयी थी इसलिए इसे त्रेता युग कहते थे त्रेता युग में लोग कर्म करके कर्म फल प्राप्त करते थे, हे भीम सेन फिर द्वापर युग आया इस युग में विदों के 4 भाग हो गये और लूग सत भ्रष्ट हो गए धर्म के मार्ग से भटकने लगे है अधर्म बढऩे लगा, परन्तु हे भीम सेन अब जो युग आएगा वो है कलयूग इस युग में धर्म ख़त्म हो जायेगा मनुष्य को उसकी इच्छा के अनुसार फल नहीं मिलेगा चारो और अधर्म ही अधर्म का साम्राज्य ही दिखाई देगा।

आत्मा की लंबाई कितनी होती है? - aatma kee lambaee kitanee hotee hai?

द्वापरयुग:-

यह युग 864 000 वर्षों का था, जिसमे एक पत्‍येक व्यक्ति 1000 साल तक जी सकता था, ऐसा माना जाता है जैसे- जैसे धरती पर पाप बढ़ेगा वैसे-वैसे इंसान की जीने की उम्र और उसकी इच्छा की पूर्ती कम होने लगेगी। हनुमान जी हा कहना था कि द्वापरयुग में लोग धर्म के मार्ग से भटकने लगेंगे और धरती पर पाप बढ़ने लगेगा। जैसे कि आप सभी जानते हा इस युग में विष्णु जी ने खुद श्री कृष्णा का अवतार लेकर कंस को मौत के घाट उतारा था।

कलयुग:-

आत्मा की लंबाई कितनी होती है? - aatma kee lambaee kitanee hotee hai?

ऐसा माना जाता है कि कलयुग में एक आत्मा का जन्म 45 बार होता है और उसकी उम्र 100 साल तक की होगी । इस युग में इंसान पर्यावरण को तहस नहस कर देगा, और इस युग में इंसान की इच्छा पूर्ती कम हो जाएगी और वे पाप का भागीदार बन जाएगा। कलियुग के अंतिम काल में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। यह अवतार विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेगा। भगवान कल्कि बहुत ऊंचे घोड़े पर चढ़कर अपनी विशाल तलवार से सभी अधर्मियों का नाश करेंगे। भगवान कल्कि केवल तीन दिनों में पृथ्वी से समस्त अधर्मियों का नाश कर देंगे। माना जाता है कि कलियुग में अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी, जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा। समस्त पृथ्वी पर जल हो जाएगा और प्राणियों का अंत हो जाएगा। इसके बाद एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी।

मृत्यु के बाद वजन क्यों बढ़ जाता है?

मरने के बाद मनुष्य का शरीर भारी क्यों हो जाता है? खुन की गति की हवा निकलजाने से केवल भार बच जाता है। भार उतना ही होता है गुरुत्वाकर्षण का भार बढ जाता है।

मनुष्य की आत्मा का वजन कितना होता है?

ऐसे में डॉ. डंकन मैक डॉगल ने निष्कर्ष के तौर पर कहा कि आत्मा का वजन 21 ग्राम होता है।

मरने के बाद इंसान का वजन कितना होता है?

किसी भी इंसान का मृत्यु हो जाने के बाद उसका वजन 21 ग्राम कम हो जाता है। इससे स्पष्ट होता है जब इंसान के शरीर से आत्मा निकल जाती है तब उसका वजन कम हो जाता है और इससे ये भी स्पष्ट होता है कि आत्मा का वजन लगभग 21 ग्राम होता है। एक अमेरिकी चिकित्सक डॉ० डंकन मैक्डगल ने इसकी जानकारी दी है।

आत्मा कितना है?

आत्मा एक शरीर धारण कर जन्म और मृत्यु के बीच नए जीवन का उपभोग करता है और पुन: शरीर के जीर्ण होने पर शरीर छोड़कर चली जाती हैआत्मा का यह जीवन चक्र तब तक चलता रहता है जब तक कि वह मुक्त नहीं हो जाती या उसे मोक्ष नहीं मिलता। प्रत्येक व्यक्ति, पशु, पक्षी, जीव, जंतु आदि सभी आत्मा हैं।