आज का प्रदोष काल कितने बजे है? - aaj ka pradosh kaal kitane baje hai?

Aaj Ka Panchang, 7 October 2022: हिंदू पंचांग में दिन के कुछ शुभ व अशुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी दी जाती है. इन मुहूर्त के अनुसार ​यदि कोई मंगल कार्य या पूजा-पाठ किया जाए तो वह अधिक फलदायी होता है.

आज का प्रदोष काल कितने बजे है? - aaj ka pradosh kaal kitane baje hai?

Aaj Ka Panchang, 7 October 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानि 7 अक्टूबर को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है और और शुक्रवार का दिन है. इसके अलावा आज प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है जो कि हिंदू धर्म में बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव का पूजन किया जाता है. आइए जानते हैं आज के शुभ व अशुभ मुहूर्त के बारे में.

7 अक्टूबर 2022- आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 7 October 2022)

आज का वार : शुक्रवार

आज का पक्ष : शुक्ल पक्ष

हिन्दु लूनर दिनांक
शक सम्वत:
1944 शुभकृत्

विक्रम सम्वत:
2079 राक्षस

गुजराती सम्वत:
2078 प्रमादी

चन्द्रमास:
आश्विन – पूर्णिमान्त
आश्विन – अमान्त

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प्रदोष व्रत व प्रदोषम व्रत एक प्रसिद्ध हिन्दू व्रत है जो कि भगवान शिव का आर्शीवाद पाने के लिए किया जाता है। प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने में दो बार आता है, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में। यह व्रत दोनों पक्षों के त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। प्रदोष व्रत अगर सोमबार के दिन आता है तो उसे सोम प्रदोषम कहा जाता है। मंगलवार के दिन आता है तो उसे भूमा प्रदोषम कहा जाता है और शनिवार के दिन आता है तो उसे शनि प्रदोषम कहा जाता है। यह व्रत सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है।

प्रदोष व्रत में पूजा का समय

प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक होती हैं.

आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang): आज 08 सितंबर दिन गुरुवार है. आज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है. आज गुरु प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) है. आज प्रदोष व्रत के दिन शिव मंदिर में जाकर भगवान भोलेनाथ का दर्शन करें. उनको बेलपत्र, फूल, गंगाजल, चंदन, अक्षत् आदि अर्पित करके पूजन करें. शिव चालीसा का पाठ करें. शिव जी के मंत्रों का जाप करने से भी आपको लाभ होगा. आज के दिन शिववास भी है. यदि आपको रुद्राभिषेक कराना है तो आप करा सकते हैं. आज का दिन भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए विशेष है. प्रदोष व्रत करने से सुख, समृद्धि, संतान, सफलता, आरोग्य आदि की प्राप्ति होती है. शिव कृपा से सभी रोग, कष्ट और पाप दूर होते हैं. हर माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथियों को भगवान शंकर की पूजा करने और प्रदोष व्रत रखने का विधान है.

Pradosh Vrat : हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। प्रदोष व्रत भी भोले शंकर को ही समर्पित होते हैं।

आज का प्रदोष काल कितने बजे है? - aaj ka pradosh kaal kitane baje hai?

Saumya Tiwariलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीWed, 24 Aug 2022 05:16 AM

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Pradosh Vrat 2022 August: देवों के देव महादेव को समर्पित प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी को रखा जाता है। इस समय भाद्रपद या भादो मास चल रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को इस माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। भाद्रपद मास का पहला प्रदोष व्रत 24 अगस्त, बुधवार को है। यह दिन शिव भक्तों के लिए खास माना गया है। बुधवार को यह व्रत पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजन करने के भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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बुध प्रदोष व्रत 2022 डेट-

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 24 अगस्त को सुबह 08 बजकर 30 मिनट से हो रही है, ये तिथि 25 अगस्त को सुबह 10 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। मान्यता है कि इस अवधि में शिव पूजन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

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प्रदोष काल- 

प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

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प्रदोष व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से संतान पक्ष को भी लाभ होता है। इस व्रत को करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

प्रदोष व्रत पूजा- सामग्री

अबीर, गुलाल , चंदन, अक्षत , फूल , धतूरा , बिल्वपत्र, जनेऊ, कलावा, दीपक, कपूर, अगरबत्ती व फल आदि।

प्रदोष व्रत पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
अगर संभव है तो व्रत करें।
भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। 
भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव की आरती करें। 
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

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आज का प्रदोष काल कितने बजे है 2022?

शनि प्रदोष व्रत 2022 तिथि- हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर 2022, शनिवार को शाम 06 बजकर 02 मिनट से शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 23 अक्टूबर, रविवार को शाम 06 बजकर 03 मिनट पर होगा।

प्रदोष काल का समय क्या है आज?

प्रदोष व्रत प्रदोष काल में किया जाता है. प्रदोष काल का मतलब है सूर्यास्त के 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद. इस बार प्रदोष व्रत का मुहूर्त शाम 6 बजकर 35 मिनट से 8 बजकर 52 मिनट तक है.

प्रदोष काल कितने बजे से शुरू होता है?

प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है।

2022 में प्रदोष काल कब है?

कब है मार्गशीर्ष माह का सोम प्रदोष व्रत | Som pradosh Vrat 2022 Date, Shubh Muhurat. दृक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 05 दिसंबर को पड़ रही है. इस दिन सुबह 5 बजकर 57 मिनट से त्रयोदशी तिथि की शुरुआत हो रही है. वहीं त्रयोदशी तिथि का समापन 06 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 47 मिनट पर होगा.