बादल को क्या क्या कहा है और क्यों? - baadal ko kya kya kaha hai aur kyon?

इसे सुनेंरोकेंउत्साह कविता में कवि बादल से अनुरोध करता है कि हे बादलो तुम गगन को चारों ओर से घेर लो, घोर अंधकार कर लो और क्रांति करो। अनंत दिशा से आकर घनघोर गर्जना करके बरसों और तपती हुई धरा को शीतल कर दो। क्रांति के द्वारा परिवर्तन ले आओ।

बादल नवजीवन कैसे प्रदान करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: बादलों के लिए, क्योंकि गर्मी से संतप्त धरती के ताप को शान्त कर नवजीवन व चेतना प्रदान करना। प्रकृति का प्रफुल्ल वातावरण पशु-पक्षी तथा मानव में उत्साह और जोश का संचार करता है।

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उत्साह कवि ता में कवि ने नवजीवन वाले शब्द का प्रयोग कि सके लि ए कि या हैऔर क्यों?

इसे सुनेंरोकेंकवि को ‘नवजीवन वाले’ इसलिए कहा गया है क्योंकि वह उत्साह का संचार करके निराश-हताश लोगों के जीवन में नई उमंग भरता है।

बाल कल्पना से कवि का क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: कवि समाज में क्रांति एवं उत्साह की भावना का संचार कर, नवजीवन व परिवर्तन लाना चाहता है। इसीलिए वह बादल को गरजने के लिए कह रहा है। बादलों की तुलना बाल कल्पना से इसलिए की गई है क्योंकि बच्चों की कल्पनाएँ मधुर होती हैं तथा बदलती रहती हैं।

अट नहीं रही है कविता का क्या सन्देश है?

इसे सुनेंरोकेंExplanation:इस कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि जिस प्रकार बसंत ऋतु के आगमन से सारी सृष्टि खिलकर मनमोहक बन जाती है उसी प्रकार हमें भी अपने श्रेष्ठ कार्यों से समाज, राष्ट्र व विश्व कि आभामय बनाना चाहिए। ऐसे कार्य करने चाहिए कि सभी हमारा यशगान करें।

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कवि ने बादल को नवजीवन वाले क्यों कहा है?

इसे सुनेंरोकेंकवि ने बादलों को नवजीवन वाला इसलिए कहा है क्योंकि बादल हमें जल प्रदान करते हैं, और जल ही जीवन है।

बादल को नवजीवन देने वाला क्यों कहा गया है?

इसे सुनेंरोकेंबादलों को नवजीवन वाले इसलिए कहा गया है क्योकि वे वर्षा करके मुरझाई-सी धरती में नया जीवन फूंक देते हैं। वे धरती को उपजाऊ बना देते हैं और गर्मी से मुक्ति दिलाते हैं। कवि को . नवजीवन वाले.

उत्साह कविता में कवि ने क्या संदेश दिया है?

इसे सुनेंरोकें’उत्साह’ कविता में कवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ में जीवन में सकारात्मकता को अपनाने का संदेश दिया है। किसी कार्य की पूर्ति के लिए शरीर में ऊर्जा के संचार हेतु उत्साह होना आवश्यक है। उत्साह कविता में कवि ने बादलों के माध्यम से यही संदेश देने का प्रयत्न किया है।

उत्साह कविता का मूल उद्देश्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस कविता में बादलों को क्रांतिदूत मानकर सोए, अलसाए और कर्तव्यविमुख लोगों को क्रांति लाने के लिए प्रेरित किया गया है। इस क्रांति या विप्लव के बिना समाज की जड़ता और कर्तव्यविमुखता में परिवर्तन लाना संभव नहीं है। लोगों में उत्साह भरना ही ‘उत्साह’ कविता का उद्देश्य है।

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कवि ने बादल को क्या क्या कहा है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर कवि ने बादलों को ‘मानव मन को सुख से भर देने वाले ‘ इसलिए कहा है, क्योंकि जब बादल अपने हृदय में बिजली की चमक लिए हुए आते हैं और वर्षा करते हैं, तो भयंकर गर्मी से बेचैन और उदास धरती पर रहने वाला हर प्राणी स्वयं को प्रसन्न और सुखी महसूस करने लगता है।

कवि ने बादल का आह्वान क्यों किया है Class 10?

इसे सुनेंरोकेंकवि ने बादल का ही आह्वान किया है क्योंकि बादल क्रांति के प्रतीक हैं। बादलों की गर्जना क्रांति का आह्वान के समान लगती है क्रांति आम व्यक्ति को प्रभावित करती है।

Solution :  कवि निराला जी एक क्रांतिकारी कवि हैं। वे लोगों मे उत्साह बढ़ाकर क्रांति के द्वारा परिवर्तन लाने की बात कहते हैं। साथ ही प्यासे-शोषित-पीड़ित जन की आकाक्षाएँ पूरी करने की बात करते हैं। कवि का मानना है कि किसी भी प्रकार के परिवर्तन के लिए कोमलता नहीं कठोरता की आवश्यकता होती है। इसलिए कवि बादलों को बरसने के स्थान पर गरजने का आह्वान कर रहे हैं।

इस कविता में बादल के लिए ऐ विप्लव के वीर!, ऐ जीवन के पारावार! जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। बादल राग कविता के शेष पाँच खंडों में भी कई संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- अरे वर्ष के हर्ष!, मेरे पागल बादल!, ऐ निर्बंध!, ऐ स्वच्छंद!, ऐ उद्दाम!, ऐ सम्राट!, ऐ विप्लव के प्लावन!, ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार! उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बतायें बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य है?

1. कवि समाज में क्रांति एवं उत्साह की भावना का संचार कर, नवजीवन व परिवर्तन लाना चाहता है। इसीलिए वह बादल को गरजने के लिए कह रहा है। 

2. धाराधर ओ!' का अर्थ है धारा अर्थात् जल को धारण करने वाला। यहाँ यह शब्द बादल के लिए ही प्रयुक्त हुआ है।

3. बादलों की तुलना बाल कल्पना से इसलिए की गई है क्योंकि बच्चों की कल्पनाएँ मधुर होती हैं तथा बदलती रहती हैं। बादल भी बार-बार अपना रूप बदलते रहते हैं।


(ख) विकल विकल, उन्मन थे उन्मन

विश्व के निदाघ के सकल जन, 

आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन! 

तप्त धरा, जल से फिर

शीतल कर दो

बादल, गरजो! 


1. कौन विकल और उन्मन थे और क्यों?

2. कवि ने बादलों का आह्नान किसलिए किया है ?

3. बादलों को अज्ञात दिशा से आने वाला क्यों कहा गया है ?


उत्तर


1. उन्मन और विकल बादल हैं क्योंकि सारा जगत भयंकर गर्मी से परेशान है। पेड़ पौधे सूख रहे हैं तथा जीव-जन्तु पानी के अन्दर के जीव त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। प्राणि जगत की यह दयनीय दशा उनसे देखी नहीं जा रही है।

2. कवि ने बादलों का आह्नान मानवता को और धरती को गर्मी के प्रभाव से बचाने के लिए किया है।

3. बादलों को अज्ञात दिशा से आने वाला इसलिए कहा गया है, क्योंकि उनके आने की कोई दिशा ज्ञात नहीं है अर्थात बादलों की उत्पत्ति कहाँ से होती है, वह ज्ञात नहीं है।


लघुत्तरात्मक प्रश्नोत्तर-


1. कवि बादलों को क्या घेरने को कह रहे हैं? 


उत्तर


कवि को लगता है कि आकाश धरती का संरक्षक है। इसी कारण बादलों को पूरा आकाश घेरने को वे कह रहे हैं। 


2. बादल कवि के किस भाव का प्रतीक है? 


उत्तर


बादल कवि के लोक-कल्याण के भाव का प्रतीक है। वह बादलों के माध्यम से जनक्रांति लाना चाहते हैं।


3. कवि ने बादल को किस रूप में चित्रित किया है? 


उत्तर


कवि ने बादल को बच्चों के काले घंघराले बालों के रूप में चित्रित किया है। उनके अनुसार, ये काले-काले बादल

धुंघराले बालों के समान सुंदर प्रतीत हो रहे हैं। 


4. कवि ने 'बादल के उर में विद्युत छवि को किन संदर्भो में जोड़ा है? 


उत्तर


घने काले बादलों के बीच में चमकती बिजली की रेखा नया जीवन देने वाली है। प्रचंड गर्मी से जब समस्त प्राणी जगत त्राहि-त्राहि करने लगता है तब बादल बरस कर उनमें नई स्फूर्ति और नया जीवन डालते हैं। 


5. 'उत्साह' कविता का संदेश क्या है? 


उत्तर


बादल का गर्जन लोगों में क्रांति की चेतना जगाए। बादलों की गर्जना नवजीवन का प्रतीक है। मनुष्य में उत्साह होना ही उसकी उन्नति का कारण है, जिसमें उत्साह है, उसी में जीवन है|


6. कवि बादल से बार-बार गरजने का आग्रह क्यों करते हैं?


उत्तर


कवि बादल से बार-बार गरजने का आग्रह करते हैं क्योंकि बादल का गरजना क्रांति का सूचक है। कवि समाज में परिवर्तन लाना चाहते हैं, इसके लिए क्रांति की आवश्यकता है। बादल के गरजने के बाद वर्षा होती है अर्थात क्रांति का सुखद परिणाम होगा। सभी इस सुख से लाभान्वित होंगे।


7. 'उत्साह' कविता में कवि ने कविता करने वाले कवियों के लिए किस संबोधन का प्रयोग किया है?


उत्तर


उत्साह कविता में कवि ने कवियों के लिए 'नव जीवन वाले' संबोधन का प्रयोग किया है।


8. कवि बादल को सम्पूर्ण आकाश को घेर लेने के लिए क्यों कहता है?


उत्तर


कवि बादल को संपूर्ण आकाश को घेर लेने के लिए इसलिए कहता है ताकि वे मृतप्राय पड़ी संपूर्ण सृष्टि में एक साथ जीवन का संचार कर सकें। 


9. “विद्युत-छवि उर में' पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।


उत्तर


कवि कहना चाहते हैं कि बादलों के हृदय में बिजली की जो रेखा है, वह मानव समुदाय को नया जीवन देने वाली अद्भुत शक्ति है।

10. 'उत्साह' कविता में कवि किसका आह्वान कर रहा है और क्यों?

उत्तर

'उत्साह' कविता में कवि उत्साही तथा युवा कवियों का आह्वान कर रहे हैं ताकि वे अपनी ओजस्वी कविता द्वारा
जन सामान्य में नई चेतना और साहस का संचार कर सकें।

11. कवि बादल से क्या करने के लिए कह रहा है और क्यों?

उत्तर

कवि बादल से गरजने के लिए कह रहे हैं क्योंकि 'गरजना' शब्द क्रान्ति विप्लव और विरोध का सूचक है। परिवर्तन के लिए आह्वान है। कवि को विश्वास है कि बादलों के गरजने से प्राणि जगत में नई स्फूर्ति और चेतना का संचार होगा। वे उत्साहित होकर नव निर्माण करेंगे।

अट नहीं रही...


अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर-

निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(क) अट नहीं रही है आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है। कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो, उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो, आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है। पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल, कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल, पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।

1. इस कविता में किसका चित्रण किया गया है?
2. ‘फागुन की आभा का प्रभाव कहाँ-कहाँ दिखाई देता है? और कैसे?
3. 'अट नहीं रही है' का क्या भावार्थ है?

उत्तर

1. इस कविता में वसंत ऋतु का वर्णन किया गया है।
2. फागुन की आभा का प्रभाव संपूर्ण प्रकृति में दिखाई देता है। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नए निकल आते हैं। पेड़ पौधों में फूल आ जाते हैं। फूलों की खुशबू से सारा वातावरण सुगंधित और मनमोहक लगता है। ऐसा लगता है कि प्रकृति ने अपने गले में रंग-बिरंगे एवं सुगंधित फूलों की माला पहन रखी है।
3. अट नहीं रही है' का अर्थ है - समा नहीं रही है। कवि बताना चाहता है कि फागुन में वसंत की सुंदरता चारों ओर फैली है जहाँ देखो वहाँ सौंदर्य ही सौंदर्य है। ऐसा लगता है कि फागुन में 'वसंत की सुंदरता धरती पर समा नहीं रही है।

(ख) कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल
पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।

1. कवि के अनुसार कौन साँस ले रहा है और उसके
2. कवि की आँख हटाने पर भी क्यों नहीं हट रही है? उन्हें कौन-कौन-सी चीजें आकर्षित  कर रही हैं?
3. फागुन मास का पेड़-पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?


उत्तर

1. परिणामस्वरूप क्या हो रहा है? उत्तर : कवि को ऐसा लगता है मानो फागुन साँस ले रहा है, जिससे सब जगह सुगंध फैल रही है।

2.  प्रकृति की शोभा को देखकर कवि को अत्यधिक आनंद की अनुभूति हो रही है, जिसके कारण कवि की आँख उस प्राकृतिक शोभा से हटाने से भी नहीं हट रही है। उन्हें हरे व लाल पत्तों से लदी डालें, फूलों से लदी डालियाँ, सुगंधित वातावरण आकर्षित कर रहा है।

3. चारों ओर प्रकृति का सौन्दर्य चरम पर होता है। वृक्ष हरे-भरे पत्तों से युक्त रंग-बिरंगे फूलों की सुगंध से ऐसा लगता है मानो स्वयं वृक्षों ने मंद-सुगंध वाले फूलों की माला गले में धारण की हो।

9 कवि ने बादल को क्या क्या कहा है और क्यों?

उत्तर कवि ने बादल को कल्पना जैसे विस्तार के समान घने बाल वाले, नवजीवन देने वाले कवि के समान, अज्ञात दिशा से आए अनंत के घन इत्यादि कहा है।

कवि ने बादलों को क्या क्या कहा है?

कवि ने बादलों को 'आज्ञात दिशा के घन' और 'नवजीवन वाले' जैसे विशेषणों का प्रयोग किया है। कवि उन्हें अज्ञात दिशा के घन इसलिए कहा है क्योंकि बादल किस दिशा से आकर आकाश में छा गए, पता नहीं। इसके अलावा वे धरती और प्राणियों को नवजीवन देते हैं।

कवि बादल को क्या करने के लिए कह रहा है *?

कवि का मानना है कि किसी भी प्रकार के परिवर्तन के लिए कोमलता नहीं कठोरता की आवश्यकता होती है। इसलिए कवि बादलों को बरसने के स्थान पर गरजने का आह्वान कर रहे हैं।

बादल से आप क्या समझते हैं?

वायुमण्डल में मौज़ूद जलवाष्प के संघनन से बने जलकणों या हिमकणों की दृश्यमान राशि बादल कहलाती है। मौसम विज्ञान में बादल को उस जल अथवा अन्य रासायनिक तत्वों के मिश्रित द्रव्यमान के रूप में परिभाषित किया जाता है जो द्रव रूप में बूंदों अथवा ठोस रवों के रूप में किसी ब्रह्माण्डीय पिण्ड के वायुमण्डल में दृश्यमान हो।