सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन से क्या तात्पर्य है - soory ke uttaraayan aur dakshinaayan se kya taatpary hai

सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण करने को संक्रांति कहते हैं। वर्ष में 12 संक्रांतियां होती है जिसमें से 4 संक्रांति मेष, तुला, कर्क और मकर संक्रांति ही प्रमुख मानी गई हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। इसी तरह जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तो वह दक्षिणायन हो जाता है।

क्या होता है दक्षिणायन : सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो वह उत्तरगामी होता है। उसी तरह जब वह कर्क में प्रवेश करता है तो दक्षिणगामी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्तरायण के समय सूर्य उत्तर की ओर झुकाव के साथ गति करता है जबकि दक्षिणायन होने पर सूर्य दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करता है। इसीलिए उत्तरायण और दक्षिणायन कहते हैं। इसी कारण उत्तरायण के समय दिन लंबा और रात छोटी होती है, जबकि दक्षिणायन के समय में रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं।

कौनसी ऋतुएं होती हैं : उत्तराणण के दौरान तीन ऋतुएं होती है- शिशिर, बसन्त और ग्रीष्म। इस दौरान वर्षा, शरद और हेमंत, ये तीन ऋतुएं होती हैं।

किस राशि में होता है सूर्य दक्षिणायन : सूर्य संक्राति हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य मकर से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, तो इस अंतराल को उत्तरायण कहते हैं। सूर्य के उत्तरायण की यह अवधि 6 माह की होती है। वहीं जब सूर्य कर्क राशि से धनु राशि तक भ्रमण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं।

क्या होता है दक्षिणायन होने से : दक्षिणायन को नकारात्मकता का और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए कहते हैं कि उत्तरायण उत्सव, पर्व एवं त्योहार का समय होता है और दक्षिणायन व्रत, साधना एवं ध्यान का समय रहता है।

देवताओं की रात दक्षिणायन : मान्यताओं के अनुसार दक्षिणायन का काल देवताओं की रात्रि मानी गई है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति से देवताओं का दिन आरंभ होता है, जो आषाढ़ मास तक रहता है। कर्क संक्रांति से देवताओं की रात प्रारंभ होती है। अर्थात देवताओं के एक दिन और रात को मिलाकर मनुष्‍य का एक वर्ष होता है। मनुष्यों का एक माह पितरों का एक दिन होता है।

उत्तरायण में क्या कर सकते हैं : उत्तरायण में तीर्थयात्रा, धामों के दर्शन और उत्सवों का समय होता है। उत्तरायण के 6 महीनों के दौरान नए कार्य जैसे- गृह प्रवेश, यज्ञ, व्रत, अनुष्ठान, विवाह, मुंडन आदि जैसे कार्य करना शुभ माना जाता है।

दक्षिणायन में क्या करते हैं : दक्षिणायन में विवाह, मुंडन, उपनयन आदि विशेष शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं। इस दौरान व्रत रखना, किसी भी प्रकार की सात्विक या तांत्रिक साधना करना भी फलदायी होती हैं। इस दौरान सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

इसे सुनेंरोकेंसायन पद्धति में यह समय 21 जून से लेकर 22/23 दिसंबर का होता है जबकि निरयन पद्धति में यह 15/16 जुलाई से लेकर 14/15 जनवरी के बीच होता है।

सूर्य उत्तरायण और दक्षिणायन कब होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंसूर्यदेव 6 महीने के लिए उत्तरायण रहते हैं और बाकी के 6 महीनों में दक्षिणायन। हिंदू पंचांग की काल गणना के आधार पर जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि की यात्रा करते हैं तब इस अंतराल को उत्तरायण कहा जाता है। इसके बाद जब सूर्य कर्क राशि धनु राशि की यात्रा पर निकलते हैं तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं।

सूर्य के उत्तरायण होने का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंहिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य मकर से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, तो इस अंतराल को उत्तरायण कहते हैं। सूर्य के उत्तरायण की यह अवधि 6 माह की होती है। वहीं जब सूर्य कर्क राशि से धनु राशि तक भ्रमण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं। दक्षिणायन को नकारात्मकता का और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।

पढ़ना:   टाइल्स से सीमेंट कैसे साफ करें?

मकर संक्रांति 2022 का वाहन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंMakar Sankranti 2022: बाघ पर सवार होकर आएगी संक्रांति, महिलाओं को मिलेंगे शुभ फल और बढ़ेगा देश का पराक्रम 14 जनवरी, शुक्रवार को सूर्य राशि बदलकर मकर में आ जाएगा। इस दिन पौष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि रहेगी। इसलिए इस दिन सूर्य के साथ भगवान विष्णु की भी विशेष पूजा की जाएगी।

सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंहिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य मकर से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, तो इस अंतराल को उत्तरायण कहते हैं। सूर्य के उत्तरायण की यह अवधि 6 माह की होती है। वहीं जब सूर्य कर्क राशि से धनु राशि तक भ्रमण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं।

सूर्य उत्तरायण कब होता है 2021?

इसे सुनेंरोकेंवर्ष में 12 संक्रांतियां होती है जिसमें से 4 संक्रांति मेष, तुला, कर्क और मकर संक्रांति ही प्रमुख मानी गई हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। इसी तरह जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तो वह दक्षिणायन हो जाता है। 16 जुलाई 2021 को सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश होगा और सूर्य दक्षिणायन हो जाएगा।

पढ़ना:   मैक्स म्युलर ने संयुक्त परिवार को क्या कहा है?

सूर्य दक्षिणायन कब होगा 2021?

इसे सुनेंरोकेंमकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। इसी तरह जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तो वह दक्षिणायन हो जाता है। 16 जुलाई 2021 को सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश होगा और सूर्य दक्षिणायन हो जाएगा।

हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में हमारे पास दो संक्रांति होती हैं, यानी एक ऐसा समय जब सूर्य अपनी स्थिति बदलता है। सूर्य की उत्तर दिशा की गति को उत्तरायण (Uttarayan in Hindi) तथा सूर्य की दक्षिणी गति को दक्षिणायन (Dakshinayan in Hindi) कहते हैं। इन चरणों को वैकल्पिक रूप से अंग्रेजी में शीतकालीन संक्रांति और ग्रीष्मकालीन संक्रांति कहा जाता है। ये चरण आमतौर पर छह महीने की अवधि तक चलते हैं। यहाँ उल्लिखित उत्तरायण और दक्षिणायन के बीच अंतर (Difference between Uttarayan and Dakshinayan in Hindi) एक स्पष्ट समझ रखने और तुलना को अच्छी तरह से जानने में मदद कर सकता है।

उत्तरायण और दक्षिणायन के बीच अंतर (Difference between Uttarayan and Dakshinayan) का ज्ञान UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए प्रश्नों को हल करने में सहायक हो सकता है।

उत्तरायण और दक्षिणायन के बीच अंतर (यूपीएससी नोट्स): पीडीएफ डाउनलोड करें!

Table of Contents

  • उत्तरायण क्या है? | What is Uttarayan?
  • दक्षिणायन क्या है? | What is Dakshinayan?
  • उत्तरायण और दक्षिणायन के बीच अंतर | Difference Between Uttarayan and Dakshinayan
  • उत्तरायण और दक्षिणायन में अंतर – FAQs

उत्तरायण क्या है? | What is Uttarayan?

भारत में उत्तरायण को असंख्य नामों से जाना जाता है। आमतौर पर शीतकालीन संक्रांति के रूप में कहा जाता है, यह चरण मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर सूर्य के उत्तर की ओर गति का प्रतीक है। यह चरण 22 दिसंबर के आसपास शुरू होता है और लगभग 21 जून तक चलता है। यह पूरे भारत में फसल के दिन के रूप में मनाया जाता है। लोकप्रिय रूप से इसे मकर संक्रांति कहते हैं। यह दिन हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस चरण में बड़े दिन और छोटी रातें होती हैं। इस दिन से शुरू होने वाली अवधि शुभ मानी जाती है, सकारात्मकता का प्रतीक है और इसे “देवों की अवधि” कहा जाता है।

जानें GMT और IST के बीच अंतर यहाँ।

दक्षिणायन क्या है? | What is Dakshinayan?

दक्षिणायन, जिसे आमतौर पर अंग्रेजी में ग्रीष्म संक्रांति कहा जाता है, वह चरण है जो जून के महीने में शुरू होता है और सूर्य के कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर दक्षिण की ओर गति को चिह्नित करता है। यह चरण 21 या 22 जून के आसपास शुरू होता है और 22 दिसंबर तक चलता है। इसे आमतौर पर “काल देवों की रात” की अवधि के रूप में उद्धृत किया जाता है और यह नकारात्मकता से जुड़ा होता है, अर्थात, वर्ष के इस चरण में शुभ गतिविधियों को हतोत्साहित किया जाता है। इसमें सर्दी, शरद ऋतु और मानसून के मौसम शामिल हैं। संक्रांति का यह चरण छोटे दिनों और लंबी रातों से जुड़ा है।

पृथ्वी की दाब पेटियाँ के बारे में यहाँ पढ़ें!

उत्तरायण और दक्षिणायन के बीच अंतर | Difference Between Uttarayan and Dakshinayan

उत्तरायण और दक्षिणायन के बीच अंतर (Difference between Uttarayan and Dakshinayan Hindi me) को नीचे सारणीबद्ध प्रारूप में दर्शाया गया है ताकि उम्मीदवारों को अवधारणा को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिल सके। ये अंतर परीक्षा में किसी भी संबंधित प्रश्न का उत्तर आसानी से देने में मदद कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें: जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक

उत्तरायणदक्षिणायनउत्तरायण को ग्रीष्म संक्रांति कहा जाता है।दक्षिणायन को शीतकालीन संक्रांति कहा जाता है।इसे देवों के काल के रूप में दर्शाया गया है।इसे “काल देवों की रात” के रूप में दर्शाया गया हैयह लंबे दिनों और छोटी रातों द्वारा चिह्नित है।यह छोटे दिनों और लंबी रातों द्वारा चिह्नित है।लोग आमतौर पर इस चरण के दौरान शुभ कार्यों का पक्ष लेते हैं।इस चरण में आमतौर पर शुभ कार्यों से परहेज किया जाता है।यह 22 दिसंबर से शुरू होता है और छह महीने की अवधि तक चलता है।यह 21/22 जून को शुरू होता है और छह महीने की अवधि तक चलता है।इसमें बसंत, सर्दी और गर्मी के मौसम शामिल हैं।इसमें मानसून, शरद ऋतु और सर्दी शामिल है।

मानसून के आगमन और वापस लौटने में अंतर के बारे में जानें!

आशा है कि यह लेख आपको उत्तरायण और दक्षिणायन के बीच अंतर (Difference between Uttarayan and Dakshinayan in Hindi) उसकी अवधारणा को सीखने में मदद करेगा। भूगोल के अन्य महत्वपूर्ण विषयों के बारे में भी पढ़ें जैसे अपनी तैयारी को मजबूत करने के लिए पृथ्वी की गति पूरी तरह से।

यह भी पढ़ें : सदाबहार और पर्णपाती वन के बीच अंतर

हमें उम्मीद है कि उत्तरायण और दक्षिणायन के बीच अंतर (Difference between Uttarayan and Dakshinayan in Hindi) के बारे में जानकारी मिल गई होगी। टेस्टबुक विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए व्यापक नोट्स प्रदान करता है। इसने हमेशा अपने उत्पाद की गुणवत्ता जैसे कंटेंट पेज, लाइव टेस्ट, जीके और करंट अफेयर्स, मॉक इत्यादि का आश्वासन दिया है। भूगोल से अधिक विषयों का अध्ययन करने के लिए, टेस्टबुक ऐप अभी डाउनलोड करें।

यदि आप UPSC के लिए नोट्स की जाँच कर रहे हैं, तो नीचे दी गई तालिका में संबंधित भूगोल लेख भी देखें:अक्षांश और देशांतरLOHAFEXभारत और हिमालय में महत्वपूर्ण पर्वतीय दर्रेअल नीनो और ला नीना (ENSO)भारत के प्रायद्वीपीय पठार और विश्व के प्रसिद्ध पठारहवा और उसके प्रकार

उत्तरायण और दक्षिणायन में अंतर – FAQs

Q.1 उत्तरायण क्या है?

Ans.1 उत्तरायण सूर्य के उत्तर की ओर मकर रेखा से कर्क रेखा तक जाने का प्रतीक है।

Q.2 Title

Ans.2 दक्षिणायन कर्क रेखा से मकर रेखा तक सूर्य की दक्षिण की ओर गति का प्रतीक है

Q.3 उत्तरायण को शुभ क्यों माना जाता है?

Ans.3 उत्तरायण को शुभ माना जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि भगवान की सभी तपस्या समाप्त हो गई है।

Q.4 उत्तरायण और दक्षिणायन का अर्थ क्या है?

Ans.4 उत्तरायण को शीतकालीन संक्रांति कहा जाता है और दक्षिणायन को ग्रीष्मकालीन संक्रांति कहा जाता है।

Q.5 उत्तरायण और दक्षिणायन की अवधि क्या है?

Ans.5 दोनों चरण, यानी उत्तरायण और दक्षिणायन छह महीने की अवधि तक चलते हैं।

सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन से क्या तात्पर्य है - soory ke uttaraayan aur dakshinaayan se kya taatpary hai

सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन से क्या तात्पर्य है - soory ke uttaraayan aur dakshinaayan se kya taatpary hai

Continue Reading in App

Create Your Free Account to Continue Reading

  • Get Instant Job Alerts for Free!

  • Get Daily GK & Current Affairs Capsule & PDFs

  • Get 100+ Free Mock Tests & Quizzes


Sign Up for Free Already have an account? Sign In

Continue Reading in App

Open in App Create free Account

सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन से क्या तात्पर्य है - soory ke uttaraayan aur dakshinaayan se kya taatpary hai

सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन से क्या तात्पर्य है - soory ke uttaraayan aur dakshinaayan se kya taatpary hai

More on IAS Exam 2023Eligibility CriteriaRecruitmentApplication FormPrelims SyllabusMains SyllabusExam PatternPrelims StrategyMains StrategyNCERT BooksBooksHistory BooksAdmit CardAnswer KeyInterviewPrevious Year PapersCut Off MarksResultExam AnalysisCSATCSAT Subject Wise Questions WeightagePrelims Subject Wise Questions WeightageGS Paper 1 SyllabusGS Paper 2 SyllabusGS Paper 3 SyllabusGS Paper 4 SyllabusSyllabusHow to Prepare UPSC Without Coaching?

सूर्य उत्तरायण और दक्षिणायन क्या होता है?

हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में हमारे पास दो संक्रांति होती हैं, यानी एक ऐसा समय जब सूर्य अपनी स्थिति बदलता है। सूर्य की उत्तर दिशा की गति को उत्तरायण (Uttarayan in Hindi) तथा सूर्य की दक्षिणी गति को दक्षिणायन (Dakshinayan in Hindi) कहते हैं।

सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन कब होता है?

उत्तरायण का आरंभ 14 जनवरी को होता है। यह दशा 21 जून तक रहती है। इस दिन अयनांत की स्थिति आती है उसके बाद दक्षिणायन प्रारंभ होता है जिसमें दिन छोटे और रात लम्बी होती जाती है , फिर एक और अयनांत है और फिर से उत्तरायण आरम्भ हो जाता है

उत्तरायण और दक्षिणायन की अवधि क्या है?

कालगणना के अनुसार जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, तब यह तक के समय को उत्तरायण कहते हैं. यह समय छ: माह का होता है. तत्पश्चात जब सूर्य कर्क राशि से सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, और धनु राशि में विचरण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं. इस प्रकार यह दोनो अयन 6-6 माह के होते हैं.

सूर्य के उत्तरायण होने का क्या अर्थ है?

हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य मकर से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, तो इस अंतराल को उत्तरायण कहते हैं। सूर्य के उत्तरायण की यह अवधि 6 माह की होती है। वहीं जब सूर्य कर्क राशि से धनु राशि तक भ्रमण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं। दक्षिणायन को नकारात्मकता का और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।