टिप्पण के कितने प्रकार होते हैं? - tippan ke kitane prakaar hote hain?

noting meaning in hindi टिप्पण की परिभाषा | टिप्पण लेखन किसे कहते हैं | प्रकार या भेद , अर्थ विशेषताएं व मुख्य उद्देश्य क्या क्या है समझाइये ?

टिप्पण- लेखन (टिप्पण)

एक कार्यालय का पत्र दूसरे कार्यालय में आता है अथवा किसी व्यक्ति का पत्र किसी कार्यालय में आता है तो उसका उत्तर देने से पूर्व उससे संबंधित अधिकारियों या कर्मचारियों से आवश्यक निर्देश ले लेने अथवा पूछताछ कर लेने होते हैं । किसी पत्र की प्राप्ति के बाद और उसका उत्तर देने के बीच नियमों एवं अधिनियमों का उल्लेख करते हुए अधिकारी के अंतिम निर्णय लेने की दिशा में ही कार्यालय के लिपिक, प्रधानलिपिक, कार्यालय-अधीक्षक जो कुछ लिखते हैं उसे टिप्पण या टिप्पणियाँ कहते हैं तथा इस संपूर्ण प्रक्रिया को टिप्पणी-लेखन कहते हैं । यदि किसी पत्र में काररवाई की दिशा स्पष्ट है तो उसमें टिप्पण लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है । जिन पत्रों के सोच-समझकर नियमानुकूल उत्तर भेजने हों उसमें टिप्पणी की जरूरत पड़ती है। यदि विचाराधीन पत्र के निस्तारण के लिए संक्षिप्त टिप्पणी देनी है तो उसे मूल पत्र के हाशिये पर लिख दिया जाता है । यदि लम्बे टिप्पण देने हैं तो उसके लिए निम्नांकित बातों का उल्लेख करना चाहिए-

(1) विषय का संक्षिप्त और स्पष्ट संकेत करना चाहिए।

(2) विषय का संदर्भ और सार देना चाहिए ।

(3) विषय से संबंधित प्रत्येक बात का क्रमवार उल्लेख करना चाहिए ।

(4) प्रत्येक बात के निस्तारण का सुझाव भी देना चाहिए।

संक्षिप्त टिप्पणियों के लिए निम्नलिखित वाक्य प्रयुक्त किये जाते हैं-

(1) मुझे कोई आपत्ति नहीं है।

(2) बात कर लीजिए।

(3) शीघ्र कार्रवाई करें।

(4) यह मामला पुलिस के हवाले किया जाय ।

(5) मेरी ओर से इस पर कोई कार्रवाई करनी आवश्यक नहीं जान पड़ती है ।

(6) देख लिया।

(7) आगे कोई कार्रवाई अपेक्षित नहीं है ।

(8) आवेदन स्वीकार कर लिया जाय ।

(9) मुझे इस संबंध में कुछ नहीं कहना है ।

(10) मैं सहमत हूँ।

(11) विषय के पूर्व प्रसंग का स्पष्ट उल्लेख कीजिए ।

(12) अपेक्षित जानकारी के लिए वन-विभाग से पत्राचार करें।

(13) कागज-पत्रों का मिलान कर लिया गया है।

(14) कार्यालय की टिप्पणी से मैं सहमत हूँ, आदेश जारी कर दिया जाय ।

(15) वैधमार्ग से पत्राचार करने के लिए आवेदक को सूचित कर दिया जाय ।

टिप्पण का नमूना —

किसी न किसी पत्र के आधार पर ही टिप्पण लिखा जाता है । यहाँ मूल पत्र को न देकर उसके आधार पर टिप्पण प्रस्तुत किया जा रहा है-

अवर अभियंता का टिप्पण —

अधिशासी अभियंता महोदय,

कल की मूसलाधार वर्षा के कारण जी० टी० रोड पर कैण्ट स्टेशन, वाराणसी के निकट मकान गिरने से आज रात में ही यातायात ठप है। सड़क को यातायात योग्य बनाने के लिए कम से कम 15 मजदूर एक दिन का समय लेंगे । इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई हेतु आपके आदेश की प्रतीक्षा है ।

इसे सुनेंरोकेंअर्थात, सरकारी कार्यप्रणाली में विचाराधीन कागज या मामले के बारे में उनके निपटान हेतु सुझाव या निर्णय देने के परिणामस्वरूप जो अभ्युक्तिया (Remarks) फाइल पर लिखी जाती है, उन्हें टिप्पण या टिप्पणी(Noting) कहते हैं।

टिप्पण का उद्देश्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअंतः संक्षेप में महत्त्वपूर्ण बातों को लिखित रूप में प्रस्तुत करने की प्रक्रिया ही टिप्पण है। इस प्रकार टिप्पण का उद्देश्य उन तथ्यों, संदर्भों अथवा प्रश्नों को, जिन पर निर्णय लेना होता है, तटस्थ-संक्षिप्त किन्तु स्पष्ट क्रमबद्ध और तर्क-सम्मत टिप्पणी प्रस्तुत करना है।

टिप्पणी के कितने प्रकार होते हैं?

टिप्पणी के कितने प्रकार होते हैं?

  • विषय वस्तु के अनुसार टिप्पणी दो प्रकार की होती है-
  • प्रतिपादन की दृष्टि से टिप्पण दो प्रकार के होते हैं-
  • प्रसार की दृष्टि से भी टिप्पणी दो प्रकार की होती है-
  • विस्तार की दृष्टि से भी टिप्पणी को दो वर्गों में वर्गीकृत कर सकते हैं-
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    इसे सुनेंरोकें’टिप्पण’ का अर्थ है- टिप्पणी लिखने का कार्य। ‘ इस प्रकार ‘टिप्पण’ टिप्पणी लिखने की कला या प्रक्रिया का नाम है। जिस प्रकार संक्षेप करने की कला को संक्षेपण, विस्तृत करने की कला को विस्तारण कहते हैं, उसी प्रकार टिप्पणी लेखन की कला को टिप्पण कहते हैं।

    टिप्पणी कितने प्रकार की होती हैं?

    टिप्पणी लेखन क्या है उदाहरण स्पष्ट कीजिए?

    इसे सुनेंरोकेंकिसी भी विचारधीन पत्र या आवेदन पर उसके निष्पादन (Disposal) को सरल बनाने के लिए जो टिप्पणियाँ सरकारी कार्यालयों में लिपकों, सहायकों तथा कार्यालय अधीक्षकों द्वारा लिखी जाती है, उन्हें टिप्पण-लेखन कहते हैं। (3) उस सम्बन्ध में क्या कार्रवाई की जाय, इस विषय में सुझाव और क्या आदेश दिये जायँ, इस विषय में भी सुझावों का उल्लेख।

    टिप्पण और आवेदन में क्या अंतर है?

    इसे सुनेंरोकेंसामान्यतः ‘टिप्पणी’ में किसी विषय पर अपने विचारों को संक्षिप्त रूप में व्यक्त किया जाता है जबकि ‘टिप्पण’ विशेष रूप से सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों-कर्मचारियों के आपस में अपनी बातों को संप्रेषित करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है और इसे हरे रंग की ‘नोटशीट’ पर ही लिखा जाता है।

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    नोट शीट कैसे लिखा जाता है?

    इसे सुनेंरोकेंनोटशीट के प्रत्येक पृष्ठ के चारों ओर लगभग एक इंच का हाशिया रखा जाना चाहिए। 10. टिप्पणी को स्पष्ट करने के लिए अनुच्छेदों में विभाजित कर संक्षिप्त शीर्षक भी दिए जा सकते हैं। या किसी मत की आलोचना करनी हो तो अभिमत शिष्ट एवं संतुलित भाषा में हो तथा किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत दोषारोपण से बचा जाए।

    टिप्पण प्रारूपण से क्या समझते हैं?

    इसे सुनेंरोकेंकार्यालयों में आवती पर टिप्पणी कार्य समाप्त होने के बाद कार्यालयी पत्रोत्तर का जो मसौदा तैयार किया जाता है, उसे ‘प्रारूपण’ कहते हैं। टिप्पण कार्य का ही अंतिम सोपान प्रारूपण है, सरकारी, अर्धसरकारी, गैरसरकारी, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों व दफ्तरों में प्रारूप लेखन अधिक प्रचलित है ।

    टिप्पणी का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंnoting meaning in hindi टिप्पण की परिभाषा | टिप्पण लेखन किसे कहते हैं | प्रकार या भेद , अर्थ विशेषताएं व मुख्य उद्देश्य क्या क्या है समझाइये? (1) विषय का संक्षिप्त और स्पष्ट संकेत करना चाहिए। (2) विषय का संदर्भ और सार देना चाहिए । (3) विषय से संबंधित प्रत्येक बात का क्रमवार उल्लेख करना चाहिए ।

    टिप्पणी कितने प्रकार के होते हैं?

    टिप्पणी के प्रकार मामलों का स्वरूप, अधिकार की स्थिति तथा कार्यालय की आवश्यकतानुसार अनेक प्रकार की टिप्पणियाँ लिखी जाती हैं, जिनमें प्रमुख हैं- नेमी टिप्पण, सामान्य टिप्पण, अनुभागीय टिप्पण, सम्पूर्ण टिप्पण तथा अनौपचारिक टिप्पण आदि।

    टिप्पण किसे कहते हैं यह कितने प्रकार का होता है वर्णन करें?

    डॉ. ईश्वरदत्त शील के मतानुसार– “टिप्पणी (अभ्युक्ति) – लेखन की कला, कार्य अथवा प्रक्रिया को टिप्पण कहते हैं।” किसी भी विचाराधीन डाक (पत्र) के निस्तारण को सुगम और सरल बनाने के लिए जो टिप्पणी लिखी जाती है, उसी को टिप्पण कहते हैं। अंतः संक्षेप में महत्त्वपूर्ण बातों को लिखित रूप में प्रस्तुत करने की प्रक्रिया ही टिप्पण है।

    टिप्पणी का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    टिप्पण का मुख्य उद्देश्य विचारधीन पत्रों से सम्बन्धित सभी बातों को इस प्रकार प्रस्तुत कर देना है कि उसकी बातें स्पष्ट हो जाएँ और अधिकारी को निर्णय लेने में कठिनाई न हो। जब किसी पत्र के निस्तारण के लिए संक्षित्प्त टिप्पण करना होता है तो उसे मूल पत्र के हाशिये पर लिख दिया जाता है।

    टिप्पणी कैसे बनाते हैं?

    टिप्पणी को स्पष्ट करने के लिए अनुच्छेदों में विभाजित कर संक्षिप्त शीर्षक भी दिए जा सकते हैं। 11. किसी मामले में स्पष्ट भूलों / गलत बयानी की ओर ध्यान आकर्षित करना आवश्यक हो या किसी मत की आलोचना करनी हो तो अभिमत शिष्ट एवं संतुलित भाषा में हो तथा किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत दोषारोपण से बचा जाए ।