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पत्र सम्प्रेषण का एक सशक्त माध्यम हैं। दैनिक व्यवहार में पत्र दो व्यक्तियों में कम समय में कम से कम व्यय में एक ऐसा संपर्क सूत्र है, जिसमें पत्रों के माध्यम से व्यक्ति अपने मानस पटल के विभिन्न भावों को न केवल खोलता है अपितु अपने संबंधों को सुदृढ़ भी बनाता है। पत्र लेखन हेतु आवश्यक बिन्दु(1) पत्र - लेखन की भाषा शैली सरल, सुबोध, विषयानुकूल होनी चाहिए। इन प्रकरणों 👇 को भी पढ़ें। पत्र लेखन के महत्वपूर्ण अंग(1) प्रेषक का पता और तिथि― पत्र - लेखन के लिए जिस कागज का प्रयोग किया जाता है उसके उपर के स्थान पर दाहिनी और प्रेषक का पता एवं पत्र लेखन की तिथि का उल्लेख होना
चाहिए। (2) मूल संबोधन – पत्र के बायीं और घनिष्ठता, श्रद्धा या स्नेह-सूचक संबोधन होना चाहिए। जहाँ पर सम्बोधन स्पष्ट नहीं होते हैं, वहाँ पर सेवा में, प्रति, या पद नाम का नाम होता है। उसके आगे समासचिह्न देकर नीचे पद का नाम और संस्था का नाम एवं पता आदि लिखे जाते हैं। (3) अभिवादन या शिष्टाचार – संबोधन की पंक्ति के अंतिम वर्ण के नीचे से एक नयी पंक्ति प्रारंभ करके अभिवादन या शिष्टाचार सूचक शब्द लिख जाते हैं। इसके अन्तर्गत बड़ों को प्रणाम, बराबर वालों को नमस्कार, नमस्ते, छोटे में को शुभाशीष, आशीर्वाद, प्रसन्न रहों आदि लिखा जाता है। (4) विषय–वस्तु – विषय -वस्तु में पत्र की विषय - वस्तु को अनुच्छेदों में व्यवस्थित रूप में लिखा जाता है। (5) पत्र की समाप्ति – पत्र की विषय- वस्तु या विषय सामग्री को पूरा करने के बाद पत्र को समाप्त करने के लिए, मंगल कामना सूचक या धन्यवाद सूचक उक्तियों का प्रयोग करके सम्बोधन वाले व्यक्ति के साथ अपने संबंध दर्शाते हुए, अंत में हस्ताक्षर किया जाता है । (6) संबोधन वाले व्यक्ति का पता – पत्र के अंत में संबोधन वाले व्यक्ति या पद के नाम का पूरा पता पत्र की बायीं और लिखा जाता है। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। पत्रों के प्रकारपत्र लेखन अनेक प्रकार से होता है, जिसमें, कुछ आदेशात्मक कुछ निवेदनात्मक, सूचनात्मक, विवरणात्मक, व्यावसायिक आदि पत्र होते हैं, तो कुछ निजी, पारिवारिक पत्र भी होते हैं। इन पत्रों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है। औपचारिक पत्रों के
अंतर्गत– अधिकारियों, कार्यालय प्रमुखों, किसी संस्था या फर्म के नियंत्रको या किसी दुकानदार को पत्र लिखे जाते हैं। सामान्य व्यक्ति के रूप में लिखे जाने वाले पत्र आधिकारिक पत्र की श्रेणी में आते हैं। व्यवसायिक– पत्र हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। शासकीय –
पत्र शासकीय – पत्रों के लेखन में आवश्यक बातें(1) शासकीय पत्र के सबसे ऊपर दायी और संबंधित कार्यालय, संस्था या सरकार का नाम अंकित होता हैं। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। शासकीय या सरकारी पत्रों के आवश्यक के
गुण अर्ध्दशासकीय पत्रशासकीय पत्रों की औपचारिक शैली पहेली अर्ध्दसरकारी पत्रों के व्यवहार में प्रयुक्त होती है, इसमें एक अधिकारी, दूसरे अधिकारी को व्यक्तिगत नामों से पत्र - व्यवहार करता है। इसमें औपचारिकता का निर्वाह होता है। इसकी भाषा मैत्रीपूर्ण, संयत, सहज होती है। पत्रों में संबोधन के स्थान पर उपनाम का प्रयोग होता है।इसकी भाषा का स्वरूप कुछ इस प्रकार होता है। इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। पत्र लेखन एक कला है । इससे जहाँ विचारों को व्यक्त करने की शैली का विकास होता है, वहीं भाषा ज्ञान भी समृद्ध होता है। आज हर क्षेत्रों में पत्रों द्वारा कार्य होते हैं। हम अपने रोजमर्रा के जीवन में अपने रिश्तेदारों, सगे संबंधियों और मित्रों को पत्र लिखते रहते हैं। शासकीय, अशासकीय, व्यवसायिक, पारिवारिक सभी काम प्रायः पत्रों के द्वारा ही होते हैं। पत्र समाचार आदान एवं प्रदान का प्रमुख माध्यम है। पत्र लेखन कला पर विचार करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि– एक आदर्श पत्र की संरचना में निम्नलिखित बातें ध्यान रखनी चाहिए-1. जहाँ पत्र लिखा जा रहा है, वहाँ का नाम, दिनांक, साधारण पत्रों में तो केवल दिनांक पत्र के दाहिनी तरफ लिखा जाता है। इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। पत्र लेखन हेतु उदाहरण सारणीजिस को पत्र लिखा – पिता, चाचा, नाना, फूफा, मौसा,
बड़े भाई, मामा, जीजा जिस को पत्र लिखा – मां,चाची, बुआ, मौसी, भाभी, बहन को जिस को पत्र लिखा – मित्र को, बराबरी वाले जिस को पत्र लिखा – सखी को, सहेली को जिस को पत्र लिखा – छोटे बच्चों को जिस को पत्र लिखा – गुरू को जिस को पत्र लिखा – अपरिचित को अंत में शुभकामना एवं पत्र समाप्ति पर सम्मान व्यक्त करते हुए हस्ताक्षर करना है। हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्तर पर पूछे जाने वाले कुछ परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण पत्रों एवं उनका संक्षिप्त विवरण पारिवारिक पत्र1. पिताजी को पत्र अध्ययन संबंधी जानकारी एवं समस्या विषयक। शिकायती पत्र7. डाक वितरण की अनियमितता संबंधी डाक अधीक्षक को पत्र । विद्यालयीन पत्र12. शाला के प्रधानाचार्य महोदय को, अवकाश छुट्टी हेतु आवेदन पत्र। कुछ अन्य पत्र16.
'प्रकाशक' को अपनी कक्षा हेतु पूस्तके क्रय करने हेतु पत्र। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। I hope the above information will be useful and important. Watch related
information below व्यापारी पत्र कितने प्रकार के होते हैं?व्यावसायिक पत्रों के प्रकार एवं उदाहरण. पूछताछ-पत्र जो पत्र किसी माल के गुण, प्रकार, मूल्य, उपयोगिता, भुगतान शर्तों आदि की आवश्यक जानकारी हेतु लिखे जाते हैं, वे पूछताछ पत्र कहलाते हैं। ... . आदेश पत्र ... . एजेन्सी-पत्र ... . शिकायती पत्र ... . सूचना-प्रचार पत्र ... . साख सम्बन्धी पत्र ... . परिचय-पत्र ... . भुगतान सम्बन्धी पत्र. व्यापारिक पत्र के कितने मुख्य भाग होते हैं?(1) प्रथम भाग- जिसमें विषय का परिचय होता है अथवा प्रेषिती (Addressee) द्वारा अब तक भेजे गए पत्रों का सन्दर्भ दिया जाता है। पत्र का यह भाग या अनुच्छेद छोटा होता है। (3) तृतीय भाग- जिसमें आगामी कार्य-व्यापार पर बल दिया जाता है। यह मुख्य भाग का अन्तिम भाग होता है।
व्यावसायिक पत्र के कौन कौन से भाग होते हैं?व्यावसायिक पत्र के निम्नलिखित महत्वपूर्ण भाग होते हैं. शीर्षक- ... . दिनांक- ... . प्राप्तकर्ता का नाम एवं पता- ... . अभिवादन- ... . विषय शीर्षक- ... . पत्र का मुख्य भाग- ... . अन्तिम प्रशंसात्मक वाक्य- ... . हस्ताक्षर-. व्यापारिक पत्र कैसे लिखते हैं?व्यापार की सफलता बहुत कुछ सार्थक एवं प्रभावशाली पत्र-व्यवहार पर आधारित रहती है। पत्र की भाषा, शैली, पत्र-प्रेषक के मंतव्य तथा भावनाओं को पाने वाले को संप्रेषित करती है। असावधानी से लिखे गये पत्रों का प्रतिफल व्यापारी के लिए अहितकर या अलाभकारी सिद्ध होता होता है।
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