प्रभावी लेखन से क्या तात्पर्य है? - prabhaavee lekhan se kya taatpary hai?

उतर: शब्दों के विभिन्न स्त्रोत: दो या दो से अधिक वर्गों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं जिसका एक निश्चित अर्थ होता है। इस प्रकार अर्थ पूर्ण शब्दों का कोष या खजाना शब्द भंडार कहलाता है। शब्द भंडार का तात्पर्य किसी भाषा में शब्दों का कितनी अधिक मात्रा में पाए जाने से है।

हिंदी में भंडार का मतलब खजाना होता है। शब्द भंडार के स्त्रोत उतने ही है जितने की विश्व में भाषाएं बोली जाती हैं। आज पुरे विश्व में एक नहीं बल्कि अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। इस प्रकार शब्द भंडार के भी अनेक स्त्रोत हैं। BHDLA 136 Free Solved Assignment

अगर हम बात करें हिंदी भाषा में शब्द भंडार की तो मुख्य रूप से इसमें जो शब्द लिए गए हैं वो शब्द संस्कृत भाषा से है। साथ ही अरबी, फारसी, अंग्रेजी आदि भाषाओं के शब्द भी इसमें शामिल हैं। भाषा की उन्नति तथा बढ़ते रहे ऐसे विकास के लिए उसका शब्द-समूह विशेष स्थान रखता है।

भाषा-विकास के साथ उसकी किसी भी तरह के हाल बताने की शक्ति में भी वृध्दि होती है। इस प्रकार भाषा में हमेशा नए नए परिवर्तन होते रहते हैं।

किसी भी एक भाषा का सम्बन्ध विश्व भर की अन्य भाषाओं से होता ही है इस बात से अब नकारा नहीं जा सकता। विभिन्न भाषा-भाषाओं के अपने विचार होते हैं, और उनके भावों के आदान-प्रदान से भाषाओं के जो विशिष्ट शब्द होते हैं उनका भी एक साथ मिलन हो जाता है।

इस प्रकार जो भाषाओं के शब्द-भण्डार या शब्दों के भंडार को उस भाषा का या कोई भी भाषा हो उस भाषा का शब्द-समूह कहा जाता है। विश्व भर की अनेक भाषाओं की तरह हिन्दी के जो शब्द-समूह हैं उनको तीन भागों में बांटा जा सकता है जो की इस प्रकार है:

1.) परम्परागत शब्द:– जैसे की नाम से ही पता चलता है परम्परा (मतलब पीढ़ी दर पीढ़ी आने वाला कोई कार्य या नियम कुछ भी जो हमारे पूर्वजों से आता है) परम्परागत शब्द हिंदी भाषा को विरासत में मिलते हैं। हिन्दी में ये शब्द संस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रंश की परम्परा से आए हैं। ये शब्द तीन प्रकार के

  1. तत्सम शब्द:- तत्सम शब्द उन शब्दों को कहा जाता है जो की हिंदी अर्थ में संस्कृत के समान ही नहीं , अपितु शुध्द संस्कृत के शब्द जो हिन्दी में ज्यों के त्यों प्रयोग किये जाते हैं। उन्हें ही तत्सम शब्द कहा जाता है। हिन्दी में स्त्रोत की दृष्टि से तत्सम शब्दों के चार प्रकार हैं–BHDLA 136 Free Solved Assignment

i. संस्कृत से प्राकृत, अपभ्रंश से होकर हिन्दी में आने वाले तत्सम शब्द; जैसे- अचल, अध, काल, दण्ड आदि।

ii. संस्कृत से सीधा-सीधा हिन्दी में आने वाले शब्द जो की भक्ति काल, आधुनिक काल जैसे आदि विभिन्न कालों में लिए गए शब्द शब्द हैं; जैसे- कर्म, विधा, ज्ञान, क्षेत्र, कृष्ण, पुस्तक आदि।

iii. संस्कृत व्याकरण के नियमों के आधार पर हिन्दी के समय में निर्मित तत्सम शब्द; जैसे- जलवायु (आब हवा), वायुयान (ऐरोप्लेन), प्राध्यापक आदि।BHDLA 136 Free Solved Assignment

iv. अन्य भाषाओं से हिंदी में आए तत्सम शब्द इस वर्ग के शब्दों की संख्या बहुत कम है। कुछ या कहें बहुत कम शब्द बंगाली तथा मराठी के माध्यम से हिन्दी में आ गए हैं। जैसे- उपन्यास, गल्प, कविराज, सन्देश, धन्यवाद आदि उसी प्रकार बात करें बंगाली शब्द की तो वो इस प्रकार है , प्रगति, वाड्मय आदि मराठी शब्द है।

अर्ध तत्सम शब्द:- जैसे की नाम से पता चलता है ऐसे अर्ध तत्सम शब्द मतलब जो आधे आधे हैं मतलब की जो न तो पूरी तरह तत्सम है और न नहीं किसी तरह के अन्य भाषा के भाव को व्यक्त करता है।

अन्य शब्दों में कहें तो तत्सम शब्द और तद्भव शब्द के बीच या मध्य की स्थिति के शब्द अर्थात् जो पूरी तरह तद्भव भी नहीं है और पूरी तरह से तत्सम भी नहीं है।

ऐसे शब्दों को ही डा. ग्रियर्सन, डा. चटर्जी आदि भाषा वैज्ञानिकों ने ‘अर्ध तत्सम’ कहा है आगे देखें; जैसे- ‘कृष्ण’ तत्सम शब्द है यह आपको पता होगा, लेकिन कान्हा, और कन्हैया जैसे शब्द उसके तद्भव रूप हैं,

परन्तु हम इन शब्दों को देखें जैसे किशुन, किशन जो की न तो तत्सम है और न तद्भव शब्द हैं; अत: इन्हें अध्द तत्सम कहा गया है।

तद्भव शब्द:- तद्भव जैसे की इसका हिंदी अर्थ है जैसे भाव मतलब की तद्भव शब्द का अर्थ संस्कृत से। उत्पन्न शब्द या संस्कृत से विकसित शब्द, अनेक कारण से संस्कृत, प्राकृत आदि भाषाओं की ध्वनियाँ घिस-पीट कर हिन्दी भाषा तक आते-आते बदल गयी हैं। BHDLA 136 Free Solved Assignment

जिसका परिणाम यह हुआ की पूवर्वती आर्य भाषाओं के शब्दों के जो रूप हमें प्राप्त हुए हैं, उन्हें तद्भव कहा जाता है। हिन्दी में प्राय: सभी शब्द की बात करें तो सारे शब्द तद्भव शब्द हैं।

बात करें हिंदी भाषा में इन शब्दों की तो संज्ञापदों या संज्ञा शब्दों की संख्या सबसे अधिक हमें देखने को मिलती है, किन्तु इनका व्यवहार देश, काल, पात्र आदि के अनुसार थोडा बहुत कम-ज्यादा होता रहता है।

जैसे- अंधकार से अंधेरा, अग्नि से आग, अट्टालिका से अटारी, रात्रि से रात आदि।

2.) देशज (देशी):- देशी शब्द का अर्थ है अपने देश (भारत) में, उत्पन्न जो शब्द न विदेशी है, न तत्सम हैं और न तद्भव हैं। देशज या देशी शब्द के नाम निर्धारण के विषय में विभिन्न विद्दानों में पर्याप्त मतभेद देखने को मिलता है। BHDLA 136 Free Solved Assignment

विभिन्न विद्वानों ने इसे निम्न नाम दिए हैं भरतमुनि ने इसे ‘देशीमत’ नाम दिया है, चण्ड ने ‘देशी प्रसिध्द’ तथा मार्कण्डेय तथा हेमचन्द्र जैसे कवि ने इसे ‘देशा’ या देशी कहा डा. शयामसुन्दरदास तथा डा. भोलानाथ तिवारी ने इसे ‘अज्ञात व्युत्पत्तिक’ कहा है।

अत: देशज शब्द दो प्रकार के हैं– एक वे जो अनार्य भाषाओं अर्थात द्रविड़ भाषाओं से लिए गये हैं और दूसरे वे जो लोगों ने ध्वनियों की ।BHDLA 136 Free Solved Assignment

नकल से अपना लिए हैं। (क) द्रविड़ भाषाओं से शब्द– उड़द, ओसारा, कच्चा, कटोरा कुटी आदि। (ख) अपनी गठन से बने शब्द– अंडबंड, ऊटपटाँग, किलकारी, भोंपू आदि।

3.) विदेशी शब्द:- जो शब्द विदेशी भाषाओं जैसे – अंग्रेजी, कनेडियन, चीनी आदि से हिंदी भाषा के शब्दों में लिये गये हैं अथवा आ गये हैं, वे विदेशी शब्द कहलाते हैं।

मुस्लिम तथा अंग्रेज शासकों के वजह से उनकी भाषाओं के शब्द हिन्दी में बहुत अधिक मात्रा में आये हैं। फारसी, अरबी तथा तुर्की शब्द भी हिन्दी में लिए गये हैं।

वाणिज्य, व्यवसाय, शासन, ज्ञान-विज्ञान तथा भौगोलिक आदि का अध्ययन इसके कारण हो सकते हैं, साथ ही ऐतिहासिक,सांस्कृतिक, आर्थिक कारण भी हो सकते हैं।

उदाहरण-– (क) तुर्की शब्द जो हिंदी में प्रयुक्त किये जाते हैं :- तुर्कीस्तान, विशेषत: पूर्वी प्रदेश से भी भारत का जो सम्बन्ध वह प्राचीन है। यह सम्बन्ध धर्म, व्यापार तथा राजनीति आदि स्तरों पर था।

ई.स. 100 के बाद तुर्क बादशाहों के राज्यस्थापना के कारण हिन्दी में तुर्की से बहुत से शब्द आए।

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(ख) अरबी भाषा से हिंदी भाषा में आये शब्द:- 1000 ई. के बाद मुसलमान शासकों के साथ फारसी भाषा भारत में आई और उसी भाषा में पढ़ाई-लिखाई होने लगी जिसके फ़ारसी के शब्द हिंदी में आ गए। कचहरियों में भी इन शब्दों को स्थान मिलने लगा। BHDLA 136 Free Solved Assignment

इसी प्रकार उन शब्दों का हिन्दी पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा हिन्दी में जो फारसी शब्द आए, उनमें काफी शब्द अरबी भाषा के भी थे। जैसे कि– अजब, अजीब, अदालत, अक्ल, अल्लाह, आखिर, आदमी, इनाम, एहसान, किताब, ईमान आदि।

(ग) फ्रांसीसी भाषा से हिंदी भाषा में आये शब्द:- अगर हम इतिहास की बात करें तो भारत और ईरान के सम्बन्ध बहुत पुराने हैं। इससे भाषा विज्ञान जगत इस बात से पूर्णत: अवगत है कि ईरानी और भारतीय आर्य भाषाएँ एक ही मूल भारत-ईरानी से विकसित हैं।

अंग्रेजी के माध्यम से बहत सारे फ्रांसीसी शब्द हिन्दी में आ गये हैं; जैसे- आबरू, आतिशबाजी, आमदनी, खत, खुदा, दरवाजा, जुकाम, मजबूर, फरिश्ता लैम्प, टेबुल आदि।

(घ) अंग्रेजी से हिंदी में आये शब्द:- लगभग ई.स. 1500 से यूरोप के लोग भारत में आते-जाते रहे हैं, किन्तु करीब तीन सौ वर्षों तक हिन्दी भाषी इनके सम्पर्क में नहीं आए, क्योकि यूरोपीय लोग समुद्र के रास्ते से भारत में आये थे; अत: इनका कार्यक्षेत्र प्रारम्भ में समुद्र के किनारे वाले प्रदेशों में ही रहा है,

लेकिन 18 वी. शती के उत्तरार्ध से अंग्रेज समूचे देश में फैलने लगी। ।

2 संपादकीय लेखन क्या है? उदाहरण सहित

उतर: संपादकीय लेखनः संपादक संपादकीय पृष्ठ पर अग्रलेख एवं संपादकीय लिखता है। इस पृष्ठ के आधार पर संपादक का पूरा व्यक्तित्व झलकता है। अपने संपादकीय लेखों में संपादक युगबोध को जाग्रत करने वाले विचारों को प्रकट करता है। BHDLA 136 Free Solved Assignment

साथ ही समाज की विभिन्न बातों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। संपादकीय पृष्ठों से उसकी साधना एवं कर्मठता की झलक आती है। वस्तुतः संपादकीय पृष्ठ पत्र की अंतरात्मा है, वह उसकी अंतरात्मा की आवाज़ है

इसलिए कोई बड़ा समाचार-पत्र बिना संपादकीय पृष्ठ के नहीं निकलता। पाठक प्रत्येक समाचार-पत्र का अलग व्यक्तित्व देखना चाहता है। उनमें कुछ ऐसी विशेषताएँ देखना चाहता है जो उसे अन्य समाचार से अलग करती हों। BHDLA 136 Free Solved Assignment

जिस विशेषता के आधार पर वह उस पत्र की पहचान नियत कर सके। यह विशेषता समाचार-पत्र के विचारों में, उसके दृष्टिकोण में प्रतिलक्षित होती है, किंतु बिना संपादकीय पृष्ठ के समाचार-पत्र के विचारों का पता नहीं चलता।

यदि समाचार-पत्र के कुछ विशिष्ट विचार हो, उन विचारों में दृढ़ता हो और बारंबार उन्हीं विचारों का समर्थन हो तो पाठक उन विचारों से असहमत होते हुए भी उस समाचार-पत्र का मन में आदर करता है।

मेरुदंडहीन व्यक्ति को कौन पूछेगा। संपादकीय लेखों के विषय समाज के विभिन्न क्षेत्रों को लक्ष्य करके लिखे जाते हैं। संपादकीय’ का सामान्य अर्थ है-समाचार-पत्र के संपादक के अपने विचार प्रत्येक समाचार-पत्र में संपादक प्रतिदिन ज्वलंत विषयों पर अपने विचार व्यक्त करता है।

संपादकीय लेख समाचार पत्रों की नीति, सोच और विचारधारा को प्रस्तुत करता है। संपादकीय के लिए संपादक स्वयं जिम्मेदार होता है। अतएव संपादक को चाहिए कि वह इसमें संतुलित टिप्पणियाँ ही प्रस्तुत करे।

संपादकीय में किसी घटना पर प्रतिक्रिया हो सकती है तो किसी विषय या प्रवृत्ति पर अपने विचार हो सकते हैं, इसमें किसी आंदोलन की प्रेरणा हो सकती है तो किसी उलझी हुई स्थिति का विश्लेषण हो सकता है।

संपादकीय पृष्ठ को समाचार-पत्र का सबसे महत्त्वपूर्ण पृष्ठ माना जाता है। इस पृष्ठ पर अखबार विभिन्न घटनाओं और समाचारों पर अपनी राय रखता है। इसे संपादकीय कहा जाता है।

इसके अतिरिक्त विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार लेख के रूप में प्रस्तुत करते हैं। आमतौर पर संपादक के नाम पत्र भी इसी पृष्ठ पर प्रकाशित किए जाते हैं।

वह घटनाओं पर आम लोगों की टिप्पणी होती है। समाचार-पत्र उसे महत्त्वपूर्ण मानते हैं।

अच्छे संपादकीय में गुणः एक अच्छे संपादकीय में अपेक्षित गुण होने अनिवार्य हैं –

i. संपादकीय लेख की शैली प्रभावोत्पादक एवं सजीव होनी चाहिए।

ii. भाषा स्पष्ट, सशक्त और प्रखर हो। BHDLA 136 Free Solved Assignment

iii. चुटीलेपन से भी लेख अपेक्षाकृत आकर्षक बन जाता है।

iv. संपादक की प्रत्येक बात में बेबाकीपन हो।

v. ठुलमुल शैली अथवा हर बात को सही ठहराना अथवा अंत में कुछ न कहना-ये संपादकीय के दोष माने जाते हैं,अतः संपादक को इनसे बचना चाहिए। BHDLA 136 Free Solved Assignment

संपादकीय लेखन के उदाहरण:
उदाहरण 1. धरती के बढ़ते तापमान का साक्षी बना नया साल:

उत्तर भारत में लोगों ने नववर्ष का स्वागत असामान्य मौसम के बीच किया। इस भू-भाग में घने कोहरे और कडाके की ठंड के बीच रोमन कैलेंडर का साल बदलता रहा है, लेकिन 2015 ने खुले आसमान, गरमाहट भरी धूप और हल्की सर्दी के बीच हमसे विदाई ली। ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं हुआ।

ब्रिटेन के मौसम विशेषज्ञ इयन कुरी ने तो दावा किया कि बीता महीना ज्ञात इतिहास का सबसे गर्म दिसंबर था। अमेरिका से भी ऐसी ही खबरें आईं। संयुक्त राष्ट्र पहले ही कह चुका था कि 2015 अब तक का सबसे गर्म साल रहेगा।

भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में आने वाले दिनों में तापमान ज्यादा नहीं बदलेगा। यानी आने वाले दिनों में भी वैसी सर्दी पड़ने की संभावना नहीं है, जैसा सामान्यतः वर्ष के इन दिनों में होता है।

दरअसल, कुछ अंतरराष्ट्रीय जानकारों का अनुमान है कि 2016 में तापमान बढ़ने का क्रम जारी रहेगा और संभवतः नया साल पुराने वर्ष के रिकॉर्ड को तोड़ देगा।

इसकी खास वजह प्रशांत महासागर में जारी एल निनो परिघटना है, जिससे एक बार फिर दक्षिण एशिया में मानसून प्रभावित हो सकता है।BHDLA 136 Free Solved Assignment

इसके अलावा ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से हवा का गरमाना जारी है। इन घटनाक्रमों का ही सकल प्रभाव है कि गुजरे 15 वर्षों में धरती के तापमान में चिंताजनक स्तर तक वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप हो रहे जलवायु परिवर्तन के लक्षण अब स्पष्ट नज़र आने लगे हैं।

आम अनुभव है कि ठंड, गर्मी और बारिश होने का समय असामान्य हो गया है। गुजरा दिसंबर और मौजूदा जनवरी संभवत: इसी बदलाव के सबूत हैं।

जलवायु परिवर्तन के संकेत चार-पाँच दशक पहले मिलने शुरू हुए। वर्ष 1990 आते-आते वैज्ञानिक इस नतीजे पर आ चुके थे कि मानव गतिविधियों के कारण धरती गरम हो रही है।

उन्होंने चेताया था कि इसके असर से जलवायु बदलेगी, जिसके खतरनाक नतीजे होंगे, लेकिन राजनेताओं ने उनकी बातों की अनदेखी की। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन रोकने की पहली संधि वर्ष 1992 में ही हुई, लेकिन विकसित देशों ने अपनी वचनबद्धता के मुताबिक उस पर अमल नहीं किया।

अब जबकि खतरा बढ़ चुका है, तो बीते साल पेरिस में धरती के तापमान में बढ़ोतरी को 2 डिग्री सेल्शियस तक सीमित रखने के लिए नई संधि हुई। BHDLA 136 Free Solved Assignment

नया साल यह चेतावनी लेकर आया है कि अगर इस बार सरकारों ने लापरवाही दिखाई तो बदलता मौसम मानव सभ्यता की सूरत ही बदल देगा।BHDLA 136 Free Solved Assignment

उदाहरण 2. जीवन गढ़ने वाला साहित्यकार:

जिन्होंने अपने लेखन के जरिये पिछले करीब पाँच दशकों से गुजराती साहित्य को प्रभावित किया है और लेखन की करीब सभी विधाओं में जिनकी मौजूदगी अनुप्राणित करती है, उन रघुवीर चौधरी को इस वर्ष के ज्ञानपीठ सम्मान के लिए चुनने का फैसला वाकई उचित है।

गीता, गाँधी, विनोबा, गोवर्धनराम त्रिपाठी और काका कालेलकर ने उन्हें विचारों की गहराई दी, तो रामदरश मिश्र से उन्होंने हिंदी संस्कार लिया।

विज्ञान और अध्यात्म, यथार्थ तथा संवेदना के साथ व्यंग्य की छटा भी उनके लेखन में दिखाई देती है। रघुवीर चौधरी हृदय से कवि हैं।

विचारों की गहराई और तस्वीरों-संकेतों का सार्थक प्रयोग अगर तमाशा जैसी उनकी शुरुआती काव्य कृतियों में मिलता है, तो सौराष्ट्र के जीवन पर उनके काव्य में लोकजीवन की अद्भुत छटा दिखती है।

अलबत्ता व्यापक पहचान तो उन्हें जीवन की गहराइयों और रिश्तों की फाँस को परिभाषित करते उनके उपन्यासों ने ही दिलाई।

उनके उपन्यास अमृता को गुजराती साहित्य में एक मोड़ घुमा देने वाली घटना माना जा सकता है। इसके जरिये गुजराती साहित्य में अस्तित्ववाद की प्रभावी झलक तो मिली ही, पहली बार गुजराती साहित्य में परिष्कृत भाषा की भी शुरुआत हुई।BHDLA 136 Free Solved Assignment

गुजराती भाषा को मांजने में उनका योगदान दूसरे किसी से भी अधिक है। उपर्वास त्रयी ने रघुवीर चौधरी को ख्याति के साथ साहित्य अकादमी सम्मान दिलाया, तो रुद्र महालय और सोमतीर्थ जैसे ऐतिहासिक उपन्यास मानक बनकर सामने आए।

पर रघुवीर चौधरी का परिचय साहित्य के दायरे से बहुत आगे जाता है। भूदान आंदोलन से बहुत आगे जाता है। भूदान आंदोलन से लेकर नवनिर्माण आंदोलन तक में भागीदारी उनके एक सजग-जिम्मेदार नागरिक होने का परिचायक है, जिसका सुबूत अखबारों में उनके स्तंभ लेखन से भी मिलता है।

साहित्य अकादमी से लेकर प्रेस काउंसिल और फ़िल्म फेस्टिवल तक में उनकी भूमिका उनकी रुचि वैविध्य का प्रमाण है। BHDLA 136 Free Solved Assignment

आरक्षण पर उन्होंने किताब लिखी है; हालांकि आरक्षण के मामले में गांधी और अंबेडकर के समर्थक रघुवीर चौधरी पाटीदार आंदोलन के पक्ष में नहीं हैं।

अपने गाँव को सौ फीसदी साक्षर बनाने से लेकर कृषि कर्म में उनकी सक्रियता भी उन्हें गांधी की माटी के एक सच्चे गांधी के तौर पर प्रतिष्ठित करती है।

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खंड -ख

3.भाव पल्लवन से आप क्या समझते/ समझती हैं?

उतर:भाव पल्लवनः भाव पल्लवन का अर्थ है- “किसी भाव का विस्तार करना। इसमें किसी उक्ति, वाक्य, सूक्ति, कहावत, लोकोक्ति आदि के अर्थ को विस्तार से प्रस्तुत किया जाता है। विस्तार की आवश्यकता तभी होती है,

जब मूल भाव संक्षिप्त, सघन या जटिल हो किसी उक्ति, सूक्ति, भाव, विचार अथवा वाक्य के मूल भाव को विस्तार के साथ लिखना भाव-पल्लवन कहलाता है।

पेड़ में फूटे नए पत्तों को पल्लव कहते हैं और इस प्रक्रिया को पल्लवन कहते हैं। अतः किसी उक्ति अथवा वाक्य में निहित व्यापक संदेश को विस्तार देना ही भाव पल्लवन है।

उदाहरण के लिए, “करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान” का भाव-पल्लवन ध्यान से पढ़िए: निरंतर अभ्यास से अज्ञानी व्यक्ति भी ज्ञानवान हो सकता है।

अभ्यास से व्यक्ति की बुद्धि का विकास होता है और उसकी जानकारी बढ़ती है। अभ्यास के लिए परिश्रम आवश्यक होता है। परिश्रम द्वारा मंदबुद्धि व्यक्ति भी बुद्धिमान हो सकता है। बुद्धि के परिष्कार और संस्कार के लिए लगातार प्रयास करना जरूरी है। BHDLA 136 Free Solved Assignment

ज्ञान की प्राप्ति और बदधि को धारदार बनाने के लिए लगातार अभ्यास करना आवश्यक होता है। परीक्षा में वही विद्यार्थी अच्छे अंक पाता है जो लगातार अध्ययनरत रहता है।

ज्ञान अपने आप हमारे पास चलकर नहीं आता बल्कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें प्रयास करना पड़ता है। जो जितना अधिक प्रयास और अभ्यास करता है उसके ज्ञान का भंडार उतना ही विस्त त होता है। ज्ञान किसी की बपौती नहीं है। यह उसे प्राप्त होता है जो इसके लिए निरंतर प्रयास करता है।

आप भी एक पाठ को जितनी बार पढ़ते हैं वह आपको उतना ही बेहतर समझ में आता जाता है। आप अपनी इकाइयों को जितनी बार दोहराएँगे आप परीक्षा में उतना ही बेहतर लिख सकेंगे।

सचिन तेंदुलकर सचिन तेंदुलकर कैसे बना। जाकिर हुसैन उस्ताद जाकिर हुसैन कैसे बने। यह सब अभ्यास और रियाज का ही कमाल है। आप भी जितनी मेहनत करेंगे, जीवन में उतने ही सफल होंगे।

आपने ध्यान दिया होगा कि भाव-पल्लवन में मूल भाव को ग्रहण किया गया है। अर्थात् “करत-करत अभ्यास __ के जड़मति होत सुजान” का मूल भाव है : अभ्यास से अज्ञानी व्यक्ति ज्ञानवान बन सकता है।

इस मूल भाव से कौन-सा प्रेरणा संदेश या निष्कर्ष निकलता है ? वह है : अभ्यास से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है और उसका व्यक्तित्व परिवर्तित हो जाता है।

भाव-पल्लवन के स्वरूप में मूल भाव को समझाने के लिए किसी सहायक भाव, मान्यता, धारणा आदि का उल्लेख करते हैं। साथ ही मूल भाव किसी बड़े निष्कर्ष या नीति-संदेश की प्रेरणा देता है, तो वह भी भावपल्लवन में स्थान पाता है। BHDLA 136 Free Solved Assignment

आप समझ गए होंगे कि भाव-पल्लवन के स्वरूप में मूल भाव, मूल भाव की मान्यता, धारणा आदि का उल्लेख और प्रेरणाप्रद संदेश आते हैं। इन तीनों की सहायता से भाव-पल्लवन बन जाता है।

4 कार्यालय ज्ञापन और कार्यालय आदेश में अंतर को सोदाहरण विवेचित कीजिए।

उतर: कार्यालय ज्ञापन और कार्यालय आदेश में अंतर: आपने इससे पर्व देखा कि सरकारी पत्र और अर्धसरकारी पत्र में प्रयोग की दष्टि से अंतर है। यहां हम कार्यालय आदेश और कार्यालय ज्ञापन के प्रयोग के क्षेत्र के बारे में विचार करेंगे।

इन दोनों पत्राचार प्रकारों में सबसे महत्वपूर्ण अंतर यह है कि कार्यालय आदेश का प्रयोग कार्यालय के आंतरिक प्रशासन संबंधी अनुदेशों को जारी करने के लिए किया जाता है जबकि कार्यालय ज्ञापन का प्रयोग भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों के आपसी पत्राचार के लिए किया जाता है।

यहां हम पहले कार्यालय आदेश के क्षेत्र में आने वाले विषयों की चर्चा करेंगे। कार्यालय आदेश का प्रयोग निम्नलिखित संदर्भो में किया जाता है।

(क) कर्मचारियों की नियमित छटटी की मंजूरी
(ख) कर्मचारियों/अधिकारियों में काम का बंटवारा
(ग) कर्मचारियों की अनुभागों में तैनाती
(घ) कर्मचारियों का एक अनुभाग से दूसरे अनुभाग में स्थानांतरण

आइए अब कार्यालय ज्ञापन के प्रयोग के क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त करें। कार्यालय ज्ञापन का प्रयोग नीचे दिए संदर्भो में किया जाता है

(क) अन्य मंत्रालयों/विभागों के साथ पत्र व्यवहार के लिए
(ख) विभाग के कर्मचारियों से सूचना मांगने उन्हें ऐसी सूचना देने के लिए किया जाता है जो सरकारी आदेश के समान न हो।
(ग) इसका प्रयोग संबद्ध व अधीनस्थ कार्यालयों के साथ पत्र व्यवहार के लिए भी किया जाता है।

आइए अब कार्यालय आदेश और कार्यालय ज्ञापन की बाहरी रूपरेखा की जानकारी प्राप्त करें।

कार्यालय आदेश और कार्यालय ज्ञापन की बाहरी रूपरेखा कार्यालय आदेश और कार्यालय ज्ञापन की बाहरी रूपरेखा में का जाता है। BHDLA 136 Free Solved Assignment

चरण 1 सबसे ऊपर फा. सं., भारत सरकार, मंत्रालय और विभाग का नाम लिखा जाता है।

चरण 2 स्थान का नाम और तारीख का उल्लेख होता है।

चरण 3 बीच में कार्यालय आदेश या कार्यालय ज्ञापन लिखा जाता है।

चरण 4 कार्यालय ज्ञापन में विषय का संक्षेप में उल्लेख किया जाता है। कार्यालय आदेश में विषय का उल्लेख नहीं लिखा जाता।

चरण 5 कार्यालय आदेश और कार्यालय ज्ञापन की मुख्य विषय वस्तु का विवरण होता है। इन दोनों में पहले पैराग्राफ को छोड़कर अन्य पैराग्राफों में क्रम सं. लिखी जाती है।

चरण 6 कार्यालय आदेश या कार्यालय ज्ञापन जारी करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं। इसके नीचे अधिकारी का नाम,पदनाम और भारत सरकार लिखा जाता है। कार्यालय ज्ञापन में टेली सं. भी दी जाती है।

चरण 7 नीचे बाईं ओर कार्यालय ज्ञापन में सेवा में तथा कार्यालय आदेश में प्रति प्रेषित लिखकर पाने वाले अधिकारी, अनुभाग/विभाग का नाम आदि लिखा जाता है।

5 पर्यावरण प्रदूषण’ : एक वैश्विक समस्या’ विषय पर आलेख तैयार कीजिए।

उतरः पर्यावरण प्रदूषण एक वैश्विक समस्याः पर्यावरण प्रदूषण एक वैश्विक और जटिल समस्या है। कोई देश या सरकार अकेले अपने दम पर इस समस्या का समाधान नहीं कर सकती। इससे निपटने के लिए प्रत्येक नागरिक को अपना उत्तरदायित्व निभाना होगा।

विद्यार्थी भी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान दे सकते हैं। यह बात थापर यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्टूडेंट एवं पर्यावरण सोसायटी के संरक्षक रजनीश वर्मा ने कही। सोसायटी की ओर से पर्यावरण को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर मुहिम चला रखी है।

संस्था की निष्काम सेवा को देखते हुए एलआइसी ग्रुप के अधिकारी भी जुड़ गए हैं। एलआइसी सदस्यों ने संस्था के सदस्यों के साथ मिलकर थापर के आसपास खाली पड़े स्थान पर 30 पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। BHDLA 136 Free Solved Assignment

संरक्षक वर्मा ने कहाकि विद्यार्थियों को कागज का प्रयोग दोनों तरफ से और मितव्ययिता से करना चाहिए। क्योंकि लकड़ी की सर्वाधिक खपत कागज और लुगदी उद्योग में ही होती है, जिसे पूरा करने के लिए पेड़ों
को काटना पड़ता है।

इससे पर्यावरण का नुकसान होता है। विद्यार्थियों को अपनी पुरानी किताबें किसी बुक-बैंक या जरूरतमंद अन्य विद्यार्थी को दे देनी चाहिए।

इसी प्रकार नोट बुक्स में खाली पृष्ठ नहीं छोड़ने चाहिए और भरी हुई नोट बुक्स को फाड़कर फेंकने की बजाय रद्दी वाले को दे देनी चाहिए, जिससे कागज को री-साइकिल किया जा सके और पेड़ों की रक्षा हो सके।

प्रदूषण के प्रभाव निस्संदेह कई और व्यापक हैं। प्रदूषण के अत्यधिक प्रभाव से मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, उष्णकटिबंधीय वर्षा-वन आदि को नुकसान पहुंच रहा है।

वायु, जल, मिट्टी प्रदूषण आदि सभी प्रकार के प्रदूषणों का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। निम्नलिखित मुख्य प्रकार हैं

वायु प्रदुषण – वाय हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटक है। हम बिना खाये पिये एक दो दिन रह भी सकते हैं, लेकिन बिना श्वास के एक क्षण भी बिताना मुश्किल होता है।

और सोचिए अगर जिस वायु से हम सांस लेते है, वही प्रदूषित हो गया तो हमारे लिए कितना विनाशकारी हो सकता है।

जल प्रदूषण – जल प्रदूषण तब होता है जब हानिकारक पदार्थ – जैसे रसायनों या फैक्ट्रियों का अपशिष्ट, नदी, झील, महासागर, जलभृत या पानी के अन्य स्रोत में जाकर मीलते हैं।

जब हम इसे पीतें हैं, तो शरीर को दूषित करते हैं, साथ ही पानी की गुणवत्ता को कम करते हैं और इसे मनुष्यों और पर्यावरण के लिए विषाक्त करते हैं। BHDLA 136 Free Solved Assignment

भूमि प्रदूषण (मृदा प्रदूषण) – मृदा प्रदूषण किसी भी चीज को संदर्भित करता है जो मिट्टी के प्रदूषण का कारण बनता है और मिट्टी की गुणवत्ता को खराब करता है।

मृदा प्रदूषण अधिक मात्रा में कीटनाशकों, उर्वरकों, अमोनिया, पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन, नाइट्रेट, नेफ़थलीन आदि रसायनों की उपस्थिति के कारण हो सकता है।

6 सार लेखन से क्या आशय है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।

उतर:सार लेखन: विचारों को भाषा में अभिव्यक्त करने की अनंत संभावनाएँ छिपी होती हैं। कई बार हम छोटी-से-छोटी बात का वर्णन बहुत विस्तार से करते हैं, तो कई बार बहुत लंबी-चौड़ी विस्तृत बात को एकदम थोड़े शब्दों में व्यक्त कर लेते हैं।

जिस प्रकार, छोटी-सी बात को विस्तार देना एक कला है, उसी प्रकार, विस्तार से कही गई बात को कम शब्दों में व्यक्त कर देना भी एक कला है।

विस्तार से कही गई बात को कम शब्दों में व्यक्त करना ही सार-लेखन कहलाता है। आइए, इस पाठ में हम इस कला का अभ्यास करें। आइए, हम समझें कि सार-लेखन क्या होता है और हमारे लिए उसकी क्या उपयोगिता है।

यह तो आप जानते ही हैं कि हमारे जीवन में व्यस्तताएँ निरंतर बढ़ती ही जा रही हैं और समय का अभाव होता जा रहा है। आप यह भी जानते हैं कि मनुष्य के सारे क्रियाकलापों में भाषा की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

आपने बहुतों को यह कहते सुना होगा – “जा-जा, काम करने दे, फालतू बातें मत कर।” इसका अर्थ हुआ कि फालतू बातें न करके उचित, उपयुक्त और संक्षिप्त बात करने का महत्त्व है।

मतलब यह है कि भाषा का ऐसा प्रयोग किया जाना चाहिए, जिससे समय की बचत हो। अगर कम शब्दों का प्रयोग करेंगे, तो समय भी कम खर्च होगा और दूसरा आदमी भी हमारी बात ध्यानपूर्वक सुनेगा।

उदाहरण: हमारे देश में अशिक्षित प्रौढ़ों की संख्या करोड़ों में है। यदि हम किसी प्रकार इनके मानस-मंदिरों में शिक्षा की ज्योति जगा सकें, तो सबसे महान धर्म और सबसे पवित्र कर्तव्य का पालन होगा।

रेलगाड़ी और बिजली की बत्ती से भी अपरिचित लोगों का होना हमारी प्रगति पर कलंक है। प्रौढ़-शिक्षा योजना इनको प्रबुद्ध नागरिक बनाने की दिशा में क्रियाशील है। इस योजना से गाँवों में एक सीमा तक आत्मनिर्भरता आएगी। हर बात के लिए शहरों की ओर ताकने की प्रवृत्ति समाप्त होगी।

निरर्थक रूढ़ियों और अंधविश्वासों में फंसे हुए और अपनी गाढ़े पसीने की कमाई को नगरों की भेंट चढ़ाने वाले ये हमारे भाई प्रौढ़ शिक्षा से निश्चित ही सचेत और विवेकी बनेंगे।BHDLA 136 Free Solved Assignment

स्वास्थ्य, सफाई, उन्नति, कृषि तथा आपसी सद्भावना के प्रति प्रौढ़ शिक्षा इनको जागरूक बना सकती है। इससे इनकी मेहनत की कमाई डॉक्टरों की जेबों में जाने से और कचहरियों में लुटने से बचेगी।

सबसे बड़ा लाभ तो प्रौढ़ शिक्षा द्वारा यह होगा कि करोड़ों लोग नए ढंग से देखने, सुनने और समझने के साथ-साथ अच्छा आचरण करने में समर्थ होंगे।

हमारे करोड़ों देशवासी आज भी अशिक्षित और पिछड़े हुए हैं। सारे संसार के सामने हम इस कलंक को सिर झुकाए सह रहे हैं ।

भारत की उन्नति चंद नगरों को जगमग कर देने से नहीं होगी, उसकी सच्ची उन्नति का पैमाना तो यही ग्राम-समुदाय है जिसकी पढ़ने की आयु निकल चुकी, जो स्वयं पढ़ने के महत्त्व से अपरिचित हैं, जिसका तन-मन-धन नगरीय सभ्यता शताब्दियों से लूटती चली आ रही है।

ऐसे अज्ञान और अशिक्षा के अंधकार में जीवन बिताने वाले करोड़ों भाइयों-बहनों के प्रति यदि हम आज सचेत और उत्तरदायी बनने की बात सोच रहे हैं, तो देश का बड़ा सौभाग्य है।

सारः
अशिक्षित व्यक्ति समाज के लिए कलंक है। प्रौढ़-शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति अपने अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक होंगे, नई दृष्टि से सोचने-समझने की शक्ति भी उनमें उत्पन्न होगी।

साथ ही, वे शोषण के शिकार भी नहीं बनेंगे। भारत की उन्नति का अर्थ है – गाँवों की उन्नति। यह तभी संभव है, जब वहाँ के अधिक-से-अधिक नागरिक शिक्षित हों। प्रौढ़-शिक्षा कार्यक्रम ही इसका एकमात्र उपचार है।

इसे सफल बनाना हम सबका कर्तव्य है। इससे देश का गौरव बढ़ेगा।

खंड -ग

7 कोड मिक्सिंग पर प्रकाश डालिए।

उतर:कोड मिक्सिंग: मानव भाषाओं के ध्वनि प्रतीकों के माध्यम से संप्रेषण किया जाता है। आदर्श रूप में यही संभावना की। जाती है कि किसी व्यक्ति द्वारा एक प्रकार के संप्रेषण के लिए एक ही भाषा (कोड) का प्रयोग किया जाएगा।

किंतु सदैव ऐसा नहीं होता। वर्तमान बहुभाषी परिदृश्य में तो ऐसा करना धीरे-धीरे असंभव हो गया है। सामन्यतः लोग कोई बात कहते हुए एक भाषा के वाक्य में दूसरी भाषा के शब्दों का प्रयोग कर ही देते हैं, जैसे- मैं संडे को मार्केट जाऊँगा। BHDLA 136 Free Solved Assignment

इसमें हिंदी वाक्य में अंग्रेजी शब्दों का कोड मिश्रण है। जब एक वाक्य के अंदर ही दूसरी भाषा के शब्दों का प्रयोग होता है तो उसे कोड मिश्रण और जब एक भाषा कोई वाक्य बोलने या लिखने के अगला पूरा वाक्य दूसरी भाषा का होता है तो इसे कोड परिवर्तन कहते हैं।

जैसे आपका काम हो गया, यू कैन गो नाउ. में कोड परिवर्तन है। कोड मिश्रण के संदर्भ में ध्यान देने वाली बात है कि दूसरी भाषा के शब्द के लिए प्रथम (मूल) भाषा में शब्द होने के बावजूद दूसरी भाषा के शब्द का प्रयोग कोड मिश्रण है, जैसेटेबल पर से मेरी पेन गिर गई।

इसमें टेबल और पेन का प्रयोग कोड मिश्रण है, किंतु दूसरी भाषा के शब्द के लिए प्रथम (मूल) भाषा में शब्द नहीं होने पर दूसरी भाषा के शब्द का प्रयोग कोड मिश्रण नहीं है, जैसेमैंने स्टेशन से टिकट खरीदा।

इसमें स्टेशन और टिकट का प्रयोग कोड मिश्रण नहीं है, बल्कि ये हिंदी में प्रयुक्त होने वाले अंग्रेजी के आगत शब्द हैं।

कोड मिश्रण के विश्लेषण में वक्ता का अभिमत, वक्ता श्रोता संबंध, विषय की गंभीरता, समाज-सांस्कृतिक परिवेश आदि सबका ध्यान रखा जाता है। केवल पाठ में दूसरी भाषा के शब्दों को गिना देना पर्याप्त नहीं

8 विराम चिह्न पर टिप्पणी कीजिए।

उतरः विराम चिन्हः विराम का अर्थ होता है विश्राम या रूकना। अथार्त वाक्य लिखते समय विराम को प्रकट करने के लिए लगाये जाने वाले चिन्ह को ही विराम चिन्ह कहते हैं।

वाक्य को लिखते अथवा बोलते समय बीच में कहीं थोड़ा-बहुत रुकना पड़ता है जिससे भाषा स्पष्ट, अर्थवान हो जाती है। BHDLA 136 Free Solved Assignment

लिखित भाषा में इस ठहराव को दिखाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के चिह्नों का प्रयोग करते हैं जिन्हें विराम-चिह्न कहा जाता है।

उदहारण के लिए : राम स्कूल जाता है। मैंने खाना खा लिया है। यदि विराम चिन्ह का वक्य में सही से प्रयोग न किया जाए तो वाक्य अर्थहीन और अस्पष्ट या फिर एक दूसरे के विपरीत हो जाता है।

उदहारण के लिए : रोको, मत जाने दो।- अब यहाँ पर न जाने दो की बात हो रही है। रोको मत, जाने दो। – और यहाँ पर जाने दो की बात हो रही है। विराम चिह्नों की विशेषताएँ

1 लम्बे, मिश्रित, संयुक्त वाक्य विराम चिन्हों के प्रयोग से सरल हो जाते हैं।

2 इसके प्रयोग से भाषा सुगठित तथा वाक्य जुड़े हुए प्रतीत होते हैं।

3 इनके प्रयोग से वाक्य का अर्थ समझने में सरलता आ जाती है।

4 विराम चिन्ह भाषा की रचनागत अव्यवस्था एवं अवैज्ञानिकता को रोकते हैं।

5 ये यातायात व्यवस्था की तरह सुव्यवस्थित होते हैं।

9 व्यावसायिक अथवा व्यापारिक पत्र का सोदाहरण परिचय दीजिए।

उतर: व्यावसायिक पत्र के उदाहरण: माफी पत्र: कार्यस्थल पर कब और कैसे माफी माँगता है, साथ ही नियोक्ताओं और सहकर्मियों के लिए माफी पत्रों के उदाहरण इन गलतियों का उपयोग करें जब आपने कोई गलती की है,

खराब व्यवहार किया है, एक साक्षात्कार नहीं छोड़ा है, या अन्य परिस्थितियों में, जहां आपने गड़बड़ी की है, और माफी मांगनी है। सराहना पत्र: बहुत बार, काम पर प्रतिक्रिया नकारात्मक पर निर्भर है।

अगर किसी व्यक्ति के साथ आप काम करते हैं, तो एक महान काम करता है, तो प्रशंसा और सकारात्मक प्रतिक्रिया देने का अवसर याद नहीं रखें।

एक पत्र भेजा जा रहा है कर्मचारियों, सहकर्मियों, सहकर्मियों, ग्राहकों और अन्य लोगों को यह बताने का एक अच्छा तरीका है कि आप उनकी सराहना करते हैं।

व्यापार आपको पत्रों का धन्यवादः अगर कोई आपको कोई अनुग्रह करता है या किसी भी तरह से आपकी मदद करता है, तो हमेशा एक धन्यवाद नोट भेजने के लिए याद रखें।

व्यवसाय के लिए ब्राउज़ करें विभिन्न व्यवसायों और रोजगार संबंधी परिदृश्यों के लिए पत्रों के नमूने का धन्यवाद करने के लिए धन्यवाद । BHDLA 136 Free Solved Assignment

उम्मीदवार अस्वीकृति पत्र: जब आप काम पर रखने के प्रभारी होते हैं, तो आपको नौकरी आवेदकों को सूचित करना होगा जब उन्हें स्थिति नहीं मिलती है यहां किसी ऐसे व्यक्ति को भेजने के लिए एक उम्मीदवार अस्वीकृति पत्र का एक उदाहरण है, जिसे नौकरी के लिए चुना नहीं गया था।

बधाई पत्र: नई नौकरियों, नए व्यवसायों, पदोन्नति और अन्य व्यवसाय संबंधी प्रयासों के लिए नमूना बधाई पत्र देखें। ईमेल संदेश उदाहरण: हालांकि मेल में हस्तलिखित या मुद्रित नोट भेजने के लिए अक्सर अच्छा होता है, इन दिनों ईमेल को और अधिक सामान्य होता है व्यापार- और रोजगार संबंधी ईमेल संदेश उदाहरण देखें

कर्मचारी पत्र: कर्मचारी संदर्भ पत्र, नौकरी की पेशकश पत्र, प्रशंसा और बधाई पत्र, और अधिक पत्र उदाहरणों सहित रोजगार के लिए आवेदकों के लिए नमूना कर्मचारी के पत्र और पत्र की समीक्षा करें। व्यावसायिक पत्र कैसे लिखें: एक व्यावसायिक पत्र एक निर्धारित ढांचे के साथ एक औपचारिक दस्तावेज है।

जैसा कि आप ऊपर दी गई लिंक्स के उदाहरणों से देख सकते हैं, एक व्यावसायिक पत्र में एक बहुत ही परिभाषित प्रारूप है। एक व्यापार पत्र में संपर्क जानकारी, एक नमस्कार, पत्र का शरीर, एक मानार्थ बंद, और एक हस्ताक्षर शामिल हैं।

10 प्रभावी लेखन से क्या तात्पर्य है?

उतर: प्रभावी लेखन: स्कूल में अनुभव कुछ लोगों को इस धारणा के साथ छोड़ देते हैं कि अच्छा लेखन का मतलब है कि ऐसा लिखना जिसमें कोई गलत गलती न हो, यानी व्याकरण, विराम चिह्न या वर्तनी की कोई त्रुटि न हो।

हालाँकि, अच्छा लेखन सिर्फ अधिक से अधिक है सही बात लिख रहे हैं। अच्छा लेखन अपने इच्छित दर्शकों की रुचियों और जरूरतों के प्रति प्रतिक्रिया करता है और साथ ही, लेखक के व्यक्तित्व और व्यक्तित्व (लेखक की आवाज़) को दर्शाता है।

अच्छा लेखन अक्सर अभ्यास और कड़ी मेहनत का परिणाम है क्योंकि यह प्रतिभा है।

आपको यह जानने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है कि अच्छी तरह से लिखने की क्षमता आवश्यक रूप से एक उपहार नहीं है जो कुछ लोगों के साथ पैदा होती है, और न ही कुछ के लिए एक विशेषाधिकार बढ़ाया जाता है। BHDLA 136 Free Solved Assignment

यदि आप प्रयास करने के लिए तैयार हैं, तो आप अपने लेखन में सुधार कर सकते हैं।

प्रभावी शैक्षणिक और व्यावसायिक लेखन के लिए नियमः स्कूल के लिए टर्म पेपर या निबंध लिखते समय, या आपको एक पेशेवर लेखक के रूप में एक कैरियर पर जाना चाहिए-क्या यह एक तकनीकी लेखक, पत्रकार, कॉपीराइटर या भाषण लेखक के रूप में है

यदि आप प्रभावी लेखन के लिए इन स्थापित नियमों का पालन करते हैं, तो आपको सक्षम होना चाहिए किसी दिए गए असाइनमेंट के लिए कम से कम सक्षम रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए:

i. अच्छा लेखन एक स्पष्ट रूप से परिभाषित उद्देश्य है।

ii. यह एक निश्चित बिंदु बनाता है।

iii. यह विशिष्ट जानकारी के साथ उस बिंदु का समर्थन करता है।

iv. जानकारी स्पष्ट रूप से जुड़ी और व्यवस्थित है।

v. शब्द उपयुक्त हैं, और वाक्य संक्षिप्त, सशक्त और सही हैं। जबकि उचित व्याकरण, वर्तनी, और विराम चिह्न पर समझ होने से आप एक अच्छा लेखक नहीं बन पाएंगे, ये मूल बातें अधिकांश अन्य शैलियों की तुलना में अकादमिक और व्यावसायिक लेखन के लिए अधिक आवश्यक हैं।

प्रभावी लेखन से क्या समझते हैं?

प्रभावी लेखन से तात्पर्य है वह लेखन जिसे पढ़ने के बाद कोई भी पाठक प्रभावित हो। असल में प्रभावित होने से अर्थ है की पाठक खुद में कुछ बदलाव महसूस करे और अपने अनुभवों को नए नज़रिये से देखे। लेख का प्रभाव इतना हो की पाठक खुद को उस लेख से जुड़ा हुआ महसूस करे और उस लेख में इतना रम जाए जैसे वह खुद उसका हिस्सा हो।

प्रभावी लेखन क्या है इसकी तत्वों की व्याख्या कीजिए?

प्रभावी लेखन, लेखन के विषय से संबंधित है या लेखन के शिल्प से, यह लेखन की विशिष्ट शैली है या लेखन का सामान्य कौशल ये सारे मुद्दे इस इकाई के दायरे में आते हैं, जिन पर आगे विचार किया जाएगा। की व्याख्या की जा सकती है।

प्रभावी लेखन के गुण कौन कौन से हैं?

यहां 10 प्रभावशाली लेखकों के गुण दिए गए हैं: लोगों को उनके लेखन कौशल से प्यार करना:.
रचनात्मकता.
अवलोकन कौशल.
अनुशासन.
पढ़ने का जुनून.
विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करें.
संपादन.
अनुकूलन क्षमता.