प्रश्न 2: रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है? Show उत्तर: रामस्वरूप की बेटी की उम्र विवाह लायक हो चुकी है। भारतीय परंपरा के हिसाब से उन्हें जल्दी से कोई योग्य वर देखकर अपनी बेटी का विवाह तय करना है। तत्कालीन समय में लड़कियों का अधिक पढ़ा लिखा होना अच्छी बात नहीं मानी जाती थी। इसलिए रामस्वरूप को अपनी बेटी के लिए योग्य वर तलाशने में कठिनाई हो रही होगी। इसलिए वह विवश हैं कि अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को विवाह के लिए छिपा रहे हैं। प्रश्न 3: अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है? उत्तर: हर व्यक्ति को इस बात का अधिकार होना चाहिए कि उसकी शादी ठीक होते वक्त उसकी बात भी सुनी जाये। जब बड़े बुजुर्गों द्वारा रिश्ते परंपरागत तरीके से ठीक किये जाते हैं तो वर पक्ष को कुछ अधिक ही अधिकार प्राप्त होते हैं। लड़के वाले हर तरीके से ठोक बजाकर लड़की को जाँचते परखते हैं। यह बात किसी भी स्वाभिमानी लड़की को नागवर गुजर सकती है। वहीं दूसरी ओर, यह उम्मीद की जाती है कि लड़के से कोई भी सवाल न पूछा जाये। ऐसी बात महिलाओं के सम्मान और अधिकारों का गला घोंटती है। इसलिए राम्स्वरूप अनुचित कर रहे हैं। प्रश्न 4: गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें। उत्तर: गोपाल प्रसाद एक बहुत बड़े अपराधी हैं क्योंकि उनके लिए रिश्तों और व्यक्तियों का कोई महत्व नहीं है। रामस्वरूप भी एक अपराधी हैं क्योंकि वे जमाने के दबाव में आकर पाप कर रहे हैं। गोपाल प्रसाद को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि उनके बेटे का वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा। रामस्वरूप किसी तरह से अपनी बेटी से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। प्रश्न 5: “... आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं ...” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है? उत्तर: शंकर किसी आज्ञाकारी बालक की तरह चुपचाप बैठा है। उसके लिए उसकी अपनी इच्छा का कोई मतलब नहीं है। उसमें स्वाभिमान की सख्त कमी है। यह बात उसके यह मान लेने से पता चलती है कि वह इस बात से आश्वस्त नहीं है कि उसकी पढ़ाई कब पूरी होगी। उसे अपनी भावी पत्नी के व्यक्तित्व को जानने में भी कोई रुचि नहीं है। पृष्ठ संख्या: 41 1. रामस्वरूप और रामगोपाल प्रसाद बात-बात पर "एक हमारा जमाना था .... " कह्कर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं । इस प्रकार की तुलना कहाँ तक तर्क संगत है ? उत्तर इस तरह की तुलना करना बिल्कुल तर्कसंगत नहीं होता क्योंकि समय के साथ समाज में, जलवायु में, खान-पान में सब में परिवर्तन होता रहता है। हर समय परिस्थितियां एक सी नही होतीं। हर ज़माने की अपनी स्तिथियाँ होती हैं जमाना बदलता है तो कुछ कमियों के साथ सुधार भी आते हैं। 2. रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है? उत्तर आधुनिक समाज में सभ्य नागरिक होने के बावजूद उन्हें अपनी बेटी के भविष्य की खातिर रूढिवादी लोगों के दवाब में झुकाना पड़ रहा था। उपर्युक्त बात उनकी इसी विवशता को उजागर करता है। 3. अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, उचित क्यों नहीं है ? उत्तर अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, सरासर गलत है। एक तो वे अपनी पढ़ी-लिखी लड़की को कम पढ़ा- लिखा साबित कर रहे हैं और उसे सुन्दरता को और बढाने के लिए नकली प्रसाधन सामग्री का उपयोग करने के लिए कहते हैं जो अनुचित है। साथ ही वे यह भी चाहते हैं कि उमा वैसा ही आचरण करे जैसा लड़के वाले चाहते हैं। परन्तु वे यह क्यों भूल रहे हैं कि जिस प्रकार लड़के की अपेक्षाएँ होती ठीक उसी प्रकार लड़की की पसंद-नापसंद का भी ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि आज समाज में लड़का तथा लड़की को समान दर्जा प्राप्त है। 4. गोपाल प्रसाद विवाह को 'बिजनेस' मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं ? अपने विचार लिखिए। उत्तर मेरे विचार से दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं - गोपाल प्रसाद विवाह जैसे पवित्र बंधन में भी
बिजनेस खोज रहे हैं, वे इस तरह के आचरण से इस सम्बन्ध की मधुरता, तथा सम्बन्धों की गरिमा को भी कम कर रहे हैं। 5. "....आपके लाड़ले बेटे के की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं ...." उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है? उत्तर उमा गोपाल प्रसाद जी के विचारों से पहले से ही खिन्न थी। परन्तु उनके द्वारा अनगिनत सवालों ने उसे क्रोधित कर दिया था। आखिर उसे अपनी चुप्पी को तोड़कर गोपाल प्रसाद को उनके पुत्र के विषय में अवगत करना पड़ा। (1) शंकर एक चरित्रहीन व्यक्ति था। जो हमेशा लड़कियों का पीछा करते हुए होस्टल तक पहुँच जाता था। इस कारण उसे शर्मिंदा भी होना पड़ा था। 6. शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की - समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए। उत्तर समाज में आज उमा जैसे व्यक्तित्व, स्पष्टवादिनी तथा उच्च चरित्र वाली लड़की की ही आवश्यकता है । ऐसी लड़कियाँ ही गोपाल प्रसाद जैसे दोहरी मानसिकता रखने वाले, लालची और ढोंगी लोगों को सबक सिखा सकती है। ऐसी लड़कियों से ही समाज और देश प्रगति कर पाएगा जो
आत्मविश्वास से भरी तथा निडर हो। 7. 'रीढ़ की हड्डी' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। उत्तर यह शीर्षक एकांकी की भावना को व्यक्त करने के लिए बिल्कुल सही है। इस शीर्षक में समाज की सड़ी-गली मानसिकता को व्यक्त किया गया है तथा उसपर प्रहार किया है। क्योंकि रीढ़ शरीर का मुख्य हिस्सा होता है, वही उसको सीधा रखने में मदद करता है। उसमें लचीलापन होता
है, जो शरीर को मुड़ने, बैठने, झुकने कूदने में मदद करता है। इस लचीलेपन के कारण ही शरीर हर कार्य करने में सक्षम है। व्यायाम के माध्यम से रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बनाए रखते हैं। उसी तरह समय के अनुसार पुरानी रीतियों और परंपराओं का बदलना आवश्यक है। यह समय की माँग होती है। जब यह रीतियाँ या परंपराएँ मनुष्य के हित के स्थान पर उसका अहित करने लगे, तो वे विकार बन जाती हैं। यह एंकाकी समाज में व्याप्त इन विकारों पर कटाक्ष करता है। हमारा समाज इन मानसिकताओं का गुलाम बनकर बिना रीढ़ वाला शरीर हो जाता है।
दूसरी तरफ़ यहाँ शंकर जैसे लड़कों से भी यही तात्पर्य है बिना रीढ़ का। इस प्रकार के लड़कों का अपना कोई व्यक्तित्व नहीं होता और न ही इनका कोई चरित्र होता है। ये सारी उम्र दूसरों के इशारों पर ही चलते हैं। ये लोग समाज के ऊपर सिवाए बोझ के कुछ नहीं होते। इसलिए उमा ने इसे बिना रीढ़ की हड्डी वाला कहा है। उत्तर कथा वस्तु के आधार में उमा मुख्य पात्र है क्योंकि पूरी एकांकी इसके ही इर्द-गिर्द घूमती है। भले ही पाठ में उसकी उपस्थिति थोड़े समय के लिए ही है परन्तु उसके विचारों से प्रभावित हुए बिना हम नहीं रह पाते हैं । वह हमें बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर करती है । उसकी उपस्थिति नारी-समाज को एक नई सोच और दिशा प्रदान करती है। समाज की मानसिकता पर व्यंग्य करने का जो प्रयास लेखक ने किया उसका माध्यम उमा ही है। 9. एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए। उत्तर रामस्वरूप जी और गोपाल प्रसाद जी की
चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं: 10. इस एकांकी का क्या उद्देश्य है ? लिखिए। उत्तर इस एकांकी का उद्देश्य समाज में औरतों की दशा को सुधारना व उनको उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कराना है। यह एकांकी उन लोगों की तरफ़ अँगुली उठाती है जो समाज में स्त्रियों को जानवरों या सामान से ज़्यादा कुछ नहीं समझते। जिनके लिए वह घर में सजाने से ज़्यादा कुछ नहीं है यह औरत को उसके व्यक्तित्व की रक्षा
करने का संदेश देती है और कई सीमा तक इस उद्देश्य में सफल भी होती है। उत्तर समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु हम निम्नलिखित प्रयास कर सकते हैं - 3
महिलाओं को उचित सम्मान देना चाहिए। 5 समाज में महिला को समान भागीदारी दिलवाने के लिए प्रयत्न कर सकते हैं। विवाह को बिजनेस कौन मानता है?गोपाल प्रसाद विवाह को 'बिज़नेस' मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।
स्वमत लिखो आठ से दस पंक्तियों में विवाह को बिजनेस मानना उचित हैं क्या अपने विचार लिखिए?अपने विचार लिखिए। मेरे विचार से दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं - गोपाल प्रसाद विवाह जैसे पवित्र बंधन में भी बिजनेस खोज रहे हैं, वे इस तरह के आचरण से इस सम्बन्ध की मधुरता, तथा सम्बन्धों की गरिमा को भी कम कर रहे हैं। रामस्वरूप जहाँ आधुनिक सोच वाले व्यक्ति होने के बावजूद कायरता का परिचय दे रहे हैं ।
विवाह जैसे पवित्र बंधन को क्या बिजनेस मानना सही है रीढ़ की हड्डी पाठ के आधार पर तर्क संगत उत्तर लिखिए?व्यापार में निर्जीव वस्तुओं को खरीदा और बेचा जाता है। विवाह में किसी निर्जीव वस्तु का खरीदना और बेचना नहीं होता है। अतः उनके द्वारा विवाह जैसे पवित्र बंधन को बिज़नेस कहना बिल्कुल गलत है। दूसरी और रामस्वरूप गोपाल प्रसाद के पुत्र के साथ अपनी बेटी उमा का रिश्ता जोड़ने के लिए अपनी बेटी की शिक्षा को छुपाते हैं।
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