कबीर दास जी की सखियों से हमें क्या शिक्षा मिलती है? - kabeer daas jee kee sakhiyon se hamen kya shiksha milatee hai?

साखी कबीरदास १.गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय । बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय ॥ व्याख्या - कबीरदास जी कहते हैं की गुरु और भगवान् दोनों ही मेरे सामने खड़े हैं .

साखी कबीरदास

१.गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय ॥

व्याख्या - कबीरदास जी कहते हैं की गुरु और भगवान् दोनों ही मेरे सामने खड़े हैं . मैं पहले किसके चरण स्पर्श करूँ ? मुझे पहले गुरु के चरणों में श्रद्धा ,प्रेम और भक्ति से स्वयं को समर्पित कर देना चाहिए क्योंकि गुरु ने ही मुझे ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग बताया है . अतः प्रस्तुत पंक्यियों में गुरु के महत्व पर प्रकाश डाला गया है . 


२.जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं।
प्रेम गली अति सॉंकरी, तामें दो न समाहिं।।

व्याख्या - कबीरदास जी कहते है की जहाँ घमंड होता है ,अहंकार होता है ,वहां भगवान् का वास नहीं होता है .जहाँ भगवान् रहते हैं वहां घमंड नहीं होता है .क्योंकि प्रेम की गली अत्यधिक तंग है .उसमें अहंकार और ईश्वर एक साथ नहीं रह सकते हैं . अतः जब तक मनुष्यके मन में अहंकार होता है तब उसे ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती है . ईश्वे के प्रति प्रेम तभी सार्थक होता है .जब मन का अहंकार दूर हो जाता है . 


३.कांकड़ पाथर जोरी के मस्जिद लऐ चुनाय.
ता पर चढि मुल्ला बाँग दे क्या बहरा हुआ खुदाय.

व्याख्या - कबीरदास ने उन लोगों पर करारा व्यंग किया है जो धर्म के नाम दिखावा करते हैं . बाहरी आडम्बर को अपनाते हैं . मुस्लिम समुदाय के लोगकंकड़ ,पत्थर जोड़ कर मस्जिद का निर्माण करते हैं .उसके ऊपर क्ग्द्कर मुल्ला बानग देता है यानी की अजान देता है .कबीर कहते है की क्या खुदा बहरा हो गया है जो की मस्जिद के ऊपर चढ़कर चिल्लाने ने सुनता है . अतः ईश्वर दिलों में वास करता है .उसे पाने के लिए मस्जिद -मंदिर बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है . 


४.पाथर पूजे हरि मिले, तो मैं पूजू पहाड़! ...
घर की चाकी कोई ना पूजे, जाको पीस खाए संसार !!

व्याख्या - कबीरदासजी कहते है की पत्थरों की पूजा करने से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती है .अगर पत्थरों की पूजा करनेसे ईश्वर की प्राप्ति होती है तो कबीर पहाड़ भी पूजने के लिए तैयार हैं .उन्होंने मूर्ति की अपेक्षा चक्की को अच्छा बताया है क्योंकि इसके द्वारा पीसे गए अनाज से लोगों का पेट भरता है . अतः पत्थर में भगवान् नहीं होते है ,यह मात्र एक बाह्य आडम्बर है . 


५.  सात समंदर की मसि करौं लेखनि सब बनराइ।
     धरती सब कागद करौं हरि गुण लिखा न जाइ॥

व्याख्या - कबीरदास जी कहते है कि यदि पृथ्वी पर व्याप्त सात समुन्द्र की श्याही बनाकर,जंगलों, में मिली सम्पूर्ण लाकदिक्यों की कलम बनाकर ,सम्पूर्ण धरती के कागज़ पर हरी यानि भगवान् का बखान लिखूं तो भी वह पूर्ण नहीं होगा .अतः ईश्वर के गुण अतुलनीय है और वर्णनातीत है . 



साखी कविता का मूल भाव

साखी ,कबीरदास जी द्वारा लिखित रचना है .इसमें उन्होंने विचार व्यक्त किये है .वे भक्त ,समाजसुधारक तथा कवी के रूप में हमारे सामने आते है .अतः हम साखी में उनके विभिन्न रूप देख पाते है . कबीरदास जी ने गुरु का स्थान ईश्वर से बड़ा बताया है क्योंकि वहीँ हमें ईश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाता है . ईश्वर से मिलने पर मनुष्य का अहंकार भी समाप्त हो जाता है और वह ईश्वर में लीं हो जाता है . कवि हिन्दू और मुसलामानों के पूजा पद्धति पर व्यंग करते हैं .मूर्ति पूजा और मस्जिद पर चढ़कर अजान देने से ईश्वर क्या बहरा हो गया है ? जिसे अजान की आवश्यकता है . वहीँ हिन्दू भी मूर्ति पूजा करते है  , इससे अच्छी तो चक्की है ,जिसके द्वारा अनाज पीस कर लोग खाते है और अपना पेट भरते हैं . अंत में कवि ईश्वर के गुणों की प्रशंसा करते है की उसके अनंत गुणों का वर्णन करना कठिन है . 

इस प्रकार प्रस्तुत कविता साखी में कवि ने मूर्ति पूजा ,कर्मकाण्ड तथा बाह्य आडम्बरों  का विरोध किया है और ईश्वर प्रेम के प्रति मार्ग प्रसस्त किया है . 



Sakhi Kabirdas Question Answer



प्र.१.कबीरदास जी ने गुरु को ईश्वर से क्यों बड़ा बताया है ? 


उ.कबीर ने गुरु को ईश्वर से बड़ा बताया है क्योंकि गुरु ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग दिखता है वही सिखाता है .अतः गुरु बड़ा है . 





प्र..२.कबीर ने चक्की को उपयोगी क्यों बताया है ?


उ.कबीरदास जी कहना है कि पत्थर की पूजा करने से अच्छा है कि पत्थर की बनी चक्की की पूजा किया जाय क्योंकि यह हमारी अनाज पीसने में मदद करता है और लोगों के पेट भरने में सहायक होता है . 


प्र.३.कबीरदास जी ने मुसलामानों को क्यों फटकारा है ?


उ.कबीर ने जीवन भर ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में बाह्य आडम्बरों का विरोध किया है . मुसलमान समुदाय कंकड़ -पत्थर जोड़ कर मस्जिद बनाता है . मस्जिद पर चद्खर मुल्ला सुबह -सुबह अजान देता है .अतः क्या खुदा बहरा हो गया है .जिसे बांग की आवश्यकता हो गयी है . यह केवल आडम्बर है जो की ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में बाधक है .

CBSE, NCERT, JEE Main, NEET-UG, NDA, Exam Papers, Question Bank, NCERT Solutions, Exemplars, Revision Notes, Free Videos, MCQ Tests & more.

Install Now

 

NCERT solutions for Class 8 Hindi Kabir Ki Sakhiya Class 8 Hindi book solutions are available in PDF format for free download. These ncert book chapter wise questions and answers are very helpful for CBSE exam. CBSE recommends NCERT books and most of the questions in CBSE exam are asked from NCERT text books. Class 8 Hindi chapter wise NCERT solution for Class 8 Hindi all the chapters can be downloaded from our website and myCBSEguide mobile app for free.

NCERT solutions for Class 8 Hindi Kabir Ki Sakhiya Download as PDF

कबीर दास जी की सखियों से हमें क्या शिक्षा मिलती है? - kabeer daas jee kee sakhiyon se hamen kya shiksha milatee hai?

NCERT Class 8 Hindi Chapter wise Solutions

  • पाठ-01 ध्वनि
  • पाठ-02 लाख की चूड़ियाँ
  • पाठ-03 बस की यात्रा
  • पाठ-04 दीवानों की हस्ती
  • पाठ-05 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
  • पाठ-06 भगवान के डाकिए
  • पाठ-07 क्या निराश हुआ जाए
  • पाठ-08 यह सब से कठिन समय नहीं
  • पाठ-09 कबीर की साखियाँ
  • पाठ-10 कामचोर
  • पाठ-11 जब सिनेमा ने बोलना सिखा
  • पाठ-12 सुदामा चरित
  • पाठ-13 जहाँ पहिया है
  • पाठ-14 अकबरी लोटा
  • पाठ-15 सूरदास के पद
  • पाठ-16 पानी की कहानी
  • पाठ-17 बाज और साँप
  • पाठ-18 टोपी

NCERT solutions for Class 8 Hindi Kabir Ki Sakhiya

1. ‘तलवार का महत्त्व होता है, म्यान का नहीं’ – उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- ‘तलवार का महत्व होता है, म्यान का नहीं’ से कबीर यह कहना चाहता है कि असली चीज़ की कद्र की जानी चाहिए। दिखावटी वस्तु का कोई महत्त्व नहीं होता। इसी प्रकार किसी व्यक्ति की पहचान अथवा उसका मोल उसकी काबलियत के अनुसार तय होता है न कि कुल, जाति, धर्म आदि से। उसी प्रकार ईश्वर का भी वास्तविक ज्ञान जरुरी है। ढोंग-आडंबर तो म्यान के समान निरर्थक है। असली बह्रम को पहचानो और उसी को स्वीकारो।


NCERT solutions for Class 8 Hindi Kabir Ki Sakhiya

2. पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति हैं ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?

उत्तर:- कबीरदास जी इस पंक्ति के द्वारा यह कहना चाहते हैं कि भगवान का स्मरण एकाग्रचित होकर करना चाहिए। इस साखी के द्वारा कबीर केवल माला फेरकर ईश्वर की उपासना करने को ढोंग बताते हैं।


NCERT solutions for Class 8 Hindi Kabir Ki Sakhiya

3. कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- घास का अर्थ है पैरों में रहने वाली तुच्छ वस्तु। कबीर अपने दोहे में उस घास तक की निंदा करने से मना करते हैं जो हमारे पैरों के तले होती है। कबीर के दोहे में ‘घास’ का विशेष अर्थ है। यहाँ घास दबे-कुचले व्यक्तियों की प्रतीक है। कबीर के दोहे का संदेश यही है कि व्यक्ति या प्राणी चाहे वह जितना भी छोटा हो उसे तुच्छ समझकर उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए। हमें सबका सम्मान करना चाहिए।


4. मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?

उत्तर:- ”जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय।
या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।।


5. “या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
इन दोनों पंक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या ‘आपा’ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?

उत्तर:- “या आपा को . . . . . . . . . आपा खोय।” इन दो पंक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने की बात की गई है। यहाँ ‘आपा’ अंहकार के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। ‘आपा’ घमंड का अर्थ देता है।


NCERT solutions for Class 8 Hindi Kabir Ki Sakhiya

6. आपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।

उत्तर:- आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में अंतर हो सकता है –
1. आपा और आत्मविश्वास – आपा का अर्थ है अहंकार जबकि आत्मविश्वास का अर्थ है अपने ऊपर विश्वास।
2. आपा और उत्साह – आपा का अर्थ है अहंकार जबकि उत्साह का अर्थ है किसी काम को करने का जोश।


NCERT solutions for Class 8 Hindi Kabir Ki Sakhiya

7. सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।

उत्तर:- ”आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक।
कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक।।”
मनुष्य के एक समान होने के लिए सबकी सोच का एक समान होना आवश्यक है।


NCERT solutions for Class 8 Hindi Kabir Ki Sakhiya

8. कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है?

उत्तर:- कबीर के दोहों को साखी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें श्रोता को गवाह बनाकर साक्षात् ज्ञान दिया गया है। कबीर समाज में फैली कुरीतियों, जातीय भावनाओं, और बाह्य आडंबरों को इस ज्ञान द्वारा समाप्त करना चाहते थे।


NCERT solutions for Class 8 Hindi Kabir Ki Sakhiya

• भाषा की बात9. बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा, मनुवा आदि हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती है। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो।
ग्यान, जीभि, पाऊँ, तलि, आंखि, बरी।

उत्तर:- ग्यान – ज्ञान
जीभि – जीभ
पाऊँ – पाँव
तलि – तले
आँखि – आँख
बरी – बड़ी

NCERT solutions for Class 8 Hindi

NCERT Solutions Class 8 Hindi PDF (Download) Free from myCBSEguide app and myCBSEguide website. Ncert solution class 8 Hindi includes text book solutions from Class 8 Hindi Book . NCERT Solutions for CBSE Class 8 Hindi have total 18 chapters. 8 Hindi NCERT Solutions in PDF for free Download on our website. Ncert Hindi class 8 solutions PDF and Hindi ncert class 8 PDF solutions with latest modifications and as per the latest CBSE syllabus are only available in myCBSEguide.

CBSE app for Students

To download NCERT Solutions for class 8 Social Science, Computer Science, Home Science,Hindi ,English, Maths Science do check myCBSEguide app or website. myCBSEguide provides sample papers with solution, test papers for chapter-wise practice, NCERT solutions, NCERT Exemplar solutions, quick revision notes for ready reference, CBSE guess papers and CBSE important question papers. Sample Paper all are made available through the best app for CBSE students and myCBSEguide website.


 

कबीर दास जी की सखियों से हमें क्या शिक्षा मिलती है? - kabeer daas jee kee sakhiyon se hamen kya shiksha milatee hai?

Test Generator

Create question papers online with solution using our databank of 5,00,000+ questions and download as PDF with your own name & logo in minutes.

कबीर की सखियां से क्या शिक्षा मिलती है?

1)कबीर जी की साखियों से हमें दुनिया के बारे में पता चलता है। 2)कबीर जी की साखियों से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें ज्ञान का महत्व समझा चाहिए। 3)कबीर जी की साखियों से हमें शिक्षा मिलती है कि आडंबरों को छोड़कर मनुष्यता पर ध्यान देना चाहिए। 4)कबीर जी की साखियों से हमें शिक्षा मिलती है कि सभी धर्मों का आदर करना चाहिए।

कबीरदास जी अपने साखियों के माध्यम से हमें क्या संदेश देते हैं?

Solution : कबीर की साखियाँ यह सन्देश देती हैं कि हमें साधु जन की जाति न पूछकर उससे ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए। किसी को अपशब्द नहीं कहने चाहिए। मन को एकाग्र करके ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए।

कबीर की साखियाँ का क्या उद्देश्य है?

मित्र ! कबीर दास की सखियों का मुख्य उद्देश्य लोगों को नीतिपरक ज्ञान, व्यवहार कुशलता, जीव एकता, प्राणियों में समानता और वैराग्य आदि की बातें सिखाना है। कबीर दास ने अपने गुरुजनों की बातों को सामान्य मनुष्य तक पहुँचाने के लिए साखी का उपयोग किया है।

कबीर की साखियों से आपको कौन कौन से जीवन मूल्य सीखने को मिलते हैं?

इन साखियों में हमें कई जीवन मूल्यों की झलक मिलती है; जैसे- • मनुष्य को सदैव ऐसी वाणी बोलना चाहिए जिससे बोलने और सुनने वाले दोनों को ही सुख और शीतलता मिले। मनुष्य को अहंकार का त्याग कर देना चाहिए। अपने आलोचकों को अपने आसपास ही जगह देना चाहिए ताकि व्यक्ति का स्वभाव परिष्कृत हो सके।