दो बैलों की कथा में आपको क्या अच्छा लगा? - do bailon kee katha mein aapako kya achchha laga?

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वैसे तो अपने जीवन-काल में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी ने बहुत सारी अद्भुत रचनाओं का सृजन किया, लेकिन "दो बैलों की कथा" बहुत सी शानदार कृतियों में से एक है। प्रेमचंद जी कृत "मानसरोवर (कथा संग्रह)" के "भाग-दो" में इस कहानी को प्रकाशित किया गया। प्रेमचंद जी ने इस कहानी में चित्रित किया है कि पशु भी अनुरक्ति और प्रणय के भूखे होते हैं। हमें यह सीख मिलती है कि इंसान हो या कोई जानवर उसे स्वतंत्रता से जीने का पूरा अधिकार है। स्वतंत्रता को पाने के लिए अगर उसे समाज से लड़ना भी पढ़े तो उसे निडर होकर लड़ना चाहिए। कहानी में प्रेमचंद जी ने मनुष्य और पशु के भावनात्मक रिश्तों को बख़ूबी से व्यक्त किया है।

यह कहानी हीरा और मोती नाम के दो बैलों की है, जिनको झुरी ने बड़े ही स्नेह से पाला-पोसा था। हीरा बहुत ही शांत एवं सहनशील स्वभाव का था। वह कोई भी काम बिना सोच-समझकर नहीं करता था। जबकि मोती, हीरा से बिल्कुल विपरीत था। वह हर काम बिना सोचकर एवं हड़बड़ी में करता, जिसके कारण वह दोनों  हमेशा मुसीबत में फंस जाते थे।

एक बार झुरी का साला "गया" हल लगाने के लिए हीरा और मोती को अपने घर लेकर जाता है। हीरा और मोती को लगता है कि झुरी ने उन्हें गया को बेच दिया है, इसलिए दोनों बड़े ही दुखी हो जाते हैं। रात को जब नांद में उन्होंने सूखा भूसा देखा तो और भी दुखी हो जाते हैं।

मोती हीरा से कहता है - हमारा मालिक तो हमें चिकनाहट और रस से पूर्ण वाला घास-भूस खिलाता था, पर यहाँ तो सूखा भूसा ही है।  

उन्हें अपने मालिक की बहुत ज्यादा याद आती है। इसलिए उन्होंने गया के चंगुल से भागने का निर्णय लिया। जब गया उन्हें चारा देकर सो जाता है, दोनों रस्सी तोड़कर वहाँ से भाग कर सीधा झुरी के घर पहुंच जाते हैं। झुरी उन्हें देखकर अत्यंत प्रसन्न होता है, लेकिन उसकी पत्नी बहुत दुखी हो जाती है और गुस्से में आकर उन्हें बुरा- भला कहती है।

गया दूसरी बार फिर हीरा और मोती को लेकर अपने घर चला जाता है। हीरा-मोती ना तो भूसा खाते हैं और ना ही खेत पर हल लगाते हैं, जिसके कारण गया उन्हें  मारता है और रात को भूसा नहीं देता है। गया की छोटी बेटी रोज उन दोनों को रोटियाँ खिलाती थी। उससे उन दोनों का दर्द देखा न जा रहा था और एक रात वह  उन दोनों की रस्सी खोल देती है ताकि वो दोनो उससे पिता के कैद से आजाद हो  जाएँ। 

हीरा-मोती दौड़ते-दौड़ते नई जगह पहुंच जाते हैं और भूख के कारण मटर के खेत में घुस जातें हैं। दोनों किसी की परवाह किये बिना मटर खाने लग जाते हैं।  इतने में ही कुछ लोग दोनों को पकड़ लेते है और कांजी हाउस में अन्य पशुओं के साथ बंद कर देते हैं। वहाँ भी उन्हें अत्यधिक विपत्तियों का सामना करना पड़ता है। अंत में उन्हें एक कसाई को  बेच दिया जाता है। कसाई के साथ चलते-चलते वे अपने घर का रास्ता पहचान लेते हैं और तेजी से दौड़ना शुरू कर देते हैं। दौड़ते हुए दोनों अपने घर पहुँच जाते हैं। झुरी दोनों को गले लगा लेता है और उसकी पत्नी भी उन्हें प्यार से चूम लेती है।

"दो बैलों की कथा" का यह सारांश मात्र है, आपको एक बार यह कहानी अवश्य पढ़नी चाहिए। इस कथा में हीरा और मोती की परम मित्रता के साथ-साथ उनका गया की बेटी से स्नेह, स्वाधिनता के लिए संघर्ष, और झुरी के प्रति अनुराग को भी देखा जा सकता है। 


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दो बैलों की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

Answer: दो बैलों की कथा नामक पाठ से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। जैसे हीरा और मोती ने अपनी आज़ादी को पाने के लिए हर कष्ट सहे।

दो बैलों की कथा पाठ में क्या संदेश दिया है?

यह कहानी सांकेतिक भाषा में यह संदेश देती है कि मनुष्य हो या कोई भी प्राणी हो, स्वतंत्रता उसके लिए बहुत महत्व रखती है। स्वतंत्रता को पाने के लिए लड़ना भी पड़े, तो बिना हिचकिचाए लड़ना चाहिए। जन्म के साथ ही स्वतंत्रता सबका अधिकार है, उसे बनाए रखना सबका परम कर्तव्य है।

दो बैलों की कथा कहानी का मूल भाव क्या है?

उत्तर- दो बैलों की कथा कहानी में प्रेमचंद ने स्पष्ट किया है कि किस प्रकार पशु और मानव में परस्पर प्रेम होता है इस प्रकार इस कहानी का मूल संदेश पशु और मानव के भावात्मक संबंधों को उजागर करते हुए स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देता है ।

दो बैलों की कथा कहानी के मुख्य पात्र कौन कौन थे?

झूरी क पास दो बैल थे- हीरा और मोती. देखने में सुंदर, काम में चौकस, डील में ऊंचे. बहुत दिनों साथ रहते-रहते दोनों में भाईचारा हो गया था. दोनों आमने-सामने या आस-पास बैठे हुए एक-दूसरे से मूक भाषा में विचार-विनिमय किया करते थे.