कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय, जन्म, मृत्यु, भाषाशैली माखनलाल चतुर्वेदी जी भारत के महान राष्ट्र कवियों में से एक हैं. जो अपना सर्वस्व त्यागकर भारत देश का उत्थान करने के लिए आगे बड़े. राष्ट्रीय भावनाओं से परिपूर्ण होने के कारण इन्हें
हिंदी साहित्य में भारतीय आत्मा के नाम से भी जाना जाता है. इन्होनें असहयोग आन्दोलन और भारत छोड़ो आन्दोलन जैसी कई गतिविधियों में भी भाग लिया था. ये त्याग और बलिदान पर विश्वास रखने वाले पहले एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी कविताओं में भी त्याग और बलिदान का उपदेश दिया है. कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय | Makhanlal Chaturvedi Biography In Hindi
भारत के प्रमुख कवि, लेखक एवं पत्रकार के रूप में अपनी छवि बनाने वाले कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 ई. में मध्य – प्रदेश के होशंगावाद जिले में बावाई नामक स्थान पर हुआ था. इनके पिताजी का नाम नंदलाल चतुर्वेदी और माता का नाम सुंदरीबाई था. इनके पिताजी अपने ग्राम सभा में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक हुआ करते थे. चतुर्वेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा बावाई गाँव में हुई तथा प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, गुजराती अथवा अंग्रेजी आदि भाषाओं का ज्ञान घर पर ही प्राप्त किया था. माखनलाल जी जब 16 वर्ष के हुए तब ही स्कूल में अध्यापक बन गए थे. उन्होंने 1906 से 1910 तक एक विद्यालय में अध्यापन का कार्य किया. कुछ दिनों तक अध्यापन करने के बाद चतुर्वेदी जी राष्ट्रीय पत्रिकाओं में सम्पादक का काम देखने लगे थे. इन्होंने 1913 ई. में प्रभा और कर्मवीर नामक राष्ट्रीय मासिक पत्रिका का संपादन करना शुरु किया था. कानपुर से श्री गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रेरणा से ये राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लेने लगे थे. इसी बीच इनको कई बार जेल यात्रा भी करनी पड़ी. माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक परिचयचतुर्वेदी जी एक भारतीय आत्मा नाम से अपनी कवितायेँ लिखा करते थे. इनकी काव्य रचनाएं राष्ट्रीय भावनाओं पर आधारित हैं. जिनमें त्याग, बलिदान, कर्तव्य की भावना, समर्पण के भाव आदि विद्यमान हैं. इनकी कवितायेँ उन देश प्रेमियों को प्रभावित करती हैं जो आज भी अपने भारत देश से बहुत प्रेम करते हैं तथा इनकी रचनाएं देश वासियों को जागरूक करने के लिए बहुत सहायक सिद्ध हुईं. 1943 ई. में इनको हिंदी साहित्य सम्मलेन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. चतुर्वेदी जी को भारत देश के प्रति अगाध प्रेम था. इनके जन्म के समय भारत में अग्रेजों का राज्य था तथा उस समय स्वाधीनता के लिए संघर्ष चल रहा था. चतुर्वेदी जी को समझ में आया कि देश की स्वंत्रता हमारे लिए बहुत जरुरी है. तभी से ये देश की रक्षा करने के लिए आगे आये और लोगों को भी इसके लिए प्रेरित किया. माखनलाल चतुर्वेदी जी की मृत्यु | Makhanlal Chaturvedi Deathयह अपने देश के उत्थान के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. माखनलाल चतुर्वेदी जी एक राष्ट्र प्रेमी कवि हुआ करते थे. ये उन प्रमुख कवियों में से एक थे जिन्होंने अपना परम लक्ष्य राष्ट्र हित को माना है. राष्ट्र को समर्पित करने वाले यह स्वंत्रता संग्रामी कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी का 30 जनवरी सन 1938 ई. को निधन हो गया था. माखनलाल चतुर्वेदी को मिले सम्मान | Makhanlal Chaturvedi Awards
माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचनाएं
अन्य जानकारी – माखनलाल चतुर्वेदी जी की कृतियों को उनके पोते श्री प्रमोद चतुर्वेदी ने सहेज कर खंडवा में रखा हुआ है. इसे भी पढ़े :
माखनलाल चतुर्वेदी का मूल नाम क्या है?माखनलाल चतुर्वेदी – जीवन परिचय, रचनाएं, कविता, Makhanlal Chaturvedi. माखनलाल चतुर्वेदी कौन से कवि है?माखनलाल चतुर्वेदी (4 अप्रैल 1889-30 जनवरी 1968) भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं। सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के वे अनूठे हिंदी रचनाकार थे।
माखनलाल चतुर्वेदी को क्या कहा जाता है?माखनलाल चतुर्वेदी सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के अनूठे हिंदी रचनाकार थे। उन्हें एक भारतीय आत्मा उपनाम से भी जाना जाता है।
माखनलाल चतुर्वेदी जी की मृत्यु कब हुई थी?30 जनवरी 1968माखनलाल चतुर्वेदी / मृत्यु तारीखnull
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