विद्युत दर्शी के क्या कार्य है? - vidyut darshee ke kya kaary hai?

विद्युत्दर्शी (Electroscopoe) का प्रयोग विद्युत आवेश के संसूचन और मापन में होता है। विद्युत्दर्शी सबसे प्राचीन विद्युत उपकरण है। सन् १७८७ के पहले कई प्रकार के विद्युत्दर्शी बने जो मुख्यत: आवेशित पिथ गुट का (सरकंडे के गूदे की गोली) के प्रतिकर्षण का उपयोग करते थे।

स्वर्णपत्र विद्युत्दर्शी[संपादित करें]

विद्युत दर्शी के क्या कार्य है? - vidyut darshee ke kya kaary hai?

स्वर्णपत्र विद्युत्दर्शी में विद्युतस्थैतिक प्रेरण के कारण फैली हुई पत्तियाँ

सन् १७८७ में ही ऐब्राहिम बेनेट (Abrahim Benett) ने स्वर्णपत्र विद्युत्दर्शी (Goldleaf electroscope) बनाया जिसका प्रयोग आज तक होता है। एक अत्यंत पतला स्वर्णपत्र पीतल की चपटी छड़ी से लटका रहता है। इस पीतल के छड़ के ऊपरी भाग में एक गोल चकती लगी रहती है। यह स्वर्णपत्र वाला छड़ एक धातु के बक्स में ऐंबर (amber) द्वारा विद्युत रोधी करके लगा रहता है। यह बक्स पृथ्वी से संबंद्ध रहता है और इसमें एक खिड़की बनी रहती है जिसके द्वारा स्वर्णपत्र का निरीक्षण हो सकता है। यदि चकती को किसी आवेशित वस्तु से छू दिया जाए तो छड़ और स्वर्णपत्र दोनों ही आवेशित हो जाते हैं। पारस्परिक प्रतिकर्षण के कारण स्वर्णपत्र छड़ से दूर हट जाता है। स्वर्णपत्र का विक्षेप अवेश की मात्रा का समानुपाती होता है। स्वर्णपत्र का विक्षेप एक पैमाने पर नापा जा सकता है। विक्षेप के विशुद्ध ज्ञान के लिए सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग करते हैं। कुछ विद्युत्दर्शी में पीतल की छड़ के नीचे वाले छोर पर दो स्वर्णपत्र लगे रहते हैं। आवेश तथा विभव निम्नलिखित सूत्र से संबंधित हैं -

धारिता = आवेश/विभव

स्वर्णपत्र के विक्षेप से आवेश की मात्रा का मापन हो सकता है और विद्युद्दर्शी की धारिता निश्चित होती है। अत: विभव का भी मापन हो सकता है।

साधारण स्वर्णपत्र विद्युद्दर्शी की धारिता बहुत कम होती है; इस कारण यह विभव के प्रतिकम सुग्राही होती है। उसकी सुग्राहिकता बढ़ाने के लिए केवल एक पत्र और साथ में एक संधारित्र का भी प्रयोग करते हैं। ऐसे विद्युतदर्शी को संघारित्र विद्युत्दर्शी (Condenslng electroscope) कहते हैं।

रेडियो एक्टिवता के अविष्कार के बाद यह पता चला कि कुछ वस्तुओं से ऐसी किरणें निकलती हैं जो किसी आवेशित पिंडों को निरावेशित करती हैं। यदि किसी रेडियोएक्टि तत्व के पास एक आवेशित विद्युद्दर्शी रखा जाए तो वह निरावेशित होने लगेगा और स्वर्णपत्रिका विक्षेप घटने लगेगा। विक्षेप घटने की दर रेडियोएक्टिव किरणों की शक्ति की समानुपाती होगी। इस कारण विद्युत्दर्शी का प्रयोग बहुत होने लगा और अब कई सुधरे प्रकार के विद्युत्दर्शी बनने लगे हैं। उनमें से सी. टी. आर. विल्सन (C. T. R. Wilson) का तिरछा स्वर्णपत्र विद्युत्दर्शी विशेष उल्लेखनीय है।

इसमें एक पट्टिका पर जो सूक्ष्ममापी पेच से आगे पीछे चलाई जा सकती है, २०० वोल्ट का विभव लगाया जाता हैं। एक अत्यंत पतला स्वर्णपत्र, एक पीतल के छड़ के छोर पर लगा रहता है। दोनों ही एक धातु के बक्स में ऐंवर (amber) द्वारा पृथ्क्कृत करके लगाये रहते हैं। यह धातु का बक्स टेढ़ा रखा जाता है और इसमें काँच की एक खिड़की बनी रहती है जिसके द्वारा स्वर्णपत्र का निरीक्षण किया जाता है। पहले स्वर्णंपत्रवाले छड़ को धातु के बक्स से जोड़ दिया जाता है और बक्स को इतना टेढ़ा किया जाता है कि स्वर्णपत्र काँच की खिड़की के सामने आकर सूक्ष्मदर्शी में दिखाई पड़ने लगे। इसके बाद स्वर्णपत्र वाली छड़ को उस आवेशित पिंड से संबद्ध कर दिया जाता है जिसका आवेश, विभव या निरावेश, पिंड से होने की दर ज्ञात करना रहता है। यह उपकरण अत्यंत सुग्राही होता है और इसकी सुग्राहिता बक्स के टेढ़ेपन, बक्स के आयतन, पट्टिका के विभव और उसकी स्वर्णपत्र से दूरी पर निर्भर रहती है। इससे आवेश में १०-१६ कूलॉम प्रति सेकंड परिवर्तन नापा जा सकता है।

स्टेटमेंट से पूछा गया कि विद्युत दर्शी क्या है ठीक तो विद्युत दर्शी हमारा एक ऐसा उपकरण होता है जिसकी सहायता से हम किसी भी वस्तु पर हमारा आपस कितना है और उसका वह किस प्रकार का वैसे ठीक था हमें यह ज्ञात करते हैं हम क्या-क्या करते हैं हम पहले से सोगरात करते आवेश का पहला क्या परिवार हमारा उसमें कितना आवेश है और दूसरा में कैद करते हैं आवेश की प्रकृति एवं आराधना आत्मक आवेश है कि ऋण आत्मक आवेश है समिति क्षेत्र बनाकर इसको समझते हैं कि यह कैसे कार्य करता है तो देखेगी इसका जो हमारा विद्यालय ज्योति कुमारी कुछ इस प्रकार होती थी इसमें यह हमारे का जार होता है ठीक है जान हमारा कांच का होता है इसमें हमारे की धातु की छड़ होती है किसी धातु की होती होगी सोने की पत्ती लगी होती पत्ती लगी होती जो सोने की बनी होती गोल्ड की सोने की पत्ती तो इसमें क्या था जिसे इसी एक पति पर कोई भी हमारा आवेश होता होगा मान ली जिस पर मारा धनात्मक आवेश है ठीक हो

हमारी उदासीन रहती है तो जिसका हमारा जो जिस धातु का है या वस्तु पर में आवेश की मात्रा ज्ञात करनी थी उसको हम लाते हैं इसके पास और इस्तेमाल जमा धनात्मक आवेश क्या करते हैं मिस को इससे धातु की छड़ से संपर्क में लाते हैं तो इससे क्या बताइए आवेश हमारा जो इच्छा से होता हुआ यह वाली जयमाला तो कीचड़ में जाता है और अंत में वह सोने की दूसरी पत्नी पर पहुंचते हैं यहां पर दो पत्तियां होती हैं अलग अलग ही दोनों समान आवेशों के अगर यह तनाव से पहले से धन आवेश तो क्या होगा इनके बीच की दूरी बढ़ जाएगी इससे में पता चल जाता है कि धातु पर हमारा धन आवेश है अगर इनके बीच की दूरी घट जाएगी तो इससे पता चल जाता है किसके बीच में जो हमारा है वह इसी प्रकार जो है हमारा यह प्रदर्शनी कार्य करता है ठीक है जो हमारे इस प्रश्न का उत्तर दें धन्यवाद

विद्युत दर्शी का क्या कार्य है?

विद्युतदर्शी एक उपकरण है जिसका उपयोग पिंड में विद्युत आवेश की उपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। विद्युतदर्शी में इसके शीर्ष पर एक धातु की घुंडी होती है जो धातु की पत्तियों से जुड़ी एक संवाहक छड़ से जुड़ी होती है।

सरल विद्युत दर्शी क्या है?

Solution : यह एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से किसी आवेशित वस्तु पर आवेश की उपस्थिति एवं आवेश की प्रकति की जानकारी की जा सकती है। इससे हम विभवांतर भी नाप सकते है।

विद्युत दर्शी से किसकी पहचान की जाती है?

विद्युतदर्शी (electroscope in hindi) : विद्युत दर्शी एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से अज्ञात छड पर आवेश की प्रकृति का पता लगाया जाता है।

स्वर्ण पत्र विद्युत दर्शी क्या है?

स्वर्ण पत्र विद्युतदर्शी का कार्य बताइये (gold leaf electroscope in hindi) यह एक ऐसा उपकरण होता है जिसकी सहायता से किसी भी आवेशित वस्तु पर आवेश की उपस्थिति तथा आवेश की प्रकृति का पता लगाया जा सकता है। स्वर्णपत्र वैद्युतदर्शी की सहायता से विभवान्तर की माप भी की जा सकती है।