वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति के संबंध में सबसे प्राचीन सिद्धांत का नाम क्या है? - varn vyavastha kee utpatti ke sambandh mein sabase praacheen siddhaant ka naam kya hai?

वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति के संबंध में सबसे प्राचीन सिद्धांत का नाम क्या है? - varn vyavastha kee utpatti ke sambandh mein sabase praacheen siddhaant ka naam kya hai?

  • Home
    • Welcome to IMJ
    • Policy
    About Us
    • For Conference and Seminars Organizers
    • For Universities and Societies
    • Post Your Journal with Us
    • Plagiarism Check Services
    • DOI
    Services
  • Journals List
  • Indexing/Impact Factor
    • Author Guidelines
    • Review Process
    • Reviewer Guidelines
    • Service Charges
    Guidelines
    • Register as Editor
    • Register as Author
    • Register as Reviewer
    Register With Us
  • Contact Us

Published in Journal

Year: Dec, 2018
Volume: 15 / Issue: 12
Pages: 158 - 164 (7)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: http://ignited.in/a/58529
Published On: Dec, 2018

Article Details

प्राचीन भारत में वर्ण व्यवस्था के आधार पर विस्तृत अध्ययन | Original Article


वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति के सम्बन्ध में सबसे प्राचीन सिद्धांत का नाम क्या है?

प्राचीन भारतीय साहित्य में वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति सम्बन्धी विविध उल्लेख प्राप्त होते हैं । इनमें सर्वप्रथम इसे दैवी व्यवस्था मानने का सिद्धान्त है जिसका प्रतिपादन ऋग्वेद, महाभारत, गीता आदि में मिलता है ।

वर्ण व्यवस्था उत्पत्ति का मुख्य सिद्धांत क्या है?

वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति का कर्म सिद्धान्त कर्म के सिद्धान्त से वर्ण की उत्पत्ति से तात्पर्य यह है कि व्यक्ति जैसा कर्म करेगा उसे वैसा ही फल अर्थात वर्ण मिलेगा। कहने का तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति जितना अधिक सद्कर्म करेगा, उसे उतना ही अच्छा वर्ण अगले जन्म में मिलेगा।

वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति का आधार क्या है?

प्राचीन धर्मशास्त्रों में वर्णों की उत्पत्ति ईश्वरकृत एवं दैवी मानी गई। इसे परम्परागत सिद्धान्त भी कहा गया। इस सिद्धान्त के अनुसार वर्णों की उत्पत्ति ईश्वरकृत है।। ऋग्वेद के दशम् मण्डल के पुरुषसूक्त में वर्ण सम्बन्धी वर्णों की उत्पत्ति विराट पुरुष से हुई।

वर्ण व्यवस्था का सर्वप्रथम उल्लेख कहाँ मिलता है?

सर्वप्रथम सिन्धु घाटी सभ्यता में समाज व्यवसाय के आधार पर विभिन्न वर्गों में बांटा गया था जैसे पुरोहित, व्यापारी, अधिकारी, शिल्पकार, जुलाहा और श्रमिक। वर्ण व्यवस्था का प्रारम्भिक रूप ऋग्वेद के पुरुषसूक्त में मिलता है। इसमें 4 वर्ण ब्राह्मण, राजन्य या क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र का उल्लेख किया गया है।