उप राष्ट्रपति को पद से हटाने का प्रस्ताव कौन पारित कर सकता है? - up raashtrapati ko pad se hataane ka prastaav kaun paarit kar sakata hai?

उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव किस सदन में पेश किया जाता है?...


उप राष्ट्रपति को पद से हटाने का प्रस्ताव कौन पारित कर सकता है? - up raashtrapati ko pad se hataane ka prastaav kaun paarit kar sakata hai?

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

भारत में उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए राज्यसभा राज्यसभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत का संकल्प पेश करके राज्यसभा में पेश कर उन्हें हटाया जा सकता है और उस संकल्प को लोकसभा की सहमति भी प्राप्त होनी चाहिए

Romanized Version

उप राष्ट्रपति को पद से हटाने का प्रस्ताव कौन पारित कर सकता है? - up raashtrapati ko pad se hataane ka prastaav kaun paarit kar sakata hai?

2 जवाब

Related Searches:

uprashtrapati ko hatane ka prastav kis sadan mein laya ja sakta hai ; उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव ;

This Question Also Answers:

  • उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव किस में पेश किया जाता है - uprashtrapati ko hatane ka prastaav kis me pesh kiya jata hai

Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App!

1. उपराष्ट्रपति का पद

भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा उच्चतम संवैधानिक पद है। उनका कार्यकाल पांच वर्ष की अवधि का होता है। लेकिन वह इस अवधि के समाप्त हो जाने पर भी अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक, पद पर बने रह सकते हैं।

संविधान इस बात पर मौन है कि भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले जब उनका पद रिक्त हो जाता है या जब उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, तब उपराष्ट्रपति के कर्तव्यों का पालन कौन करता है। संविधान में एकमात्र उपबंध राज्य सभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति के ऐसे कृत्य से संबंधित है जिसका निर्वहन; ऐसी रिक्ति की अवधि के दौरान, राज्य सभा के उप सभापति द्वारा या भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्राधिकृत किए गए राज्य सभा के किसी अन्य सदस्य द्वारा किया जाता है।

उपराष्ट्रपति द्वारा अपने पद का त्याग भारत के राष्ट्रपति को अपना त्याग पत्र देकर किया जा सकता है। त्याग पत्र उस तारीख से प्रभावी हो जाता है जिससे उसे स्वीकार किया जाता है।

उपराष्ट्रपति को राज्य सभा के एक ऐसे संकल्प द्वारा पद से हटाया जा सकता है, जिसे राज्य सभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत ने पारित किया हो और जिससे लोक सभा सहमत हो। इस प्रयोजनार्थ संकल्प को केवल तभी उपस्थित किया जा सकता है जबकि इस आशय की सूचना कम से कम 14 दिन पहले दी गई हो।

2. राज्य सभा के सभापति (पदेन)* के रूप में उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है और वह लाभ का कोई अन्य पद धारण नहीं करता है। जिस किसी ऐसी अवधि के दौरान उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करता है, उस अवधि के दौरान वह राज्य सभा के सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन नहीं करता है और वह राज्य सभा के सभापति को संदेय किसी वेतन या भत्ते का हकदार नहीं होता।

3.कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में उपराष्ट्रपति:

उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग, या बर्खास्तगी या अन्य कारणों से हुई राष्ट्रपति के पद की नैमित्तिक रिक्ति की स्थिति में नए राष्ट्रपति का यथाशीघ्र निर्वाचन होने तक, जो किसी भी स्थिति में रिक्ति होने की तारीख से छह माह के बाद नहीं होगा, राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है। जब राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य किसी कारण से अपने कृत्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हो, तब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति द्वारा अपना कार्यभार पुन: ग्रहण करने तक उसके कृत्यों का निर्वहन करता है। इस अवधि के दौरान, उप-राष्ट्रपति को राष्ट्रपति की सभी शक्तियां, उन्मुक्तियां और विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं और वह राष्ट्रपति को संदेय परिलब्धियां तथा भत्ते प्राप्त करता है।

*इन मूल पाठों में लैंगिक आधार पर सही अभिव्यक्ति के लिए “चेयर परसन” शब्द का इस्तेमाल किया गया है। तथापि सांविधिक उपबन्धों में “चेयरमैन” शब्द का इस्तेमाल किया गया है।

उपराष्ट्रपति

अनुच्छेद - 63 भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।

उपराष्ट्रपति बनने की योग्यता

उसमें राज्य सभा सदस्य बनने जैसी योग्यता हो।

उपराष्ट्रपति की शपथ - राष्ट्रपति के समक्ष(69 अनुच्छेद के अनुसार)।

कार्यकाल - सामान्यतय 5 वर्ष(अनुच्छेद 66 के अनुसार)।

त्यागपत्र - राष्ट्रापति को देता है।

उपराष्ट्रपति को अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया जाता है इसकी सबसे पहले कार्यवाही राज्य सभा में होती है। 14 दिन की पूर्व सूचना के आधार पर राज्य सभा अपने दो तिहाई बहुमत से जिसे लोकसभा सहमत हो उपराष्ट्रपति को हटाया जा सकता है।

नोट - कार्यवाहक राष्ट्रपति को महावियोग द्वारा हटाया जाता है।

अनुच्छेद - 64 उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है।

अनुच्छेद - 65 राष्ट्रपति की आकस्मिक रिक्तिता को उपराष्ट्रपति के द्वारा पूरा करना।

उपराष्ट्रपति की शक्तियां

  1. राज्य सभा का पदेन सभापति होता है।
  2. राष्ट्रपति की आकस्मिक रिक्तिता की पूर्ति करता है।

नोट - कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का प्रावधान संविधान में नहीं है।

भारत का पहला उपराष्ट्रपति - सर्वपल्ली राधाकृष्णन

वर्तमान उपराष्ट्रपति - श्री हांमिद असारी

दोनो लगातार दो बार उपराष्ट्रपति बने है।

के. कृष्णकान्त एक मात्र उपराष्ट्रपति जिनकी पद पर रहते मृत्यु हुई।

क्रम की दृष्टि से 14 उपराष्ट्रपति तथा व्यक्ति की दृष्टि से 12 उपराष्ट्रपति बने है।

Start Quiz!

उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का प्रस्ताव कौन पारित कर सकता है?

सही उत्तर संसद है। राज्यसभा बस बहुमत से प्रस्ताव पारित कर सकती है और लोकसभा इसे पारित कर सकती है।

उपराष्ट्रपति को उनके पद से कैसे हटाया जा सकता है?

उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति से हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, पदावधि की समाप्ति से पहले ही पूर्ण कर लिया जाता है। यदि रिक्ति मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से होती है, तब उस रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, रिक्ति होने के पश्चात् यथाशीघ्र किया जाता है।

भारत के उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया कौन शुरू कर सकता है?

सही उत्तर राज्यसभा है।

राष्ट्रपति को अपने पद से कौन हटा सकता है?

भारत के राष्ट्रपति को हटाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव पारित किया जाता है। महाभियोग एक अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 61 राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रियाओं से संबंधित है। राष्ट्रपति के महाभियोग का एकमात्र आधार "संविधान का उल्लंघन" है।