बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई ईदगाह कहानी में ऐसा क्यों कहा गया है? - budhiya ameena baalika ameena ban gaee eedagaah kahaanee mein aisa kyon kaha gaya hai?

‘बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गयी ‘ ऐसा क्यों कहा गया ह

बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई ईदगाह कहानी में ऐसा क्यों कहा गया है? - budhiya ameena baalika ameena ban gaee eedagaah kahaanee mein aisa kyon kaha gaya hai?

| ‘बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गयी ‘ ऐसा क्यों कहा गया है?

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मेले या तीज-त्योहार के अवसर पर बालक-बालिकाएँ खिलौने अथवा उपहार को अभिलाषा रखते हैं| खिलौनों का आकर्षण बालकों तक ही सीमित है|हामिद ने अपने लिए कोई खिलौना नहीं लिया है अपितु वह अपनी दादी अमीना के लिए लोहे का चिमटा लाया था| हामिद ने विषम परिस्थितियों में अपनी उम्र से अधिक जिम्मेदारी का निर्वाह किया है|अमीना को इसकी बहुत आवश्यकता थी| इसे पाकर जहाँ उसको इस बात की प्रसन्नता है कि उसके पौत्र में कितनी त्याग भावना है|उसके प्रति कितना सद्भाव है, वह कितना विवेकी है, अमीना चिमटा पाकर बालक के समान ही प्रसन्न हो रही थी| इसी आधार पर लेखक ने यह कहा है कि ‘बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गयी|’

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बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई ऐसा क्यों कहा गया है?

इस पाठ्यपुस्तक में उनकी ईदगाह कहानी दी गई है ।

ईदगाह कहानी का मुख्य उद्देश्य क्या है?

ईदगाह हामिद नाम के एक चार साल के अनाथ की कहानी है जो अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। कहानी के नायक हामिद ने हाल ही में अपने माता-पिता को खो दिया है; हालाँकि उसकी दादी उसे बताती है कि उसके पिता पैसे कमाने के लिए चले गए हैं, और उसकी माँ उसके लिए सुंदर उपहार लाने के लिए अल्लाह के पास गई है।

अमीना का दिल क्यों काट रहा था?

अमीना का दिल कचोट रहा है। गाँव के बच्चे अपने—अपने बाप के साथ जा रहे हैं। हामिद का बाप अमीना के सिवा और कौन है! उसे कैसे अकेले मेले जाने दे?

ईदगाह कहानी में अमीना कौन थी?

अब हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना की गोद में सोता है और उतना ही प्रसन्न है. उसके अब्बाजान रुपये कमाने गए हैं. बहुत-सी थैलियाँ लेकर आएँगे. अम्मीजान अल्लाहमियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी-अच्छी चीजें लाने गई है, इसलिए हामिद प्रसन्न है.