उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पद से कैसे हटाया जा सकता है लिखिए? - uchch nyaayaalay ke nyaayaadheeshon ko pad se kaise hataaya ja sakata hai likhie?

उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश को हटाने की क्या प्रक्रिया है?

उच्चतम न्यायालय (SC) के न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है. S.C. के मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति, S.C. के अन्य न्यायधीशों एवं उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों की सलाह के बाद करता है. राष्ट्रपति के आदेश द्वारा ही उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश को पद से हटाया जा सकता है हालाँकि न्यायधीश को हटाने की प्रक्रिया संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित करायी जाती है.

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Supreme Court of India

भारतीय संविधान के भाग V में अनुच्छेद 124 से 147 तक उच्चतम न्यायालय के गठन, स्वतंत्रता, न्यायक्षेत्र, शक्तियों और प्रक्रिया आदि का उल्लेख है. उच्चतम न्यायालय के न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है. उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायधीशों एवं उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों की सलाह के बाद करता है.
इस समय उच्चतम न्यायालय में 23 न्यायधीश (एक मुख्य न्यायधीश और 22 अन्य न्यायधीश) हैं. इस संख्या में यह बढ़ोत्तरी केंद्र सरकार ने फ़रवरी 2008 में की थी. इस बढ़ोत्तरी से पहले उच्चतम न्यायालय में न्यायधीशों की संख्या 26 थी. उच्चतम न्यायालय में जजों की अधिकत्तम संख्या 31 (एक मुख्य न्यायधीश और 30 अन्य न्यायधीश) हो सकती है.
आइये अब जानते हैं कि उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश को कैसे हटाया जाता है?
न्यायधीश जाँच अधिनियम (1968), सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश को हटाने के समबन्ध में पूरी प्रक्रिया का वर्णन किया गया है.

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पद से कैसे हटाया जा सकता है लिखिए? - uchch nyaayaalay ke nyaayaadheeshon ko pad se kaise hataaya ja sakata hai likhie?

1. जज को हटाने की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए सबसे पहले संसद सदस्यों को निष्कासन  प्रस्ताव को (यदि प्रस्ताव लोक सभा में लाया जाता है तो 100 सदस्यों द्वारा और यदि राज्य सभा द्वारा लाया जाता है तो 50 सदस्यों) हस्ताक्षर के बाद लोकसभा अध्यक्ष /सभापति को सौंपा जाता है.

2. अध्यक्ष /सभापति इस निष्कासन प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार भी कर सकते हैं.

3. यदि इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है तो अध्यक्ष /सभापति को प्रस्ताव में लगाये गए आरोपों की जाँच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन करना पड़ता है.

4. इस समिति में ये लोग शामिल होते हैं;

a. सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायधीश या कोई वरिष्ठ न्यायधीश

b. किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायधीश

c. प्रतिष्ठित कानून विशेषज्ञ

5. समिति, न्यायधीश के दुर्व्यवहार या कदाचार की जाँच करके अपनी रिपोर्ट को सदन को भेज देती है.

6. निष्कासन प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों का विशेष बहुमत (यानि कि सदन की कुल सदस्यता का बहुमत तथा सदन के उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों का दो तिहाई) से पास किया जाना  चाहिए.

7. विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है.

8. अंत में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद न्यायाधीश को पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया जाता है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करने की तिथि से न्यायाधीश को अपदस्थ मान लिया जाता है.

यहाँ पर यह बताना रोचक है कि अभी तक उच्चतम न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग नही लगाया गया है. महाभियोग का पहला मामला उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश वी. रामास्वामी का है. जाँच समिति ने उन्हें दोषी पाया था लेकिन संसद में प्रस्ताव पारित नही हो सका था.

वर्तमान में कांग्रेस पार्टी, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए पार्टी जरूरी संसद सदस्यों के हस्ताक्षर जुटाने का प्रयास कर रही है.निष्काशन प्रस्ताव को किसी भी सदन में लाया जा सकता है.

उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय में क्या अंतर होता है

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उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को कैसे हटाया जा सकता है?

अनुच्छेद 124 के भाग 4 में ये प्रावधान है कि देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को सिर्फ संसद ही उसके पद से हटा सकती है। लेकिन इसके लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाना जरूरी है। महाभियोग के जरिये न्यायाधीशों को हटाए जाने की प्रक्रिया का निर्धारण जजेज इन्क्वायरी एक्ट 1968 द्वारा किया जाता है।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया क्या है?

उच्चतम न्यायालय (और उच्च न्यायालय) के एक न्यायाधीश को राष्ट्रपति द्वारा उनके पद से हटाए गए दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर ही हटाया जा सकता है। इस तरह के दुर्व्यवहार या अक्षमता की जांच और सबूत के लिए शक्ति संसद में निहित है।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पद से कैसे हटाया जा सकता है बताइए?

संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित प्रस्ताव के आधार पर राष्ट्रपति ही उन्हें हटा सकते हैं. संविधान में उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को हटाने की बेहद जटिल प्रक्रिया है. इन अदालतों के न्यायाधीशों को सिर्फ साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर ही हटाया जा सकता है.

भारत में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को कौन हटा सकता है?

न्यायाधीशों को अपदस्थ करना राष्ट्रपति के आदेश से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को पद से हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति उसे हटाने का आदेश तभी जारी कर सकता है, जब इस प्रकार हटाए जाने हेतु संसद द्वारा उसी सत्र में ऐसा संबोधन किया गया हो।