आइन्सटाइन के अनुसार, द्रव्यमान तथा ऊर्जा पृथक्-पृथक् अस्तित्व वाली भौतिक राशियाँ नहीं हैं, बल्कि एक ही राशि के दो रूप हैं। द्रव्यमान को ऊर्जा में तथा ऊर्जा को द्रव्यमान में बदला जा सकता है। द्रव्यमान तथा ऊर्जा के बीच तुल्य सम्बन्ध, E = mc2, जहाँ E ऊर्जा तथा m द्रव्यमान हैं। इसके अनुसार यदि ऊर्जा E विलुप्त हो जाए, तो द्रव्यमान m बढ़ जाता है और यदि द्रव्यमान m नष्ट हो जाए तो इसके समतुल्य ऊर्जा E उत्पन्न होती है। Show उदाहरण–सूर्य पर चल रही नाभिकीय संलयन की क्रियाओं में सूर्य का द्रव्यमान निरन्तर ऊर्जा में परिवर्तित हो रहा है। फीचर डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नवनीत राठौर Updated Sun, 27 Sep 2020 05:25 PM IST गणित और विज्ञान के इतिहास में E=mc2 एक बहुत ही लोकप्रिय और चर्चित इक्वेशन है। 27 सितंबर 1905 को महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का रिसर्च पेपर “क्या किसी इकाई की जड़ता उसके ऊर्जा कंटेंट पर निर्भर करती है?” दुनिया की मशहूर विज्ञान पत्रिका 'एनालेन डे फिजीक' में प्रकाशित हुई थी। रिसर्च पेपर के माध्यम से इस सूत्र का उद्घाटन हुआ, जिसमें ऊर्जा और द्रव्यमान के संबंध को समझाया गया और उसी समय से यह सूत्र इतिहास बन गया। कपड़ों, फिल्मों और पोस्टरों समेत कई जगहों पर यह सूत्र दिख जाता है। ब्रह्मांड में कई चीजों की गति से जुड़े इस सूत्र को विशेष सापेक्षता के सिद्धांत के तौर पर भी समझा जाता रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया के सबसे अधिक चौंकाने वाला अविष्कार 'एटम बम' तक इसी सूत्र की उंगली पकड़कर बना। तो आइए जानते हैं इस सूत्र के बारे में विस्तार से... क्या है E=mc2 का मतलब? हालांकि, इस सूत्र पर सवाल उस समय खड़ा हुआ था कि द्रव्यमान से कितनी ऊर्जा रूपांतरित होगी और यह होगी भी या नहीं। ऐसे में आइंस्टीन खुद ही अपने थ्योरी को सिद्ध नहीं कर सके थे। लेकिन समय के साथ-साथ इस थ्योरी पर शोध और प्रयोग होते गए और 21वीं सदी में वैज्ञानिकों ने इस सूत्र के सिद्ध होने का दावा किया। आइंस्टीन के थ्योरी देने के करीब 113 साल बाद फ्रेंच, जर्मन और हंगरी के वैज्ञानिकों ने साल 2018 में पुष्टि की थी कि प्रयोगों में यह सूत्र प्रामाणिक सिद्ध हुआ। लेकिन सिद्ध होने से पहले ही इस सूत्र का उपयोग कई आविष्कारों में हो चुका था। आइंस्टीन की यह थ्योरी जैसे ही चर्चित हुई, तो कुछ ही समय के बाद अमेरिका के न्यूक्लियर पावर स्टेशनों में इस विचार को अमल में लाने की कोशिशें शुरू हुईं। रिएक्टरों के भीतर सबएटॉमिक कणों यानी न्यूट्रॉन्स के साथ यूरेनियम के परमाणुओं के संघटन संबंधी प्रयोग हुए। अणुओं के विखंडन वाले इस प्रयोग से खासी ऊर्जा रिलीज होना पाया गया। ऐसे में इस सूत्र ने एटम बम बनाने में मदद की। फोटान का संवेग = E/c डिब्बे का संवेग = Mv संवेग की अविनाशिता के नियम के अनुसार फोटान का संवेग तथा डिब्बे का संवेग समान होगा। 1) Mv=E/c फोटान द्वारा डिब्बे को पार करने मे लगने वाला समय 2 ) t=L/c डिब्बे द्वारा तय की गयी दूरी 3) x=vt इस समीकरण 3 मे समीकरण 1 और 2 का मूल्य रखने पर x=[E/(Mc)](L/c) कुछ समय पश्चात फोटान उसी डिब्बे के दूसरे हिस्से से टकराता है, जिससे उसका संवेग डिब्बे में स्थानांतरित हो जाता है। इस प्रयोग मे पूरे तंत्र का संवेग संरक्षित रहता है, जिससे अब डिब्बे की गति बंद हो जाती है। अब एक समस्या है, इस प्रणाली में कोई बाह्य बल कार्य नहीं कर रहा है, जिससे द्रव्यमान-केंद्र(Center of Gravity) को स्थिर रहना होगा। लेकिन डिब्बे में गति हुयी है। डिब्बे में हुयी गति की पूर्ती द्रव्यमान-केंद्र स्थिर रख कर कैसे होगी? आइन्स्टाइन ने स्पष्ट विरोधाभाष के समाधान के लिए प्रस्तावित किया कि फोटान ऊर्जा का कोई ‘द्रव्यमान समकक्ष‘ होना चाहीये| दूसरे शब्दों में फोटान की ऊर्जा , डिब्बे में द्रव्यमान के बाएं से दायें गति के तुल्य होना चाहिए। साथ में यह द्रव्यमान इतना होना चाहीये कि पूरे तंत्र का द्रव्यमान-केंद्र स्थायी रहेगा। डिब्बे का द्रव्यमान केन्द्र स्थायी रखने के लिये 4) Mx=mL (m :फोटान का द्रव्यमान) समीकरण 4 मे समीकरण 3 द्वारा x का मूल्य रखने पर 5) M [E/(Mc)](L/c)=mL द्रव्यमान और ऊर्जा की तुल्यता क्या है यह साबित करें कि E mc2 in Hindi?Solution : द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध : यदि द्रव्यमान m को ऊर्जा में परिवर्तन किया जाये, तो प्राप्त ऊर्जा E का मान आइंस्टीन के निम्न सम्बन्ध से दिया जाता है : `E=mc^(2)` <br> जहाँ c प्रकाश की निविर्त में चाल है।
द्रव्यमान ऊर्जा समतुल्य से आप क्या समझते हैं?वस्तु की ऊर्जा उसके द्रव्यमान और संवेग में ही स्टोर होती है। जैसे आप किसी बॉल को ऊपर करते है, तो को ऊर्जा उसमे जमा हो रही, वो इसका द्रव्यमान बढ़ाती है। E= mc2 के अनुसार लेकिन द्रव्यमान बहुत कम ही बढ़ता है। यह प्रक्रिया लगातार हो रही है।
द्रव्यमान और ऊर्जा से क्या संबंध है?आइन्सटीन ने यह सिद्ध किया कि द्रव्यमान तथा ऊर्जा एक दूसरे से सम्बन्धित हैं तथा प्रत्येक पदार्थ में उसके द्रव्यमान के कारण भी ऊर्जा होती है। E = ( 10-³ किग्रा) x (3 x 10⁸ मीटर/सेकण्ड)² = 9 × 10¹³ जूल। अर्थात् 1 ग्राम द्रव्यमान, 9 × 10¹³ जूल ऊर्जा के तुल्य है।
mc2 के बराबर क्या है?ई = एमसी 2 । यह दुनिया का सबसे प्रसिद्ध समीकरण है, लेकिन इसका वास्तव में क्या मतलब है? " ऊर्जा, प्रकाश वर्ग की गति के द्रव्यमान गुणा के बराबर होती है ।" सबसे बुनियादी स्तर पर, समीकरण कहता है कि ऊर्जा और द्रव्यमान (पदार्थ) विनिमेय हैं; वे एक ही वस्तु के भिन्न-भिन्न रूप हैं।
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