विषयसूची भारत में कौन से राज्य खाद्य सुरक्षा से अधिक ग्रस्त है?इसे सुनेंरोकेंवास्तव में, उत्तर प्रदेश (पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी हिस्से), बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ भागों में खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित लोगों की सर्वाधिक संख्या है। नगरीय क्षेत्रों में अनियमित श्रम के कारण होती है। खाद्य संरक्षण आयोग के वर्तमान अध्यक्ष कौन है?इसे सुनेंरोकेंआयोग के अध्यक्ष भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी [ श्री राजकिशोर स्वाई होंगे ]। 2 कौन लोग खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते हैं?`? इसे सुनेंरोकेंनिम्न लोग खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते हैं : अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति व कुछ अन्य पिछड़े वर्ग के लोग जो भूमिहीन है अथवा थोड़ी बहुत कृषि भूमि पर निर्भर है। २ पारंपारिक सेवाएं प्रदान करने वाले लोग, अपना काम करने वाले कामगार, भिखारी इत्यादि वर्गों के लोग।
इसे सुनेंरोकेंभारत में खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त राज्य उत्तर प्रदेश (पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी हिस्से), बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ भाग हैं। भारत में कौन लोग खाद्य सुरक्षा से ग्रसित है?इसे सुनेंरोकेंएससी, एसटी, ओबीसी, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों, महिलाओं (गर्भवती और नर्सिंग माताओं) और भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चे अभी भी खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त हैं । भारत में खाद्य सुरक्षा क्यों?इसे सुनेंरोकें(i) जीवन का आधार-भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है। साथ ही जन्म-दर भी ऊँची है। अतः लोगों के भरण-पोषण के लिए एवं उन्हें कुपोषण से बचाने के लिए खाद्यान्न सुरक्षा आवश्यक है। (ii) मानसून पर निर्भरता-भारत में अधिकांश फसलें सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर हैं। खाद्य सुरक्षा से ग्रसित कौन होते हैं? खाद्य सुरक्षा क्या है परिभाषा?इसे सुनेंरोकेंखाद्य सुरक्षा (food security) से तात्पर्य खाद्य पदार्थों की सुनिश्चित आपूर्ति एवं जनसामान्य के लिये भोज्य पदार्थों की उपलब्धता से है। पूरे इतिहास में खाद्य सुरक्षा सदा से एक चिन्ता का विषय रहा है। सन १९७४ में विश्व खाद्य सम्मेलन में ‘खाद्य सुरक्षा’ की परिभाषा दी गयी जिसमें खाद्य आपूर्ति पर बल दिया गया। पाठ-4. भारत में खाद्य सुरक्षा अभ्यास : प्रश्न 1: भारत में खाघ सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है ? उत्तर: भारत में खाघ सुरक्षा का सुनिशिचत बफर स्टॉक और सार्वजानिक वितरण प्रणाली द्वारा किया जाता है | प्रश्न 2: कौन लोग खाघ असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते है ? उत्तर: भूमिहीन लोग, परम्परागत कारीगर, परम्परागत सेवाएँ प्रदात करने वाले जैसे – नाई, बढ़ई, धोबी आदि लोग खाघ असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते है | प्रश्न 3: भारत में कौन-कौन से राज्य खाध्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हैं | उत्तर : भारत में आर्थिक रूप से पिछड़े राज्य खाध्य असुरक्षा से ग्रसित हैं | जैसे - उत्तर प्रदेश (पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी हिस्से), बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ भागों में खाद्य की दृष्टि
से प्रश्न 4: क्या आप मानते हैं कि हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया है ? कैसे ? उत्तर : हाँ, हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया है | आज हम आजादी के बाद से इस क्षेत्र में काफी विकास किया है | भारत ने कृषि में एक नयी रणनीति अपनाई, जिसकी परिणति हरित क्रांति में हुई, विशेषकर गेहूँ और चावल के उत्पादन में। पंजाब और हरियाणा ने गेंहूँ और चावल के उत्पादन में रिकार्ड बनाया, वाही तमिलनाडु और आन्ध्र प्रदेश ने चावल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की | अन्य राज्यों जैसे बिहार, माध्य-प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और पूर्वोत्तर के राज्यों ने भी आत्मनिर्भर बनने में काफी योगदान दिया | प्रश्न 5: भारत में लोगों का एक वर्ग अब भी खाध्य से वंचित है ? व्याख्या कीजिए | उत्तर : भारत में निम्नलिखित वर्ग अभी भी खाध्य से वंचित है : (i) भूमिहीन जो थोड़ी बहुत अथवा नगण्य भूमि पर निर्भर हैं, (ii) पारंपरिक दस्तकार, (iii) पारंपरिक सेवाएँ प्रदान करने वाले लोग, (iv) अपना छोटा-मोटा काम करने वाले कामगार और (v) निराश्रित तथा भिखारी। प्रश्न 6: आपदा खाद्य आपूर्ति को कैसे प्रभावित करती है ? Or प्रश्न 6: जब कोई आपदा आती है तो खाद्य पूर्ति पर क्या प्रभाव होता है ? उत्तर: प्राकृतिक आपदा में खाघ सुरक्षा मीमं प्रकार से प्रभावित होता है :- (i) खाघान्नो की कुल उत्पादन कम को जाता है | (ii) प्रभावित क्षेत्र में खाघान्न में कमी हो जाती है | (iii) किमतो में वृद्धि हो जाती है | (iv) यदि आपदा लंबे समय तक रहता है तो भुखमरी कि स्थिति उत्पन्न हो सकते है | प्रश्न 7: मौसमी भुखमरी तथा दीर्धकालिक भुखमरी में अंतर स्पष्ट कीजिए ? उत्तर: मौसमी भुखमरी: (i) यह कृषि उत्पादन में आई गिरावट से उत्पन्न होता है | (ii) पुरे साल काम न मिलने से उत्पन्न होता है | (iii) बाढ़, सुखा जैसे आपदाओ से उत्पन्न होता है | दीर्धकालिक भुखमरी : (i) हमेशा से कम आय हो तो उस प्रकार कि भुखमरी लगातार बने रहते हैं | (ii) वे खाघान्न खरीदने ने असमर्थ होता है | (iii) ऐसी भुखमरी अपयार्प्त खुराख से उत्पन्न होता है | प्रश्न 8: गरीबों को खाध्य सुरक्षा देने के लिए सरकार ने क्या किया ? सरकार की ओर से शुरू की गई किन्ही दो योजनाओं की चर्चा कीजिए | उत्तर: (i) संशोधित सार्वजानिक वितरण प्रणाली :- इस प्रणाली का आरंभ 1992 में देश के 1700 ब्लाको में किया गया | इसका लक्ष्य दूर दराज के और सभी पिछडो क्षेत्रो में में सार्वजानिक वितरण प्रणाली का लाभ पहुँचने | जून 1997 में सभी क्षेत्रो में गरीब कि लक्षित करने के लिए सिध्दान्त अपनाने के लिए लक्षित सार्वजानिक वितरण प्रणाली प्रांरभ कि गई | (ii) अंत्योदय अन्न योजना :- यहब योजना गरीब में भी सर्व्जधिक गरीब के लिए शुरू कि गई | इस योजना का संचालन सार्वजानिक वितरण प्रणाली के वर्तमान नेटवर्क से जोड़ दिया गया | इस योजना के अंर्तगत निर्धनों को 35 किलोग्राम ख्धान्न मिलता है | प्रश्न 9: सरकार बफ़र स्टॉक क्यों बनाती है ? प्रश्न 10: टिप्पणी लिखें : (ख) बफ़र स्टॉक (ग) निर्गम कीमत (घ) उचित दर की दुकान उत्तर : (क) न्यूनतम समर्थित मूल्य : किसानों को उनकी फसल के लिए पहले ही से उनकी अनाजों के लिए सरकार कीमत घोषित कर देती है | इसी मूल्य को न्यूनतम समर्थित मूल्य कहा जाता है | (ख) बफ़र स्टॉक : सरकार भारतीय खाध्य निगम के माध्यम से किसानों से अनाज खरीदकर खाध्य भंडारों में भंडारित कर लेती है | इसे ही बफ़र स्टॉक कहा जाता है | (ग) निर्गम कीमत : अनाज की कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के गरीब वर्गों में बाजार कीमत से भी काफी कम कीमत पर सरकार अनाज वितरण करवाती है | इसी कीमत को निर्गत कीमत कहा जाता है | (घ) उचित दर की दुकान : सार्वजानिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत देश के सभी क्षेत्रों, गांवों, कस्बों और शहरों में राशन की दुकानें संचालित की जाती है | इन्ही दुकानों को उचित दर की दुकान कहा जाता है | प्रश्न 11: राशन कि दुकानों के संचालन में क्या समस्याएँ है ? उत्तर: राशन कि दुकानों के संचालन में निम्न समस्याएँ है :- (i) राशन की दुकानों को प्रत्येंक लेन देन का लेखा जोखा रखना पड़ता है | (ii) राशन कि दुकानों पर उपभोक्ताओं का हर बात ख्याल रखना पड़ता है | (iii) राशन की दुकानों उपभोक्ता की शिकायत की पुष्टि होने पर लाइसेंसे रद्द भी हो सकता है | प्रश्न 12: खाद्य और संबंधित वस्तुओं को उपलब्ध कराने में सहकारी समितियों कि भूमिका वर्णन करे ? उतर: खाघ और संबंधित वस्तुओं को उपलब्ध कराने में सहकारी समितियों कि भूमिका निम्न है :- (i) सहकारी समितियाँ निर्धन लोगो को खाघ्न्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकाने होलती है | (ii) समज के विभिन्न वर्गो के लिए खाघ सुरक्षा सुनिश्चित करती अहि | (iii) अनाज बैकों कि स्थापना के लिए गैर- सरकारी सगठनों के नेटवर्क में सहायता करती है | (iv) ये सरकारी दुवारा नियंत्रित मूल्य पर खाघ ( दूध और सब्जी ) उपलब्ध कराती है | जैसे- मदर डेयरी तथा सफल आदि | |