समान्तर क्रम संयोजन के लिए गणितीय व्यंजक को व्युत्पन्न करना : उभयनिष्ठ V पद को निरस्त करने पर, हम पाते हैं कि प्रतिरोधों के समान्तर क्रम संयोजन में तुल्य प्रतिरोध प्रत्येक अलग-अलग प्रतिरोध में से प्रत्येक से छोटा होता है। समान्तर क्रम संयोजन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण परिणाम : (i) परिपथ से बहने वाली कुल धारा इससे गुजरने वाली अलग-अलग धाराओं के योग के बराबर होती हैं। (ii) प्रतिरोधों के समान्तर क्रम संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध पर विभवान्तर समान होता है और यह आरोपित विभव के बराबर होता है। i.e. V1 = V2 = V3 = V : (iii) प्रत्येक प्रतिरोध से गुजरने वाली धारा उसके प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है। इस प्रकार एक प्रतिरोध का प्रतिरोध जितना अधिक होता है, तो उससे बहने वाली धारा उतनी ही कम होगी। Show Download Old Sample Papers For Class X & XII चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। समतुल्य प्रतिरोध का सूत्र 1 बार बराबर वन बाय वन प्लस वन बाय टू प्लस वन y83 होता है samatulya pratirodh ka sutra 1 baar barabar van bye van plus van bye to plus van y83 hota hai समतुल्य प्रतिरोध का सूत्र 1 बार बराबर वन बाय वन प्लस वन बाय टू प्लस वन y83 होता है 5 Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App! उत्तर : प्रतिरोधों का श्रेणीक्रम में संयोजन (Resistances in Series)-जब भिन्न-भिन्न प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है तो परिणामी प्रतिरोध भिन्न-भिन्न प्रतिरोधों के जोड़ के बराबर होता है। जब चालकों को इस प्रकार जोड़ा जाए कि एक अंतिम सिरा दूसरे के पहले सिरे से तथा दूसरे का अंतिम सिरा तीसरे के पहले सिरे से तथा इसी प्रकार से ऐसे आयोजन को श्रेणीक्रम संयोजन कहते हैं, ऐसे आयोजन में सभी चालकों में से बहने वाली विद्युत् धारा का मान समान होता है। मान लो प्रतिरोध R1, R2 तथा R3 श्रेणीक्रम में जोड़े गए हैं तो उनका कुल प्रतिरोध निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है- R = R1 + R2 + R3 प्रतिरोधों का समांतर क्रम में संयोजन (Resistance in Parallel)-वह क्रम जिसमें सभी प्रतिरोधी के एक ओर के सिरे एक बिंदु तथा दूसरी ओर के सभी सिरे दूसरे बिंदु पर जुड़े होते हैं, इस प्रकार के आयोजन को समांतर क्रम आयोजन कहते हैं। मान लो यदि तीन चालक जिनके प्रतिरोध क्रमशः R1, R2, R3, हों, को समांतर क्रम में जोड़ा जाए तो उनका कुल प्रतिरोध R निम्नलिखित सूत्र दवारा प्रदर्शित किया जाता है- 1 1 1 1 __ = __ + __ = ___ R R1 R2 R3 अर्थात प्रतिरोधों को समांतर क्रम में जोड़ने से उनका परिणामी प्रतिरोध विभिन्न प्रतिरोधों के विपरीत क्रम के जोड़ के बराबर जाता है। प्रतिरोधों को समांतर क्रम में जोड़ने के किसी भी चालक में विद्युत धारा स्वतंत्रतापूर्वक भेजी अथवा रोकी जा सकती है। श्रेणी क्रम संयोजन में पहले प्रतिरोध का दूसरा सिरा, दूसरे प्रतिरोध के पहले सिरे से तथा दूसरे प्रतिरोध का दूसरा सिरा तीसरे प्रतिरोध के पहले सिरे से जोड़ देते हैं। और आगे भी प्रतिरोधों को इसी क्रम में जोड़ देते हैं। तो प्रतिरोध के इस संयोजन को श्रेणी क्रम संयोजन कहते हैं। माना तीन प्रतिरोध R1, R2 व R3 श्रेणी क्रम में जोड़े गये हैं। तो इनमें समान धारा i प्रवाहित होगी यदि इनके सिरों पर विभवांतर V1, V2 व V3 है। तो V1 = iR1, V2 = iR2 तथा V3 = iR3 अतः स्पष्ट है। कि तीन या अधिक प्रतिरोध श्रेणी क्रम में जोड़े हों तो उसका तुल्य प्रतिरोध तीनों प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है। प्रतिरोध के श्रेणी क्रम संयोजन में जुड़े सभी प्रतिरोध पर धारा का मान समान रहता है। प्रतिरोध का समांतर क्रम संयोजन :-समांतर क्रम संयोजन में सभी प्रतिरोध के एक सिरे को एक बिंदु A से जोड़ देते हैं। तथा सभी प्रतिरोध के दूसरे सिरे को दूसरे बिंदु B से जोड़ देते हैं। और आगे भी प्रतिरोधों को इसी क्रम में जोड़ते हैं। तो प्रतिरोध के इस संयोजन को समांतर क्रम संयोजन कहते हैं। माना तीन प्रतिरोध R1, R2 व R3 समांतर क्रम में जोड़े गये हैं। तो इन पर भी विभव की मात्रा समान होगी। जबकि इनकी विद्युत धाराएं i1, i2 व i3 होंगी। तो i1 = \large \frac{V}{R_1} , i2 = \large \frac{V}{R_2} तथा i3 = \large \frac{V}{R_3} अतः स्पष्ट है कि तीन या अधिक प्रतिरोध समांतर क्रम में जुड़े हैं। तो उनका तुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम, तीनों प्रतिरोध के अलग-अलग व्युत्क्रम के योग के बराबर होता है। प्रतिरोध के समांतर क्रम संयोजन में जुड़े सभी प्रतिरोध पर विभवांतर समान होता है। तुल्य प्रतिरोध का सूत्र क्या है?प्रतिरोध के प्रतिरोध को समांतर क्रम में संयोजित किया जाए तो समतुल्य प्रतिरोध R का मान निम्नलिखित सूत्र द्वारा दिया जाएगा। <br> `1/R=1/R_1+1/R_2+1/R_3`+…. <br> अर्थात, समतुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम अलग-अलग प्रतिरोधों के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है।
तुल्य प्रतिरोध क्या हैं?जब दो या अधिक प्रतिरोधों के टर्मिनल समान दो बिंदुओं से जुड़े होते हैं और उनपर विभवांतर बराबर होता है, तो समानांतर में प्रतिरोध कहलाता है।
समांतर क्रम का सूत्र क्या है?एक समांतर अनुक्रम में पहले n पदों का योग (n/2)⋅(a₁+aₙ) होता है। इसे समांतर श्रेणी का सूत्र कहा जाता है।
ए और बी के बीच तुल्य प्रतिरोध क्या है?=(8)/(3)Omega=2.66Omega` <br> अब बिन्दु A व B के बीच प्रतिरोध R. (=2.662`Omega`) तथा `2Omega` व `4Omega` प्रतिरोध परस्पर श्रेणीक्रम में जुड़े हैं, अत: A व B के बीच प्रभावी प्रतिरोध <br> `R=(2+4+2.66)Omega=8.66Omega`.
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