शाम एक किसान कविता का मुख्य भाव क्या है? - shaam ek kisaan kavita ka mukhy bhaav kya hai?

विषयसूची

  • 1 शाम किवता के किव कौन है?
  • 2 सूरज की चिलम खींचता हुआ कौन बैठा है?
  • 3 शाम एक किसान हमें क्या संदेश देती है?
  • 4 शाम एक किसान कविता में शाम होने के बाद क्या होता है?
  • 5 यासू़की चान का कौन सा अंग कमजोर था?
  • 6 शाम एक किसान कविता का मूल भाव क्या है?
  • 7 शाम होते ही दृश्य में क्या क्या परिवर्तन दिखाई देने लगते हैं शाम एक किसान कविता के आधार पर बताइए?
  • 8 शाम एक किसान कविता से हमें क्या संदेश मिल रहा हैं?

शाम किवता के किव कौन है?

इसे सुनेंरोकेंलिखिए। सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखित कविता में प्रकृति के शाम के समय बाँसों के झुरमुट में चिड़ियों की गतिविधियों का वर्णन है, जबकि कवि सर्वेश्वरदयाल सक्सेना द्वारा अपनी कविता ‘शाम-एक किसान’ के रूप में जाड़े की शाम के प्राकृतिक दृश्य का वर्णन अनुपम ढंग से किया है।

सूरज की चिलम खींचता हुआ कौन बैठा है?

इसे सुनेंरोकेंसिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा। भावार्थ- दूर स्थित पहाड़ आसमान की पगड़ी धारण किए हुए अपने हाथों में सूरज की चिलम पीता हुआ सा लगता है। दूसरे शब्दों में दूर से पहाड़ पगड़ी पहने एक किसान की तरह बैठे हुए चिलम पीता हुआ सा दिखाई देता है। पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी किसान के घुटनों पर रखी चादर की तरह दिखती है।

शाम किसका प्रतीक है?

इसे सुनेंरोकेंस्पष्टीकरण: ‘ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना’ द्वारा रचित कविता ‘शाम एक किसान’ में कवि ने चिलम औंधी होने को सूरज डूबने का प्रतीक बताया है।

शाम एक किसान हमें क्या संदेश देती है?

इसे सुनेंरोकेंमित्र! यह कविता हमें प्रकृति के महत्व को बनाए रखने का संदेश देती है।

शाम एक किसान कविता में शाम होने के बाद क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंइसके बाद यह दृश्य घटना में बदल जाता है – चिलम उलट जाती है, आग बुझ जाती है, धुआँ उठने लगता है, सूरज डूब जाता है, शाम ढल जाती है और रात का अँधेरा छा जाता है। 1. इस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया है – यह एक रूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है।

शाम एक किसान कविता का मुख्य भाव क्या है?

इसे सुनेंरोकेंशाम एक किसान पाठ सार – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने अपनी कविता ‘शाम-एक किसान’ में शाम के समय का बड़ा ही मनोहर वर्णन किया है। कवि वर्णन करता है कि शाम का प्राकृतिक दृश्य बहुत ही सुंदर है। इस दौरान पहाड़ एक किसान की तरह बैठा हुआ दिखाई दे रहा है। उसके सिर पर आसमान किसी साफ़े के समान बंधा हुआ प्रतीत हो रहा है।

यासू़की चान का कौन सा अंग कमजोर था?

इसे सुनेंरोकेंयासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के चढ़ नहीं पाया। इस पर तोत्तो-चान नीचे उतर आई और यासुकी-चान को पीछे से धकियाने लगी।

शाम एक किसान कविता का मूल भाव क्या है?

शाम एक किसान पाठ से आपने क्या सीखा?

इसे सुनेंरोकेंइस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया है-यह एक रूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है। उन्हें उपमा कहते हैं। पहली एकरूपता आकाश और साफ़े में दिखाते हुए कविता में ‘आकाश का साफ़ा’ वाक्यांश आया है।

शाम होते ही दृश्य में क्या क्या परिवर्तन दिखाई देने लगते हैं शाम एक किसान कविता के आधार पर बताइए?

इसे सुनेंरोकेंइस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया है-यह एकरूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है। उन्हें उपमा कहते हैं। पहली एकरूपता आकाश और साफ़े में दिखाते हुए कविता में ‘आकाश का साफ़ा’ वाक्यांश आया है।

शाम एक किसान कविता से हमें क्या संदेश मिल रहा हैं?

इसे सुनेंरोकेंसूर्यास्त होने को है। धरती के पूर्वी क्षितिज पर धीरे-धीरे अँधकार गहराने लगा है। धरती के पूर्वी छोर पर गहराता अँधकार किसी सिमटे हुए भेड़ों के झुण्ड सा दिखाई देता है। कहने का तात्पर्य यह है कि शाम के समय पहाड़ दिनभर से थके-हारे चिलम पीते किसी किसान की तरह अपनी थकावट उतारता सा प्रतीत होता है।

किसान शाम के समय क्या करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंपेड़-पौधे – अपनी जगह पर खड़े रहते हैं। पिताजी – दफ्तर से घर आते हैं। किसान – खेतों से लौटकर घर आते हैं।

शाम - एक किसान वसंत भाग - 1 (Summary of Sham - Ek Kisan Vasant)

यह कविता कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा लिखी गयी है जिसमें कवि ने जाड़े की शाम के प्राकृतिक दृश्य का चित्रण किया है| शाम के समय पहाड़ एक किसान की तरह बैठा दिखाई दे रहा है| उसके सिर पर आकाश साफ़े के समान बँधा है, पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी-घुटनों पर रखी चादर-सी लग रही है, पलाश के पेड़ों पर खिले लाल-लाल फूल-जलती अँगीठी के समान दिखते हैं| दूर पूर्व दिशा में अँधेरा भेड़ों के समूह के समान दुबका बैठा हुआ महसूस होता है|

इस शाम के शांत दृश्य में अचानक मोर बोल पड़ता है। यह आवाज़ सुनकर ऐसा लगा जैसे किसी ने सुनते हो की आवाज लगाई हो। चिलम उलटी हो गई। उसमें से धुआँ उठा। पश्चिम दिशा में सूर्य डूब गया। चारों ओर रात का अँधेरा छा गया।

कठिन शब्दों के अर्थ -

• साफ़ा - सिर पर बाँधने वाली पगड़ी
• चिलम - हुक्के के ऊपर रखने वाली वस्तु
• चादर-सी - चादर के समान।
• दहक रही है - जल रही है
• पलाश - एक प्रकार का वृक्ष जिस पर लाल रंग के फूल लगते हैं।
• सिमटा - दुबका हुआ
• गल्ले-सा - समूह के समान

शाम एक किसान कविता का मूल भाव क्या है?

इस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया है - यह एक रूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है। उन्हें उपमा कहते हैं। पहली एकरूपता आकाश और साफ़े में दिखाते हुए कविता में 4 आकाश का साफ़ा' वाक्यांश आया है।

शाम एक किसान कविता से क्या सन्देश मिलता है?

Solution : शाम-एक किसान. कविता हमें यह सन्देश देती है कि हमें प्रकृति के स्वाभाविक सौन्दर्य को निहार कर उसके आनन्द का रसास्वादन करना चाहिए, क्योंकि बनावटी सौन्दर्य प्राकृतिक सुन्दरता का कभी भी मुकाबला नहीं कर सकता है।

शाम एक किसान में कौन सा अलंकार है?

पद्यांश में शाम के रात में बदलने का दृश्य अतिमनमोहक है । 'अचानक बोला मोर । जैसे किसी ने आवाज़ दी । ' – इन दो पंक्तियों में उपमा अलंकार का प्रयोग किया गया है

शाम एक किसान इस कविता में कवि ने आकाश की तुलना साफे से क्यों की है?

आकाश की कल्पना साफे के रूप में की गई है क्योंकि जब कवि अपने खेतों में बैठकर पहाड़ की ओर देखता है तो लगता है की पहाड़ आकाश का साफा बांधकर सूरज की चिलम फूंक रहा है।