Show CBSE, JEE, NEET, NDAQuestion Bank, Mock Tests, Exam Papers NCERT Solutions, Sample Papers, Notes, Videos 1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ? उत्तर:- चश्मेवाला कभी सेना में नहीं रहा परन्तु चश्मेवाला एक देशभक्त नागरिक था। उसके हृदय में देश के वीर जवानों के प्रति सम्मान था। नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगा कर मूर्तिकार की गलती को छिपाता है ताकि नेताजी के सम्मान में कोई कमी न हो, उसकी इसी भावना को देखकर लोग उसे कैप्टन कहते थे। Posted by Rishabh Pawar 2 years ago
Par question kya pucha hai isme tho question answer dono hi hai Posted by Sonam Pandey 1 week, 2 days ago
Posted by Devil Girl 1 week, 6 days ago
Posted by Ashmit Kumar 1 day, 19 hours ago
Posted by Ashdeep Singh 6 days, 20 hours ago
Posted by Amogh Aggarwal 1 week, 2 days ago
Posted by Khushi Khushi 6 days, 5 hours ago
Posted by Ankit Singh 1 week, 5 days ago
Posted by Akriti Singh 1 week, 6 days ago
Posted by Gurjott Kaurr 2 weeks, 6 days ago
Posted by Surbhi Shrivastava 6 days, 17 hours ago
Short Note सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? Advertisement Remove all ads Solutionचश्मेवाला एक देशभक्त नागरिक था। उसके हृदय में देश के वीर जवानों के प्रति सम्मान था। इसलिए लोग उसे कैप्टन कहते थे। Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 10: स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा - प्रश्न-अभ्यास [Page 64] Q 1PrevQ 2 APPEARS INNCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2 Chapter 10 स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा Advertisement Remove all ads प्रश्न 10-1: सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? उत्तर 10-1: सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हूई थी। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों का भरपूर सम्मान करता था। प्रश्न 10-2: हालदार साहब ने ड्राईवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा - उत्तर 10-2: प्रश्न 10-3: आशय स्पष्ट कीजिए - उत्तर 10-3: हालदार साहब बार-बार सोचते रहे कि उस कौम का भविष्य कैसा होगा जो उन लोगों की हँसी उड़ाती है जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ त्याग कर देते हैं। साथ ही वह ऐसे अवसर तलाशती रहती है, जिसमें उसकी स्वार्थ की पूर्ती हो सके, चाहे उसके लिए उन्हें अपनी नैतिकता को भी तिलांजलि क्यों न देनी पड़े। अर्थात आज हमारे समाज में स्वार्थ पूर्ती के लिए अपना ईमान तक बेच दिया जाता है। यहाँ देशभक्ति को मूर्खता समझा जाता है। सेनानी न होते हुए भी लोग चश्मे वाले को कप्तान क्यों कहते थे?वह सुभाषचंद्र का सम्मान करता था। वह सुभाष की बिना चश्मे वाली मूर्ति को देखकर आहत था। इसलिए अपनी ओर से एक चश्मा नेताजी की मूर्ति पर अवश्य लगाता था। उसकी इसी भावना को देखकर ही लोगों ने उसे सुभाषचंद्र बोस का साथी या सेना का कैप्टन कहकर सम्मान दिया ।
नेता जी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है ? उत्तर- मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि हमारे देश के लोगों खासकर युवा और बच्चों के अंदर देशभक्ति की भावना अभी भी बरकरार है। और यही युवा और बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं।
हालदार साहब ने ड्राइवर को चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को क्यों कहा?हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे क्योंकि हालदार साहब चौराहे पर लगी नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को बिना चश्मे के देख नहीं सकते थे। जब से कैप्टन मरा था किसी ने भी नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगाया था। इसीलिए जब हालदार साहब कस्ये से गुजरने लगे तो उन्होंने ड्राइवर से चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मनाकर दिया था ।
नेता जी किस कस्बे से गुज़रते थे उसमें क्या नहीं था?लेकिन उसमें एक लड़कों का स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, एक कारखाना, दो ओपन एयर सिनेमाघर और एक नगरपालिका भी थी । अब नगरपालिका थी, तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी । इसी नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी।
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