रतन का खेलना कौन निहारती थी *? - ratan ka khelana kaun nihaaratee thee *?

एक माँ की बेबसी कविता का सारांश

राजेश जोशी द्वारा रचित इस कविता में रतन नाम के एक अपंग बच्चे की दशा और उसकी माँ की बेबसी का वर्णन किया गया है। रतन देखने में अन्य बच्चों की तरह ही था परन्तु बोल नहीं सकता था। वह रोज बच्चों के साथ खेलने आया करता था। बच्चों के लिए वह अजूबा था क्योंकि वे उसे अपनों से अलग पाते थे। वे उससे घबराते भी थे क्योंकि न तो वे उसके इशारों को समझ पाते थे न ही उसकी घबराहट को। उसकी आँखों में हमेशा भय समाया रहता था। जब तक वह खेलता उसकी माँ उसके आस-पास बैठी रहती। उसकी नजर हमेशा रतन पर होती। शायद वह उसकी सुरक्षा को लेकर परेशान रहती थी। कवि उन दिनों बच्चा था। अतः रतन की माँ की बेबसी को समझ पाने में बिल्कुल असमर्थ था। परन्तु अब वह बड़ा हो गया है और बचपन की बातें उसे अच्छी तरह याद आ रही हैं। उसे रतन की माँ का वह बेबस चेहरा भी याद आ रहा है।
कवि कहता है कि रतन से भी ज्यादा परेशान और चिंतित उसकी माँ रहती थी।

काव्यांशों की व्याख्या
1. न जाने किस अदृश्य पड़ोस से
निकल कर आता था वह
खेलने हमारे साथ-
रतन, जो बोल नहीं सकता था
खेलता था हमारे साथ
एक टूटे खिलौने की तरह
देखने में हम बच्चों की ही तरह
था वह भी एक बच्चा।
लेकिन हम बच्चों के लिए अजूबा था
क्योंकि हमसे भिन्न था।
शब्दार्थ : अदृश्य-जो दिखाई न दे। अजूबा-विचित्र। भिन्न-अलग।
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘रिमझिम भाग-5′ में संकलित कविता ‘एक माँ की बेबसी’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों के रचयिता हैं-राजेश जोशी।।
अर्थ-रतन नाम का एक बच्चा है जो बोल नहीं पाता है। वह रोज हम बच्चों के साथ खेलने आता है। वह हमारे साथ खेलते समय एक टूटे खिलौने की तरह लगता है। देखने में रतन बिल्कुल हमारे जैसा एक बच्चा है लेकिन हमसे अलग है। क्योंकि वह बोलने में असमर्थ है। शायद इसीलिए हमारे लिए वह अजूबा है।।

2. थोड़ा घबराते भी थे हम उससे
क्योंकि समझ नहीं पाते थे।
उसकी घबराहटों को,
न इशारों में कही उसकी बातों को,
न उसकी भयभीत आँखों में
हर समय दिखती
उसके अंदर की छटपटाहटों को।
शब्दार्थ : इशारों-संकेतों। भयभीत-डरा हुआ। छटपटाहटों-बेचैनी।
प्रसंग-पूर्ववत्  इन पंक्तियों में कवि ने एक गूंगे बालक की बेबसी को दिखाया है।
अर्थ-रतन नाम का एक बच्चा है जो बोलने में असमर्थ है। वह हम बच्चों के साथ रोज खेलने आया करता है। हम उससे थोड़ा घबराते थे, क्योंकि न तो हम उसकी घबराहटों को समझ पाते थे न ही उसके इशारों को। वह इशारों में बहुत-सारी बातें कह जाता लेकिन हम उन्हें बिल्कुल नहीं समझ पाते। उसकी आँखों में हमेशा एक भय समाया रहता था। हम उसे भी नहीं समझ पाते थे।

3. जितनी देर वह रहता
पास बैठी उसकी माँ
निहारती रहती उसका खेलना।
अब जैसे-जैसे
कुछ बेहतर समझने लगा हूँ
उनकी भाषा जो बोल नहीं पाते हैं।
याद आती
रतन से अधिक
उसकी माँ की आँखों में
झलकती उसकी बेबसी।
शब्दार्थ : निहारती रहती-देखती रहती। बेहतर-और अच्छा। झलकती-दिखती। बेबसी-लाचारी।
प्रसंग-पूर्ववत्  इन पंक्तियों में कवि ने एक गूंगे बच्चे और उसकी माँ की बेबसी का चित्रण किया है।
अर्थ-रतन नाम का एक बच्चा है जो बोलने में असमर्थ है। वह रोज़ाना हम बच्चों के साथ खेलने आया करता है। वह जब तक हमारे साथ खेलता है, उसकी माँ उसके पास बैठी रहती है। उसकी नज़र हमेशा खेलते हुए रतन पर होती थी। कवि कहता है कि तब वह छोटा बच्चा था और बहुत कुछ समझ नहीं पाता था। अब बड़ा हो गया है और समझदार भी। अब उसे रतन की भाषा समझ में आने लगी है। यह भी याद आने लगा है कि कैसे उसकी माँ बेबस आँखों से अपने गुंगे बच्चे को निहारती थी। कवि कहता है कि रतन से भी ज्यादा बेबस तो उसकी माँ थी। बड़ा होकर कवि एक गूंगे बच्चे की माँ की पीड़ा को महसूस करने लगा है।


Class 5 Hindi Notes

देखने के तरीके

प्रश्न 1: इस कविता में देखने से संबंधित कई शब्द आए हैं। ऐसे छः शब्द छाँटकर लिखो।

उत्तर: निहारती, झलकती

प्रश्न 2: माँ की आँखों में झलकती उसकी बेबसी

आँखें बहुत कुछ कहती हैं। वे तरह तरह के भाव लिए होती हैं। नीचे ऐसी कुछ आँखों का वर्णन है। इनमें से कौन सी नजरें तुम पहचानते हो?

सहमी नजरें, प्यार भरी नजरें, क्रोध भरी आँखें, उनींदी आँखें, शरारती आँखें, डरावनी आँखें

उत्तर: सभी

प्रश्न 3: नीचे आँखों से जुड़े कुछ मुहावरे दिए गए हैं। तुम इनका प्रयोग किन संदर्भों में करोगे?

(a) आँख दिखाना

उत्तर: मुझे आँख दिखाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?

(b) नजर चुराना

उत्तर: होमवर्क पूरा न होने के कारण रोहित अपनी टीचर से नजर चुरा रहा था।

(c) आँख का तारा

उत्तर: स्नेहा अपनी माँ की आँखों का तारा है।

(d) नजरें फेर लेना

उत्तर: आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझसे नजरें फेर लीं।

(e) आँख पर पर्दा पड़ना

उत्तर: शर्मा जी का बेटा बहुत शरारती है फिर भी उनकी आँखों पर पर्दा पड़ गया है।

माँ

याद आती रतन से अधिक उसकी माँ की आँखों में झलकती उसकी बेबसी

प्रश्न 1: रतन की माँ की आँखों में किस तरह की बेबसी झलकती होगी?

उत्तर: रतन की माँ को यह चिंता रहती होगी कि कोई अन्य बच्चा उसे चोट न पहुँचा दे। उसे यह भी चिंता रहती होगी कि कोई उसे चिढ़ा न दे। वह अपने बेटे के भविष्य को लेकर भी चिंतित रहती होगी। लेकिन उनके मन में अपने बेटे के लिए कुछ न कर पाने की बेबसी रहती होगी।

प्रश्न 2: अपनी माँ के बारे में सोचते हुए नीचे लिखे वाक्यों को पूरा करो

(a) मेरी माँ बहुत खुश होती हैं जब

उत्तर: मैं परीक्षा में अव्वल नंबर लाता हूँ।

(b) माँ मुझे इसलिए डाँटती हैं, क्योंकि

उत्तर: देर तक सोने के चक्कर में कभी कभी मेरी स्कूल बस छूट जाती है।

(c) मेरी माँ चाहती हैं कि मैं

उत्तर: बड़ा होकर डॉक्टर बनूँ।

(d) माँ उस समय बहुत बेबस हो जाती हैं जब

उत्तर: जब मुझे तेज बुखार हो जाता है।

(e) मैं चाहता हूँ कि मेरी माँ

उत्तर: हमेशा मेरे पास रहें।


रतन का खेलना कौन नहीं आता था?

अर्थ-रतन नाम का एक बच्चा है जो बोलने में असमर्थ है। वह रोज़ाना हम बच्चों के साथ खेलने आया करता है। वह जब तक हमारे साथ खेलता है, उसकी माँ उसके पास बैठी रहती है। उसकी नज़र हमेशा खेलते हुए रतन पर होती थी

रतन की माँ देर तक क्या निहारती रहती थी?

उसकी माँ की आँखों में झलकती बेबसी। जितनी देर वह बच्चा वहाँ पर रहता उतनी देर तक उसकी माँ पास बैठी उसे निहारती रहती थी। अब जब कवि एक वयस्क हो चुका है, वह उनकी भाषा कुछ बेहतर समझने लगा है जो बोल नहीं पाते हैं। इसलिए अब कवि को रतन से ज्यादा उसकी माँ की आँखों में झलकती बेबसी याद आती है।

कवि के पड़ोस में कौन रहता था?

कवि के पड़ोस में रतन नाम का बच्चा रहता थाकवि इसे अदृश्य पड़ोस कहता है, क्योंकि उसे पड़ोस में रहने वाले उस बच्चे के विषय में पता नहीं था कि वह पड़ोस के किस घर में रहता था। वो बच्चा गूंगा था, बोल नहीं पाता था और पड़ोस में रहने वाले बाकी बच्चे भी उस बच्चे से बात करने से हिचकते थे।

अदृश्य पड़ोसी का क्या अर्थ है?

(ख) यह बच्चा लेखक के पड़ोस में रहता था फिर भी कविता अदृश्य पड़ोस से शुरू होती है। क्योंकि पड़ोस में रहने वाले बाकी बच्चे एक दूसरे से बातें करते थे पर वह बच्चा बोल नहीं पाता था। वह बच्चा गूंगा था इसलिए और बच्चों से मिल नहीं पाता। अत: वह बच्चों के लिए अनजाना रहता था।