आंचलिक उपन्यास का क्या नाम है? - aanchalik upanyaas ka kya naam hai?

मैला आँचल फणीश्वरनाथ 'रेणु' का प्रतिनिधि उपन्यास है।[1] यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तर-पूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ट रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।

सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथावस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें गरीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, बाह्याडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटनाप्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सागोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।

कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथाशिल्प के साथ-साथ भाषाशिल्प और शैलीशिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहज-स्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।

कथानक[संपादित करें]

‘मैला आँचल’ का नायक एक युवा डॉक्टर प्रशांत बनर्जी है जो अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद पिछड़े गाँव को अपने कार्य-क्षेत्र के रूप में चुनता है, तथा इसी क्रम में ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन, दुःख-दैन्य, अभाव, अज्ञान, अन्धविश्वास के साथ-साथ तरह-तरह के सामाजिक शोषण-चक्रों में फँसी हुई जनता की पीड़ाओं और संघर्षों से भी उसका साक्षात्कार होता है। कथा का अन्त इस आशामय संकेत के साथ होता है कि युगों से सोई हुई ग्राम-चेतना तेजी से जाग रही है।

पात्र[संपादित करें]

डॉ प्रशांत बनर्जी ,कमली ,विश्वनाथ , बालदेव

कालीचरण, बावनदास, लक्ष्मी , जोतखी,लारसिंहदास, ,तहसीलदार

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. मनीष शांडिल्य (२८ नवम्बर २०१३). "रेणु के मैला आँचल की 'कमली' नहीं रहीं". बीबीसी हिन्दी. मूल से 29 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २९ नवम्बर २०१३.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • ‘रेणु’ के उपन्यास : पुनर्मूल्यांकन[मृत कड़ियाँ] (सृजनगाथा)
  • आंचलिक उपन्यास की अवधारणा और मैला आंचल
  • Maila Anchal In Hindi PDF
  • मैला आँचल की रचना प्रक्रिया (गूगल पुस्तक ; लेखक : डॉ देवेश ठाकुर)
  • मैला आँचल का यथार्थ (यदुनन्दन उपाध्याय)
  • फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ लिखित मैला आँचल निहायत ही रद्दी उपन्यास है (हिंदीजंक्शन - ‘प्रकाशन समाचार’ जनवरी 1957 में प्रकाशित यह विज्ञापन स्वयं फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ ने तैयार किया था)

आंचलिक उपन्यास का का क्या नाम है?

मैला आँचल फणीश्वरनाथ 'रेणु' का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है।

हिंदी का पहला आंचलिक उपन्यास कौन सा कहलाता है?

Answer:1926 में प्रकाशित 'देहाती दुनिया' हिन्दी का पहला आंचलिक उपन्यास माना जाता है।

आंचलिक उपन्यासकार क्या है?

जिसमें वहाँ की भाषा, लोकोक्ति, लोक-कथायें, लोक-गीत, मुहावरे और लहजा, वेशभूषा, धर्म-जीवन, समाज, संस्कृति तथा के अनुसार, ''उपन्यासों में लोकरंगों के उभारकर किसी अंचल विशेष का प्रतिनिधित्व करने वाले उपन्यासों को आंचलिक उपन्यास कहा जायेगा।''

आंचलिक उपन्यास के जनक कौन है?

फणीश्वरनाथ रेणु(1921-1977) हिंदी में आंचलिक उपन्यास के जनक माने जाते हैं।