केन्द्र सरकार ने सन् 1953 में भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के लिए एक आयोग बनाया। फजल अली की अध्यक्षता में गठित इस आयोग का कार्य राज्यों के सीमांकन के मामले पर कार्रवाई करना था। इसने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया कि राज्यों को सीमाओं का निर्धारण वहाँ बोली जाने वाली भाषा के आधार पर होना चाहिए। Show राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशें- ⦁ भारत की एकता व सुरक्षा की व्यवस्था बनी रहनी चाहिए। भारतीय संविधान में वर्णित मूल वर्गीकरण की चार श्रेणियों को समाप्त कर दो प्रकार की इकाइयाँ (स्वायत्त राज्य व केन्द्रशासित प्रदेश) रखी गई। पढ़ पाएंगे कि राज्य पुनर्गठन आयोग की प्रमुख सिफारिशें क्या थी ? राज्य पुनर्गठन आयोग के प्रमुख कार्यों एवं दी गई सिफारिशों की व्याख्या कीजिए। प्रश्न: स्वतंत्रता के पश्चात् राज्यों के एकीकरण के संदर्भ में राज्य पनर्गठन आयोग की प्रमुख सिफारिशें क्या थी ? इसकी सिफारिशों को राज्य पुनर्गठन अधिनियम द्वारा कैसे कार्यरूप दिया गया ? आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। सब्सक्राइब करे youtube चैनल राज्य पुनर्गठन आयोग का प्रमुख कारण क्या था?राज्य पुनर्गठन आयोग का काम राज्यों के सीमांकन के मामले पर गौर करना था। इसकी प्रमुख सिफारिश यह थी की राज्यों की सीमाओं का निर्धारण वहाँ बोली जाने वाली भाषा के आधार पर होना चाहिए। इस आयोग के रिपोर्ट के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पास हुआ। इस अधिनियम के आधार पर 14 राज्य और 6 केंद्र - शाषित प्रदेश बनाऐ गए।
राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना क्यों की गई थी?भारत के स्वतंत्र होने के बाद भारत सरकार ने अंग्रेजी राज के दिनों के 'राज्यों' को भाषायी आधार पर पुनर्गठित करने के लिये राज्य पुनर्गठन आयोग (States Reorganisation Commission) की स्थापना 1953 में की। 1950 के दशक में बने पहले राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश में राज्यों के बंटवारे का आधार भाषाई था।
1956 में कितने राज्य बने?इसके तहत 14 राज्य तथा 6 केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए।
भाषा के आधार पर ही प्रदेश पुनर्गठन क्यों किया गया कारण लिखिए?इस प्रकार अक्टूबर 1953 को आंध्र प्रदेश राज्य का गठन हो गया, जो भाषा के आधार पर गठित भारत का पहला राज्य था। आंध्र प्रदेश राज्य के गठन के कारण भारत के अन्य भाषा भाषियों के मांग की अवहेलना नहीं की जा सकती थी। इसलिए सरकार ने 22 दिसम्बर 1953 को राज्य पुनर्गठन आयोग की नियुक्ति की घोषणा की ।
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