आज हम राजस्थान में किसान आंदोलन (Rajasthan me Kisan Aandolan) की बात करेंगे । Show राजस्थान में कृषक आंदोलनबिजौलिया किसान आंदोलन ( Bijoliya kisan Aandolan)
बिजोलिया के किसान आंदोलन को मुख्यतः तीन चरणों में विभाजित किया जाता है – 🔸प्रथम चरण (1897-1915 ई.) –
🔸द्वितीय चरण ( 1916-1922 ई.)
🔸तृतीय चरण ( 1927-1941 ई.)
बेगूँ किसान आंदोलन (Begu kisan aandolan)
बूँदी राज्य में किसान आंदोलन (बरड़ का किसान आंदोलन )
बूँदी में गुर्जरों का आंदोलन ( 1936-45 ई.)यह आंदोलन 1936 में बरड़ जिले और बरूंधन तहसील में शुरू हुआ । बूँदी में गुर्जरों के आंदोलन का मुख्य उद्देश्य टैक्सों के साथ-साथ चराई कर हटवाना था । 1939 में गुर्जरों का आंदोलन लाखेरी में आरंभ हुआ । मार्च 1945 के अंत तक यह आंदोलन शांत हो गया । अलवर राज्य में किसान आंदोलन (1925-47 ई.)अलवर राज्य के किसान आंदोलनों को प्रमुखत: तीन
भागों में बांटा जा सकता है – (1) नीमूचाणा का किसान आंदोलन (14 मई 1925 )
(2) मेव आंदोलन (1932-33)
(3) प्रजामंडल के नेतृत्व में किसान आंदोलन ( 1941-47)
भरतपुर में किसान आंदोलन
मारवाड़ में किसान आंदोलन ( Marwar me kisan aandolan)
डाबड़ा हत्याकांड :- शासन की दमनात्मक नीतियों के विरोध में मारवाड़ लोक परिषद और किसान सभा का संयुक्त अधिवेशन 13 मार्च 1947 को डीडवाना के पास डाबड़ा गाँव में आयोजित हुआ , जिस पर ठिकाने के अनुचरों और जागीरदारों ने हमला कर दिया और 12 व्यक्ति मारे गए । मथुरादास माथुर डाबरा अधिवेशन के मुख्य आयोजक थे । चुन्नीलाल शर्मा, रूघाराम चौधरी, रामाराम चौधरी , पन्नाराम चौधरी डाबड़ा किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए । वंदे मातरम (मुम्बई) , लोकवाणी (जयपुर) , प्रजा सेवक (जोधपुर) , हिंदुस्तान टाइम्स (दिल्ली) तथा ‘जन्मभूमि’ अखबारों ने इस हत्याकांड की घोर निंदा की । बीकानेर किसान आंदोलन –
दूधवाखारा किसान आंदोलन (चुरू) –
राजगढ़ आंदोलन :-
कांगड़ किसान आंदोलन –
जयपुर किसान आंदोलन (शेखावाटी आंदोलन )जयपुर राज्य में किसान आंदोलन मुख्यत: आर्थिक शोषण के विरुद्ध था । रामनारायण चौधरी ने शेखावटी में किसान जागरण का कार्य आरंभ किया । चिड़ावा सेवा समिति ने 1921 में शेखावटी में जन संघर्ष आरंभ किया था । शेखावाटी के किसान आंदोलन के तीन चरण थे – 🔸प्रथम चरण (1922-30 ई.)
🔸द्वितीय चरण (1931-35 ई.)
🔸तृतीय चरण (1938-47 ई.)
महत्वपूर्ण तथ्य :- ➡ 1922 में खेतड़ी ठिकाने के चिड़ावा कस्बे में ‘अमर सेवा समिति’ नामक संस्था की स्थापना की गई । इसके संस्थापक मास्टर प्यारेलाल गुप्ता था । ➡ मंडावा के सेठ देवीबक्स सर्राफ शेखावाटी में आर्य समाज के संस्थापक थे । सेठ देवीबक्स ने नागरिक अधिकारों की घोषणा की । ➡ मूलचंद अग्रवाल ने रींगस में ‘चर्खासंघ’ तथा खंडेला में ‘खण्डेलावाटी जाट पंचायत’ की 1931 में स्थापना की । ➡ मुकुंदगढ़ के सेठ भागीरनाथ कानेडिया का प्रमुख स्थान है । इनका हरिजनोद्धार व अस्पृश्यता निवारण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान है । ➡ श्री बंशीधर शर्मा (श्री माधोपुर) ने अनुसूचित मीणा जाति के सामाजिक उन्नयन के लिए बहुत कार्य किए । उन्होंने मीणा जाति को संगठित कर जरायम पेशा जातियों के अपराधी जनजाति विधेयक को रद्द करवाया । ➡ पंडित ताड़केश्वर शर्मा ने 1929 ईस्वी में ‘ग्राम’ नामक हस्तलिखित पत्र प्रकाशित कर ग्रामीण क्षेत्र में अत्याचारी सामंती तंत्र के विरुद्ध विचार क्रांति का श्रीगणेश किया । उन्होंने 1934 में ठाकुर देशराज के सहयोग से आगरा से ‘गणेश’ नामक एक सप्ताहिक पत्र का प्रकाशन शुरू किया । ➡ चांदमल सुराणा व उनके साथियों ने मारवाड़ का तौल आंदोलन जोधपुर सरकार द्वारा 1920-21 में 100 तोले के सेर को 80 तोले के सेर में परिवर्तित करने के निर्णय के विरोध में शुरू किया । ➡ मांगीलाल भव्य ने ‘पड़त स्वराज्य आंदोलन’ का संचालन किया । राजस्थान का सबसे बड़ा किसान आंदोलन कौन सा है?बेगूँ किसान आंदोलन चित्तौड़गढ़ में सन 1921 में आरम्भ हुआ। इसकी शुरूआत बेगार प्रथा के विरोध के रूप में हुई थी। आंदोलन की शुरूआत रामनारायण चैधरी ने की, बाद में इसकी बागड़ोर विजयसिंह पथिक ने सम्भाली थी। इस समय बेगूँ के ठाकुर अनुपसिंह थे।
राजस्थान का प्रथम किसान आंदोलन कौन सा है?राजस्थान में किसान आंदोलन पहली बार 1897 में बिजोलियां से शुरू हुआ। यह 1847-1941 के बीच 3 वाक्यांशों में जारी रहा।
राजस्थान में कुल कितने किसान आंदोलन हुए?जानिए राजस्थान के प्रमुख 9 किसान आंदोलनों के बारे में।
राजस्थान में अमीर किसान आंदोलन कब हुआ?1931 में डॉ. मोहम्मद हादी के नेतृत्व में राजस्थान का मेव किसान आंदोलन शुरू हुआ।
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