मरू विकास कार्यक्रम (Desert Development Programme in Rajasthan) का मुख्य उद्देश्य सूखे को कम करना और मरुस्थलीकरण को बढ़ने से रोकना है मरू विकास कार्यक्रम की शुरुआत 1977-78 से की गई, इसके द्वारा राजस्थान में विभिन्न जिलों में डीडीपी (DESERT DEVELOPMENT PROGRAMME) लागू किए गए जिनमें बॉर्डर पढ़ने वाले राजस्थान के जैसलमेर बाड़मेर और बीकानेर जिले अहम है 1994-5 मई तक डीडीपी 131 ब्लॉक, 21 जिले और पांच राज्यों में शामिल था बाद में Hanumantha Rao कमेटी ने इसे 32 नए ब्लॉक और 64 ब्लॉक को डीपीएपी से डीडीपी स्थानांतरण करने का प्रस्ताव रखा मरू विकास कार्यक्रमशुष्क क्षेत्र में वाटरसैड बनाना हरियाली प्रोग्राम के तहत वृक्षारोपण और पेड़ पौधों को बचाना केंद्र सरकार की भागीदारीइसमें केंद्र सरकार सूखे एरिया को पुनर्जीवित करने के लिए अपनी तरफ से योजना राशि देती है
केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि का प्रतिशत Source: https://dolr.gov.in/desert-development-programme-ddp राजस्थान : विकास कार्यक्रम मरू विकास कार्यक्रम राजस्थान के कितने जिलों में चलाया जा रहा है?राज्य के 18 जिलों में संचालित।
राजस्थान में मरू विकास कार्यक्रम कब लागू हुआ?(D) 1999 ई.
राजस्थान में सूखा संभावित क्षेत्र कार्यक्रम कितने जिलों में चलाया जा रहा है?वर्ष 1974-75 में प्रारम्भ सूखा संभावित कार्यक्रम में राज्य के 8 पूर्वी जिलों में शुरू किया गया। वर्तमान में यह कार्यक्रम जल ग्रहण के आधार पर राज्य के 11 जिलों में 32 खण्डों में चलाया जा रहा है।
मेवात क्षेत्र विकास कार्यक्रम कितने जिले में स्थित है?मेवात क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (MRDP)
यह कार्यक्रम 1987-88 से राज्य के मेव बाहुल्य जिलों – अलवर जिले की 8 पंचायत समितियों (लक्ष्मणगढ़, रामगढ़, तिजारा, मुण्डावर, किशनगढ़ बास, कठूमर, उमेरण एवं कोटकासिम) तथा भरतपुर जिले की चार पंचायत समितियों (नगर, डीग, कामां व पहाड़ी) में क्रियान्वित किया जा रहा है।
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