पत्र संस्कृति का विकास क्यों किया गया? - patr sanskrti ka vikaas kyon kiya gaya?

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स्मार्ट सिटी मिशन: स्मार्ट भारत के निर्माण की ओर एक कदम

पत्र संस्कृति का विकास क्यों किया गया? - patr sanskrti ka vikaas kyon kiya gaya?

भारत की वर्तमान जनसंख्या का लगभग 31% को शहरों में बसता है और इनका सकल घरेलू उत्पाद में 63% (जनगणना 2011) का योगदान हैं। ऐसी उम्मीद है कि वर्ष 2030 तक शहरी क्षेत्रों में भारत की आबादी का 40% रहेगा और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 75% का होगा । इसके लिए भौतिक, संस्थागत, सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के व्यापक विकास की आवश्यकता है। ये सभी जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं लोगों और निवेश को आकर्षित करने, विकास एवं प्रगति के एक गुणी चक्र की स्थापना करने में महत्वपूर्ण हैं। स्मार्ट सिटी का विकास इसी दिशा में एक कदम है।

स्मार्ट सिटी मिशन स्थानीय विकास को सक्षम करने और प्रौद्योगिकी की मदद से नागरिकों के लिए बेहतर परिणामों के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने तथा आर्थिक विकास को गति देने हेतु भारत सरकार द्वारा एक अभिनव और नई पहल है।

स्मार्ट सिटी क्या है?

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स्मार्ट सिटी उनकी सबसे अहम जरूरतों एवं जीवन में सुधार करने के लिए सबसे बड़े अवसरों पर ध्यान केंद्रित करता है। बदलाव के लिए दृष्टिकोण की श्रृंखला अपनाई जाती है - डिजिटल और सूचना प्रौद्योगिकी, शहरी योजनाओं की सर्वोत्तम प्रथाओं, सार्वजनिक-निजी साझेदारी, और नीति में बदलाव। हमेशा लोगों को प्राथमकिता दी जाती है।

स्मार्ट सिटी मिशन के दृष्टिकोण में, उद्देश्य ऐसे शहरों को बढ़ावा देने का है जो मूल बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएँ और अपने नागरिकों को एक सभ्य गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करे, एक स्वच्छ और टिकाऊ पर्यावरण एवं 'स्मार्ट' समाधानों के प्रयोग का मौका दें। विशेष ध्यान टिकाऊ और समावेशी विकास पर है और एक रेप्लिकेबल मॉडल बनाने के लिए है जो ऐसे अन्य इच्छुक शहरों के लिए प्रकाश पुंज का काम करेगा। स्मार्ट सिटी मिशन ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए है जिसे स्मार्ट सिटी के भीतर और बाहर दोहराया जा सके, विभिन्न क्षेत्रों और देश के हिस्सों में भी इसी तरह के स्मार्ट सिटी के सृजन को उत्प्रेरित किया जा सके।

स्मार्ट सिटी मिशन रणनीति

  • पूरे शहर के लिए पहल जिसमे कम से कम एक स्मार्ट समाधान शहरभर में लागू किया गया है
  • क्षेत्र का कदम-दर-कदम विकास - क्षेत्र के आधार पर प्रगति के तीन मॉडल
  • रेट्रोफिटिंग
  • पुनर्विकास
  • हरितक्षेत्र

कोर बुनियादी सुविधाओं के तत्व

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  • पर्याप्त पानी की आपूर्ति
  • निश्चित विद्युत आपूर्ति
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्वच्छता
  • कुशल शहरी गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन
  • किफायती आवास, विशेष रूप से गरीबों के लिए
  • सुदृढ़ आई टी कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण
  • सुशासन, विशेष रूप से ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी
  • टिकाऊ पर्यावरण
  • नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की सुरक्षा, और
  • स्वास्थ्य और शिक्षा

कवरेज और अवधि

इस मिशन में 100 शहरों को शामिल किया जाएगा और इसकी अवधि पांच साल (वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्तीय वर्ष 2019-20) की होगी। मिशन उसके बाद शहरी विकास मंत्रालय द्वारा मूल्यांकन किए जाने एवं प्राप्त सीखों को शामिल किये जाने के साथ जारी रखा जा सकता है।

प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में कितने स्मार्ट सिटी?

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100 स्मार्ट शहरों की कुल संख्या एक समान मापदंड के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच वितरित किया गया है। सूत्र राज्य / संघ राज्य क्षेत्र की शहरी जनसंख्या और राज्य / संघ राज्य क्षेत्र में वैधानिक शहरों की संख्या को बराबर वजन (50:50) देता है। इस फार्मूले के आधार पर, प्रत्येक राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों में कम से कम एक होने के साथ, संभावित स्मार्ट शहरों की एक निश्चित संख्या होगी। प्रत्येक राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों से संभावित स्मार्ट शहरों की संख्या इंगित संख्या पर सीमित की जाएगी। इस वितरण फार्मूला का इस्तेमाल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन- अमृत के तहत धनराशि के आवंटन के लिए भी किया गया है।

स्मार्ट सिटी के वितरण की समीक्षा मिशन के कार्यान्वयन के दो साल बाद की जाएगी। चुनौती में राज्यों / शहरी स्थानीय निकायों के प्रदर्शन के आकलन के आधार पर राज्यों के बीच शेष संभावित स्मार्ट शहरों में से कुछ का पुनःआवंटन शहरी विकास मंत्रालय द्वारा किया जा सकता है।

स्मार्ट सिटी का वित्त पोषण

स्मार्ट सिटी मिशन एक केन्द्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के रूप में संचालित किया जाएगा और केंद्र सरकार द्वारा मिशन को पांच साल में 48,000 करोड़ रुपये, करीब प्रति वर्ष प्रति शहर 100 करोड़ रुपये औसत वित्तीय सहायता देने का प्रस्ताव है। एक समान राशि, एक मेल के आधार पर, राज्य / यूएलबी द्वारा योगदान किया जाएगा; इसलिए, सरकार / यूएलबी धन का लगभग एक लाख करोड़ रुपए स्मार्ट सिटी के विकास के लिए उपलब्ध होगा।


अन्य सरकारी योजनाओं के साथ अभिसरण

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व्यापक विकास क्षेत्रों में भौतिक, संस्थागत, सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे को एकीकृत करके होता है। सरकार की कई क्षेत्रीय योजनाएँ इस लक्ष्य में एकाग्र होती हैं हालांकि उनके रास्ते अलग है । शहरी परिवर्तन को प्राप्त करने में अमृत और स्मार्ट सिटी मिशन के बीच एक मजबूत पूरक है। अमृत एक परियोजना आधारित दृष्टिकोण का अनुसरण करता है, जबकि स्मार्ट सिटी मिशन एक क्षेत्र आधारित रणनीति है।

इसी तरह, केंद्रीय और राज्य सरकार के कार्यक्रमों / स्मार्ट शहरों के मिशन के साथ योजनाओं के अभिसरण की मांग करके काफी लाभ प्राप्त किया जा सकता है। योजना बनाने के स्तर पर ही, शहरों को एससीपी में अमृत के साथ स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम), राष्ट्रीय विरासत शहर का विकास और संवर्धन योजना (हृदय) - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है, डिजिटल भारत कौशल विकास, सभी के लिए आवास, संग्रहालय के निर्माण के लिए संस्कृति विभाग द्वारा वित्त पोषित और स्वास्थ्य, शिक्षा एवं संस्कृति के रूप में सामाजिक बुनियादी ढांचे से जुड़े अन्य कार्यक्रम में अभिसरण की तलाश करना चाहिए।

चुनौतियां क्या हैं?

  • यह पहली बार है जब एक एमओयूडी कार्यक्रम के वित्त पोषण के लिए शहरों का चयन करने के लिए 'चैलेंज' या प्रतियोगिता विधि का उपयोग और क्षेत्र के आधार पर विकास की एक रणनीति का प्रयोग किया गया है। यह 'प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद' की भावना को दर्शाता है।
  • राज्य और शहरी स्थानीय निकायों को स्मार्ट सिटी के विकास में एक महत्वपूर्ण सहायक भूमिका निभानी होगी। इस स्तर पर स्मार्ट नेतृत्व और दृष्टि एवं निर्णायक कार्रवाई करने की क्षमता मिशन की सफलता का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण कारक होगी।
  • नीति निर्माताओं, कार्यान्वयन करने वालों एवं अन्य हितधारकों द्वारा विभिन्न स्तरों पर रेट्रोफिटिंग की अवधारणाओं को समझना, पुनर्विकास और ग्रीनफील्ड विकास हेतु क्षमता सहायता की जरूरत होगी। चैलेंज में भाग लेने से पूर्व योजना बनाने के दौर में ही समय और संसाधनों में प्रमुख निवेश करना होगा। यह पारंपरिक डीपीआर संचालित दृष्टिकोण से अलग है।
  • स्मार्ट सिटी मिशन को सक्रिय रूप से प्रशासन और सुधारों में भाग लेने वाले स्मार्ट लोगों की आवश्यकता है। नागरिक भागीदारी शासन में एक औपचारिक भागीदारी की तुलना में काफी अधिक है। स्मार्ट लोगों की भागीदारी आईसीटी के बढ़ते उपयोग, विशेष रूप से मोबाइल आधारित उपकरणों के माध्यम से स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) द्वारा सक्रिय किया जायेगा।

इंडिया स्मार्ट सिटी चैलेंज

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