पुत्र कारक ग्रह कौन से हैं? - putr kaarak grah kaun se hain?

  • पुत्र कारक ग्रह कौन से हैं? - putr kaarak grah kaun se hain?

    कौन सा रिश्‍ता किस ग्रह से संचालित होता है

    ज्‍योतिष के अनुसार नवग्रहों का हमारे जीवन पर पूर्ण आधिपत्‍य होता है। इन्‍हीं ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभाव की वजह से हमें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता-असफलता प्राप्‍त होती है। चाहे वह करियर हो, दांपत्‍य जीवन हो या फिर रुपया-पैसा सभी पहलुओं पर ग्रहों का विशेष प्रभाव होता है। यहां तक कि घर-परिवार में पिता, पुत्र, माता और भाई-बहनों के साथ हमारे रिश्‍ते कैसे हैं यह भी ग्रहों की दशा ही तय करती है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कौन सा रिश्‍ता किस ग्रह से संचालित होता है।

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    पिता का रिश्‍ता

    9 ग्रहों के परिवार के मुखिया सूर्य ही हमारे परिवार के मुखिया यानी हमारे पिता के कारक माने जाते हैं। कुंडली में सूर्य के मजबूत होने पर पिता-पुत्र या फिर पिता-पुत्री के संबंध बेहद सुखद रहते हैं। वहीं अगर सूर्य कमजोर होता है तो जातक के संबंध अपने पिता से खराब होने लगते हैं। कुंडली में सूर्य की स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए हमें रोजाना सुबह जागने के बाद सूर्य को प्रणाम करना चाहिए और इसके साथ ही स्‍नान के बाद सूर्य को अर्घ्‍य देना चाहिए।

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    माता के साथ रिश्‍ता

    मां के शीतल, सरल और ममतामयी स्‍वभाव के अनुरूप ही ज्‍योतिष में उनको शांति और शीतलता का प्रतीक माने जाने वाले चंद्रदेव से जोड़कर देखा जाता है। अर्थात मां के साथ हमारे रिश्‍ते का संचालन चंद्रमा यानी चंद्रदेव करते हैं। चंद्रमा के कुंडली में कमजोर होने पर व्‍यक्ति बीमार, अवसादग्रस्‍त हो जाता है और माता के साथ उसके संबंध अच्‍छे नहीं रह जाते हैं। चंद्रमा की दशा को सुधारने के लिए मां का सम्‍मान करें और उन्‍हें प्रसन्‍न रखें। मां के चरण छूकर ही घर से बाहर जाएं और वापस लौटने के बाद भी आशीर्वाद लें।

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    पत्नी के साथ रिश्‍ता

    ऐसा कहा जाता है कि जोड़ियां आसमान से बनकर आती हैं, लेकिन क्‍या आपको पता है कि धरती पर इस रिश्‍ते को संभालने का काम शुक्र ग्रह करते हैं। शुक्र ग्रह के मजबूत होने से पति-पत्‍नी के संबंध मधुर होते हैं और दोनों में प्‍यार बना रहता है। शुक्र को मजबूत करने के लिए हर शुक्रवार को भगवान के लक्ष्‍मी-नारायण रूप की पूजा करनी चाहिए।

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    भाई-बहन का रिश्‍ता

    भाई-बहनों के कभी नरम और कभी गरम स्‍वभाव के जैसे ज्‍योतिष में भी कभी क्रूर बन जाने वाले तो कभी कृपा बरसाने वाले मंगल इन रिश्‍तों को संचालित करते हैं। यानी कि भाई-बहनों के साथ आपके संबंध मंगल ग्रह की दशा पर निर्भर करते हैं। मंगल के कमजोर होने पर ये रिश्‍ते भी कमजोर पड़ने लगते हैं और आपके घर की एकता की कड़ी टूटने लगती है। यदि मंगल मजबूत रहते हैं तो ये संबंध भी खुशहाल बने रहते हैं। मंगल को मजबूत बनाने के लिए रोजाना हनुमानजी की आराधना करें।

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    ननिहाल के रिश्‍ते

    ननिहाल पक्ष से आपके संबंध कैसे होंगे, यह बुध ग्रह तय करता है। बुध के कमजोर होने पर ननिहाल पक्ष के रिश्‍ते खराब हो जाते हैं। वहीं बुध अगर मजबूत होता है तो आप अपनी ननिहाल में सबसे लाडले रहते हैं। माना जाता है कि बुध की आराधना करने के लिए आपको हर बुधवार को गणेशजी की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही एक उपाय यह भी कर सकते हैं कि ननिहाल की तरफ का कोई पौधा लाकर अपने घर में लगा दें। ऐसा करने से उन लोगों का आपके प्रति विशेष स्‍नेह बना रहेगा।

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    दादा-दादी पक्ष के साथ रिश्‍ते

    ग्रहों के परिवार में सबसे मजबूत और संपन्‍न माने जाने देवताओं के गुरु बृहस्‍पति दादा-दादी की तरफ के लोगों के साथ आपके संबंधों को तय करता है। गुरु के मजबूत होने से आपके संबंध इन सभी के साथ बेहतर होते हैं तो वहीं आपको करियर में भी सफलता प्राप्‍त होती है। गुरु को मजबूत करना चाहते हैं तो आपको दादा-दादी का खास सम्‍मान करना चाहिए और उन्‍हें समय-समय पर उपहार देते रहना चाहिए।

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    ऑफिस में सहयोगियों से सामंजस्‍य

    क्‍या आपको पता है सभी रिश्‍तों के बीच में ऑफिस में कलीग्‍स के साथ आपके संबंध कैसे हैं, यह भी मायने रखता है और इन संबंधों का संचालन करते हैं क्रूर माने जाने वाले ग्रह शनि, राहु और केतु। अगर आप चाहते हैं आपके ऑफिस में सब कुछ अच्‍छा रहे और लोग आपकी प्रशंसा करें तो आपको इन तीनों ही ग्रहों को प्रसन्‍न रखना चाहिए। ऐसा करने के लिए सहयोगियों को सप्‍ताह में एक बार मिठाई जरूर खिलाएं।

पुत्र प्राप्ति के लिए कौन सा ग्रह मजबूत होना चाहिए?

यदि पुरुष की कुंडली हो तो सूर्य, शुक्र एवं बृहस्पति के स्फुट को जोड़कर जो योगफल आए यदि वह विषम राशि और विषम नवमांश भी हो तो ऐसे जातक में पुत्रोत्पादन शक्ति बहुत अच्छी होती है परंतु इसके विपरीत होने पर फल उत्तम नही होता है।

पुत्र के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है?

जानिए कौन से ग्रह संताप प्राप्‍ति में सहायक सिद्ध होते हैं। कुंडली में पंचम भाव संतान सुख का स्थान है। बृहस्पति संतान का नैसर्गिक कारक है। ऐसे में पंचम भाव और बृहस्पति पर ही संतान प्राप्‍ति के लिए विचार किया जाता है।

पुत्र योग कब बनता है?

पुत्र प्राप्ति का समय जानना : लग्नेश, पंचमेश के राशि अंकों को जोडऩे से जो राशि अंक बने उस पर जब गुरु ग्रह आए तो पुत्रोत्पत्ति का समय बनता है।

कुंडली में संतान का घर कौन सा होता है?

यदि कुंडली के एकादश भाव में बुध, शुक्र अथवा बली चंद्रमा शुभ स्थिति में हो और वह पंचम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखें तो उत्तम संतान सुख होता है। यदि कुंडली के पंचम भाव में केतु विराजमान हो तो भी संतान सुख मिल सकता है। यदि कुंडली के नवम भाव में बृहस्पति अथवा शुक्र ग्रह पंचमेश के साथ विराजमान हों तो अच्छी संतान मिलती है।