पतंग कविता में कवि ने बच्चों की तुलना किससे की है और क्यों उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए? - patang kavita mein kavi ne bachchon kee tulana kisase kee hai aur kyon udaaharan sahit spasht keejie?

‘पतंग’ कविता में कवि ने क्या बात कहनी चाही है?

अथवा

‘पतंग’ कविता का प्रतिपाद्य क्या है?


‘पतंग’ एक लंबी कविता है। इसके तीसरे भाग को पाठ्यपुस्तक में शामिल किया गया है। पतंग के बहाने कवि ने बाल सुलभ इच्छाओं एवं उमंगों का सुंदर चित्रण किया है। बाल क्रियाकलापों एवं प्रकृति में आए परिवर्तनों को अभिव्यक्त करने के लिए सुंदर बिंबों का उपयोग किया गया है। पतंग बच्चों की उमंगों का रंग-बिरंगा सपना है। आसमान में उड़ती पतंग ऊँचाइयों की वे हदें हैं, जिन्हें बालमन छूना चाहता है और उसके पार जाना चाहता है।

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जन्म से ही वे अपने साथ लाने हैं कपास-कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का क्या संबंध बन सकता है?


बच्चे अपने जन्म से ही अपने साथ कपास लाते हैं-कपास से बच्चों का संबंध कोमलता, नाजुकता से बन सकता है। कपास की प्रकृति निर्मल निश्छल एवं कोमल होती है। बच्चे भी इसी प्रकृति के होते हैं। बच्चे भी कपास की भांति कोमल एवं स्वच्छ मन होते हैं वे निष्कपट होते हैं। कपास नरम और मुलायम होती है तथा बच्चे भी जन्म से सुकुमार होते हैं। अत: दोनों में गहरा संबंध है।

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बिंब स्पष्ट करें-

सबसे तेज बौछारें गईं भादों गया

सवेरा हुआ

खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा

शरद आया पुलों को पार करते हुए

अपनी नई चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए

घंटी बजाते हुए जोर-जोर से

चमकीले इशारों से बुलाते हुए और

आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए

कि पतंग ऊपर उठ सके।


प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने गतिशील बिंब की योजना की है। यह चाक्षुस बिंब है। भादों मास के जाते ही सवेरा अपनी परी चमक के साथ प्रकट होने लगता है। शरद् का प्रात: लीन सूर्य लाल चमकीला होता है। इसे देखकर खरगोश की आँखों का बिंब सामने उभरता है। शरद् ऋतु के आगमन में उस बालक का बिंब साकार होता है जो अपनी नई साइकिल चलाता, घंटी बजाता आता है। मुलायम वातावरण में ही कोई चीज ऊपर उठ पाती है। मुलायम आकाश की कल्पना मनोहर है। इसमें पतंग का उड़ना एक अनोखे दृश्य की सृष्टि करता है।

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सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन बीज, सबसे पतला कागज, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है?


पतंग हल्की होने पर ही आकाश में उड़ पाती है। वह जितनी हल्की होती है उतनी ही ऊँची और दूर तक जाती है। उसे हल्का बनाने के लिए ही उससे संबंधित सभी चीजों को हल्का और पतला बताया गया है। ये विशेषण पतग को हल्की एवं आकर्षक (रंगीन) बनाते हैं। यह कविता बाल सुलभ चेष्टाओं और क्रियाकलापों का चित्रांकन करती है। बच्चों का मन भी अत्यंत कोमल और हल्का होता है।

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‘सबसे तेज बौछारें गयी, भादों गया’ के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों मे करें।


भादों के महीने में तेज वर्षा होती है बौछारें पड़ती हैं। बौछारों के जाते ही भादों का महीना समाप्त हो जाता है। इसके बाद क्वार (आश्विन) का महीना शुरू हो जाता है। इसके आते ही प्रकृति में अनेक प्रकार के परिवर्तन आ जाते हैं-

अब सवेरे का सूरज खरगोश की औंखों जैसा लाल-लाल दिखाई देने लगता है अर्थात् सूरज की लालिमा बढ़ जाती है।

शरद् ऋतु का आगमन हो जाता है। गर्मी से छुटकारा मिल जाता है। ऐसा लगता है कि शरद अपनी साइकिल को तेज गति से चलाता हुआ आ रहा है।

सवेरा चमकीला होने लगता है।

फूलों पर तितलियाँ मँडराती दिखाई देती हैं। बच्चे भी तितलियों के समान प्रतीत होते हैं।

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पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं-बच्चों का उड़ान से कैसा सबंध बनता है?


कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि जब पतंग उड़ती है तो बच्चों का मन भी उसके साथ उड़ता है। पतंग उड़ाते समय वे अत्यधिक उत्साहित हो जाते हैं। उनका मन भी पतंग के साथ- साथ उड़ता है। बच्चे पतंग के साथ पूरी तरह जुड़े रहते हैं। इसके साथ उनका अटूट संबंध बन जाता है। पतंग के आकाश में ऊपर जाते समय बच्चों का मन भी हिलोरे लेने लगता है। उन्हें पतंग के अतिरिक्त और कुछ दिखाई नहीं देता।

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विषयसूची

  • 1 पतंगों के साथ साथ हुए भी उड़ रहे हैं बच्चों का उड़ान से कैसे संबंध बनता है?
  • 2 पतंग के बारे में कवि क्या बताते हैं?
  • 3 गिरकर बचने पर बच्चे कैसे हो जाते है?
  • 4 पतंग कविता में कवि ने क्या बात किने रिी िै अपने शब्दों में बताइए?

पतंगों के साथ साथ हुए भी उड़ रहे हैं बच्चों का उड़ान से कैसे संबंध बनता है?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 5 : पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं- बच्चों का उड़ान से कैसा संबंध बनाता है? उत्तर : बच्चों को पतंग बहुत प्रिय है। आकाश में उड़ती पतंग को देखकर बच्चे भी उड़ने लगते हैं। अर्थात उनका मन भी मतंग के साथ उड़ान भरने लगता है।

पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकेंजब वे बच्चे किसी टहनी की तरह लचीली गति के साथ पेंग भरते हुए पतंग के पीछे दौड़ते हैं , तब उनकी किलकारी से ऐसा लगता है कि जैसे वे सभी दिशाओं को मृदंग की तरह बजा रहे हों । काव्य सौन्दर्य –’ दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए’ , ‘डाल की तरह लचीले वेग से अकसर ‘इनमे उपमा अलंकार हैं ।

इसे सुनेंरोकेंपतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं – बच्चों का उड़ान से कैसा संबंध बनता है? Answer : पतंग उड़ाते समय बच्चे रोमांचित होते हैं। जिस प्रकार पतंग आकाश में उडती हुई ऊँचाइयाँ छूती है, उसी प्रकार बच्चें भी जैसे छतों पर डोलते हैं।

पतंग उड़ाने वाले बच्चों को कौन बुला रहा है?

इसे सुनेंरोकेंकवि शरद का मानवीकरण करते हुए कहता है कि शरद अपनी नई चमकदार साइकिल को तेज़ गति से चलाते हुए ज़ोर-ज़ोर से घंटी बजाकर पतंग उड़ाने वाले बच्चों के समूह को सुंदर संकेतों के माध्यम से बुला रहा है।

पतंग के बारे में कवि क्या बताते हैं?

इसे सुनेंरोकेंप्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित कविता ‘पतंग’ से उद्धृत है। इस कविता के रचयिता आलोक धन्वा हैं। प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति में आने वाले परिवर्तनों व बालमन की सुलभ चेष्टाओं का सजीव चित्रण किया है। व्याख्या-कवि कहता है कि बच्चों का शरीर कोमल होता है।

आसमान में रंग बिरंगी पतंगों को देखकर आपके मन में कैसे ख्याल आते हैं लिखिए?

इसे सुनेंरोकें: रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर लगता है मानो हम भी पतंग के समान होते। सबका ध्यान हमारी ओर होता। हम हर दिशा में मज़े से उड़ पाते और जब दिल करता नीचे आ जाते। बहुत से बच्चों की खुशी और आनंद के हम कारण होते।

दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: दिशाओं को मृदंग की तरह बेजाने का तात्पर्य है कि जब बच्चे ऊँची पतंगें उड़ाते हैं तो वे दिशाओं तक जाती लगती है। तब ऐसा प्रतीत होता है मानो बच्चों की किलकारियों से दिशाएँ मृदंग बजा रही हैं। जब पतंग सामने हो तो छत कठोर नहीं लगती क्योंकि पैरों में अनजानी थिरकन भर जाती है।

गिरकर बचने पर बच्चे कैसे हो जाते है?

इसे सुनेंरोकेंI (ख) गिरकर बचने के बाद बच्चों को यह प्रतिक्रिया होती है कि उनका भय समाप्त हो जाता है और वे निडर हो जाते हैं। अब उन्हें तपते सूरज के सामने आने से डर नहीं लगता। अर्थात वे विपत्ति और कष्ट का सामना निडरतापूर्वक करने के लिए तत्पर हो जाते हैं।

पतंग कविता में कवि ने बच्चों की तुलना किससे की है और क्यों उदाहरण सहित समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंउदाहरण सहित समझाइए। उत्तर: कवि ने बच्चों की तुलना कपास से की है। बच्चे कपास की तरह लचीले, नरम व कोमल होते हैं।

पतंग कविता के लेखक कौन है?

इसे सुनेंरोकेंप्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक “आरोह भाग-2” में संकलित “आलोक धन्वा” द्वारा रचित’ पतंग’ नामक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने प्राकृतिक परिवर्तन के साथ-साथ बाल मन की चेष्टाओं का मनोहारी चित्रण किया है।

पतंग कविता में कवि ने क्या बात किने रिी िै अपने शब्दों में बताइए?

इसे सुनेंरोकेंकवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि जब पतंग उड़ती है तो बच्चों का मन भी उसके साथ उड़ता है। पतंग उड़ाते समय वे अत्यधिक उत्साहित हो जाते हैं। उनका मन भी पतंग के साथ- साथ उड़ता है। बच्चे पतंग के साथ पूरी तरह जुड़े रहते हैं।

पतंग कविता में कवि ने बच्चों की तुलना किससे की है और क्यों उदाहरण सहित समझाइए?

कवि ने बच्चों की तुलना कपास से की है। बच्चे कपास की तरह लचीले, नरम व कोमल होते हैं। इससे उन्हें चोट नहीं पहुँचती। पृथ्वी भी उनका स्पर्श करने को लालायित रहती है।

पतंग कविता में कवि ने बच्चों की तुलना किसी की है बच्चे खेल के माध्यम से से कौन सी चुनौतियां सीखते है स्पष्ट करें?

हम जो कुछ जैसे कर रहे होते हैं बच्चे भी वह सब उसी प्रकार करने का प्रयत्न करने लगते हैं।

पतंग कविता में बच्चों का उत्साह कैसे व्यक्त हो रहा है?

उत्तर : बच्चों को पतंग बहुत प्रिय है। आकाश में उड़ती पतंग को देखकर बच्चे भी उड़ने लगते हैं। अर्थात उनका मन भी मतंग के साथ उड़ान भरने लगता है। जैसे-जैसे पतंग आकाश में ऊँचाई में जाने लगती है, वैसे-वैसे उनका उत्साह बढ़ने लगता है।

पतंग कविता में बच्चों के पैरों को क्या कहा गया है?

'पतंग' कविता में कवि ने सवेरे की तुलना खरगोश की आँखों से की है क्योंकि खरगोश की आँखों में सवेरे जैसी लालिमा होती है। प्रश्न 14. कवि ने रूपक के रूप में बच्चों को कपास की तरह कोमल कहा है क्योंकि बच्चों का शरीर भी कपास की तरह मुलायम और कोमल होता है। बच्चे कहीं भी टिक कर नहीं बैठते, इसलिए कवि ने उनके पैरों को बेचैन कहा है।