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बच्चे को बुखार आने पर पेरासिटमोल ( Paracetamol ) देने की सलाह दी जाती है, लेकिन इसके लिए कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए. अक्सर पेरेंट्स बच्चों की देखरेख में इस दवा को देते समय करते हैं ये गलतियां.बच्चे को पेरासिटामोल देते समय इन बातों का रखें ध्यान Image Credit source: File Photo आजकल घरों में तेज बुखार आने पर लोग तुरंत मार्केट में मिलने वाली दवा पेरोसाटिमोल ( Paracetamol ) का सेवन कर लेते हैं. ज्यादातर मामलों में लोग डॉक्टर से सलाह किए बिना इस दवा का सेवन करने की भूल करते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये आपको बुखार से राहत, तो दे सकती है, लेकिन कभी-कभी नुकसान भी झेलना पड़ सकता है. देखा गया है कि ज्यादातर पेरेंट्स बुखार से ग्रसित होने पर बच्चों को इसी दवा का सेवन करवाते हैं. बुखार आने पर बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है और उसे भूख न लगना, डिहाइड्रेशन जैसी हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती है. माना जाता है कि बच्चे के शरीर का तापमान अगर 100 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो, तो पेरासिटामोल को देना सुरक्षित होता है. वैसे इस दवा को देते समय पेरेंट्स को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. इस लेख में हम आपको इन्हीं चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं. बच्चे को पेरासिटामोल देते समय इन बातों का रखें ध्यान1. पेरासिटामोल का बच्चे को सेवन कराने से पहले डॉक्टर से सलाह कर लें कि कितनी मात्रा में से दवा दी जानी चाहिए. इंफेक्शन के कारण बुखार होने पर उसे ठीक होने में समय लगता है. ऐसे में डोज बढ़ाने से कोई फायदा नहीं होगा. कई बार पेरेंट्स डोज बढ़ाने की गलती करते हैं, जो बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो सकती है. 2. अगर आप ड्रोप या सिरप यानी ओरल ड्रग देने जा रहे हैं, तो इससे पहले ये जांच लें कि उस समय बच्चे के शरीर का तापमान कितना है. बच्चे की बॉडी का टेंपरेचर 100 से कम है, तो उसे दवा देने से परहेज करें. 3. पेरासिटामोल की खुराक को देते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे का वजन कितना है और उसी के अनुसार दवा दी जानी चाहिए. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर बच्चे का वजन 5 किलोग्राम से कम है, तो उसे डॉक्टर से पूछे बिना दवा बिल्कुल न दें. 4. कई बार टीकाकरण के बाद शिशु को बुखार आने की समस्या हो जाती है. ऐसे में पेरेंट्स उसे पेरासिटामोल की डोज देते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे टीकाकरण की प्रभावशीलता कम हो जाती है. 5. ऐसा भी होता है कि बच्चे को लगातार तीन दिन तक पेरासिटामोल देने के बाद भी उसका बुखार कम नहीं हो रहा होता. इस सिचुएशन में दवा की डोज बच्चे को देना बंद करें और उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं. बच्चों में बुखार होने की समस्या सबसे ज्यादा देखी जाती है। खासकर छोटे बच्चों को बुखार आने पर तो माता-पिता बहुत अधिक घबरा जाते हैं। आनन-फानन में कभी नजदीक के दवा दुकान से दवा खरीदकर खिला देते हैं, या हॉस्पिटल की ओर भागते हैं। कई बार साधारण बुखार होने पर भी माता-पिता को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्या आप जानते हैं कि अधिकतर बच्चों को बुखार वायरल संक्रमण के कारण होता है? इसे वायरल फीवर कहते हैं, और आप बच्चों के बुखार का इलाज घर पर ही कर सकते हैं। जी हां, बच्चों में बीमारियों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से तैयार नहीं होती, इसलिए वे बाहरी संक्रमण से जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। इस कारण बच्चे बार-बार बुखार से पीड़ित हो जाते हैं। आपको यह पता है कि आयुर्वेद में बच्चों के बुखार को ठीक करने के लिए कई तरह के घरेलू उपाय बताए गए हैं। आप इन उपायों का प्रयोग कर ना सिर्फ बच्चों को स्वस्थ कर सकते हैं, बल्कि भागमभाग से भी बच सकते हैं। Contents
बुखार क्या है? (What is Fever?)आयुर्वेद के अनुसार, बच्चे बार-बार, कुछ ना कुछ खाते रहते हैं। ऐसे में एक साथ ठण्डा-गरम खाने, या संक्रमित वातावरण में रहने से जठराग्नि मंद पड़ जाती है। आहार रस ठीक प्रकार से नहीं बन पाता। कई बार बच्चों का पेट साफ ना होने की समस्या भी देखी जाती है, और इस कारण भी बच्चों को बुखार आ जाता है। इसके अलावा सर्दी के मौसम में भी बुखार और सर्दी-खांसी हो जाती है। बच्चों को बुखार आने के लक्षण (Children Fever Symptoms)बच्चों को बुखार आने पर ये लक्षण दिखाई पड़ते हैंः-
और पढ़ें – सर्दी-खांसी में अकरकरा के फायदे बच्चों को बुखार आने के कारण (Children Fever Causes)बच्चों को बुखार आने के कई कारण हो सकते हैं, जैसेः-
बच्चों का बुखार ठीक करने के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies for Children Fever)बच्चों को बुखार होने पर ये घरेलू उपाय कर सकते हैंः- बच्चों के बुखार का घरेलू उपचार सेब के सिरके से (Apple Vinegar: Home Remedies to Treat Fever in Children in Hindi)गरम पानी में थोड़ा सा सेब का सिरका मिला लें। इसमें कपड़ा भिगाकर निचोड़ लें। इसे बच्चे के शरीर को पोछें। और पढ़े – बुखार में शिवलिंगी से लाभ बच्चों में वायरल बुखार का इलाज गिलोय से (Giloy: Home Remedy for Fever Treatment in Children in Hindi)गिलोय का रस बुखार के लिए रामबाण दवा है। बच्चे को 100-120 मि.ली. की मात्रा में गिलोय के रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर, दिन में तीन बार पीने को दें। और पढ़ें – बच्चों की खाँसी के लिए घरेलू इलाज और पढ़ें: बुखार में गिलोय का उपयोग अदरक से बच्चों के बुखार का इलाज (Ginger: Home Remedies to Cure Children’s Fever in Hindi)अदरक को पीस कर रस निकाल लें। आधा चम्मच रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर बच्चें को चटाएं। इससे बुखार उतर जाता है। और पढ़ेंः अदरक के फायदे और सेवन का तरीका जायफल से शिशुओं के बुखार का उपचार (Nutmeg: Home Remedy to Cure Fever in Children in Hindi)जायफल को पीसकर नाक, छाती और सिर पर लेप करें। यह शिशु को बुखार होने पर बहुत अधिक लाभ पहुंचाता है। और पढ़ें: जायफल के औषधीय गुण तुलसी के प्रयोग से बच्चों के वायरल बुखार का इलाज (Tulsi: Home Remedies to Treat Children’s Fever in Hindi)
और पढ़ेंः तुलसी के फायदे और सेवन का तरीका काली मिर्च से बच्चों के बुखार का इलाज (Black Pepper: Home Remedy for Children Fever in Hindi)दो काली मिर्च और तुलसी के दो पत्तियों को पीस कर शहद के साथ मिलाकर, बच्चे को दिन में 2-3 बार चटाएं। इससे बुखार में आराम मिलता है। और पढ़ेंः शहद के फायदे बच्चों के बुखार की दवा कुटकी (Kutki: Home Remedies for Kids Fever Treatment in Hindi)
और पढ़ेंः कुटकी के फायदे और नुकसान बच्चों के बुखार का इलाज करने के लिए अन्य घरेलू उपाय (Other Home Remedies for Kids Fever in Hindi)
और पढ़ें: बुखार में भुई-आंवला का उपयोग बुखार के दौरान बच्चों का खान-पान (Children Diet in Fever)बुखार आने पर बच्चों का खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
बुखार के दौरान बच्चों की जीवनशैली (Children Lifestyle in Fever)बुखार आने पर बच्चों की जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-
और पढें – बुखार में फायदेमंद परवल सामान्य तौर पर बच्चों को बुखार कितने दिनों तक रहता है? बच्चों में यदि वायरल बुखार हुआ है, तो यह कम से कम तीन दिन और अधिक से अधिक दो हफ्ते तक रह सकता है। अगर तीन दिनों के बाद भी बच्चों का बुखार कम नहीं हो रहा हो तो क्या करना चाहिए? यदि बुखार 3 दिन से अधिक हो, और घरेलू उपचार से भी राहत ना मिलें। तापमान बार-बार बढ़ रहा हो, तथा जुकाम और खांसी में भी कोई आराम ना मिले तो यह गंभीर स्थिति बन सकती है। शिशुओं को बुखार आने पर डॉक्टर से कब सम्पर्क करना चाहिए? बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं होती है। इसलिए उनमें संक्रमण के कारण कई रोग होने का खतरा रहता है। बुखार के कारण बच्चे सुस्त और कमजोर पड़ जाते हैं। उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है। कई बार बच्चों में अधिक तापमान के कारण दौरे पड़ने की स्थिति भी देखी जाती है। इसलिए यदि दो-तीन दिन के बाद बुखार के लक्षणों में कमी ना आए, तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि स्तनपान करने वाले शिशुओं का बुखार बहुत ही कष्टदायक होता है। इसमें उन्हें स्तनपान तथा साँस लेने में कठिनाई के साथ उल्टी और दस्त भी होने लगता है। बच्चा सुस्त एवं पीला पड़ जाता है। इस अवस्था में तुरंत उपचार की जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में लापरवाही गंभीर हो सकती है। और पढ़ें:
बच्चों को तेज बुखार आने पर क्या करना चाहिए?बच्चों के बुखार का इलाज करने के लिए अन्य घरेलू उपाय (Other Home Remedies for Kids Fever in Hindi). ठंडे पानी में पट्टियां भिगाकर बच्चे के माथे पर रखें। ... . बच्चे को पानी और तरल पदार्थ उचित मात्रा में दें।. शिशु के पैरों के तलवे में जैतून के तेल की मालिश करें।. काकड़ासिंगी और पीपल का चूर्ण कर रख लें।. बच्चों का बुखार का सिरप कौन सा है?इसके बाद भी अगर बच्चा गर्म है, तो उसे पेरासिटामोल ड्रॉप या सिरप से मदद मिल सकती है। पेरासिटामोल को सही मात्रा में देने के लिए, आपको ड्रॉप या सिरप की ताकत को जानने की आवश्यकता है। दवा दो शक्तियों में आती है - 120 एमजी / 5 एमएल और 250 एमजी / 5 एमएल जो क्रमशः 2 एमएल और 5 एमएल के रूप में दी जा सकती है।
बच्चों को बुखार के लिए कौन सी दवाई देनी चाहिए?अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स का कहना है कि आप बच्चे को बुखार कम करने के लिए इबूप्रोफेन दे सकते हैं। यह गोली 6 महीने से बड़े बच्चो को ही दी जाती है। दो महीने से बड़े शिशु को एसेटामिनोफेन दे सकते हैं लेकिन उससे पहले एक बार डॉक्टर से बात करना जरूरी है।
बुखार के लिए सबसे अच्छी दवा कौन सी है?बुखार में कौन सी दवा लेना सुरक्षित? सोनिया रावत कहती हैं कि अगर अचानक बुखार आ जाए तो ऐसी कंडीशन में पैरासिटामोल टेबलेट ले सकते हैं.
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