प्रश्न 9. प्रगतिवाद की चार विशेषताएँ लिखिए। तथा दो प्रगतिवादी कवियों के नाम तथा उनकी एक-एक रचना लिखिए Show Answer:उत्तर- प्रगतिवादी काव्य की विशेषतायें : (1) सम्यवादी विचारधारा से प्रेरित प्रगतिवादी काव्य में सामाजिक समता का उद्घोष हुआ है। (2) दीन-हीन एवं किसानों के प्रति सहानुभूति का भाव । (3) अशिक्षा, शोषण, नारी, संमास आदि के प्रति जागरुकता का संदेश। (4) शोषकों के प्रति घृणा तथा शोषियो के प्रति संवेदनशीलता। प्रगतिवादी कवियों के नाम तथा उनकी रचना : (1) नागार्जुन – युगधारा, प्यासी पथराई आँखे (2) केदारनाथ अग्रवाल – युग की गंगा, नींद के बादल Que : 34. प्रगतिवाद की दो विशेषताएं बताते हुए दो प्रमुख कवियों के नाम तथा एक-एक रचना के नाम लिखिए । Answer: प्रगतिवादी काव्यधारा की प्रमुख विशेषताओं व प्रवृत्तियों का वर्णन निम्नलिखित है - 1. रूढ़ि - विरोध -
3. मानवतावाद का स्वर - 4. नारी भावना - मुक्त करो नारी को मानव चिर वन्दिनी नारी को। 5. धरती पर ही स्वर्ग बनाना -
कविवर पन्त भारतीय ग्राम का चित्रण करते हुए लिखते हैं - यहाँ खर्व नर (बानर?) रहते युग युग से अभिशापित, 8. समसामयिक राष्ट्रीयता और अंतर्राष्ट्रीय चित्रण -
नागार्जुन ने कागजी आजादी पर लिखा है - प्रगतिवादी कवि और उनकी रचनाएं प्रगतिवाद की विशेषताएं क्या है?प्रगतिवाद अर्थ, अवसर तथा संसाधनों के समान वितरण के द्वारा ही समाज की उन्नति में विश्वास रखता है। सामान्य जन की प्राण प्रतिष्ठा, श्रम की गरिमा, सामाजिक लोगों के सुख-दुख आदि को प्रस्तुत करना प्रगतिवादी काव्य का प्रमुख लक्ष्य है। प्रगतिवादी काव्य में शोषित वर्ग के प्रति सहानुभूति का भाव व्यक्त किया गया है।
प्रगतिवादी युग की दो विशेषताएं क्या है?1. शोषितो के प्रति सहानुभूति -प्रगतिवादी कवियों ने किसानों मजदूरों पर किए जाने वाले पूंजी पतियों के अत्याचारों के प्रति अपना विद्रोह व्यक्त किया है। 2. सामाजिक यथार्थ का चित्रण- प्रगतिवादी कवियों ने सामाजिक यथार्थ का चित्रण किया है उन्होंने गरीबी भुखमरी अकाल और बेरोजगारी आदि विभिन्न समस्याओं का वर्णन किया है .
प्रगतिवादी कविता का विषय क्या रहा है?निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि प्रगतिवादी कवियों में हमें सामाजिक यर्थाथवाद के दर्शन होते हैं। पंत , निराला के काव्य में बिम्बात्मक और वैचारिक यर्थाथवाद देखने को मिलता है तो केदार , नागार्जुन , त्रिलोचन , आदि कवियों ने शोषण , शोषित , दलित , सर्वहारा आदि को काव्य का मुख्य विषय बनाया।
प्रगतिवाद रचना का मुख्य उद्देश्य क्या है?प्रगतिवादी कविता का मूल उद्देश्य है : वर्गविहीन शोषणविहीन समाज की स्थापना करना।
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