अनौपचारिक पत्र लिखते समय सबसे पहले क्या लिखा जाता है? - anaupachaarik patr likhate samay sabase pahale kya likha jaata hai?

Informal Letter Format in Hindi : अनौपचारिक पत्र कैसे लिखें? hindi letter writing informal क्या आप अनौपचारिक पत्र लिखना चाहते हैं, पर अनौपचारिक पत्र का सही फॉर्मेट न जानने की वजह से आपको पत्र लिखने में दिक्क्त आ रही है, तो आप बिलकुल सही जगह पर आये हैं, इस पोस्ट में आपकी समस्या का समाधान है|

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अनौपचारिक पत्र हम अपने मित्रों, रिश्तेदारों को लिखते हैं और इसमें ज़्यादा फॉर्मल तरह से लिखने की आवश्यकता नहीं होती, पर अगर इसे एक सही फॉर्मेट में लिखा जाए तो यह दिखने में भी अच्छा लगता है, और पढ़ने में भी|

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तो आज हम इसी विषय पर बात करेंगे की अनौपचारिक पत्र आखिर होते क्या हैं? और इनको लिखने का सही तरीका क्या है| यूँ तो हम सभी जानते हैं की पत्र लेखन एक कला है, और इसे जितनी बेहतर तरह से आप लिखेंगे, पड़ने वाले को इस पत्र को पढ़ने में उतना ही आनंद आएगा|

यह एक ऐसा पत्र है, जिसमें आप अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकते हैं| तो जानते हैं की कैसे हम अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को यह पत्र लिखें, और किस प्रकार उनसे अपनी भावनाएं व्यक्त करें|

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इस लेख में जिन विषयों पर हम चर्चा करेंगे वे हैं अनौपचारिक पत्र का अर्थ, अनौपचारिक पत्र फॉर्मेट, मित्र को अनौपचारिक पत्र, परिवार को अनौपचारिक पत्र, रिश्तेदारों को अनौपचारिक पत्र, बहन/ भाई को अनौपचारिक पत्र कैसे लिखें और अपनी भावनाएं कैसे व्यक्त करें, छोटे भाई/ बेहेन को बधाई पत्र, अनौपचारिक पत्र लेखन, आदि जैसे कई तरह के अनौपचारिक पत्र का प्रारूप इस पोस्ट पर उपलब्ध है|

These are informal letter format in hindi, and you can see the informal letter in hindi format. Each format for applications and letter are same but format of informal letter in hindi is bit different. You can see the format of informal letter in hindi cbse books. and

अनौपचारिक पत्र क्या होते हैं?

अनौपचारिक पत्र हम उन पत्रों को कहते हैं जिन्हें हम पारिवारिक सदस्यों, मित्रों, सगे सम्बन्धियों को भेजते हैं| इन पत्रों को सामाजिक या व्यक्तिगत पत्र भी कहा जाता है| इस प्रकार के पत्रों को लिखने के लिए आपको किसी ख़ास फॉर्मेट की ज़रूरत नहीं है| अनौपचारिक पत्र आमतौर पर किसी को बधाई देने, आमंत्रित करने, कुशल मंगल पूछने, किसी का आभार प्रकट करने के लिए लिखे जाते हैं|

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अनौपचारिक पत्र का फॉर्मेट क्या है?

यूँ तो अनौपचारिक पात्र का फॉर्मेट बहुत ही सरल है, और आपको ज़्यादा चीज़े याद रखने की ज़रूरत नहीं, जैसे एक औपचारिक पत्र में बहुत ध्यान रखा जाता है, और अगर अनौपचारिक पत्र लिखते समय पैटर्न गलत भी हो जाये तो ज़्यादा कोई ध्यान नहीं देता| लेकिन सही फॉर्मेट में पत्र लिखना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि इसका भी एक पैटर्न है|

मान लीजिये आप स्कूल की परीक्षा में अनौपचारिक पत्र लिख रहे हैं, तो बहुत ही ज़्यादा महत्वपुर्ण है की आप सही अनौपचारिक पत्र पैटर्न के साथ ही वह पत्र लिखें, वर्ण आपके अंक भी कट सकते हैं| तो आइये जानते हैं की अनौपचारिक पत्र को लिखने का पैटर्न क्या है|

  1. पहले तो जिस कागज़ पर आप अनौपचारिक पत्र लिख रहे हैं उसमें अपना पता लिख ले|
  2. एक लाइन छोड़ के दिनांक लिखें|
  3. अब एक लाइन छोड़े, और जिनको पत्र भेज रहे हैं उनको सम्बोधित करें, जैसे – आदरणीय/ पूजनीय पिताजी/ माताजी/ चाचाजी/ आदि, या प्रिय भाई (नाम)/ बहन (नाम)/ मित्र (नाम)|
  4. अब बिना लाइन छोड़े पत्र लिखना शुरू करें, और जो भी भावनाएं आप अपनी व्यक्त करना चाहते हैं वह करें|
  5. इस पत्र को आकर्षित बनाने के लिए जो भी बातें आप उसमे लिख रहे हैं, उन्हें तीन चार पेरा में तोड़ें|
  6. अब अंत में शिष्टतासूचक शब्दों के साथ पत्र को विराम दें जैसे आपका बेटा/ बेटी/ भतीजी/ आदि (नाम) या तुम्हारा भाई/बहन/ मित्र (नाम)|
  7. इसे अंत करने के बाद आप अपना फ़ोन नंबर भी लिख सकते हैं (नाम)|

अनौपचारिक पत्र उदाहरण

आप वार्षिक परीक्षा में प्रथम आए हैं। इसके लिए आपके पिताजी ने आपको पुरस्कार के रुप में एक लैपटॉप भेजा है।उसी का धन्यवाद प्रकट करते हुए उन्हें पत्र लिखिए।

परीक्षा भवन
132 – 68 ऋषि विहार
देहरादून – 248001

दिनांक : XX महीना XXXX

आदरणीय पिताजी,
सादर प्रणाम।
आशा करती हूँ की आप सभी कुशल मंगल होंगे| मैं भी यह बिलकुल ठीक हूँ| आज मुझे आपका दिया गया उपहार मिला| मुझे यह टेबलेट बहुत पसंद आया| इस तोहफे के लिए मैं आपका आभार प्रकट करना चाहती हूँ|

मैं काफी समय से सोच रही थी की आपको बताऊ की मुझे एक लैपटॉप की ज़रूरत है, लेकिन मैंने उम्मीद नहीं करी थी की आपको पहले से ही मेरी इस ज़रूरत का आभास होगा| मैं यह लैपटॉप पाकर बहुत खुश हूँ, और आपसे वादा करती हूँ की जैसे इस प्रकार मैंने परीक्षाओं मैं अच्छे अंक प्राप्त करे और प्रथम रैंक हासिल की, ऐसे ही आगे भी कड़ी मेहनत करूंगी और प्रथम आउंगी|

घर पर सभी को मेरा प्रणाम एवं प्यार दीजियेगा| और इस उपहार के लिए आपका दिल से एक बार फिर धन्यवाद|

आपकी प्रिय बेटी
(नाम)

Informal latter writing छोटे भाई को पढाई-लिखाई के संबंध में पत्र

कौशल्या छात्रावास

बी.पी.एस. नगर इलाहाबाद

25 नवंबर, 2009

प्रिय अनुज,
प्रसन्न रहो।

तुम्हारा पिछला पत्र मुझे यथासमय मिल गया था; किन्तु अतिव्यस्तता के कारण मै इसके पूर्ण उत्तर न दे सका। विश्वास है, बुरा नहीं मानोगे।

इधर मुझे पिताजी का एक पत्र मिला है, जिससे मैं अत्यधिक चिंतित हो गया हूॅ। पिताजी को अपने एक मित्र से पता चला है कि तुम अच्छी तरह से पढ़ाई-लिखाई नहीं कर रहे हो। अपना अधिकतर समय गपशप, सिनेमा, पिकनिक तथा शतरंज खेलने में व्यतीत करते हो।

तुम्हें पता है कि पिताजी अपना खून-पसीना एक कर हमारे लिए साधन एकत्र करते हैं। ऐसी स्थिति में यदि हमलोग उनके परिश्रम से प्राप्त धन का तथा अपने समय का सदुपयोग नहीं करते हैं तो यह उनके प्रति घोर अन्याय होगा। सिनेमा जाना, बातचीत करना या शतरंज खेलना बुरा नहीं है; किन्तु हर काम की अपनी सीमा होती है। और फिर यह समय तो अधिकाधिक अध्ययन का है। तेरी परीक्षा भी निकट है। ऐसी स्थिति में इस समय तुम्हें अपना समय पढाई-लिखाई पर देना चाहिए। मुझे पूर्ण विश्वास है कि भविष्य में तुम्हारे बारे में ऐसी बात सुनने को नहीं मिलगी और तुम परिश्रम से पढ़कर अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होंगे।

पत्र का उत्तर देना। पिताजी को भी एक पत्र डाल देना।

तुम्हारा अग्रज
भानु प्रताप

Informal letter format in hindi मित्र को शिमला भ्रमण के संबंध में पत्र 

अजमेरशरीफ

आबू रोड राजस्थान

5 मई, 2010

प्रिय अनिल,

सप्रेम वन्दे |

बहुत दिनों से तुम्हारा कोई पत्र नहीं मिला। तुम तो कभी-कभी ऐसी चुप्पी साथ जाते हो कि कुछ पता ही नहीं चलता। तुम्हें याद होगा, पिछले वर्ष जब हम लोग सिक्किम घूमने गए थे तो यह तय हुआ था कि अगले ग्रीष्मावकाश में शिमला घूमने चलेंगे। अब समय नजदीक आ गया है। अतः, पुनः कार्यक्रम बन जाना चाहिए। मनटुन का पत्र आया था। वह अपने एक मित्र की सहायता से शिमला भ्रमण की रूपरेखा बना रहा है। मैं शीघ्र ही वह कार्यक्रम तुम्हारे पास भेजूँगा।

हाँ, इस बार का सारा व्यय मैं ही वहन करूँगा, तुम्हें इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। मेरा यह निश्चय तुम्हें मानना ही होगा। एक आग्रह और, तुम इसे ऋणशोध का प्रयत्न न मान बैठना। अरे यार, तुम मेरे इतने अभिन्न हो कि मुझे विश्वास है कि मेरी बात को तुम कभी अन्यथा नहीं लोगे। आशा है, गिटार का अभ्यास यथापूर्व चल रहा होगा। उसे भी साथ ले चलना। झीलों के किनारे गिटार की सुरलहरी हमारे मनोरंजन में चार चाँद लगाएगी।

पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।

तुम्हारा अजीज
नदीम आफजाल

Anaupcharik Patra format पिता को पत्र अपनी परीक्षा की तैयारी के संबंध में,

टैगोर आवास

धरमतल्ला रोड, कोलकाता – 4

21 दिसंबर, 2009

पूज्यवर पिताजी,

सादर चरण-स्पर्श

आपका प्यार-भरा पत्र मिला। पत्र पढ़कर दिल बाग-बाग हो गया। माताजी स्वास्थ्य लाभ कर रही हैं- यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई। 25 दिसंबर से 5 जनवरी तक काॅलेज में अवकाश है। बहुत दिनों के बाद पुनः हमलोग एक साथ होंगे। इसकी कल्पना मात्र से मैं रोमांचित हो जाती हूँ।

जहाँ तक मेरी विश्वविद्यालयी परीक्षा की तैयारी की बात है, वह मेरी दृष्टि में बहुत ही अच्छी है। मैंने सारे पेपर भली-भाँति तैयार कर लिए हैं। पिछली टर्मिनल परीक्षा में मात्र दो नंबर के कारण में महाविद्यालय टाॅपर नहीं हो सकी। इस बार मैंने तैयारी जमकर की है। आपके कथनानुसार मैंने काॅलेज टाईम के बाद के समय की रूटिन बना ली है। सुबह में भी तीन बजें से साढ़े छह तक स्टडी करती हूँ। फिर कोचिंग के बाद लगभग चार घंटे पढती  हूँ। पता है, पिताजी, इस बार की मासिक परीक्षा में तो मुझे प्रिंसिपल साहब ने डबल स्टार दिए हैं। मेरी उत्तर-पुस्तिका में कहीं भी लाल निशान नहीं है। आप निश्चिंत रहें। इस बार आपकी लाडली अपने माता-पिता और विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेगी।

शेष समाचार पूर्ववत् है इधर मेरी सहेली पूजा चक्रवर्ती की माँ बहुत ज्यादा अस्वस्थ हो गई हैं। कभी-कभी तो पूजा उदास हो जाया करती है। पिछले साल उसी को सर्वश्रेष्ट छात्रा का पुरस्कार मिला था। आपके और माताजी के स्वास्थ्य की कामना करते हुए पत्र समाप्त करती  हूँ।

आपकी लाडली
अंशु अनू

Anaupcharik Patra परीक्षा में शानदार सफलता के लिए मित्र को बधाई-पत्र

कटरा, जम्मू-कश्मीर
18 मार्च, 2010

प्रिय मित्र,

सप्रेम वन्दे।

आशा है, तुम सपरिवार स्वस्थ एवं सानंद होगे। तुम इतने व्यस्त रहते हो कि अपनी खुशखबरी भी नहीं सुनाते। यह संयोग ही था कि अखबार में तेरी तस्वीर और इंटरव्यू देख यह पता चला कि यू.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में न सिर्फ उत्तीर्ण हुए हो; बल्कि पूरे भारतवर्ष के परीक्षार्थियों में तेरा द्वितीय स्थान है। मैं तो अखबार-सहित मम्मी-पापा के पास पहुंचकर झूम-झूमकर तुम्हारा इंटरव्यू सुनाने लगा। मित्र, तुम्हारी इस सफलता के लिए तुम्हें बहुत-बहुत बधाई हो। मेरी शुभकामना है कि तुम इसी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करते रहो।

मैंने जब यह सूचना अपने मम्मी-पापा को दी तब उनकी खुशी का भी ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने भी ढेर सारी शुभकामनाएं दी है। मम्मी को एक बाद का संदेह है कि कहीं तुम हम सब को भूल न जाओ। मैंने मम्मी को विश्वास दिलाया है कि अपना अभिनव ऐसा कतई नहीं करेगा। देखना दोस्त, मम्मी को शिकायत का मौका नहीं देना। विशेष मिलने पर। चाचाजी और चाची जी को मेरा सादर नमन कहना और अंजलि को शुभ प्यार।

एक बार फिर तुम्हें कोटिशः बधाई। शेष समाचार पूर्ववत् है।

तुम्हारा अभिन्न मित्र
मनीष कुमार ‘महापात्र’

Anaupcharik Patra माताजी के देहांत पर मित्र को शोक-पत्र

अपराजिता अपार्टमेंट कमरा नं.-201
रोड नं.-32, बड़ा बाजार, कोलकाता
26 जून, 2009

प्रिय माहेश्वरी

नमस्ते।

आज ही तेरा शोक-भरा पत्र प्राप्त हुआ। माताजी के देहान्त की बात पढ़कर मैं सन्न रह गया। उनकी अस्वस्थता से तो मैं अवगत था, किन्तु इतनी जल्दी वे हमलोगों को छोड़ जाएँगी, ऐसा कभी नहीं सोचा था। इस खबर को सुनकर तो तेरी चाची भी बहुत रोयी।

मेरे अजीज, भला होनी को कौन टाल सकता है? इस दुःख घड़ी में तुम धैर्य न खोना; क्योंकि ऐसे समय ही इन्सान की असली होती हैं। नियति के इस दंड को तम्हें स्वीकारना होगा। यह तो प्रकृति का नियम ही है। देखों, गोस्वामीजी ने रामचरितमानस में क्या लिखा है-

‘‘आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक, फकीर।

एक  सिंहासन चढ़ी चले, एक बँधै जंजीर।।’’

मेरे दोस्त, आदि और अन्त सब कुछ भाग्य के हाथ हैं। तुम इस सच्चाई को समझो और कलेजे पर पत्थर रख अपने कामों में लगों। ईश्वर करें, माताजी की दिवंगत आत्मा को चिरशांति मिले। विपत्ति की इस घड़ी में मैं स्वयं आकर तेरा दुःख बाँटूँगा। कुछ अत्यावश्यक कार्यों से निवटकर मैं अगले सप्ताह आ रहा  हूँ। शेष मिलने पर।

तुम्हारा मित्र
वासुदेव सोलंकी

जिस फॉर्मेट मैं हमने आपको ऊपर एक उदाहरण प्रदान कराया है, इसी प्रकार आपको अनौपचारिक पत्र लिखने हैं| पैटर्न यही रहेगा, अंदर के विचार आप अपने मन अनुसार बदल सकते हैं|

हम उम्मीद करते हैं की आपके लिए यह पोस्ट मददगार साबित होगी| कई और तरह की जानकारियों के लिए इस पेज के साथ जुड़े रहें|

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अनौपचारिक पत्र में सबसे पहले क्या लिखा जाता है?

हिंदी में अनौपचारिक पत्र (informal letter format in hindi) लिखते हुए सबसे पहले ऊपर में अपना खुद का पूरा पता लिखा जाता है। यह इसलिए भी होता है कि यदि पत्र को प्राप्त करने वाला आपको पत्र लिखना चाहे तो उक्त पते पर लिख सकता है। पता लिखने के बाद जिस दिन चिट्ठी लिखी जा रही है, उस दिन का दिनांक लिखें।

अनौपचारिक पत्र की शुरुआत कैसे की जाती है?

अनौपचारिक पत्र उन व्यक्तियों को लिखे जाते हैं, जिनसे पत्र लेखक का व्यक्तिगत या निजी संबंध होता है। अपने मित्रों, माता-पिता, अन्य संबंधियों आदि को लिखे गए पत्र अनौपचारिक-पत्रों के अंतर्गत आते है। अनौपचारिक पत्रों में आत्मीयता का भाव रहता है तथा व्यक्तिगत बातों का उल्लेख भी किया जाता है।

पत्र लिखते समय सबसे पहले क्या लिखना चाहिए?

औपचारिक पत्र.
पत्र भेजने वाले (प्रेषक) का पता औपचारिक पत्र लिखते समय सर्वप्रथम पत्र – भेजने वाले का पता लिखा जाता है। ... .
तिथि/दिनांक प्रेषक के पते के ठीक नीचे जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है उस दिन की दिनांक लिखी जाती है।.

औपचारिक पत्र लिखते सबसे पहले क्या लिखा जाता है?

औपचारिक पत्र लिखने से पहले क्या लिखा जाता है? सबसे पहले सादे कागज पर बायीं ओर जिसके द्वारा पत्र लिखा जा रहा है उसका पता व दिनांक लिखी जाती है तत्पश्चात बायीं ओर 'सेवा में' लिखने के बाद प्रेषित (पत्र भेजने के लिए) के लिए संपादक, समाचार-पत्र का नाम, शहर का नाम लिखा जाता है।