पानी के पेड़ लघुकथा का उद्देश्य क्या है? - paanee ke ped laghukatha ka uddeshy kya hai?

पाठ के साथ केवल पढ़ने के लिए दी गई पठन-सामग्री ‘हम पृथ्वी की संतान!’ का सहयोग लेकर पर्यावरण संकट पर एक लेख लिखें।


पर्यावरण संकट
पर्यावरण अर्थात् एक ऐसा आवरण जो हम चारों ओर से ढके हुए हें। पूरी प्रकृति विशाल पारिस्थिति की तंत्र है। मनुष्य के जीवन में धरती, आकाश, नदियाँ. पेड़-पौधे, हवा, जल, खनिज पदार्थ सभी अपना विशेष महत्व रखते हैं। लेकिन मनुष्य केवल अपने स्वार्थ से प्रेरित रहता हें। वह इन सब साधनों का प्रयोग ताे करता है लेकिन इनकी सुरक्षा व सुंदरता की और कोई कर्तव्य नहीं निभाता।
आज विश्व की सभी प्रसिद्ध नदियाँ गंगा, यमुना, नर्मदा, राइन, सीन, मास, टेम्स आदि पूर्णतया प्रदूषित हो चुकी हैं। पृथ्वी के ऊपर जोन गैस की मोटी परत जो हमारा रक्षा कवच है वह भी खतरे में पड़ी है। इसीलिए सूर्य का ताप धरती की आेर बढ़ता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिग (पृथ्वी का तापमान) बढ़ने से छोटे-बड़े द्वीप व महाद्वीप के तटीय क्षेत्रों के डूब जाने का खतरा बढ़ता जा रहा है। प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूचाल, तूफान आदि बढ़ते जा रहे हैं। बेवक्त बरसातें व गर्मियो में अधिक गर्मी, सर्दियों में अधिक सर्दी भी पर्यावरण प्रदूषण के कारण हैं।
यह पूरे विश्व हेतु चिंता का विषय है। इसलिए पूरे विश्व में वायु, ध्वनि, जल व संपूर्ण पृथ्वी को प्रदूषित होने से बचाने हेतु प्रयास जारी हें। इसी हेतु! ‘पर्यावरण दिवस’ व ‘पृथ्वी सम्मेलन’ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य है ‘पृथ्वी को बचाओ’।
आज सभी का यह कर्तव्य बनता है कि राष्ट्र सीमाओं के बंधनों में न रहकर पूरे विश्व के पर्यावरण को स्वच्छ बनाने का प्रयास किया जाए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जीवन यापन की सभी आवश्यकताएँ यह धरती हमें प्रदान करती है। हमें आत्मरक्षा हेतु पृथ्वी की रक्षा करनी होगी। ‘भूमि माता है और हम पृथ्वी की संतान’ इस कथन को चरितार्थ करना होगा।

1047 Views


पानी की कहानी में लेखक ने कल्पना और वैज्ञानिक तथ्य का आधार लेकर आेस की बूँद की यात्रा का वर्णन किया है। ओस की बूँद अनेक अवस्थाओं में सूर्यमंडल, पृथ्वी, वायु, समुद्र, ज्वालामुखी, बादल, नदी और नल से होते हुए पेड़ के पत्ते तक की यात्रा करती है। इस कहानी की भांति आप भी लोहे अथवा प्लास्टिक की कहानी लिखने का प्रयास कीजिए।


इसमें हमे प्लास्टिक की कहानी लिख सकते हैं इस हेतु संकेत बिंदु निम्न रूप से हैं-
● रासायनिक पदार्थोे से प्लास्टिक का बनना।
● कई प्रकार की वस्तुओं का निर्माण।
● वस्तुओं का घिस जाना।
● दुबारा पिंघलकर प्लास्टिक बनना।
● फिर से नई वस्तुओं का निर्माण।
● इस प्रकार की प्रक्रिया का निरंतर चलते रहना।

767 Views


“पानी की कहानी” पाठ में ओस की बूँद अपनी कहानी स्वयं सुना रही है और लेखक केवल श्रोता है। इस आत्मकथात्मक शैली में आप भी किसी वस्तु का चुनाव करके कहानी लिखें।


आप मिट्टी के कण की कहानी बना सकते हैं-जिसमें संकेत बिंदु इस प्रकार हैं-
1. मैं एक मिट्टी का कण।  
2. हवा का चलना।
3. मेरे ऊपर मिट्टी के अनेक कणों का उड़ना।
4. आँधी पाकर आकाश की ऊँचाइयों तक जाना।
5. आकाश में विचरण करना।
6. धीरे-धीरे वापिस धरती पर आन का प्रयास।
7. हल्के हवा के झोंके के साथ उड़ते रहना।
8. एक पेड़ के साथ चिपक जाना।
9. तेज़ हवा का चलना।
10. हवा में उड़ते-उड़ते एक नदी को पार करना।
11. हवा का बंद होना।
12. मेरा धरातल पर आ जाना।
13. चैन की साँस लेना।
14. अपने मित्रों के साथ मिट्टी में मिलना।

866 Views


पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता, तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी कैसे पहुँचता है? इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में क्या कहते हैं? क्या इस क्रिया को जानने के लिए कोई आसान प्रयोग है? जानकारी प्राप्त कीजिए।


पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता, तब भी पेड़ की जड़ से पत्ते तक पानी पहुँचता है क्योंकि पेड़ की जड़ों व तनों में जाइलम और फ्लोएम नामक वाहिकाएँ होती हैं जो पानी को जड़ों से पत्तियों तक पहुँचाती हैं। इस क्रिया को ‘संवहन’ (ट्रांसपाइरेशन) कहते हैं।
‘संवहन’ की क्रिया को जानने का प्रयोग निम्नलिखित है-
एक काँच का बीकर लें। उसमें लाल रंग का पानी डालें। एक छोटा-सा पौधा उसमें रख दें। थोड़ी देर के बाद हम देखेंगे कि पौधे की जड़ो के माध्यम से लाल रंग ऊपर की आेर पौधे मैं जाता दिखाई देगा अर्थात् जाइलम व फ्लोएम वाहिकाएँ उसे जड़ से तन तक ले जाने का प्रयास करेंगी। यही विधि ‘संवहन’ है।

876 Views


“पानी की कहानी” के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।


“पानी की कहानी” पाठ में बताया गया है कि पानी का जन्म हद्रजन (हाइड्रोजन) और ओषजन (ऑक्सीजन) से होता है। पहले पानी की बूँदें सूर्य के धरातल पर ही थीं। एक बार प्रचंड प्रकाश पिंड जो सूर्य से लाखों गुणा बड़ा था सूर्य के समक्ष आ गया। उसकी आकर्षण शक्ति के कारण सूर्य का एक बड़ा भाग टूटकर कई टुकड़ों में विभाजित हो गया। एक टुकड़ा पृथ्वी बन गया। पहले तो यह ग्रह आग का गोला ही था। लेकिन धीरे-धीरे यह ठंडा हो गया और अरबों वर्ष पूर्व हद्रजन और ओषजन ने अपना प्रत्यक्ष अस्तित्व गँवाकर रासायनिक क्रिया द्वारा पानी को जन्म दिया।

अब ये पानी की बूँदें निरंतर सुर्य द्वारा भाप बनकर अपना अस्तित्व खो देती हैं और फिर वर्षा के रूप में बरसकर पानी का रूप धारण करती है।

6577 Views


Pani ki Kahani Class 8 Summary Chapter 16 Hindi Basant 3 , Pani ki Kahani class 8 Question Answers ,पानी की कहानी कक्षा 8 का सारांश हिन्दी बसन्त 3 , पानी की कहानी कक्षा 8 के प्रश्न उत्तर।  

पानी की कहानी ” पाठ के सारांश को हमारे YouTube channel  में देखने के लिए इस Link में Click करें  ।   YouTube channel link – (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)

“पानी की कहानी” पाठ के लेखक रामचंद्र तिवारी हैं। लेखक ने पानी की बूंद का मानवीकरण किया है। पानी की बूंद के जन्म से लेकर उसके पूरे जीवन चक्र की कहानी लेखक इस पाठ के माध्यम से हमें समझाते हैं।

लेखक कहते हैं कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बनी ये छोटी सी पानी की बूँद अपने जीवन में कितना लम्बा सफर तय करती हैं। सबसे पहले अत्यधिक गर्मी के कारण समुद्र से भाप बनकर उड़ जाती है फिर ठंडा होने पर बादलों का रूप ले लेती है। और अत्यधिक घने काले बादल बरस कर दोबारा से पानी के रूप में धरती पर आ जाते हैं।

फिर कुछ पानी मनुष्य , पेड़ पौधों तथा अन्य जीव जंतुओं दवारा उपयोग किया जाता है तो कुछ पानी नदी , नालों में बह कर फिर से समुद्र में जा मिलता है। और इस तरह पानी का जीवन चक्र अविरल चलता ही रहता है। बस यही बात लेखक इस पाठ के माध्यम से लोगों को समझाने का प्रयास करते हैं। 

कहानी की शुरुआत में लेखक ने बताया हैं कि बेर की झाड़ी से मोती-सी चमकती पानी की एक बूँद उनके हाथ में आ गई और उनकी दृष्टि उस बूँद पर पड़ते ही वह रुक गई। लेखक कहते हैं कि थोड़ी देर बाद उनकी हथेली से सितार के तारों की-सी झंकार सुनाई देने लगी । ध्यान से देखने पर मालूम हुआ कि पानी की वह बूँद दो भागों में बँट गई हैं और अब वो दोनों ही हिल – हिलकर यह स्वर उत्पन्न कर रही हैं। लेखक को ऐसा लगा मानो जैसे वो बोल रही हों।

लेखक ने यहां पर पानी की बूंदों का मानवीकरण किया है। उसके बाद लेखक उन बूंदों से बातें करने लगते हैं। ओस की बूँद अपने बारे में बताती है कि वह लेखक की हथेली पर बेर के पेड़ से आई है। वह लेखक को यह भी बताती हैं कि बेर के पेड़ की जड़ों के रोएँ उस जैसी असंख्य छोटी-छोटी बूंदों को धरती से खींच लेते हैं और फिर उनका उपयोग कर उन्हें बाहर फेंक देते हैं।

पानी की बूंद बेर के पेड़ से अत्यधिक नाराज थी। वह कहती हैं कि इस पेड़ को इतना बड़ा करने के लिए मेरी जैसी असंख्य बूंदों ने अपनी कुर्बानी दी हैं। लेखक उसकी बात बड़े ध्यान से सुन रहे थे ।

उसके बाद बूँद , बेर के पेड़ की जड़ों द्वारा पानी को खींचा जाना और उनका प्रयोग अपना खाना बनाने के लिए करना और अंत में पेड़ के पत्तों के छोटे-छोटे छिद्रों से बाहर निकल आने की अपनी कहानी लेखक को बताती हैं। और साथ में यह भी बताती है कि सूरज के ढल जाने के कारण अब वह भाप बनकर उड़ नहीं सकती। इसीलिए वह सूरज के आने का इंतजार कर रही है। 

लेखक उसे आशवासन देते हैं कि अब वह उनकी हथेली पर बिल्कुल सुरक्षित हैं। इसके बाद पानी की वह छोटी सी बूँद लेखक को अपनी उत्पत्ति की कहानी बताती हैं।

बूँद कहती हैं कि जब हमारे पूरे ब्रह्मांड में उथल-पुथल हो रही थी। अनेक नये ग्रह और उपग्रह बन रहे थे यानि ब्रह्मांड की रचना हो रही थी , तब मेरे दो पूर्वज हद्रजन (हाइट्रोजन और ऑक्सीजन गैस) सूर्यमंडल में आग के रूप में मौजूद थे।और सूर्यमंडल लगातार अपने निश्चित मार्ग पर चक्कर काटता रहता था। 

लेकिन एक दिन अचानक ब्रह्मांड में ही बहुत दूर , सूर्य से लाखों गुना बड़ा एक प्रकाश-पिंड दिखाई पड़ा। यह पिंड बड़ी तेज़ी से सूर्य की ओर बढ़ रहा था। उसकी आकर्षण शक्ति से हमारा सूर्य भी काँप रहा था। ऐसा लग रहा था कि वह सूर्य से टकरा जाएगा।

मगर वह सूर्य से सहस्रों मील दूर से ही दूसरी दिशा की ओर निकल गया । परंतु उसकी भीषण आकषर्ण-शक्ति के कारण सूर्य का एक भाग टूटकर कई छोटे टुकड़ों में बंट गया। उन्हीं में से एक टुकड़ा हमारी पृथ्वी है। यह प्रारंभ में एक बड़ा आग का गोला थी।

लेखक ने बूँद से प्रश्न किया कि अगर पृथ्वी आग का गोला थी तो , तुम पानी कैसे बनी ? बूँद ने जबाब दिया । अरबों वर्षों में धीरे-धीरे पृथ्वी ठंडी होती चली गई और मेरे पूर्वजों ने आपस में रासायनिक क्रिया कर मुझे पैदा किया।

पैदा होते समय मैं भाप के रूप में पृथ्वी के चारों ओर घूमती थी। फिर धीरे धीरे ठोस ब़र्फ में बदल गई । फिर लाखों वर्षों बाद सूर्य की किरणें पड़ने और गर्म जल धारा से मिलने के कारण मैं पानी में परिवर्तित समुद्र में पहुंच गई।

बूँद कहती हैं कि नमक से भरे समुद्र में बहुत ही अनोखा नजारा था।वहाँ एक से एक अनोखे जीव भरे पड़े थे। जैसे रेंगने वाले घोंघे , जालीदार मछलियाँ , कई-कई मन भारी कछुवे और हाथों वाली मछलियाँ आदि।और समुद्र की अधिक गहराई में जगंल , छोटे ठिंगने व मोटे पत्ते वाले पेड़ भी उगे थे। वहाँ पर पहाडिय़ाँ , गुफायें और घाटियाँ भी थी। जहाँ आलसी और अँधे अनेक जीव रहते थे। 

बूँद लेखक को आगे बताती है कि समुद्र के अन्दर से बाहर आना भी आसान काम नहीं था। उसने समुद्र से बाहर आने के लिए कई कोशिशें की। कभी चट्टानों में घुसकर बाहर निकलने की कोशिश की तो , कभी धरती के अंदर ही अंदर किसी सुरक्षित जगह से बाहर निकलने की कोशिश। ऐसी तमाम कोशिशों के बाद अंततः ज्वालामुखी के निकट पहुंच गई।

ज्वालामुखी की गर्मी के कारण वह फिर से भाप में परिवर्तित हो आसमान में उड़ चली। फिर बादल रूप में परिवर्तित होकर दोबारा बरस कर जमीन में आ गिरी। जमीन में आने के पश्चात नदी के रूप में बहने लगी। तभी एक नगर के पास एक नल द्वारा उसे खींच लिया गया।

महीनों तक नलों में धूमने के बाद एक दिन नल के टूटे हिस्से से बाहर निकल आयी और बेर के पेड़ के पास अटक गयी। अब सुबह होने तक का इंतजार कर रही है ताकि वह दोबारा भाप बन सके। और सूर्योदय होते ही ओस की बूँद धीरे-धीरे घटी और देखते-देखते ही लेखक की हथेली से गायब हो गई।

पानी की कहानी कक्षा 8 के प्रश्न उत्तर

Pani ki Kahani Class 8 Question Answers 

प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1.

लेखक को ओंस की बूँद कहाँ मिली ?

उत्तर –

ओंस की बूँद सुबह काम पर जाते समय बेर के पेड़ से लेखक की हथेली पर आ गिरी।

प्रश्न 2.

ओंस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?

उत्तर-

ओंस की बूँद बेर के पेड़ से बहुत नाराज थी। वह लेखक को बताती हैं कि सभी पेड़ों की जड़ों के रोएँ बहुत निर्दयी होते हैं। वे जबरदस्ती उनको पृथ्वी से खींच लेते हैं फिर उनका पूरा उपयोग कर उनको बाहर फेंक देते है।

इस कारण कई बूँदें नष्ट हो जाती हैं और कुछ अपना रूप खो देती हैं। यह सब लेखक को बताते हुए ओंस की बून्द क्रोध और घृणा से काँप जाती हैं।

प्रश्न 3.

हाइट्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज / पुरखा क्यों कहा?

उत्तर-

अरबों वर्ष पहले “हाइड्रोजन” और “ऑक्सीजन’ की रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप पानी की उत्पत्ति हुई थी। ओस की बून्द लेखक को कहती है कि मेरी उत्पत्ति की वजह से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ने अपना प्रत्यक्ष अस्तित्व खो दिया है। इसीलिए वह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अपना पूर्वज/ पुरखा कहती है।

प्रश्न 4.

“पानी की कहानी” के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए?

उत्तर-

“पानी की कहानी” के आधार पर पानी का जन्म अरबों वर्ष पहले ‘हाइड्रोजन’ और ‘ऑक्सीजन’ की रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप हुआ। और तब से लेकर आज तक पानी की जीवन यात्रा बहुत कठिन रही है।

उसने भाप के रूप में जन्म लिया। फिर लाखों वर्षों तक ठोस बर्फ का रूप धारण किया। सूर्य की गर्मी और गर्म जल धारा के सम्पर्क में आने पर अपना रूप बदला और तरल पानी का रूप ले लिया।

और फिर समुद्र में पहुंच गई। समुद्र में पहुंच कर समुद्र की विचित्र दुनिया का भरपूर मजा लिया। फिर उसके बाद समुद्र से बाहर निकलने की कोशिश शुरू कर दी है। अनेक कोशिशों के बाद ज्वालामुखी के संपर्क में आने से भाप बनकर फिर आसमान में पहुंच गई।

घने बादलों के साथ बरस कर पुनः धरती पर आ गई। धरती पर नदी के रूप में बहते हुए एक नल के अंदर पहुंच गई। सौभाग्य से नल एक जगह टूटा हुआ था तो , उस टूटे हुए नल से जैसे-तैसे बाहर आकर एक बेर के पेड़ पर अटक गई और फिर सूरज की रोशनी पाकर फिर से भाप में परिवर्तित होकर आसमान में वापस पहुंच गई। 

प्रश्न 5.

कहानी के अंत और आरम्भ के हिस्से को स्वयं पढ़ कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी?

उत्तर-

ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए सूर्य के निकलने की प्रतीक्षा कर रही थी ताकि वह सूर्य की गर्मी से पुन: भाप में परिवर्तित होकर वापस आसमान में पहुंच जाये। 

Pani ki Kahani Class 8

पानी की कहानी ” पाठ के सारांश को हमारे YouTube channel  में देखने के लिए इस Link में Click करें  ।   YouTube channel link – (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें)

Note – Class 8th , 9th , 10th , 11th , 12th के हिन्दी विषय के सभी Chapters से संबंधित videos हमारे YouTube channel  (Padhai Ki Batein /पढाई की बातें)  पर भी उपलब्ध हैं। कृपया एक बार अवश्य हमारे YouTube channel पर visit करें । सहयोग के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यबाद। 

You are most welcome to share your comments . If you like this post . Then please share it . Thanks for visiting.

यह भी पढ़ें……

टोपी का सारांश व प्रश्न उत्तर 

यह सबसे कठिन समय नही का सारांश और प्रश्न उत्तर

पानी की कहानी का सारांश और प्रश्न उत्तर 

बाज़ और सांप का सारांश और प्रश्न उत्तर 

जब सिनेमा ने बोलना सीखा था का सारांश व प्रश्न उत्तर

क्या निराश हुआ जाय का सारांश व प्रश्न उत्तर

लाख की चूड़ियों पाठ का सारांश व प्रश्न उत्तर 

कामचोर पाठ का सारांश व प्रश्न उत्तर

ध्वनि का भावार्थ और ध्वनि कविता के प्रश्नों के उत्तर  

सुदामा चरित के प्रश्न उत्तर

सुदामा चरित का भावार्थ

जहां पहिया हैं का सारांश व प्रश्न उत्तर 

भगवान के डाकिये का भावार्थ व प्रश्न उत्तर 

बस की यात्रा का सारांश व प्रश्न उत्तर 

सूरदास के पद का भवार्थ व प्रश्न उत्तर 

चिठ्ठियों की अनोखी दुनिया का सारांश व प्रश्न उत्तर 

दीवानों की हस्ती का भावार्थ व प्रश्न उत्तर 

अकबरी लोटे के प्रश्न उत्तर 

लोकोक्तियों का हिंदी अर्थ (Proverbs With Meaning In Hindi)

मुहावरों का हिंदी अर्थ

पानी की कहानी पाठ से क्या सीखा?

पानी की कहानी पाठ की साहित्यिक विधा निबन्ध है | पानी की कहानी पाठ के लेखक रामचन्द्र तिवारी है | इसमें लेखक ने ओस की बूंद के बारे में बताया है। ओस की बूंद का स्वरूप अतीत में कैसा था और उसका जन्म कैसे और किस प्रकार हुआ, यह सारा वृत्तांत लेखक ने अपनी रचना में व्यक्त किया है।

पानी की कहानी के लेखक कौन हैं?

लेखक रामचंद्र तिवारी इस लेख में ओस की बूँद को ज़रिया बनाया है कि किस तरह से पानी का रूप होता है?

पानी की कहानी में ओस की बूँद बेर के पेड़ तक कैसे पहुँची थी अपने शब्दों में बताएँ?

उत्तर: ओस की बूंद जब धरती में कणों का हृदय टटोलती फिर रही थी, उसी समय बेर के पेड़ की जड़ों में मौजूद निर्दयी रोएँ ने बलपूर्वक उसे पृथ्वी से खींच लिया। बूंद पेड़ की जड़ से पत्तियों तक पहुँचने के लिए तीन दिन तक लगातार साँसत भोगी थी, इसलिए वह क्रोध और घृणा से काँप उठी।

पानी की कहानी निबंध में पानी की कितनी अवस्थाओं का वर्णन किया है?

पदार्थों में से है जो पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से सभी तीन अवस्थाओं में मिलते हैं। जल पृथ्वी पर कई अलग अलग रूपों में मिलता है: आसमान में जल वाष्प और बादल; समुद्र में समुद्री जल और कभी कभी हिमशैल; पहाड़ों में हिमनद और नदियां ; और तरल रूप में भूमि पर एक्वीफर के रूप में