प्लास्टिक से बनी चीजों का प्रयोग हमें क्यों नहीं करना चाहिए 5 कारण? - plaastik se banee cheejon ka prayog hamen kyon nahin karana chaahie 5 kaaran?

प्लास्टिक बैग्स से होने वाले पर्यावरण को नुकसान को कम करने की दिशा में हर एक इंसान कुछ बेहद जरूरी कदम उठा सकता है। सतर्कता और जागरूकता दो बेहद जरूरी चीजें हैं जिनसे प्लास्टिक के खिलाफ अपनाया जा सकता है।

1. प्लास्टिक के बैग्स को संभाल कर रखें। इन्हें कई बार इस्तेमाल में लाएं। सामान खरीदने जाने पर अपने साथ कैरी बेग (कपड़े या कागज के बने) लेकर जाएं।

2. ऐसे प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचें जिसे एक बार इस्तेमाल के बाद ही फेंकना होता है जैसे प्लास्टिक के पतले ग्लास, तरल पदार्थ पीने की स्ट्रॉ और इसी तरह का अन्य सामान।

3. मिट्टी के पारंपरिक तरीके से बने बर्तनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दें।


4. प्लास्टिक सामान को कम करने की कोशिश करें। धीरे-धीरे प्लास्टिक से बने सामान की जगह दूसरे पदार्थ से बने सामान अपनाएं।

5. प्लास्टिक की पीईटीई (PETE) और एचडीपीई (HDPE) प्रकार के सामान चुनिए। यह प्लास्टिक आसानी से रिसाइकल हो जाता है।

6. प्लास्टिक बैग और पोलिएस्ट्रीन फोम को कम से कम इस्तेमाल करने की कोशिश करें। इनका रिसायकल रेट बहुत कम होता है।

7. आप कम से कम प्लास्टिक सामान फेंकने की कोशिश करें।

8. अपने आसपास प्लास्टिक के कम इस्तेमाल को लेकर चर्चा करें।

9. हमारे देश में भी कई ऐसे सेंटर स्थापित हो गए हैं जहां प्लास्टिक रिसाईकल किया जाता है। अपने कचरे को वहां पहुंचाने की व्यवस्था करें।

10. खुद प्लास्टिक को खत्म करने की कोशिश न करें। न पानी में, न जमीन पर और न ही जमीन के नीचे प्लास्टिक खत्म होता है। इसे जलाना भी पर्यावरण के लिए अत्यधिक हानिकारक है।

प्लास्टिक बैग्स से होने वाले नुकसान की जानकारी अपने आप में नाकाफी है जब तक इसके नुकसान जानने के बाद ठोस कदम न उठाए जाएं। सरकार और पर्यावरण संस्थाओं के अलावा भी हर एक नागरिक की पर्यावरण के प्रति कुछ खास जिम्मेदारियां हैं जिन्हें अगर समझ लिया जाए तो पर्यावरण को होने वाली हानि को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। खुद पर नियंत्रण इस समस्या को काफी हद तक कम कर सकता है।

हिंदी न्यूज़प्लास्टिक से बनी इन 5 चीजों से कर लें आज ही तौबा, सेहतमंद रहने के लिए अपनाएं ये टिप्स

देशभर में छह किस्म के एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टकि उत्पादों के खिलाफ अभियान चलेगा। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने ऐसे उत्पादों के उपयोग खत्म करने के लिए के लिए राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए...

प्लास्टिक से बनी चीजों का प्रयोग हमें क्यों नहीं करना चाहिए 5 कारण? - plaastik se banee cheejon ka prayog hamen kyon nahin karana chaahie 5 kaaran?

Manjuलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 01 Oct 2019 09:28 AM

देशभर में छह किस्म के एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टकि उत्पादों के खिलाफ अभियान चलेगा। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने ऐसे उत्पादों के उपयोग खत्म करने के लिए के लिए राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। पानी तथा पेय पदार्थों की बोतलों को इस दायरे से छूट दी गई है।

केंद्रीय पर्यावरण सचिव सीके मिश्र की तरफ से जारी एडवाइजरी में राज्यों से कहा गया है कि वे 50 माइक्रोन से पतले प्लास्टिक के कैरी बैग, खाने की पैकेजिंग में प्रयोग होने वाली प्लास्टिक, प्लास्टिक की बोतल, गिलास, कांटे-चम्मच, स्ट्रॉ, कप आदि के इस्तेमाल को रोकें। आदेश में यह साफ किया कि पानी व विभिन्न पेयों की बोतलों को इससे अलग रखा जाए। क्योंकि ये पुनचक्रित प्लास्टिक के दायरे में आती हैं।

प्लास्टिक को हतोत्साहित करने के लिए राज्य ये कदम उठाएं-
- केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2016 में अधिसूचित प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के तहत सभी राज्य कार्रवाई करें। 
- इन उत्पादों के विकल्प में पर्यावरण अनुकूल उत्पादों को प्रोत्साहित करें। 
-प्लास्टिक कचरे को एकत्र करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाएं।

  पांच राज्यों में पहले से कानून-
 केंद्र की तरफ से कहा गया है कि पांच राज्यों हिमाचल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कश्मीर और पंजाब में पहले से इस संबंध में कानून बने हुए हैं।

  रोक लगाने का कानून नहीं-
केंद्र सरकार ने इन उत्पादों को प्रतिबंधित करने के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं किए हैं। लेकिन राज्यों को इस दिशा में कानून बनाने की सलाह दी है।

  प्लास्टिक से बनी इन 6 चीजों से कर लें तौबा -
-प्लास्टिक वेस्ट ट्रीटमेंट की नई तकनीकें विकसित करने के प्रयासों को भी प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय आर्थिक सहायता भी देता है। 
-सरकारी दफ्तरों में प्लास्टिक के गैर जरूरी इस्तेमाल को हतोत्साहित करें। जैसे पानी की बोतलें, प्लास्टिक के फूल, सजावटी सामग्री, बर्तन, फोल्डर आदि का इस्तेमाल नहीं करें। 
- लोगों में प्लास्टिक के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाएं।

प्लास्टिक से बनी चीजों का प्रयोग हमें क्यों नहीं करना चाहिए 5 कारण? - plaastik se banee cheejon ka prayog hamen kyon nahin karana chaahie 5 kaaran?

अमूमन हर चीज़ के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है, वो चाहे दूध हो, तेल, घी, आटा, चावल, दालें, मसालें, कोल्ड ड्रिंक, शर्बत, स्नैक्स, दवायें, कपड़े हों या फिर ज़रूरत की दूसरी चीज़ें सभी में प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है।

प्लास्टिक ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। अमूमन हर चीज़ के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है, वो चाहे दूध हो, तेल, घी, आटा, चावल, दालें, मसालें, कोल्ड ड्रिंक, शर्बत, स्नैक्स, दवायें, कपड़े हों या फिर ज़रूरत की दूसरी चीज़ें सभी में प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है। बाज़ार से फल या सब्ज़ियां ख़रीदो, तो वे भी प्लास्टिक की ही थैलियों में ही मिलते हैं। प्लास्टिक के इस्तेमाल की एक बड़ी वजह यह भी है कि टिन के डिब्बों, कपड़े के थैलों और काग़ज़ के लिफ़ाफ़ों के मुक़ाबले ये सस्ता पड़ता है। पहले कभी लोग राशन, फल या तरकारी ख़रीदने जाते थे, तो प्लास्टिक की टोकरियां या कपड़े के थैले लेकर जाते थे। अब ख़ाली हाथ जाते हैं, पता है कि प्लास्टिक की थैलियों में सामान मिल जाएगा। अब तो पत्तल और दोनो की तर्ज़ पर प्लास्टिक की प्लेट, गिलास और कप भी ख़ूब चलन में हैं। लोग इन्हें इस्तेमाल करते हैं और फिर कूड़े में फेंक देते हैं। लेकिन इस आसानी ने कितनी बड़ी मुश्किल पैदा कर दी है, इसका अंदाज़ा अभी जनमानस को नहीं है।

दरअसल, प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए एक गंभीर संकट बन चुका है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक़ देश में सबसे ज़्यादा प्लास्टिक कचरा बोतलों से आता है। साल 2015-16 में करीब 900 किलो टन प्लास्टिक बोतल का उत्पादन हुआ था। राजधानी दिल्ली में अन्य महानगरों के मुक़ाबले सबसे ज़्यादा प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। साल 2015 के आंकड़ों की मानें, तो दिल्ली में 689.52 टन, चेन्नई में 429.39 टन, मुंबई में 408.27 टन, बेंगलुरु में 313.87 टन और हैदराबाद में 199.33 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। सिर्फ़ दस फ़ीसद प्लास्टिक कचरा ही रि-साइकिल किया जाता है, बाक़ी का 90 फ़ीसद कचरा पर्यावरण के लिए नुक़सानदेह साबित होता है।

रि-साइक्लिंग की प्रक्रिया भी प्रदूषण को बढ़ाती है। रि-साइकिल किए गए या रंगीन प्लास्टिक थैलों में ऐसे रसायन होते हैं, जो ज़मीन में पहुंच जाते हैं और इससे मिट्टी और भूगर्भीय जल विषैला बन सकता है। जिन उद्योगों में पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर तकनीक वाली रि-साइकिलिंग इकाइयां नहीं लगी होतीं उनमें रि-साइकिलिंग के दौरान पैदा होने वाले विषैले धुएं से वायु प्रदूषण फैलता है। प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है, जो सहज रूप से मिट्टी में घुल-मिल नहीं सकता। इसे अगर मिट्टी में छोड़ दिया जाए, तो भूगर्भीय जल की रिचार्जिंग को रोक सकता है। इसके अलावा प्लास्टिक उत्पादों के गुणों के सुधार के लिए और उनको मिट्टी से घुलनशील बनाने के इरादे से जो रासायनिक पदार्थ और रंग आदि उनमें आमतौर पर मिलाए जाते हैं, वे भी अमूमन सेहत पर बुरा असर डालते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि प्लास्टिक मूल रूप से नुक़सानदेह नहीं होता, लेकिन प्लास्टिक के थैले अनेक हानिकारक रंगों, रंजक और अन्य तमाम प्रकार के अकार्बनिक रसायनों को मिलाकर बनाए जाते हैं। रंग और रंजक एक प्रकार के औद्योगिक उत्पाद होते हैं, जिनका इस्तेमाल प्लास्टिक थैलों को चमकीला रंग देने के लिए किया जाता है। इनमें से कुछ रसायन कैंसर को जन्म दे सकते हैं और कुछ खाद्य पदार्थों को विषैला बनाने में सक्षम होते हैं। रंजक पदार्थों में कैडमियम जैसी जो धातुएं होती हैं, वो सेहत के लिए बेहद नुक़सानदेह हैं। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कैडमियम के इस्तेमाल से उल्टियां हो सकती हैं और दिल का आकार बढ़ सकता है। लम्बे समय तक जस्ता के इस्तेमाल से मस्तिष्क के ऊतकों का क्षरण होने लगता है।

हालांकि पर्यावरण और वन मंत्रालय ने रि-साइकिल्ड प्लास्टिक मैन्यूफैक्चर एंड यूसेज़ रूल्स-1999 जारी किया था। इसे 2003 में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम-1968 के तहत संशोधित किया गया है, ताकि प्लास्टिक की थैलियों और डिब्बों का नियमन और प्रबंधन सही तरीक़े से किया जा सके। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने धरती में घुलनशील प्लास्टिक के 10 मानकों के बारे में अधिसूचना जारी की थी, मगर इसके बावजूद हालात वही 'ढाक के तीन पात' वाले ही हैं।

हालांकि दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में पॉलीथिन और प्लास्टिक से बनी सामग्रियों पर रोक लगाने का ऐलान किया जा चुका है। इसका उल्लंघन करने पर जुर्माने और क़ैद का प्रावधान भी है। प्लास्टिक के इस्तेमाल से होने वाली समस्याएं ज़्यादातर कचरा प्रबंधन प्रणालियों की ख़ामियों की वजह से पैदा हुई हैं। प्लास्टिक का यह कचरा नालियों और सीवरेज व्यवस्था को ठप कर देता है। इतना ही नहीं नदियों में भी इनकी वजह से बहाव पर असर पड़ता है और पानी के दूषित होने से मछलियों की मौत तक हो जाती है। नदियों के ज़रिये प्लास्टिक का ये कचरा समुद्र में भी पहुंच रहा है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की रिपोर्ट के मुताबिक़ हर साल तकरीबन 80 लाख टन कचरा समंदरों में मिल रहा है। समंदरों में जो प्लास्टिक कचरा मिल रहा है, उसका तक़रीबन 90 फ़ीसद हिस्सा दस नदियों से आ रहा है, जिनमें यांग्त्जे, गंगा, सिंधु, येलो, पर्ल, एमर, मिकांग, नाइल और नाइजर नदियां शामिल हैं। इनमें से आठ नदियां एशिया की हैं। इनमें सबसे ज़्यादा पांच नदियां चीन की, जबकि दो नदियां भारत और एक अफ़्रीका की है। चीन ने 46 शहरों में कचरे को क़ाबू करने का निर्देश जारी किया है, ताकि नदियों के प्रदूषण को कम किया जा सके। प्लास्टिक पशुओं की मौत का भी सबब बन रहा है। कूड़े के ढेर में पड़ी प्लास्टिक की थैलियों को खाकर आवारा पशुओं की बड़ी तादाद में मौतें हो रही हैं।

प्लास्टिक के कचरे की समस्या से निजात पाने के लिए प्लास्टिक थैलियों के विकल्प के रूप में जूट से बने थैलों का इस्तेमाल ज़्यादा से ज़्यादा किया जाना चाहिए। साथ ही प्लास्टिक कचरे का समुचित इस्तेमाल किया जाना चाहिए। देश में सड़क बनाने और दीवारें बनाने में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है। प्लास्टिक को इसी तरह अन्य जगह इस्तेमाल करके इसके कचरे की समस्या से निजात पाई जा सकती है। बहरहाल, प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए बेहद ज़रूरी है कि इसके प्रति जनमानस को जागरूक किया जाए, क्योंकि इस मुहिम में जनमानस की भागीदारी बहुत ज़रूरी है। इसके लिए जन आंदोलन चलाया जाना चाहिए।

-फिरदौस खान

(लेखिका स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं)

प्लास्टिक से बने चीजों का प्रयोग हमें क्यों नहीं करना चाहिए?

प्लास्टिक और बीपीए के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह हमारी एंडोक्राइन से जुड़ी समस्याओं को बढ़ाने का काम करता है। इससे कैंसर का भी खतरा रहता है। यही वजह है कि ज्यादातर लोग प्लास्टिक का इस्तेमाल करने से बच रहे हैं। वो इसकी जगह पर दूसरे धातुओं से बने बर्तनों जैसे कि तांबे की बोतल या गिलास का इस्तेमाल कर रहे हैं।

प्लास्टिक से हमें क्या क्या हानि होती है?

प्लास्टिक के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले रसायन शरीर के लिए विषाक्त और हानिकारक है। प्लास्टिक के इस्तेमाल से सीसा, कैडमियम और पारा जैसे रसायन सीधे मानव शरीर के संपर्क में आते हैं। ये जहरीले पदार्थ कैंसर, जन्मजात विकलांगता, इम्यून सिस्टम और बचपन में बच्चों के विकास को प्रभावित कर सकते है।

प्लास्टिक क्यों हानिकारक होता है?

प्लास्टिक से उत्पन्न हुआ कचरा हमारे नदियों तथा पानी पीने के अन्य स्रोतों को भी दूषित कर रहा है। प्लास्टिक प्रदूषण के कारण हमारे पीने के पानी की गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है, जिसेस इस पानी को पीने के कारण कई सारी बिमारीयां उत्पन्न हो रही है। प्लास्टिक पदार्थो का निस्तारण करना काफी चुनौतिपूर्ण कार्य है।