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नवाब साहब ने खीरा की आंखों को कैसे देखा शायद आप हमें चाहते नवाब साहब ने खीरे की खबर कैसे देगा ना उस सामने कि रेखा को सेंड चलता प्यार से देख हीरा किस प्रकार का फल है इस प्रकार देखा Romanized Version Solution : (क) नवाब साहब ने खीरे की कटी फाँकों पर नमक-मिर्च बुरक कर उन्हें प्यासी नजरों से देखा। वे उसके स्वाद और गंध की कल्पना में .वाह. कह उठे। फिर उसे होठों तक ले गए। उन्होंने एक-एक फाँक को सूंघा । स्वाद के कारण उनकी पलकें मुंद गईं । मुँह में पानी भर आया। वे उस पानी को गटक गए। खीरे को खिड़की के बारह फेंक दिया। <br> (ख) नवाब साहब अपनी नवाबी शान, खानदानी तहजीब, लखनवी नफासत दिखाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने आम आदमियों की तरह खीरा खाया नहीं, बल्कि उसकी गंध और स्वाद से ही पेट भर लिया। इसी से वे औरों से ऊँचे सिद्ध हो सकते थे। <br> (ग) नवाब साहब इस बात पर गर्व अनुभव कर रहे थे कि वे खीरे की गंध और स्वाद-कल्पना से ही संतुष्ट हो जाते हैं। अतः वे आम इनसान नहीं हैं। वे कचर-कचर खाने वालों से ऊँचे हैं। उनकी जीवन-शैली बहुत ऊँची है। <br> (घ) नवाब साहब की गुलाबी आँखें लेखक को अपने खानदानी शौक और रईसी जीवन-शैली का अहसास करा रही थीं। वे बताना चाह रही थीं कि उनकी बात ही कुछ और है। वे सामान्य किस्म के आदमी नहीं हैं। One Line Answer नवाब साहब ने खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़का जिसे देखकर लेखक ललचाया पर उसने खीरे खाने का प्रस्ताव अस्वीकृत क्यों कर दिया? Advertisement Remove all ads Solutionनवाब साहब ने करीने से सजी खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़ककर लेखक से खाने के लिए आग्रह किया तो लेखक ने साफ़ मना कर दिया। जबकि लेखक खीरे खाना चाहता था। इसका कारण यह था लेखक पहली बार नवाब साहब को खीरा खाने के लिए मना कर चुका था। Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 12: यशपाल - लखनवी अंदाज़ - अतिरिक्त प्रश्न Q 6Q 5Q 7 APPEARS INNCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2 Chapter 12 यशपाल - लखनवी अंदाज़ Advertisement Remove all ads Short Note खीरे की फाँकें खिड़की से फेंकने के बाद नवाब साहब ने गुलाबी आँखों से लेखक की ओर क्यों देखा? Advertisement Remove all ads Solutionखीरे की फाँकें एक-एककर उठाकर सँधने के बाद नवाब साहब खिड़की से बाहर फेंकते गए। उन्होंने डकार ली और लेखक की ओर गुलाबी आँखों से इसलिए देखा क्योंकि उन्होंने लेखक को दिखा दिया था नवाब खीरे को कैसे खाते हैं। अपनी नवाबी का प्रदर्शन करने के लिए उन्होंने खीरा खाने के बजाय फेंक दिया था। Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 12: यशपाल - लखनवी अंदाज़ - अतिरिक्त प्रश्न Q 5Q 4Q 6 APPEARS INNCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2 Chapter 12 यशपाल - लखनवी अंदाज़ Advertisement Remove all ads विषयसूची नवाब साहब ने खीरो के सिर काटने से पहले क्या किया?इसे सुनेंरोकेंप्रश्न (ग). खीरों को काटने से पहले नवाब साहब ने क्या किया? उत्तरः खीरों को काटने से पहले नवाब साहब ने खीरों को धोकर तौलिये से पोंछा फिर दोनों के सिर काटकर, उनका झाग निकाला। लेखक को क्यों लगा कि नवाब साहब उससे बात करने के ललए ततनक भी उत्सुक नह ं हैं?इसे सुनेंरोकेंलेखक को नवाब साहब के किन हाव भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं? उत्तर: जब लेखक अपनी सीट पर बैठा तो नवाब साहब उनसे नजरें मिलाने से बच रहे थे। नवाब साहब खिड़की के बाहर देख रहे थे। इन हाव भावों से पता चलता है कि नवाब साहब लेखक से बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं थे। नवाब साहब ने खीरे की फाँकों को कैसे देखा? इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक-मिर्च के संयोग से चमकती खीरे की फांकों की ओर देखा । खिड़की के बाहर देखकर दीर्घ निश्वास लिया । खीरे की एक फाँक उठाकर होंठों तक ले गए । फाँक को सूंघा । नवाब ने अपनी नवाबी का परिचय कैसे दिया? इसे सुनेंरोकेंपहले नवाब साहब ने अपने थैले से खीरा निकाला और उसे पानी से धोकर,उसे तौलिए से पोंछा और चाकू से उसे चार टुकड़ों में काटा उसपर नमक मिर्च लगाकर नवाब साहब ने अपनी नाक के पास ले गए। और उसे सूंघे। सूंघने के बाद उसे रेल के डिब्बे से नीचे फेंक दिया इस प्रकार नवाब साहब ने अपनी नवाबी का परिचय दिया। नवाब साहब ने खीरे की फांकों का स्वाद कैसे लिया?इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने खीरे का कैसे आनंद लिया? नवाब साहब ने खीरे का आनंद खीरे की फाँकों को खा कर नहीं लिया बल्कि उन फाँकों को नाक के पास ले जाकर तथा सूँघकर आनंद लिया। सूँघने के बाद वे खीरे की फाँकों को खिड़की से बाहर फेंकते रहे। नवाब साहब ने खीरे को लखनऊ का कौन सा खीरा बताया?इसे सुनेंरोकेंउत्तर- (ii) तिरछी नजरों से देखना । प्रश्न-15. लेखक कनखियों से देखकर सोच रहे थे कि…..। (i) नवाब साहब के खीरे कड़वे थे । नवाब साहब ने खीरे के गुण अवगुण के बारे में कौन सी बात नहीँ कही? इसे सुनेंरोकेंउनका यह स्वभाव उनके दिखावटी स्वभाव को प्रकट करता है। नवाब साहब ने लेखक के सामने खीरा काटा और फिर सूंघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया। शायद वह अपनी झूठी आन-बान के एक के सामने खीरा खाने से शर्मा रहे हों। वह खीरे को एक साधारण वस्तु समझते थे और खीरे जैसी आम वस्तु को खाकर वह अपनी श्रेष्ठता को कम नहीं करना चाहते। नवाब साहब ने खीरे की फांकों को कैसे देखें?Solution : (क) नवाब साहब ने खीरे की कटी फाँकों पर नमक-मिर्च बुरक कर उन्हें प्यासी नजरों से देखा। वे उसके स्वाद और गंध की कल्पना में .
नवाब साहब ने खीरे की फांकों को कहां और क्यों फेंका?Answer: नवाब साहब ने खीरे की फांकों को खिड़की से बाहर फेंक दिया क्योंकि वह अपने सहयात्री को अपनी नवाबी का उदाहरण दिखाना चाहते थे तथा खुद को एक शाही नवाब दिख लाना चाहते थे।
नवाब साहब खीरे की फांको को फेंक कर क्या सिद्ध करना चाहते थे?नवाब साहब ने करीने से सजी खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़ककर लेखक से खाने के लिए आग्रह किया तो लेखक ने साफ़ मना कर दिया। जबकि लेखक खीरे खाना चाहता था। इसका कारण यह था लेखक पहली बार नवाब साहब को खीरा खाने के लिए मना कर चुका था।
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