पखापखी के कारनँ, सब जग रहा भुलान। Show भावार्थ : पक्ष और विपक्ष के चक्कर में पड़कर लोग जाति, धर्म और संप्रदाय में बँट गए हैं। वे अपने पक्ष को श्रेष्ठ मानते हैं और दूसरे की निंदा करते हैं। इसी सांसारिक पचड़े में पड़कर वे अपने जीवन के असली उद्देश्य से भटक गए हैं। कबीर कहते हैं कि जो धर्म-संप्रदाय के चक्कर में पड़े बिना प्रभु-भक्ति करते हैं, वास्तव में वे संत हैं, ज्ञानी हैं। 1. पनापनी के कारण संसार की क्या स्थिति हो गई है ? 2. निष्पक्ष होकर हरि भक्ति कौन करता है ? 3. प्रस्तुत दोहे का केन्द्रीय भाव बताइए। 4. ‘सोई संत सुजान’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ? 5. ‘पखापनी’ और ‘निरपन’ शब्दों का शुद्ध रूप लिखिए। पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर और भावार्थ - साखियाँ एवं सबद क्षितिज भाग - 1साखियाँ मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं। अर्थ - इस पंक्ति में कबीर ने व्यक्तियों की तुलना हंसों से करते हुए कहा है की जिस तरह हंस मानसरोवर में खेलते हैं और मोती चुगते हैं, वे उसे छोड़ कहीं नही जाना चाहते ठीक उसी तरह मनुष्य भी जीवन के मायाजाल में बंध जाता है और इसे ही सच्चाई समझने लगता है। प्रेमी ढूंढ़ते मैं फिरौं, प्रेमी मिले न कोइ। अर्थ - यहां कबीर यह कहते हैं की प्रेमी यानी ईश्वर को ढूंढना बहुत मुश्किल है। वे उसे ढूंढ़ते फिर रहे हैं परन्तु वह उन्हें मिल नही रहा है। प्रेमी रूपी ईश्वर मिल जाने पर उनका सारा विष यानी कष्ट अमृत यानी सुख में बदल जाएगा। हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि। अर्थ - यहां कबीर कहना चाहते हैं की व्यक्ति को ज्ञान रूपी हाथी की सवारी करनी चाहिए और सहज साधना रूपी गलीचा बिछाना चाहिए। संसार की तुलना कुत्तों से की गयी है जो आपके ऊपर भौंकते रहेंगे जिसे अनदेखा कर चलते रहना चाहिए। एक दिन वे स्वयं ही झक मारकर चुप हो जायेंगे। पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान। अर्थ - संत कबीर कहते हैं पक्ष-विपक्ष के कारण सारा संसार आपस में लड़ रहा है और भूल-भुलैया में पड़कर प्रभु को भूल गया है। जो ब्यक्ति इन सब झंझटों में पड़े बिना निष्पक्ष होकर प्रभु भजन में लगा है वही सही अर्थों में मनुष्य है। हिन्दू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाई। अर्थ - कबीर ने कहा है की हिन्दू राम-राम का भजन और मुसलमान खुदा-खुदा कहते मर जाते हैं, उन्हें कुछ हासिल नही होता। असल में वह व्यक्ति ही जीवित के समान है जो इन दोनों ही बातों से अपने आप को अलग रखता है। काबा फिरि
कासी भया, रामहिं भया रहीम। अर्थ - कबीर कहते हैं की आप या तो काबा जाएँ या काशी, राम भंजे या रहीम दोनों का अर्थ समान ही है। जिस प्रकार गेहूं को पीसने से वह आटा बन जाता है तथा बारीक पीसने से मैदा परन्तु दोनों ही खाने के प्रयोग में ही लाए जाते हैं। इसलिए दोनों ही अर्थों में आप प्रभु के ही दर्शन करेंगें। उच्चे कुल का जनमिया, जे करनी उच्च न होइ। अर्थ - इन पंक्तियों में कबीर कहते हैं की केवल उच्च कुल में जन्म लेने कुछ नही हो जाता, उसके कर्म ज्यादा मायने रखते हैं। अगर वह व्यक्ति बुरे कार्य करता है तो उसका कुल अनदेखा कर दिया जाता है, ठीक उसी प्रकार जिस तरह सोने के कलश में रखी शराब भी शराब ही कहलाती है। सबद मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे , मैं तो तेरे पास में । अर्थ - इन पंक्तियों में कबीरदास जी ने बताया है मनुष्य ईश्वर में चहुंओर भटकता रहता है। कभी वह मंदिर जाता है तो कभी मस्जिद, कभी काबा भ्रमण है तो कभी कैलाश। वह इश्वार को पाने के लिए पूजा-पाठ, तंत्र-मंत्र करता है जिसे कबीर ने महज आडम्बर बताया है। इसी प्रकार वह अपने जीवन का सारा समय गुजार देता है जबकि ईश्वर सबकी साँसों में, हृदय में, आत्मा में मौजूद है, वह पलभर में मिल जा सकता है चूँकि वह कण-कण में व्याप्त है। संतौं भाई
आई ग्याँन की आँधी रे । कवि परिचय कबीर के जन्म और मृत्यु के बारे में अनेक मत हैं। कहा जाता है उनका जन्म 1398 में काशी में हुआ था। उन्होंने विधिवत शिक्षा नही प्राप्त की थी, परन्तु सत्संग, पर्यटन द्वारा ज्ञान प्राप्त किया था। वे राम और रहीम की एकता में विश्वास रखने वाले संत थे। उनकी मुख्या रचनाएँ कबीर ग्रंथावली में संग्रहित हैं तथा कुछ गुरुग्रंथ साहिब में संकलित हैं। उनकी मृत्यु सन 1518 में मगहर में हुआ था। कठिन शब्दों के अर्थ • सुभर - अच्छी तरह भरा हुआ • भांडा फूटा - भेद खुला • निरचू - थोड़ा भी • चुवै - चूता है • बता - बरसा पखापखी के कारण जग ने क्या भुला दिया है?पखापखी के कारनँ, सब जग रहा भुलान। निरपन होइ के हरि भजै, सोई संत सुजान । भावार्थ : पक्ष और विपक्ष के चक्कर में पड़कर लोग जाति, धर्म और संप्रदाय में बँट गए हैं। वे अपने पक्ष को श्रेष्ठ मानते हैं और दूसरे की निंदा करते हैं।
पखापखी के कारने इस शब्द में कौन सा अलंकार है?क्योंकि ईश्वर एक हैं और विभिन्न धर्मों की परिभाषा व्यर्थ है। मोट चून मैदा भया रहा कबीरा जीम। काबा ही बदलकर काशी हो जाती है और राम ही रहीम होते हैं।
सब जग रहा भुलान से कवि का क्या तात्पर्य है?मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं । मुकताफल मुकता चुगेँ, अब उड़ि अनत न जाहिं ॥ 1.
पखापखी इस शब्द का अर्थ क्या है?पखापखी Meaning in Hindi - पखापखी का मतलब हिंदी में
निरंतर किसी न किसी एक पक्ष के स्वीकरण की स्थिति या क्रिया । उदाहरण - दादू पखा- पखी संसार सब निरपख बिरला कोई ।
|