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हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोग रुद्राक्ष को पूजनीय मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि, रुद्राक्ष का सीधा संबंध भगवान शिव से होता है। आमतौर पर रुद्राक्ष का यह पेड़ पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। रुद्राक्ष असल में एक फल की गुठली है या यूं कहें कि, फल के अंदर का निकलने वाला एक प्रकार का बीज है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बात करें तो कहा जाता है कि, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी। रुद्राक्ष शब्द ही दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘रुद्र’ और ‘अक्ष’ जहां रूद्र भगवान शिव का ही नाम है वहीं अक्ष का मतलब होता है आँसू। कहा जाता है कि, जब कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने अपनी आँखें खोली थी तो उनकी आंखों से कुछ आँसू की बूंदे धरती पर आ गिरी थी और इसी से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई है। एस्ट्रोसेज वार्ता से दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात स्वाभाविक सी बात है ऐसे में जो कोई भी व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है वह भगवान शिव को बेहद ही प्रिय हो जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष का उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में भी किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि, जो कोई भी व्यक्ति रुद्राक्ष को सही नियम और विधि से धारण करता है उसके जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। कम शब्दों में कहें तो, रुद्राक्ष भगवान शिव का ही एक वरदान है जो संसार के दुखों को दूर करने के लिए प्रकट किया गया है। रुद्राक्ष धारण करने का महत्वहिंदू मान्यताओं और पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि, रुद्राक्ष की कृपा से व्यक्ति को जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जबकि रुद्राक्ष के बारे में विज्ञान का ऐसा मत है कि, रुद्राक्ष से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक, पैरामैग्नेटिक जैसी तरंगे निकलती हैं जो इसको धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन के लिए किसी वरदान से काम नहीं होती हैं। ऐसे में हमारा यहाँ यह कहना गलत नहीं होगा कि, रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को धार्मिक, आध्यात्मिक और चिकित्सीय तीनों तरह के ढेरों लाभ प्राप्त होते हैं। रुद्राक्ष के प्रकारअब जानते हैं कि, आखिर रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते हैं और पांच मुखी रुद्राक्ष को बाकी सभी रुद्राक्ष में विशेष महत्व क्यों दिया गया है? अब बात करेंगे कि आखिर रुद्राक्ष कुल कितने प्रकार के होते हैं, तो इस बारे में कुछ भी सटीक बता पाना थोड़ा मुश्किल है। हालाँकि इस बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि, रुद्राक्ष 14 मुखी और शिव महापुराण के अनुसार रुद्राक्ष 38 मुखी तक होते हैं। हालांकि आमतौर पर रुद्राक्ष 21 मुखी देखने को मिलते हैं। अब बात करते हैं विभिन्न तरह के रुद्राक्ष और उनसे मिलने वाले लाभ के बारे में:
पांच मुखी रुद्राक्ष क्यों है सबसे ख़ास और क्या है इसे धारण करने के लाभअब सबसे पहले जानते हैं कि, आखिर सभी रुद्राक्ष में पांच मुखी रुद्राक्ष को सबसे खास क्यों बताया गया है? तो दरअसल ऐसा कहा जाता है कि, पांच मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय होता है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को जीवन में समृद्धि और सफलता प्रदान करता है। इसके अलावा सभी रुद्राक्ष में पांच मुखी रुद्राक्ष की सबसे ज्यादा पैदावार होती है। पांच मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के काल अग्नि रूप द्वारा शासित माना जाता है। ऐसे में इस रुद्राक्ष के बारे में ऐसी मान्यता है कि, जो कोई भी व्यक्ति सही विधि विधान से पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करता है उसके जीवन में कभी भी नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है और वह भगवान शिव की भक्ति में आजीवन रमा रहता है। इसके अलावा पांच मुखी रुद्राक्ष का अधिपति ग्रह बृहस्पति को माना गया है। ऐसे में जिस भी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति क्रूर स्थिति में मौजूद होता है उन्हें पांच मुखी रुद्राक्ष पहनने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जन्म कुंडली में यदि बृहस्पति लाभकारी स्थिति में है तो ऐसे व्यक्तियों को जीवन में सफलता और ख़ुशियाँ प्राप्त होती हैं। पांच मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन के सभी पापों को दूर कर जीवन शुद्ध करने के लिए जाना जाता है। यूं तो कोई भी व्यक्ति पांच मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकता है हालांकि, हम सलाह यही देंगे कि कोई भी रुद्राक्ष धारण करने से पहले एक बार हमारे विद्वान ज्योतिषियों से इस बारे में सलाह मशवरा अवश्य करें। ऐस्ट्रोसेज के विद्वान ज्योतिषी आपकी कुंडली के अनुरूप आपके लिए उपयुक्त रुद्राक्ष की जानकारी आपको प्रदान करते हैं। पहनने के अलावा आप चाहे तो पांच मुखी रुद्राक्ष को अपने घर या ऑफ़िस वाली जगह पर भी रख सकते हैं। ऐसा करने से घर या ऑफ़िस की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। पांच मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के पांच रूप का प्रतीक है। बृहत् कुंडली : जानें ग्रहों का आपके जीवन पर प्रभाव और उपाय पंचमुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे
राज योग रिपोर्ट से जानें आपकी किस्मत बदलने वाली भविष्यवाणियाँ! पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधिकोई भी रुद्राक्ष पहनने से पहले उसे धारण करने की सही विधि का ज्ञान होना बेहद आवश्यक होता है। आप विशेषज्ञ ज्योतिषियों से सलाह-मशवरा कर के अपने लिए सही रुद्राक्ष की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। व्यक्ति की ज़रूरत के अनुसार रुद्राक्ष पहनने से ढेरों लाभ होते हैं। एक मुखी से लेकर चौदह मुखी रुद्राक्ष तक सभी रुद्राक्ष किसी ना किसी ग्रह से संबंधित होते हैं। ऐसे में बहुत से लोग ग्रह शांति के लिए रुद्राक्ष धारण करते हैं। तो इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताते हैं कि पांच मुखी रुद्राक्ष पहनने के क्या नियम और विधि होते हैं:
जीवन में किसी भी समस्या का समाधान पाने के लिएप्रश्न पूछें रुद्राक्ष धारण करने के बाद बरतने वाली सावधानियांसिर्फ रुद्राक्ष को पहनते समय ही नहीं बल्कि उसे धारण करने के बाद भी एक व्यक्ति को ढेरों सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। तो आइये जाते हैं क्या हैं वो सावधानियां?
रुद्राक्ष धारण करने की पूरी विधि:जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि, रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व और रुद्राक्ष धारण करने के बाद भी बहुत सारी सावधानियां बरतनी पड़ती है। ऐसे में बहुत से लोगों को शायद अभी भी इस बात की जानकारी ना हो कि रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त समय श्रावण का महीना होता है। इसके अलावा श्रावण के किसी भी सोमवार के दिन भी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है। इसके अलावा आप चाहे तो शिवरात्रि या फिर किसी भी पूर्णिमा के दिन भी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। इसके अलावा रुद्राक्ष धारण करने से सात दिन पहले आप उसे सरसों के तेल में भी डूबा के रख सकते हैं। सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर 5 मुखी रुद्राक्ष को कौन से धागे में पहनना चाहिए?पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि
-इसे काले या लाल धागे में भी पहना जा सकता है। -इसे धारण करने से पहले इसे गंगाजल या कच्चे दूध में शुद्ध करने के लिए जरूर डाल दें। -ऐसा करने के बाद धूप, दीप जलाकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें। -फिर 'ॐ ह्रीं नम:' मंत्र का 108 बार जाप करें।
5 मुखी रुद्राक्ष को कैसे पहने?पांच मुखी रुद्राक्ष को सोने या फिर चाँदी में मढ़वा कर या बिना मढ़वाएं भी धारण किया जा सकता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से पहले इसे गंगा जल या कच्चे दूध से शुद्ध कर लीजिए। उसके बाद धूप, दीप जलाकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने की सलाह दी जाती है। इसके बाद 'ॐ ह्रीं नम:' मंत्र का 108 बार जाप करें।
पंचमुखी रुद्राक्ष कौन कौन धारण कर सकता है?पंचमुखी रुद्राक्ष को बच्चे, महिलाएं और पुरुष तीनों ही धारण कर सकते हैं। साथ ही जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति अशुभ फल दे रहा हो, अनिद्रा की समस्या हो, ह्रदय रोग, मधुमेह, स्तनशिथिलता, एसिडिटी, तनाव से मुक्ति पाने के लिए इसे धारण किया जा सकता है।
गले में कौन सा रुद्राक्ष पहनना चाहिए?दोमुखी रुद्राक्ष अर्धनारीश्वर का स्वरुप होता है, इसे धारण करने से मां पार्वती और शिव दोनों का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन में सुख प्राप्ति के लिये दोमुखी रूद्राक्ष बहुत अच्छा माना जाता है। तीनमुखी रुद्राक्ष धारण करने पर अग्निदेव सदा प्रसन्न रहते हैं।
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