पंचम भाव का राहु क्या फल देता है? - pancham bhaav ka raahu kya phal deta hai?

  • पंचम भाव का राहु क्या फल देता है? - pancham bhaav ka raahu kya phal deta hai?

    राहु की प्रकृति शनि के समान मानी गई है

    ज्‍योतिष में राहु को छाया ग्रह के तौर पर देखा जाता है और उसे दुष्‍ट ग्रह माना जाता है। माना जाता है कि ज्‍योतिष में इनका अस्तित्‍व इनके वास्‍तविक रूप से नहीं होता है। राहु को वृषभ राशि में उच्‍च का माना जाता है और राहु की प्रकृति शनि के समान मानी गई है। यानी कि यह भी शनि के समान ही अच्‍छे कर्म करने वालों के साथ अच्‍छा करते हैं और बुरे कर्म करने वालों के साथ बुरा। राहु सदैव वक्री चाल से चलते हैं और हमारे जीवन को खासा प्रभावित करते हैं।

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    कुंडली में राहु की स्थिति

    कुंडली में राहु की स्थिति पर आपका जीवन काफी हद तक निर्भर करता है। अगर आपकी कुंडली में राहु अच्‍छी दशा में होते हैं तो आप लाभ की स्थिति में रहते हैं और वहीं यदि आपकी कुंडली में राहु अशुभ दशा में होते हैं तो राहु आपको भारी परेशानी भी दे सकते हैं। आइए आपको बताते हैं कुंडली के सभी 12 भाव राहु का होना क्‍या फल देता है।

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    प्रथम स्‍थान में राहु

    जिन जातकों की कुंडली के प्रथम स्‍थान में राहु बैठा होता है यानी लग्‍न भाव में राहु की उपस्थिति होती है तो ऐसे जातक स्‍वभाव से गुस्‍सैल और स्‍वार्थी हो जाते हैं। हालांकि ऐसे जातकों का व्‍यक्तित्‍व प्रभावशाली होता है और दूसरों से अपना काम निकालने में बहुत तेज होते हैं। ऐसे जातकों को मानसिक चिंता और नकारात्‍मक विचार काफी परेशान करते हैं। ऐसे लोग केवल अपने ही बारे में सोचते हैं।

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    द्वितीय स्‍थान में राहु

    जिन जातकों की कुंडली के द्वितीय स्‍थान में राहु होता है उन्‍हें इसके प्रभाव से धन की परेशानी होने लगती है। ऐसे लोग जरूरत से ज्‍यादा बोलते हैं और शत्रुओं से लाभ प्राप्‍त करने वाले होते हैं। ऐसे जातकों को अक्‍सर पेट से संबंधित समस्‍या रहती है। माना जाता है कि ऐसे जातकों में विपरीत लिंग के प्रति बेहद आकर्षण होता है। ऐसे जातक स्‍वभाव से घमंडी और बुरी संगत में रहने वाले माने जाते हैं।

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    तृतीय स्‍थान में राहु

    जिन जातकों की कुंडली के तृतीय भाव में राहु होता है ऐसे जातक राजनीतिक और शैक्षिक विषयों में खासी रुचि रखते हैं। ऐसे जातक पराक्रमी, बुद्धिजीवी और आशावादी होते हैं। कुंडली के इस भाव में राहु शुभ फलदायी माने जाते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन का जो लक्ष्‍य तय करते हैं उसे प्राप्‍त करने में सफल होते हैं। रुकावटों के बावजूद ये अपने मुकाम तक पहुंच जाते हैं।

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    चतुर्थ स्‍थान में राहु

    कुंडली के चतुर्थ भाव में राहु का होना जमीन-जायदाद में लाभ को दर्शाता है। मगर साथ ही ऐसे जातकों को जीवन भर किसी न किसी वजह से असंतोष बना रहता है। ऐसे जातकों के कई बार पिता से भी अच्‍छे संबंध नहीं रहते हैं। ऐसे जातकों को धन लाभ तो होता है परंतु फिर भी अपने धन का सुख नहीं भोग पाते। ऐसे जातकों को अपनी माता के लिए कष्‍ट होता है और स्‍वास्‍थ्‍य की समस्‍याएं झेलनी पड़ती हैं।

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    पंचम भाव में राहु

    पंचम भाव में राहु के होने से जातकों को प्रसिद्धि तो पूरी मिलती है, लेकिन वह इसके साथ ही अहंकारी भी हो जाते हैं। ऐसे जातक कई बार अपने विद्या और व्‍यापार के लिए उचित विषय का चयन नहीं कर पाते और असमंजस में रहते हैं। ऐसे जातकों को पढ़ाई में बहुत प्रयास करना पड़ता है। ऐसे जातकों को 30 की उम्र के बाद पैसा मिलना शुरू होता है।

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    षष्‍ठम भाव में राहु

    छठें भाव में राहु का होना जातक के साहसी, दीर्घायु और शत्रुओं पर विजय प्राप्‍त होने के संकेत के तौर पर देखा जाता है। ऐसे जातकों के पास अपार मानिसक और शारीरिक शक्तियां होती हैं। ऐसे जातक आसाधारण श्रम करने में भी सफल रहते हैं और इन्‍हें अपनी काबिलियत के बल पर सफलता मिलती है।

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    सप्‍तम भाव में राहु

    कुंडली के सातवें भाव में राहु का होना दर्शाता है कि वह अपने हिसाब से अपने जीवन को जीना पसंद करता है और ऐसे जातक अपनी मर्जी के मालिक होते हैं। ये अपने मन की बात सुनकर फैसला लेते हैं। विपरीत लिंग के प्रति इनके मन में अधिक आक‍र्षण होता है। ऐसे जातक जीवनसाथी भी अपने जैसा चतुर खोजते हैं। दांपत्‍य जीवन इनका हमेशा ठीकठाक रहता है और ऐसे लोग यात्राओं पर जाना बहुत पसंद करते हैं।

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    अष्‍टम भाव में राहु

    अष्‍टम भाव में राहु का होना जातक की मानसिक अवस्‍था के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे जातक देखने में तो स्‍वस्‍थ लगते हैं, लेकिन कई बार उन्‍हें कुछ गुप्‍त रोग या फिर पेट के रोग घेरे रहते हैं। कई बार परिवार के लोग भी इनकी उपेक्षा कर देते हैं। ऐसे जातकों अक्‍सर किसी के मर जाने के बाद उत्‍तराधिकार में धन प्राप्‍त होता है। ऐसे जातक धनी, धैर्यवान और समझदार होते हैं।

पंचम भाव में राहु हो तो क्या होता है?

राहु पंचम भाव में शुभ होने पर सर्वव्याप्त बुद्धि वाला, व्यापार या नौकरी आदि से धनलाभ कराने वाला, विभिन्न संबंध से सहयोग की प्राप्ति से उन्नति की और अग्रसर होने वाला। पुत्र तथा संतान की प्राप्ति से सुखी जीवन जीने वाला होता है। रोजगार के विषय में भाग्यशाली होता है।

राहु कितने डिग्री पर उच्च का होता है?

* राहु शून्य डिग्री से 20 डिग्री में हो तो अच्छा फल देता है जबकि 20 डिग्री से 30 डिग्री में मिश्रित फलदायी है। * जन्म नक्षत्र में ही राहु हो तो भी उसका अच्छा फल प्राप्त होता है।

उच्च का राहु क्या फल देता है?

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कुंडली में उच्च का राहु व्यक्ति का भाग्य बदल देता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस जातक की कुंडली में राहु ग्रह मजबूत होता है, उसे अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यह व्यक्ति के आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता दिलाता है। राहु ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ बलवान होता है।

राहु खराब होने पर क्या करना चाहिए?

- यदि कुंडली में राहु खराब है तो शनिवार का व्रत करें. अपने घर के मन्दिर में राहु यंत्र की स्थापना करके रोज उसकी विधि विधान से पूजा करें. इससे काफी फर्क पड़ेगा. - ज्‍योतिष के मुताबिक चांदी के 2 छोटे-छोट सांप बनवाकर बहते जल में प्रवाहित करने से भी राहु दोष से निजात मिलती है.