डिलीवरी के बाद हाथ पैरों में दर्द क्यों होता है? - dileevaree ke baad haath pairon mein dard kyon hota hai?

डिलीवरी के बाद नवजात के साथ-साथ नई मां खुद का भी खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस दौरान महिलाएं बच्चे की देखभाल में अधिक बिजी होने से खुद की सेहत का अच्छे से ध्यान नहीं रख पाती हैं। इस स्थिति में महिलाओं को मालिश कराना फायेदमंद माना गया है लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ख्याल रखने की भी जरूरत होती है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...

डिलीवरी के बाद मालिश कराना फायदेमंद

एक्सपर्ट अनुसार, डिलीवरी के बाद मसाज कराने से मानसिक तनाव व चिंता दूर होती है। इसके साथ मांसपेशियों, पैरों में दर्द की समस्या से भी आराम मिलता है। खासतौर पर नॉर्मल डिलीवरी वाली महिलाओं को इसकी अधिक जरूरत होती है। वहीं जिन महिलाओं की डिलीवरी सिजेरियन से हुई हो उन्हें मालिश करवाने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

डिलीवरी के बाद हाथ पैरों में दर्द क्यों होता है? - dileevaree ke baad haath pairon mein dard kyon hota hai?

डिलीवरी के बाद क्या मालिश कराना सुरक्षित?

नॉर्मल डिलीवरी- आमतौर पर डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिलाओं को मालिश कराने की सलाह देते हैं। दरअसल, डिलीवरी के बाद महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होते हैं। इसके साथ ही इस दौरान उन्हें असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। वहीं कई महिलाएं डिलीवरी के बाद चिंता व स्ट्रेस से भी गुजरती हैं। ऐसे में इन सब समस्याएं से आराम पाने व दूर करने के लिए मालिश कराना फायदेमंद माना जाता है।

सिजेरियन डिलीवरी- सिजेरियन डिलीवरी कई महिलाओं को दर्द का एहसास होता है। इस दौरान वे कुछ अच्छे से शिशु की देखभाल नहीं कर पाती हैं। ऐसे में दर्द कम करने के लिए वे डिलीवरी के बाद हाथ-पैरों में मालिश करा सकती हैं। मगर इन्हें टांगे वाले स्थान पर मालिश करवाने से बचना चाहिए। इस जगह पर दबाव पड़ने से टांके खुलने की समस्या हो सकती है। ऐसे में बेहतर होगा कि ये डॉक्टर की सलाह से ही मसाज करवाएं।

चलिए जानते हैं डिलीवरी के बाद मालिश कराने से होने वाले फायदे

स्ट्रेस करे दूर- डिलीवरी के बाद महिलाओं में कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव नजर आते हैं। इन बदलाव के साथ ही महिलाओं को शिशु का ध्यान भी रखना पड़ता है। ऐसे में तनाव कम करने के लिए महिलाओं को मालिश करानी चाहिए। इससे स्ट्रेस दूर होने के साथ मांसपेशियों को आराम मिलता है।

स्ट्रेच मार्क्स होंगे दूर-,मसाज करने से स्ट्रेच मार्क्स दूर होने में भी मदद मिलती है। एक रिसर्च अनुसार, बिटर आलमंड ऑयल से मालिश करने से स्ट्रेस मार्क्स दूर हो सकते हैं।

सूजन करे कम- मसाज कराने से हाथों-पैरों की सूजन भी कम हो सकती है।

डिलीवरी के बाद हाथ पैरों में दर्द क्यों होता है? - dileevaree ke baad haath pairon mein dard kyon hota hai?

अच्छी नींद दिलाएं- डिलीवरी के बाद कई महिलाओं को नींद ना आने की परेशानी हो जाती हैं। इससे बचने के लिए मसाज करवाना बेस्ट ऑप्शन है। इससे शारीरिक और मानसिक थकान कम होने में मदद मिलती है। ऐसे में अच्छी व गहरी नींद आती है।

दर्द से आराम- डिलीवरी के बाद कमजोरी दूर करने के लिए मसाज करवाना फायदेमंद होता है। इससे जोड़ों और मांसपेशियों में होने वाले दर्द से आराम मिलता है।

शरीर में आएगा कसाव- डिलीवरी के बाद महिलाओं का शरीर ढीला होने लगता है। मगर तेल से मसाज करने पर शरीर में कसाव आने लगता है। इसके साथ ही जल्दी रिकवरी होने में मदद मिलती है।

डिलीवरी के बाद इस समय करवाएं मालिश

नॉर्मल डिलीवरी- जिन महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी हुई हो वे 1 से 2 सप्ताह के बीच में मालिश शुरू करा सकती हैं। इस स्थिति में महिलाओं को कम से कम 40 दिनों तक मालिश करवानी चाहिए।

सिजेरियन डिलीवरी- जिन महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी हुई हो वे डॉक्टरी सलाह से मसाज की प्रक्रिया शुरू करवा सकती हैं। साथ ही इन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ये टांगे पर दबाव न डलवाए। नहीं तो टांके खुल सकते हैं।

मालिश कराते वक्त इन बातों का रखें ध्यान

. डॉक्टर की सलाह से ही मालिश करवाएं।
. टांके वाली जगह पर तेल लगाने से बचें।
. मालिश दौरान अधिक दबाव डालने से बचें।
. सिजेरियन डिलीवरी में टांके पूरी तरह ठीक होने के बाद ही पेट की मालिश कराएं।
. मालि कराते दौरान पेट में दबाव ना डालें।
. पीठ के साइड ज्यादा मालिश कराएं।

डिलीवरी के बाद हाथ पैरों में दर्द क्यों होता है? - dileevaree ke baad haath pairon mein dard kyon hota hai?

इन स्थितियों में मालिश कराने से बचें

. स्किन संबंधी समस्या होना
. ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को स्तनों की मालिश करवाने से शिशु को एलर्जी हो सकती है।
. त्वचा में पिंपल्स, एक्जिमा और चकत्ते जैसी समस्या होना
. शरीर में सूजन की समस्या होना
.हर्निया और हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति में

नोट- डॉक्टर की सलाह से ही डिलीवरी के मालिश करवाएं। इसके साथ ही किसी एक्सपर्ट से ही मसाज करवाएं ताकि आपको किसी तरह का कोई नुकसान ना हो।

डिलीवरी के बाद पैर में और कमर में दर्द क्यों होता है?...


डिलीवरी के बाद हाथ पैरों में दर्द क्यों होता है? - dileevaree ke baad haath pairon mein dard kyon hota hai?

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

हेलो फ्रेंड्स आप का प्रश्न है डिलीवरी के बाद पेट में और कमर में दर्द क्यों होता है जाहिर सी बात है डिलीवरी के बाद जो हमारे शरीर से ब्लड अधिक मात्रा में निकल जाता है तो हमारे पैर में और कमर में दर्द होने लगता है कैल्शियम आयरन की कमी हो जाती है इसी कारण बहुत ज्यादा कमजोरी लगती है खून की कमी के कारण पैरों में और कमर में दर्द होने लगता है यही कारण है कि अगर आपकी आपकी नॉर्मल डिलीवरी है तो आप एक महीने बाद कर सकते हैं और काम खत्म हो जाएगा अन्यथा अगर आपकी ऑपरेशन हुआ है तो आप डॉक्टर से परामर्श लेकर योगा शुरू कर सकते हैं धन्यवाद

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डिलीवरी के बाद शरीर के दर्द को कैसे कम करें?

​बदन दर्द का घरेलू इलाज है गर्म सिकाई गर्म पानी की सिकाई से हर तरह के दर्द से राहत पाई जा सकती है। अगर आपको डिलीवरी के बाद दर्द हो रहा है तो गुनगुने पानी से नहा लें। गर्म पानी पेट दर्द और गर्भाशय के दर्द को कम करने की क्षमता रखता है। इससे पूरे शरीर में रक्‍त प्रवाह बेहतर होता है।

डिलीवरी के बाद हाथ में दर्द क्यों होता है?

गर्भावस्‍था में और डिलीवरी के बाद मां और शिशु के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए जरूरी हार्मोंस बनते हैं। इन हार्मोनों की वजह से लिगामेंट को आराम मिलता है और मां शिशु के वजन को सहत करते हुए डिलीवरी तक पहुंच पाती है। डिलीवरी के बाद लिगामेंट को सामान्‍य पोजीशन में आने में समय लगता है जिससे जोड़ों में दर्द पैदा होता है।

Normal डिलीवरी के बाद पैरो में दर्द क्यों होता है?

डिलीवरी के समय पेल्विक ऊतकों और मांसपेशियों के छिलने की वजह से भी पेट के नीचे के हिस्‍से में दर्द पैदा हो सकता है। प्रेग्‍नेंसी में मां और बच्‍चे का सारा वजन पैरों पर पड़ता है। प्रेग्‍नेंसी के बाद हार्मोनल बदलावों की वजह से जोड़ और लिगामेंट रिलैक्‍स हो जाते हैं। इससे पैरों में ऐंठन पैदा होती है।

डिलीवरी के बाद कितने दिनों तक आराम करना चाहिए?

ऐसा माना जाता है कि नौ महीने की प्रेगनेंसी और डिलीवरी के बाद शरीर को कम से कम 40 दिनों का आराम जरूर देना चाहिए। इतने समय में शरीर पूरी तरह से रिकवर हो चुका होता है। इन 40 दिनों में मां को अपने आहार का पूरा ध्‍यान रखना है ताकि शरीर में आई कमजोरी दूर हो सके और बच्‍चे के लिए पर्याप्‍त मात्रा में स्‍तनों में दूध भी बन सके।