अंकेक्षण कोई छोटा सा कार्य नहीं है इसमें कई प्रकार के कार्यों को शामिल किया जाता है। आज के आर्टिकल में अंकेक्षण का वर्गीकरण/प्रकार के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे। Show
सामान्य दृष्टिकोण से अंकेक्षण का वर्गीकरण दो भागों में किया गया है- अंकेक्षण के वर्ग तथा अंकेक्षण के प्रकार और इन दोनों के बारे में एक-एक करके जानते हैं।
अंकेक्षण के वर्ग से क्या आशय हैं?इसके अंतर्गत अंकेक्षण का वर्गीकरण मुख्य रूप से इसके कार्यों के स्वभाव पर निर्भर करता है एवं कार्यों का स्वभाव संस्था के संगठनात्मक स्वरूप पर निर्भर करता हैं। अंकेक्षण के वर्ग को सामान्यतः तीन भागों में विभाजित किया जाता हैं-
व्यक्तिगत अंकेक्षण क्या हैं?वैसा अंकेक्षण जो किसी अधिनियम द्वारा अनिवार्य नहीं किया गया हो केवल उनका अंकेक्षण व्यक्तिगत हित के लिए कराया जाए तो वह ‘व्यक्तिगत अंकेक्षण’ कहलाएगा ।व्यक्तिगत अंकेक्षण को ऐच्छिक अंकेक्षण के नाम से भी जानते है। उदाहरण – एकाकी व्यापार, साझेदारी व्यापार तथा गैर व्यापारिक संस्थाएं। एकाकी व्यापार किसे कहते हैं?वैसे व्यापार जिसकी स्थापना केवल एक व्यक्ति द्वारा की जाती है और वह संपूर्ण व्यवसाय का अकेला ही संचालक , मालिक होता है तो वह एकाकी व्यापार कहलाता हैं। इस व्यापार की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें बिजनेस का सीक्रेट किसी को मालूम नहीं होता है सिर्फ मालिक के अलावा। इस तरह के व्यापार में मालिक जाना चाहता है कि उसके द्वारा किया गया कार्य, लेखा सही है या नहीं। इस कारण से वह अंकेक्षण कराता है। उदाहरण के लिए आजकल तो बहुत से एकाकी व्यापार खुल रहे हैं। आपने अवश्य देखा होगा आपके गांव शहर में ऐसा कोई दुकान हो जिसका मालिक एक हो और सारे काम वह स्वयं करता हो तो वह एकाकी व्यापार के श्रेणी में आएगा। साझेदारी बिजनेसइस बिजनेस को इसके नाम से ही स्पष्ट किया जा सकता है। वैसा बिजनेस जिसका मालिक एक व्यक्ति नहीं हो व्यवसाय के सारे कार्यों में दो या दो से अधिक व्यक्ति एक साथ मिलकर पूरा करते हो तो उसे ‘साझेदारी बिजनेस’ कहा जाएगा । इसका सीधा सा उदाहरण आपने अपने गांव, शहर में जरूर देखा होगा। साझेदारी बिजनेस अंकेक्षण कराना अनिवार्य नहीं है लेकिन कभी-कभी साझेदारों के बीच बसस छिड़ जाने के कारण या व्यापार Grow क्यों नहीं हो रहा है गलतियों को जानने हेतु अंकेक्षण कराया जाता हैं। गैर व्यापारिक संस्थाओं का अंकेक्षणयह ऐसी संस्थाएं होती हैं जिनका बिजनेस स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता है बल्कि समाज, देश आदि की निस्वार्थ भाव से सेवा करना होता है। जैसा कि साझेदार बिजनेस अंकेक्षण जरूरी नहीं है ठीक वैसे ही व्यापारी संस्थाओं में भी अंकेशन जरूरी नहीं है। इसमें अंकेशन अपनी इच्छा के अनुसार कराया जाता हैं। वैधानिक/कानूनी अंकेक्षण क्या हैं?वैधानिक अंकेक्षण से आश्य उस अंकेक्षण से है जो देश में लागू, किसी कानून के तहत अनिवार्य रूप से किया गया हो। इस अंकेक्षण को अनिवार्य अंकेक्षण भी कहते हैं। भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार प्रत्येक सार्वजनिक या निजी कंपनी के लिए CA (Charted Account) के द्वारा अंकेक्षण कराना अनिवार्य होता हैं। इसके अंतर्गत निम्नलिखित को शामिल किया गया है-
सरकारी अंकेक्षण से क्या तात्पर्य हैं?सरकारी अंकेक्षण का आश्य सरकारी कंपनियों एवं सरकारी विभागों की जांच से है। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा एक अंकेक्षण विभाग (Department) खोला जाता हैं। यह विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी होता हैं। इन्हे भी पढ़िए –
ऑडिटिंग के कितने प्रकार होते हैं?अब प्रश्न है की ऑडिट या अंकेक्षण कितने प्रकार के होते है मुख्यतः ऑडिट के दो प्रकार के होते है एक आतंरिक अंकेक्षण (Internal Audit) बाह्य अंकेक्षण (External Audit) इसके अतिरिक्त भी ऑडिट के प्रकार होते है लेकिन मुख्य यही होते है।
ऑडिटिंग क्या है और ऑडिटिंग के प्रकार?अंकेक्षण से आशय लेखो की सत्यता की जांच करना होता है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि वे सही रूप से संबंधित सौदे के लिए किए गए है की नी । प्रो. प्रतीक चंदवानी लेखा परीक्षा, अंकेक्षण या ऑडिट (audit) का सबसे व्यापक अर्थ किसी व्यक्ति, संस्था, तन्त्र, प्रक्रिया, परियोजना या उत्पाद का मूल्यांकन करना है।
ऑडिट के विभिन्न प्रकार क्या हैं प्रत्येक के गुण और दोष बताएं?अंकेक्षण के प्रकार. ऐच्छिक अंकेक्षण ऐच्छिक अंकेक्षण से तात्पर्य एक ऐसे अंकेक्षण से है जो पूर्णत: विनियोक्ता की इच्छा पर निर्भर करता है तथा जिसे करवाने के लिए वह किसी विधान द्वारा बाध्य नहीं है। ... . वैधानिक अंकेक्षण ... . सरकारी अंकेक्षण ... . व्यावहारिक अंकेक्षण ... . चालू अंकेक्षण ... . सामयिक अंकेक्षण ... . निपुणता/प्रबन्ध अंकेक्षण ... . रोकड़ अंकेक्षण. अंकेक्षण प्रतिवेदन कितने प्रकार के होते हैं?(Audit Programme) अंकेक्षण कार्यक्रम एक विस्तृत तथा लिखित योजना है जिसमें अंकेक्षक के कार्य की पूरी रूपरेखा दी रहती यह एक ऐसी लिखित योजना है जिसके अनुसार एक अंकेक्षक अपने कार्य का निष्पादन करता है। कोई भी अक कार्य करने के पूर्व अपना कार्यक्रम पूर्व में ही बना लेता है जिसे अंकेक्षण कार्यक्रम कहते हैं।
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