ऑपरेशन में बेहोश कैसे करते हैं? - opareshan mein behosh kaise karate hain?

ये हैं प्रमुख कार्य
विशेष उपकरणों, मशीनों व दवाओं की सहायता से रोगी को सर्जरी शुरू होने से पहले बेहोश करना।
सर्जरी के दौरान हृदयगति, ब्लड प्रेशर व शरीर की सभी कोशिकाओं में ऑक्सीजन की मात्रा को नियत रखना, मस्तिष्क, किडनी व लिवर आदि अंगों को भी सामान्य बनाए रखना ताकि सर्जरी के बाद रोगी को बिना परेशानी के पहले की तरह सामान्य स्थिति में लाया जा सके।

किसी भी ऑपरेशन से पहले मरीज की प्री-एनेस्थेटिक जांच करना।
आईसीयू के प्रमुख संचालक भी एनेस्थीसियोलॉजिस्ट ही होते हैं। दुर्घटना या किसी भी आकस्मिक कारण से अंतिम सांसें लेते हुए व्यक्तिमें जीवन का पुन: संचार करना भी एनेस्थीसियोलॉजिस्ट का कार्यक्षेत्र है।

प्री-एनेस्थेटिक जांच
ऑपरेशन से पूर्व विभिन्न जांचें करके देखा जाता है कि मरीज का शरीर और प्रमुख अंग एनेस्थीसिया व सर्जरी के प्रभाव को सहन कर पाएंगे अथवा नहीं। यदि रोगी में फिटनेस की समस्या होती है तो एनेस्थीसियोलॉजिस्ट पहले रोगी का उपचार कराने का निर्देश देता है। ठीक होने पर बेहोश किया जाता है ताकि बिना किसी परेशानी के वह दोबारा होश में आ सके।

ये हैं प्रकार

जनरल एनेस्थीसिया : मरीज को ड्रिप लगाकर विभिन्न दवाएं देकर बेहोश करते हैं। बेहोश होते ही उसके मुंह पर मास्क लगाकर ऑक्सीजन दी जाती है। फिर लेरिंजोस्कोप यंत्र से मुंह में रोशनी करके सांस नली देखते हैं और एंडोट्रेकियल ट्यूब डालकर इसे एनेस्थीसिया मशीन से जोड़ देते हैं। इस ट्यूब से मरीज को बेहोश करने के लिए ऑक्सीजन सहित विशेष प्रकार की गैसें भी दी जाती हैं। मरीज की बेहोशी के बाद सर्जरी शुरू की जाती है। सर्जरी के पूर्ण होने तक एनेस्थीसियोलॉजिस्ट मरीज के सभी प्रमुख अंगों को सामान्य बनाए रखने के लिए देखरेख करता है। ऑपरेशन के बाद मरीज को दवाएं देकर एनेस्थीसिया के प्रभाव से मुक्त कर होश में लाया जाता है।

लोकल एनेस्थीसिया : किसी विशेष अंग को सुन्न करने के लिए दिया जाता है। इसमें पूरे शरीर में संवेदना रहती है जिस अंग पर दवा का प्रयोग होता है उसमें संवेदना न होने से उसकी सर्जरी की जा सकती है।

स्पाइनल व एपीड्यूरल एनेस्थीसिया : पेट के नीचे वाले हिस्से में ऑपरेशन के लिए मरीज की पीठ में सुई से दवा देकर कमर के निचले हिस्से को सुन्न कर दिया जाता है। इसमें मरीज होश में रहता है लेकिन सर्जरी के दौरान उसे दर्द महसूस नहीं होता।

एनेस्थीसिया की मात्रा कई चीजों पर निर्भर
डॉ. सुधीर सचदेव कहते हैं कि कई बार समान उम्र के दो लोगों की समान शल्य चिकित्सा के लिए एनीस्थीसिया की दवाएं, तकनीक व प्रणाली एक जैसी नहीं होतीं। मरीज को किस तरह का एनेस्थीसिया दिया जा सकता है, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट इसका निर्धारण रोगी के वजन, उसकी जीवनशैली, सेहत, इलाज वाले रोग के अलावा अन्य बीमारियां हैं या नहीं आदि जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए ही करता है।

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सर्जरी से पहले लग रहे बेहोशी इंजेक्शन के बाद भी मरीज होश में, लैब से पुष्टि

अंबेडकर अस्पताल प्रबंधन ने पिछले साल बेहोशी के जो इंजेक्शन इस तर्क के साथ लौटाए थे कि इनसे मरीज बेहोश नहीं हो रहे हैं, उनकी जांच रिपोर्ट आ गई है।

गाजियाबाद की लैब ने इन इंजेक्शनों की जांच के बाद पुष्टि की है कि ये इंजेक्शन असरहीन हैं। दैनिक भास्कर ने यह मामला उठाया था कि बेहोशी के ऐसे इंजेक्शन लगाकर बड़े-बड़े आपरेशन किए जा रहे हैं जिनसे मरीज बेहोश ही नहीं होता। इस वजह से सर्जरी के दौरान मरीजों को भयंकर तकलीफ से गुजरना पड़ रहा था। तब मरीजों की शिकायत के बाद डाक्टरों ने इसकी पुष्टि की थी। इससे पूरे चिकित्सा अमले में हड़कंप मच गया था और इंजेक्शन छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) को लौटा दिए गए थे। गाजियाबाद की प्रतिष्ठित लैब में शिकायत सही पाए जाने के बाद अब कार्पोरेशन इस मामले में इंजेक्शन निर्माता और सप्लाई कंपनी को नोटिस देने की तैयारी में है।

अंबेडकर अस्पताल प्रबंधन ने पेंटाथॉल, प्रोपोफॉल, पेंटाजोसिन, सक्सनाइल कोलिन क्लोराइड, डेक्सा मेथासोन, बूपियोकेन दशमलव 5 प्रतिशत हेवी इंजेक्शन को असरहीन बताते हुए सीजीएमएससी के तत्कालीन एमडी प्रताप सिंह से शिकायत की थी। एनस्थीसिया विभाग के एचओडी डॉ. केके सहारे ने यह मामला कॉलेज काउंसिल की बैठक में उठाया था। इसके बाद कॉर्पोरेशन के एमडी ने एचओडी से केस स्टडी मांगा था। विभाग ने मरीजों की सूची भी दी थी, जिन्होंने इंजेक्शन के बेअसर होने के कारण सर्जरी के दौरान काफी तकलीफ झेली थी। इस शिकायत के बाद इंजेक्शन को जांच के लिए गाजियाबाद भेजा गया। लैब की रिपोर्ट हाल ही में आई है, जिसमें इंजेक्शन सब स्टैंडर्ड करार दिया गया।

ये निकले सब स्टैंडर्ड
पेंटाथॉल

प्रोपोफॉल

सक्सनाइल कोलिन क्लोराइड

डेक्सा मेथासोन

बूपियोकेन 0.5 प्रतिशत हेवी

जिन इंजेक्शन की शिकायत की गई थी, लैब की रिपोर्ट में घटिया करार दिया गया है। मरीजों के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। कार्पोरेशन को अच्छी क्वालिटी का इंजेक्शन सप्लाई करना पड़ेगा। डॉ. केके सहारे, एचओडी एनस्थीसिया

रीढ़ की हड्डी के इंजेक्शन भी घटिया
डॉक्टरों ने बताया कि रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन के लिए सक्सनाइल कोलिन क्लोराइड इंजेक्शन लगाया जाता है। एक शीशी में इसकी मात्रा 4 मिली के बजाय तीन से साढ़े तीन मिली ही इंजेक्शन की मात्रा होती है। इससे मरीज पर असर नहीं पड़ता। ऑपरेशन के दौरान गले में स्थित स्वर यंत्र बंद होना चाहिए, लेकिन यह फड़फड़ाता रहता है। इससे हार्ट पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यह मरीजों के लिए कभी भी घातक साबित हो सकता है। इतना ही नहीं इंजेक्शन का असर दो से ढाई घंटा होना चाहिए, लेकिन इसका असर महज एक से डेढ़ घंटे ही होता है। ऐसे में ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों के लिए काफी रिस्क हो जाता है। कई बार ऐसी स्थिति में दोबारा इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है, जो मरीजों के सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है।

रोजाना 35 से 40 ऑपरेशन
अंबेडकर अस्पताल में प्रतिदिन 35 से 40 मरीजों का छोटा-बड़ा ऑपरेशन किया जाता है। ऑपरेशन के पहले मरीजों को बेहोश किया जाता है। इसके लिए मरीजों को बेहोशी के कई तरह के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। अगर यही इंजेक्शन मरीजों पर ठीक से असर से करें तो डॉक्टरों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। सीजीएमएससी ने अस्पताल में पेंटाथॉल, प्रोपोफॉल, पेंटाजोसिन, सक्सनाइल कोलिन क्लोराइड, डेक्सा मेथासोन, बूपियोकेन दशमलव 5 प्रतिशत हेवी इंजेक्शन की सप्लाई की है। इन सभी इंजेक्शन का उपयोग लोकल एनीस्थिसिया यानी ऑपरेशन के पहले मरीजों को बेहोश करने के लिए किया जाता है।

ऑपरेशन के समय बेहोश कैसे करते हैं?

किसी भी तरह की सर्जरी से पहले डॉक्टर मरीज़ को बेहोशी की दवा देते हैं जिसे अंग्रेज़ी में एनेस्थीसिया कहते हैं. ये दवा लेने के बाद मरीज़ को एहसास ही नहीं होता कि उसके शरीर पर कहां, क्या हुआ. लेकिन कई बार ये दवा कम असर करती है. यानी उनका दिमाग़ सोता नहीं है.

बेहोश करने वाला इंजेक्शन का क्या नाम है?

केटमिन 100एमजी इंजेक्शन (Ketmin 100Mg Injection) एक ऐसी दवा है जिसका उपयोग मुख्य रूप से एक संवेदनाहारी दवा के रूप में किया जाता है।

बेहोश करने वाले डॉक्टर को क्या बोलते हैं?

जी हां, हम बात कर रहे एनेस्थेसिया डॉक्टरों की। जिन्हें बेहोशी वाला डॉक्टर भी कहा जाता है।

एनेस्थीसिया का असर कितनी देर तक रहता है?

क्षेत्रीय एनेस्थीसिया एनेस्थेटिक का असर आमतौर पर लगभग 12 से 18 घंटे रहता है और इसलिए सर्जरी के बाद भी इस अवधि तक आपको किसी दर्द का अनुभव नहीं होता है।