ये हैं प्रमुख कार्य Show किसी भी ऑपरेशन से पहले मरीज की प्री-एनेस्थेटिक जांच करना। प्री-एनेस्थेटिक जांच ये हैं प्रकार जनरल एनेस्थीसिया : मरीज को ड्रिप लगाकर विभिन्न दवाएं देकर बेहोश करते हैं। बेहोश होते ही उसके मुंह पर मास्क लगाकर ऑक्सीजन दी जाती है। फिर लेरिंजोस्कोप यंत्र से मुंह में रोशनी करके सांस नली देखते हैं और एंडोट्रेकियल ट्यूब डालकर इसे एनेस्थीसिया मशीन से जोड़ देते हैं। इस ट्यूब से मरीज को बेहोश करने के लिए ऑक्सीजन सहित विशेष प्रकार की गैसें भी दी जाती हैं। मरीज की बेहोशी के बाद सर्जरी शुरू की जाती है। सर्जरी के पूर्ण होने तक एनेस्थीसियोलॉजिस्ट मरीज के सभी प्रमुख अंगों को सामान्य बनाए रखने के लिए देखरेख करता है। ऑपरेशन के बाद मरीज को दवाएं देकर एनेस्थीसिया के प्रभाव से मुक्त कर होश में लाया जाता है। लोकल एनेस्थीसिया : किसी विशेष अंग को सुन्न करने के लिए दिया जाता है। इसमें पूरे शरीर में संवेदना रहती है जिस अंग पर दवा का प्रयोग होता है उसमें संवेदना न होने से उसकी सर्जरी की जा सकती है। स्पाइनल व एपीड्यूरल एनेस्थीसिया : पेट के नीचे वाले हिस्से में ऑपरेशन के लिए मरीज की पीठ में सुई से दवा देकर कमर के निचले हिस्से को सुन्न कर दिया जाता है। इसमें मरीज होश में रहता है लेकिन सर्जरी के दौरान उसे दर्द महसूस नहीं होता। एनेस्थीसिया की मात्रा कई चीजों पर निर्भर
सर्जरी से पहले लग रहे बेहोशी इंजेक्शन के बाद भी मरीज होश में, लैब से पुष्टिअंबेडकर अस्पताल प्रबंधन ने पिछले साल बेहोशी के जो इंजेक्शन इस तर्क के साथ लौटाए थे कि इनसे मरीज बेहोश नहीं हो रहे हैं, उनकी जांच रिपोर्ट आ गई है। गाजियाबाद की लैब ने इन इंजेक्शनों की जांच के बाद पुष्टि की है कि ये इंजेक्शन असरहीन हैं। दैनिक भास्कर ने यह मामला उठाया था कि बेहोशी के ऐसे इंजेक्शन लगाकर बड़े-बड़े आपरेशन किए जा रहे हैं जिनसे मरीज बेहोश ही नहीं होता। इस वजह से सर्जरी के दौरान मरीजों को भयंकर तकलीफ से गुजरना पड़ रहा था। तब मरीजों की शिकायत के बाद डाक्टरों ने इसकी पुष्टि की थी। इससे पूरे चिकित्सा अमले में हड़कंप मच गया था और इंजेक्शन छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) को लौटा दिए गए थे। गाजियाबाद की प्रतिष्ठित लैब में शिकायत सही पाए जाने के बाद अब कार्पोरेशन इस मामले में इंजेक्शन निर्माता और सप्लाई कंपनी को नोटिस देने की तैयारी में है। अंबेडकर अस्पताल प्रबंधन ने पेंटाथॉल, प्रोपोफॉल, पेंटाजोसिन, सक्सनाइल कोलिन क्लोराइड, डेक्सा मेथासोन, बूपियोकेन दशमलव 5 प्रतिशत हेवी इंजेक्शन को असरहीन बताते हुए सीजीएमएससी के तत्कालीन एमडी प्रताप सिंह से शिकायत की थी। एनस्थीसिया विभाग के एचओडी डॉ. केके सहारे ने यह मामला कॉलेज काउंसिल की बैठक में उठाया था। इसके बाद कॉर्पोरेशन के एमडी ने एचओडी से केस स्टडी मांगा था। विभाग ने मरीजों की सूची भी दी थी, जिन्होंने इंजेक्शन के बेअसर होने के कारण सर्जरी के दौरान काफी तकलीफ झेली थी। इस शिकायत के बाद इंजेक्शन को जांच के लिए गाजियाबाद भेजा गया। लैब की रिपोर्ट हाल ही में आई है, जिसमें इंजेक्शन सब स्टैंडर्ड करार दिया गया। ये निकले सब स्टैंडर्ड प्रोपोफॉल सक्सनाइल कोलिन क्लोराइड डेक्सा मेथासोन बूपियोकेन 0.5 प्रतिशत हेवी जिन इंजेक्शन की शिकायत की गई थी, लैब की रिपोर्ट में घटिया करार दिया गया है। मरीजों के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। कार्पोरेशन को अच्छी क्वालिटी का इंजेक्शन सप्लाई करना पड़ेगा। डॉ. केके सहारे, एचओडी एनस्थीसिया रीढ़ की हड्डी के इंजेक्शन भी घटिया रोजाना 35 से 40
ऑपरेशन ऑपरेशन के समय बेहोश कैसे करते हैं?किसी भी तरह की सर्जरी से पहले डॉक्टर मरीज़ को बेहोशी की दवा देते हैं जिसे अंग्रेज़ी में एनेस्थीसिया कहते हैं. ये दवा लेने के बाद मरीज़ को एहसास ही नहीं होता कि उसके शरीर पर कहां, क्या हुआ. लेकिन कई बार ये दवा कम असर करती है. यानी उनका दिमाग़ सोता नहीं है.
बेहोश करने वाला इंजेक्शन का क्या नाम है?केटमिन 100एमजी इंजेक्शन (Ketmin 100Mg Injection) एक ऐसी दवा है जिसका उपयोग मुख्य रूप से एक संवेदनाहारी दवा के रूप में किया जाता है।
बेहोश करने वाले डॉक्टर को क्या बोलते हैं?जी हां, हम बात कर रहे एनेस्थेसिया डॉक्टरों की। जिन्हें बेहोशी वाला डॉक्टर भी कहा जाता है।
एनेस्थीसिया का असर कितनी देर तक रहता है?क्षेत्रीय एनेस्थीसिया
एनेस्थेटिक का असर आमतौर पर लगभग 12 से 18 घंटे रहता है और इसलिए सर्जरी के बाद भी इस अवधि तक आपको किसी दर्द का अनुभव नहीं होता है।
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