निर्जला एकादशी 2022 कैसे करते हैं? - nirjala ekaadashee 2022 kaise karate hain?

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस एकादशी में पूरे दिन जल का सेवन नहीं करते हैं और जल का दान करते हैं। आओ जानते हैं कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार कब है निर्जला एकादशी, कैसे करें जल का व्रत, जल की पूजा और जलदान।

निर्जला एकादशी 2022 कब है : अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून को रखा जाएगा।

निर्जला व्रत : निर्जला का अर्थ ही होता है बगैर जल के। इस दिन पूरे दिन जल नहीं ग्रहण करते हैं। निर्जला व्रत में व्रती जल के बिना समय बिताता है। व्रत करने वाला जल तत्व की महत्ता समझने लगता है। इस दिन व्रती को अन्न तो क्या, जलग्रहण करना भी वर्जित है। यानी यह व्रत निर्जला और निराहार ही होता है। इसमें संध्योपासना के लिए आचमन में जो जल लिया जाता है, उसे ग्रहण करने की अनुमति है। अत: पवित्रीकरण हेतु आचमन किए गए जल के अतिरिक्त अगले दिन सूर्योदय तक जल की बिन्दु तक ग्रहण न करें। सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही नहीं अपितु दूसरे दिन द्वादशी प्रारंभ होने के बाद ही व्रत का पारायण किया जाता है। अतः पूरे एक दिन एक रात तक बिना पानी के रहना ही इस व्रत की खासियत है और वह भी इतनी भीषण गर्मी में।

निर्जला एकादशी 2022 कैसे करते हैं? - nirjala ekaadashee 2022 kaise karate hain?

जल की पूजा : निर्जला एकादशी व्रत पंचतत्व के एक प्रमुख तत्व जल की महत्ता को निर्धारित करता है। इस व्रत में जल कलश का विधिवत पूजन किया जाता है उसी तरह जिस तरह की किसी देवी या देवता का पूजन किया जाता है।

जलदान : इस दिन जल से भरा कलश मंदिर में दान किया जाता है या अगले दिन द्वादशी तिथि में स्नान के उपरान्त पुन: विष्णु पूजन कर किसी विप्र को स्वर्ण व जल से भरा कलश व यथोचित दक्षिणा भेंट करने के उपरान्त ही अन्न-जल ग्रहण करना चाहिए या व्रत का पारण करें। यह व्रत मोक्षदायी व समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला है।

Significance of Nirjala Ekadashi : प्रतिवर्ष ज्येष्‍ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून 2022 को रखा जाएगा। पद्मपुराण में निर्जला एकादशी व्रत द्वारा मनोरथ सिद्ध होने की बात कही गई है। इस एकादशी के व्रत को विधिपूर्वक करने से सभी एकादशियों के व्रत का फल मिलता है। आओ जानते हैं कि इस एकादशी में बिना जल के उपवास का क्या महत्व है।


1. भीमसेनी एकादशी : ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के अलावा भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। भीमसेनी एकादशी और कुछ अंचलों में पांडव एकादशी पड़ा। कुछ ग्रंथों में माघ शुक्ल एकादशी व कार्तिक शुक्ल एकादशी को भी भीमसेनी एकादशी का नाम दिया गया है, परंतु ज्यादातर विद्वान निर्जला एकादशी को ही भीमसेनी एकादशी के रूप में स्वीकार करते हैं।

1. उपवास का महत्व : निर्जला का अर्थ ही होता है बगैर जल के। निर्जला एकादशी व्रत पंचतत्व के एक प्रमुख तत्व जल की महत्ता को निर्धारित करता है। इस व्रत में जल कलश का विधिवत पूजन किया जाता है। निर्जला व्रत में व्रती जल के बिना समय बिताता है। जल उपलब्ध होते हुए भी उसे ग्रहण न करने का संकल्प लेने और समयावधि के पश्चात जल ग्रहण करने से जल की उपयोगिता पता चलती है। व्रत करने वाला जल तत्व की महत्ता समझने लगता है। निर्जला एकादशी व्रत पौराणिक युगीन ऋषि-मुनियों द्वारा पंचतत्व के एक प्रमुख तत्व जल की महत्ता को निर्धारित करता है। पंचत्वों की साधना को योग दर्शन में गंभीरता से बताया गया है। अतः साधक जब पांचों तत्वों को अपने अनुकूल कर लेता है तो उसे न तो शारीरिक कष्ट होते हैं और न ही मानसिक पीड़ा।

2. क्यों रखते हैं यह व्रत : शास्त्रों में उल्लेखों के अनुसार मान्यता है कि पांडव पुत्र भीम के लिए कोई भी व्रत करना कठिन था, क्योंकि उनकी उदराग्नि कुछ ज्यादा प्रज्वलित थी और भूखे रहना उनके लिए संभव न था। मन से वे भी एकादशी व्रत करना चाहते थे। इस संबंध में भीम ने वेद व्यास व भीष्म पितामह से मार्गदर्शन लिया। दोनों ने ही भीम को आश्वस्त किया कि यदि वे वर्ष में सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत ही कर लें तो उन्हें सभी चौबीस एकादशियों (यदि अधिक मास हो तो छब्बीस) का फल मिलेगा। इसके पश्चात भीम ने सदैव निर्जला एकादशी का व्रत किया। पद्मपुराण में निर्जला एकादशी व्रत द्वारा मनोरथ सिद्ध होने की बात कही गई है।

निर्जला एकादशी 2022 कैसे करते हैं? - nirjala ekaadashee 2022 kaise karate hain?

Vishnu jee Worship

3. कैसे करते हैं यह व्रत : निर्जला का अर्थ निराहार और निर्जल रहकर व्रत करना है। इस दिन व्रती को अन्न तो क्या, जलग्रहण करना भी वर्जित है। यानी यह व्रत निर्जला और निराहार ही होता है। शास्त्रों में यह भी उल्लेख मिलता है कि संध्योपासना के लिए आचमन में जो जल लिया जाता है, उसे ग्रहण करने की अनुमति है।

अत: पवित्रीकरण हेतु आचमन किए गए जल के अतिरिक्त अगले दिन सूर्योदय तक जल की बिन्दु तक ग्रहण न करें। तत्पश्चात अगले दिन द्वादशी तिथि में स्नान के उपरान्त पुन: विष्णु पूजन कर किसी विप्र को स्वर्ण व जल से भरा कलश व यथोचित दक्षिणा भेंट करने के उपरान्त ही अन्न-जल ग्रहण करना चाहिए या व्रत का पारण करें। यह व्रत मोक्षदायी व समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला है।

सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही नहीं अपितु दूसरे दिन द्वादशी प्रारंभ होने के बाद ही व्रत का पारायण किया जाता है। अतः पूरे एक दिन एक रात तक बिना पानी के रहना ही इस व्रत की खासियत है और वह भी इतनी भीषण गर्मी में।

4. विष्णु पूजा : निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। निर्जला एकादशी को जल एवं गौ दान करना सौभाग्य की बात मानते थे। इसीलिए आज भी जो लोग गौ दान नहीं कर पाते हैं वे इस समय जलपान जरूर कराते हैं। ज्येष्ठ माह वैसे भी तपता है तो भी जगह प्याऊ लगान और लोगों को पानी पिलाना पुण्य का कार्य है। इस दिन जल में वास करने वाले भगवान श्रीमन्नारायण विष्णु की पूजा के उपरांत दान-पुण्य के कार्य कर समाज सेवा की जाती रही। इसके अलावा लोग ग्रीष्म ऋतु में पैदा होने वाले फल, सब्जियां, पानी की सुराही, हाथ का पंखा आदि का दान करते हैं।

इस दिन प्रात:काल उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। पूजाघर में धूप दीप जलाएं। इसके बाद भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें और उन्हें पुष्प एवं तुलसी के पत्ते अर्पित करने के बाद व्रत का संकल्प लें। संकल्प के बाद उनकी और माता लक्ष्मी की आरती करके उन्हें भोग लगाएं। पूजा एवं आरती के बाद जब तक व्रत चलता है तब तक भगवान विष्णु का भजन और ध्यान करें।

5. दान : अपनी सामर्थ के अनुसार अन्न, वस्त्र, जल, जूता, छाता, फल आदि का दान करें। यह नहीं कर सकते हैं तो कम से कम इस दिन जल कलश में जल भरकर उसे सफेद वस्त्र से ढंककर चीनी और दक्षिणा के साथ किसी ब्राह्मण को दान जरूर करें जिससे साल भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है।

निर्जला एकादशी का व्रत कैसे किया जाए?

निर्जला एकादशी कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि इस व्रत में पानी नहीं पिया जाता। वैसे कई लोग पूरे दिन व्रत रहकर 1 वक्त खाना खा लेते हैं तो कुछ पूरे दिन व्रत रहकर अगले दिन पारण करते हैं। हिंदुओं में एकादशी व्रत की खास मान्यता है।

निर्जला एकादशी 2022 का paran कैसे करें?

कैसे करें निर्जला एकादशी व्रत का पारण ज्योतिष शैलेंद्र पांडेय के मुताबिक, निर्जला एकादशी के अगले दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें. इसके बाद निर्धनों को अन्न, वस्त्र और जल का दान करें. इसके बाद नींबू पानी पीकर व्रत समाप्त करें. व्रत के तुरंत बाद पहले हल्का भोजन करें.

एकादशी का व्रत कैसे किया जाता है?

ये हैं एकादशी व्रत के नियम सुबह स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें और विधिवत नारायण का पूजन करें, व्रत कथा पढ़ें.

निर्जला एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए?

दशमी से दी न तो तामसिक, मांसाहारी जैसे भोज्य पदार्थों का सेवन न करें। इसके अलावा मदिरा और बाकी नशे की चीजों का भी सेवन करने से भी बचें। अगर आप निर्जला एकादशी का व्रत नहीं भी रख रहे हैं तो इस दिन चावल का सेवन भी न करें। इसके अलावा इस दिन बैंगन, शलजम आदि भी नहीं खाना चाहिए

निर्जला एकादशी व्रत कौन कर सकता है?

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) के व्रत को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना गया है. निर्जला एकादशी व्रत का महत्व भगवान वेद व्यास ने महाबली भीम को बताते हुए कहा था कि अगर जो व्यक्ति सभी 24 एकादशियों के व्रत नहीं रह सकता, वो सिर्फ एक निर्जला एकादशी का व्रत रख ले, तो भी सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त कर सकता है.