Show अर्धवृत्ताकार दोहरा-इन्द्रधनुष [1] "इंद्रधनुष" इंद्रधनुष शब्द लैटिन भाषा के 'Arcus Pluvius' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है 'बरसात की चाप'। वैसे तो इस नाम से लगभग सभी लोग परिचित होंगे। और जो इस नाम से परिचित हैं उन्होंने अपने जीवन में एक या कई बार इंद्रधनुष जरूर देखा होगा। और जिन्होंने देखा होगा उनके मन में यह सवाल उठना लाज़मी है कि Indradhanush kaise banta hai? आकाश में संध्या समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी वर्णो का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है। यह इंद्रधनुष कहलाता है। वर्षा अथवा बादल में पानी की सूक्ष्म बूँदों अथवा कणों पर पड़नेवाली सूर्य किरणों का विक्षेपण (डिस्पर्शन) ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण है। सूर्य की किरणें वर्षा की बूँदों से अपवर्तित तथा परावर्तित होने के कारण इन्द्रधनुष बनाती हैं। इंद्रधनुष सदा दर्शक की पीठ के पीछे सूर्य होने पर ही दिखाई पड़ता है। पानी के फुहारे पर दर्शक के पीछे से सूर्य किरणों के पड़ने पर भी इंद्रधनुष देखा जा सकता है। इंद्रधनुष पूर्ण वृत्त रूप में हो सकते हैं। लेकिन, देखने वाले को आम तौर पर जमीन के ऊपर प्रबुद्ध बूंदों द्वारा बनी केवल एक चाप ही दिखाई देती है [2], जो सूर्य से दर्शक की आंख तक की रेखा पर केंद्रित होती है। द्वितीयक इंद्रधनुष[संपादित करें]एक इंद्रधनुष ऐसा भी बनना संभव है जिसमें वक्र का बाहरी वर्ण बैंगनी रहे तथा भीतरी लाल। इसको द्वितीयक (सेकंडरी) इंद्रधनुष कहते हैं। इसमें सूर्य की किरणें वर्षा की बूँद के भीतर दो बार आंतरिक रूप रूप से परावर्तन होती है। तीन अथवा चार आंतरिक परावर्तन से बने इंद्रधनुष भी संभव हैं, परंतु वे बिरले अवसरों पर ही दिखाई देते हैं। वे सदैव सूर्य की दिशा में बनते हैं तथा तभी दिखाई पड़ते हैं जब सूर्य स्वयं बादलों में छिपा रहता है। इंद्रधनुष की क्रिया को सर्वप्रथम दे कार्ते नामक फ्रेंच वैज्ञानिक ने उपर्युक्त सिद्धांतों द्वारा समझाया था। इनके अतिरिक्त कभी-कभी प्रथम इंद्रधनुष के नीचे की ओर अनेक अन्य रंगीन वृत्त भी दिखाई देते हैं। ये वास्तविक इंद्रधनुष नहीं होते। ये जल की बूँदों से ही बनते हैं, किंतु इनका कारण विवर्तन (डिफ़्रैक्शन) होता है। इनमें विभिन्न रंगों के वृतों की चौड़ाई जल की बूँदों के बड़ी या छोटी होने पर निर्भर रहती है। इन्हें भी देखेँ[संपादित करें]
इंद्रधनुष के ये सात रंगPublish Date: Sat, 15 Mar 2014 01:09 PM (IST)Updated Date: Sat, 15 Mar 2014 01:09 PM (IST) एक कहावत है कि दुनिया में जितने भी रंग हैं, वे सारे किसी न किसी रूप में इंसान के शरीर में मौजूद हैं। रंग प्रकृति से साक्षात्कार कराते हैं। इन्हें जीवन से अलग नहीं किया जा सकता। अध्यात्म में माना जाता है कि हर रंग ऊर्जावान है। इंद्रधनुष के सातों रंग शरीर के भीतर मौजूद सात च एक कहावत है कि दुनिया में जितने भी रंग हैं, वे सारे किसी न किसी रूप में इंसान के शरीर में मौजूद हैं। रंग प्रकृति से साक्षात्कार कराते हैं। इन्हें जीवन से अलग नहीं किया जा सकता। अध्यात्म में माना जाता है कि हर रंग ऊर्जावान है। इंद्रधनुष के सातों रंग शरीर के भीतर मौजूद सात चक्रों से जुड़े हैं। रंगों का संतुलन हमारे स्वास्थ्य और सोच को सही दिशा देता है। इनका सही अनुपात जीवन के मधुर संगीत के लिए जरूरी है। रंग हमें जीवन-दर्शन समझाते हैं और बताते हैं कि जीवन इंद्रधनुषी है। हर रंग में रंगना ही तो जिंदगी है। लाल रंग पहला चक्र मूलाधार लाल रंग को दर्शाता है। यह काम ऊर्जा सहित सफलता, उत्साह, शक्ति, सौभाग्य एवं ताकत को दर्शाता है। नारंगी रंग दूसरा चक्र स्वाधिष्ठान खुशी, आशीर्वाद, सफलता और शालीनता को दर्शाता है। ये समस्त गुण नारंगी रंग से संतुलित होते हैं। पीला रंग यह रंग तीसरे महत्वपूर्ण चक्र मनिपुर पर आधारित है। यह इंसान की रचनात्मक क्षमता, ज्ञान, बुद्धिमता, विद्या, आत्मविश्वास, डर, निराशा जैसे गुण-दोषों को नियंत्रित करता है। हरा रंग चौथा और अत्यंत महत्वपूर्ण चक्र अनाहत शांति, विश्वास, दया, अकेलेपन और ईष्र्या को दर्शाता है। हरा रंग इन मनोभावों में संतुलन स्थापित करता है। यह रंग स्फूर्ति व समृद्धि का प्रतीक है। यह प्रकृति और अध्यात्म का रंग है। नीला रंग पांचवां चक्र विशुद्ध संवाद की शक्ति, समझदारी, न्याय के अलावा धैर्य, सम्मान, इच्छाशक्ति और नम्रता को दर्शाता है। इस चक्र को नीला रंग संतुलित करता है। मनोविज्ञान के अनुसार नीला रंग बल, पौरुष व धीरता का प्रतीक है। यह दृढ़ता, साहस, शौर्य के साथ ही गंभीरता को भी दर्शाता है। जामुनी रंग छठा चक्र आज्ञा अंतज्र्ञान के अलावा निडरता और वफादारी को दर्शाता है, जो जामुनी रंग की कमी या अधिकता पर निर्भर है। बैगनी रंग सातवां चक्र सहस्नार आध्यात्मिकता, ध्यान, विवेक, आत्मत्याग और मनुष्यता को दर्शाता है। ये गुण बैंगनी रंग के संतुलन से आते हैं। रंग स्वास्थ्य से भी गहरे ढंग से जुड़े हैं। ये विभिन्न तरंग आयामों का प्रकाश हैं और हर रंग की अपनी तरंगें और ठहराव है, जो हमारे शरीर के विभिन्न ऊर्जा केंद्रों के साथ मिलकर एक अनुगूंज पैदा करते हैं। रंग न सिर्फ आंखों को भाते हैं, बल्कि कलर थेरैपी के दौरान ये शरीर में मैग्नेटिक फील्ड से भी समाहित होते हैं। कलर थेरैपी एक संपूर्ण चिकित्सा प्रक्रिया है। सात चक्रों व सात रंगों का संतुलन और इससे जुड़ी ऊर्जा खुशहाल जीवन जीने में हमारी मदद करती है। जरूरत है कि हम जागरूक बनें, रंगों में छिपी ऊर्जा को पहचानें।
इंद्रधनुष में दूसरा रंग कौन सा होता है?"इंद्रधनुष " में 7 रंग देखने को मिलते हैं। VIBGYOR अर्थात बैगनी, आसमानी ,नीला,हरा,पीला ,ऑरेंज,लाल ।
इंद्रधनुष में कौन सा रंग सबसे पहले होता है?इंद्रधनुष के ये सात रंग. लाल रंग पहला चक्र मूलाधार लाल रंग को दर्शाता है। ... . नारंगी रंग दूसरा चक्र स्वाधिष्ठान खुशी, आशीर्वाद, सफलता और शालीनता को दर्शाता है। ... . पीला रंग यह रंग तीसरे महत्वपूर्ण चक्र मनिपुर पर आधारित है। ... . हरा रंग ... . नीला रंग ... . जामुनी रंग ... . बैगनी रंग. इंद्रधनुष के बीच का रंग कौन सा है?ये रंग हैं- बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल।
इंद्रधनुष का सबसे अंतिम रंग कौन सा होता है?Gunjan. इंद्रधनुष में अंदर की ओर कौन सा रंग होता है? ... . इंद्रधनुष में कौन सा रंग नहीं दिखता है? ... . इंद्रधनुष में कितने रंग होते हैं? ... . इंद्रधनुष का भीतरी हिस्सा किस रंग का होता है? ... . इंद्रधनुष का भीतरी हिस्सा किस रंग का होता है? ... . इंद्रधनुष के बीच का रंग कैसा होता है? ... . इंद्रधनुष में किस रंग का विक्षेपण अधिक होता है?. |