1. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए – Show उत्तर-(क) निक्षेप (ii). जलयोजन प्रक्रिया निम्नलिखित पदार्थों में से किसे प्रभावित करती है? उत्तर-(घ) लवण (iii). मलबा अवधाव को किस श्रेणी में शामिल किया जा सकता है? उत्तर-(ख) तीव्र प्रवाही बृहत संचलन 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए। उत्तर- जैव मात्रा एवं जैव विविधता
मुख्यतः वनों या वनस्पति की देन है तथा वन अपक्षयी प्रावार की गहराई पर निर्भर करते हैं। अपक्षय मृदा निर्माण की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिससे प्राप्त शैल चूर्ण मृदा का आधार होता है जो वनस्पति एवं वनों के रूप में जैव विविधता के लिए सीधे उत्तरदायी है। (ii) बृहत् संचलन जो वास्तविक, तीव्र एवं गोचर/ अवगम्य हैं, वे क्या है? सूचीबद्ध कीजिए। उत्तर-बृहत् संचलन जो वास्तविक, तीव्र एवं गोचर/ अवगम्य हैं, के
अंतर्गत भूस्खलन, शैल स्खलन, मलबा स्खलन, शैल पतन, मृदा सर्पण आदि को शामिल किया जा सकता है। ं (iii) विभिन्न गतिशील एवं शक्तिशाली बहिर्जनिक भू-आकृतिक कारक क्या हैं तथा वे क्या प्रधान कार्य संपन्न करते हैं? उत्तर-प्रवाहित जल (नदी), हिमानी, पवनें, महासागर लहरें/ धाराएँ आदि विभिन्न गतिशील एवं शक्तिशाली बहिर्जनिक भू-आकृतिक कारक है जो अपक्षय, अपरदन तथा निक्षेपण जैसी बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के लिए उत्तरदायी हैं।
अनाच्छादन की इन विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रकृति द्वारा संतुलन बनाने का प्रयास चलता रहता है। (iv) क्या मृदा निर्माण में अपक्षय एक आवश्यक अनिवार्यता है? उत्तर- अपक्षय मृदा निर्माण की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके माध्यम से जनक शैल से शैल चूर्ण प्राप्त होता है जो मृदा निर्माण का आधार है। मृदा निर्माण प्रक्रिया सर्वप्रथम अपक्षय पर निर्भर करती है क्योंकि अपक्षयित पदार्थ की गहराई (अपक्षयी प्रावार) ही मृदा
निर्माण का मूल निवेश होता है। 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए: उत्तर- पृथ्वी का धरातल गत्यात्मक है अर्थात इसमें निरंतर परिवर्तन होता रहता है। इस परिवर्तन के लिए दो प्रकार के बल उत्तरदायी होते हैं। पृथ्वी के अंदर कार्य करने वाले इन बलों को अंतर्जनित बल कहते हैं जबकि धरातल पर बाहर
क्रियाशील बलों को बहिर्जनिक बल कहा जाता है।अंतर्जनित बलों के कारण पटल विरूपण तथा ज्वालामुखीयता जैसी भू- आकृतिक प्रक्रियाएँ घटित होती रहती हैं। इनके द्वारा भूपर्पटी पर परिवर्तन दिखाई देते हैं जैसे पर्वत निर्माण, ज्वालामुखी फटना, भ्रंश या गर्त का निर्माण आदि। भूकंप तथा प्लेट विवर्तनिक प्रक्रियाओं के द्वारा महाद्वीप रचना,भ्रंश या पर्वत निर्माण या नए द्वीप की रचना जैसे कई निर्माण तथा विनाशकारी प्रक्रियाएँ होती रहती हैं जिससे भूपर्पटी के स्वरूप में परिवर्तन होता रहता है।
(ii) ‘बहिर्जनिक भू- आकृतिक प्रक्रियाएँ अपनी अंतिम ऊर्जा
सूर्य की गर्मी से प्राप्त करती हैं।’ व्याख्या कीजिए। उत्तर-मूलतः धरातल सूर्य से प्राप्त ऊर्जा से प्रेरित बाह्य बलों द्वारा अनवरत प्रभावित होता रहता है। बहिर्जनिक प्रक्रियाओं के अंतर्गत मुख्यतः अनाच्छादन के अंतर्गत रख सकते हैं जिसमें अपक्षय, अपरदन, परिवहन, संचलन आदि भू- आकृतिक प्रक्रियाएँ आती है। इन प्रक्रियाओं के लिए उत्तरदायी बल तथा विभिन्न कारक अपनी अंतिम ऊर्जा सूर्य से प्राप्त करते हैं क्योंकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से धरातल पर घटित होने वाली विभिन्न
प्रक्रियाओं तथा जैव विविधता के लिए ऊर्जा का मूल स्रोत सूर्य है। (iii) क्या भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ एक- दूसरे से
स्वतंत्र हैं? यदि नहीं तो क्यों? सोदाहरण व्याख्या कीजिए। उत्तर- अपक्षय वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा चट्टानें आमतौर पर अपने ही स्थान पर विघटित होकर शैल चूर्ण में बदल जाती है। अपक्षय की प्रक्रिया के घटित होने में जलवायु का विशेष महत्व है। विभिन्न प्रकार के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक कारकों के द्वारा अपक्षय प्रक्रिया होती है। किंतु इनमें से कोई भी एक प्रक्रिया अकेले ही काम करती हो ऐसा प्रायः संभव नहीं है। आमतौर पर एक से अधिक प्रक्रियाएँ संयुक्त रुप से अपक्षय में योगदान देती
है। (iv) आप किस प्रकार मृदा निर्माण प्रक्रियाओं तथा मृदा निर्माण कारकों में अंतर ज्ञात करते हैं ? जलवायु एवं जैविक क्रियाओं की मृदा निर्माण में दो महत्वपूर्ण कारकों के रूप में क्या भूमिका है? उत्तर- मृदा निर्माण की प्रक्रियाओं के अंतर्गत उन सभी प्रक्रियाओं को शामिल किया जाता है जिनके द्वारा मृदा निर्माण होता है। जबकि मृदा निर्माण के लिए उत्तरदायी कारकों में मूल पदार्थ
(चट्टान), स्थलाकृति, जलवायु,जैविक क्रियाएँ एवं समय आते हैं। मृदा निर्माण प्रक्रियाओं में सबसे पहले अपक्षय की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि यह मृदा निर्माण का मूल निवेश होता है। मृदा निर्माण के लिए उत्तरदायी मूल शैल का विघटन इसके द्वारा होता है। मृदा निर्माण की प्रक्रिया में इसके अलावा पेड़ पौधों तथा जीवों से प्राप्त जीवांश का उपयोग विभिन्न प्रकार के जीवाणु तथा जीवों द्वारा मृदा को उपजाऊ बनाने में होता है जो मृदा निर्माण का एक कारक भी है। बिल बनाने वाले जानवर मृदा के कणों को ऊपर लाते हैं जिससे
पदार्थों का ढेर छिद्रमय एवं स्पंज की तरह हो जाता है।इस प्रकार जल धारण करने की क्षमता, वायु के प्रवेश आदि के कारण आखिरकार परिपक्व, खनिज एवं जीवांश युक्त मृदा का निर्माण होता है। मृदा निर्माण प्रक्रिया में समय, स्थलाकृति तथा मूल चट्टान को निष्क्रिय नियंत्रक कारक माना जाता है। निम्न में से कौन सी एक अनुक्रमिक प्रक्रिया है?Answer: (i) अपरदन एक अनुक्रमिक प्रक्रिया है । दिए गए विकल्पों में से विकल्प (घ) अपरदन सही उत्तर है।
पृथ्वी पर जैव विविधता के लिए उत्तरदाई है कैसे?(i) अपक्षय पृथ्वी पर जैव विविधता के लिए उत्तरदायी है। कैसे? उत्तर- अपक्षय प्रक्रियाएँ चट्टानों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने एवं मृदा निर्माण के कार्य में ही सहायक नहीं होती हैं बल्कि वे अपरदन एवं बृहत संचलन के लिए भी उतरदायी हैं।
बृहत् संचलन जो वास्तविक तीव्र एवं गोचर अवगम्य Perceptible हैं वे क्या हैं सूचीबद्ध कीजिए?बृहत संचलन के अंतर्गत वे सभी संचलन आते हैं, जिनमें चट्टानों के मलबे गुरुत्वाकर्षण के सीधे प्रभाव के कारण ढाल अनुरूप स्थानांतरित होते हैं। भूस्खलन अपेक्षाकृत तीव्र एवं अवगम्य संचलन है। भूस्खलन मुख्यतः पर्वतीय भागों में अधिक होता है। पर्वतीय भागों में शिखरों की ढाल काफी तीव्र होती है।
भू आकृति कारक कौन कौन से हैं?भू-आकृतिक कारक कहा जा सकता है। जब प्रकृति के ये तत्त्व ढाल प्रवणता के कारण गतिशील हो जाते हैं तो पदार्थों को हटाकर ढाल के सहारे ले जाते हैं और निचले भागों में निक्षेपित कर देते हैं।
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