नई दिल्ली में सब था, सिर्फ नाक नहीं थी इस कथन के द्वारा लेखक क्या कहना चाहता है - naee dillee mein sab tha, sirph naak nahin thee is kathan ke dvaara lekhak kya kahana chaahata hai

"नयी दिल्ली में सब था... सिर्फ़ नाक नहीं थी।" इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

Question

"नयी दिल्ली में सब था... सिर्फ़ नाक नहीं थी।" इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

Solution

इस कथन के माध्यम से लेखक ब्रिटिश सरकार का भारत में सम्मान को प्रदर्शित करता है। उसने इस कथन में ब्रिटिश सरकार पर व्यंग्य कसा है। बेशक भारतीय समाज उनकी चमक से नहाया हुआ हो पर उनके लिए भारतीयों के मन में सम्मान ज़रा भी नहीं है। वे सिर्फ़ दिखावे के लिए चाटूकारिता करते हों पर मन में अब भी वही फाँस फसी है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});

1 नयी दिल्ली में सब था सिर्फ नाक नहीं थी इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

इस कथन के माध्यम से लेखक ब्रिटिश सरकार का भारत में सम्मान को प्रदर्शित करता है। उसने इस कथन में ब्रिटिश सरकार पर व्यंग्य कसा है। बेशक भारतीय समाज उनकी चमक से नहाया हुआ हो पर उनके लिए भारतीयों के मन में सम्मान ज़रा भी नहीं है। वे सिर्फ़ दिखावे के लिए चाटूकारिता करते हों पर मन में अब भी वही फाँस फसी है।

नई दिल्ली में सब था सिर्फ नाक नहीं थी वाक्य का क्या अर्थ है?

इस कथन के माध्यम से लेखक ब्रिटिश सरकार का भारत में सम्मान को प्रदर्शित करता है। उसने इस कथन में ब्रिटिश सरकार पर व्यंग्य कसा है। बेशक भारतीय समाज उनकी चमक से नहाया हुआ हो पर उनके लिए भारतीयों के मन में सम्मान ज़रा भी नहीं है। वे सिर्फ़ दिखावे के लिए चाटूकारिता करते हों पर मन में अब भी वही फाँस फसी है।