मिठाई वाला बच्चों के पसंद की चीजें क्यों बेचता था? - mithaee vaala bachchon ke pasand kee cheejen kyon bechata tha?

Question2. मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खीचें चले आते थे?

उत्तर:-
निम्नलिखित कारणों से बच्चे तथा बड़े मिठाईवाले की ओर खिंचे चले आते थे-

  • मिठाई वाला मादक - मधुर ढंग से गाकर अपनी चीज़ों को बेचता था।
  • वह कम लाभ में बच्चों को खिलौने तथा मिठाइयाँ देता था।
  • उसके हृदय में बच्चों के लिए स्नेह था, वह कभी गुस्सा नहीं करता था।
  • हर बार नई चीज़ें लाता था।

Question3. विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं ?

उत्तर:-
एक ग्राहक के रूप में विजय बाबू अपना तर्क पेश करते हुए कहते है कि तुम लोगों को झुठ बोलने की आदत होती है। सबको एक ही भाव से सामान बेचते हो ग्राहक को अधिक दाम बताकर उलटा ग्राहक पर ही एहसान का बोझ लाद देते हो।

एक विक्रेता के रूप में मुरलीवाला अपना तर्क पेश करता हुआ कहता है - आपको चीज़ों की असली लागत का अंदाजा नहीं है इसलिए दुकानदार चाहे हानि उठाकर ही चीज़ें क्यों न बेचे पर ग्राहक को हमेशा यही लगता है कि हम उन्हें लूट रहे हैं। ग्राहक को दुकानदार पर विश्वास नहीं होता है। मुरलीवाला कहता है कि असली दाम - दो पैसा ही है, मैंने पूरी एक हज़ार बनवाई थी।

Question4. खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?

उत्तर:-
खिलौनेवाले की मादक मधुर आवाज़ सुनकर बच्चे चंचल हो उठते। उसके स्नेहपूर्ण कंठ से फूटती हूई आवाज़ सुनकर निकट के मकानों में हल-चल मच जाती। गलियों तथा उनके भीतर स्थित छोटे-छोटे उद्यानों में खेलते और इठलाते हुए बच्चों का समूह अपनी जूते- टोपी को उद्यान में ही भूलकर उसे घेर लेता और वे अपने-अपने घरों से पैसे लाकर खिलौनों का मोल-भाव करने लगते।

Question5. रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो गया?

उत्तर:-
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण हो आया क्योंकि उसे वह आवाज़ जानी-पहचानी लगी। उसे स्मरण हो आया कि खिलौनेवाला भी इसी प्रकार मधुर कंठ से गाकर खिलौने बेचा करता था और इस मुरलीवाले का स्वर भी उसी तरह का था। ये भी ठीक वैसे ही मधुर आवाज़ में गा-गाकर मुरलियाँ बेच रहा था।

Question6. किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?

उत्तर:-
मिठाईवाला रोहिणी की बात सुनकर भावुक हो गया था।
उसने इस छोटे व्यवसाय को अपनाने का कारण यह बताया कि इससे उसे अपने मृत बच्चों की झलक दूसरों के बच्चों में मिल जाती है। बच्चों के साथ रहकर उसे संतोष, धैर्य व असीम सुख की प्राप्ति होती है।

Question7. ‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’ – कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर:-
‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’ – कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि एक तो पहली बार किसी ने उसके प्रति इतनी आत्मीयता दिखाई और उसके दुःख को समझने का प्रयास किया दूसरा उसे रोहिणी के बच्चे चुन्नू-मुन्नु में अपने ही बच्चे नज़र आए।

Question8. इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?

उत्तर:-
हाँ आज भी कुछ पिछड़े ग्रामीण, रुढ़िवादी और कुछ जाति विशेष परिवारों में पर्दा प्रथा का चलन है।
मेरी राय में ये बिल्कुल भी उचित नहीं है। ये प्रथा न केवल स्त्रियों की स्वतंत्रता का हनन करती है बल्कि उनकी प्रगति में भी रूकावट उत्पन्न करती है। साथ ही इस प्रकार की प्रथाएँ हमारे देश की छवि को भी विश्व-पटल पर धूमिल करती है।

Question9. हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन सी चीज़ें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने-बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।

The NCERT Solutions in Hindi Language for Class 7 हिंदी (वसंत) भाग – II पाठ – 5 मीठाईवाला has been provided here to help the students in solving the questions from this exercise. 

पाठ – 5 (मीठाईवाला) 

प्रश्न – अभ्यास

कहानी से

1. मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?

उत्तर – बच्चे एक चीज़ से ऊब न जाएँ इसलिए मिठाईवाला अलग – अलग चीज़ें बेचता था। बच्चों में उत्सुकता बनाए रखने के लिए वह महीनों, बाद आता था। साथ ही चीज़ें न मिलने से बच्चे रोएँ, ऐसा मिठाई वाला नहीं चाहता था।

2. मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?

उत्तर- मिठाईवाले में अनेक गुण थे, जिसके कारण बच्चे, बड़े और बूढ़े भी उनकी ओर खिंचे चले आते थे। उनमें विशेष प्रकार के कई गुण मौजूद थे, उनमें थे
(i) मिठाई वाला मादक – मधुर ढंग से गाकर अपनी चीज़ों को बेचता था।

(ii) वह कम लाभ में बच्चों को खिलौने तथा मिठाइयाँ देता था।
(iii) उसके हृदय में बच्चों के लिए स्नेह था, वह कभी गुस्सा नहीं करता था।
(iv) हर बार नई चीज़ें लाता था।

3. विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?

उत्तर – एक ग्राहक के रूप में विजय बाबू अपना तर्क पेश करते हुए कहते है कि तुम लोगों को झुठ बोलने की आदत होती है। सबको एक ही भाव से सामान बेचते हो ग्राहक को अधिक दाम बताकर उलटा ग्राहक पर ही एहसान का बोझ लाद देते हो।

एक विक्रेता के रूप में मुरलीवाला अपना तर्क पेश करता हुआ कहता है – आपको चीज़ों की असली लागत का अंदाजा नहीं है इसलिए दुका दार चाहे हानि उठाकर ही चीज़ें क्यों न बेचे पर ग्राहक को हमेशा यही लगता है कि हम उन्हें लूट रहे हैं। ग्राहक को दुकानदार पर विश्वास नहीं होता है। मुरलीवाला कहता है कि असली दाम – दो पैसा ही है, मैंने पूरी एक हज़ार बनवाई थी।

4. खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?

उत्तर – खिलौनेवाले के आने पर उसके मधुर आवाज़ से निकट के मकानों में हलचल मच जाती। बच्चे पुलकित हो उठते। वे पैसे लेकर मोलभाव करने लग जाते और खिलौने लेकर फिर उछल-कूद करने लगते।

5. रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो आया?

उत्तर – रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण हो आया क्योंकि वह आवाज़ जानी-पहचानी थी। खिलौनेवाला भी इसी प्रकार मधुर कंठ से गाकर खिलौने बेचा करता था। मुरलीवाला भी ठीक वैसे ही मधुर आवाज़ में गा-गाकर मुरलियाँ बेच रहा था।

6. किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?

उत्तर – मिठाईवाला रोहिणी की बात सुनकर भावुक हो गया था। उसने इस छोटे व्यवसाय को अपनाने का कारण यह बताया कि इससे उसे अपने मृत बच्चों की झलक दूसरों के बच्चों में मिल जाती है। बच्चों के साथ रहकर उसे संतोष, धैर्य व असीम सुख की प्राप्ति होती है।

7. ‘अब इस बार ये पैसे न लँगा’-कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?  
उत्तर – ‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’ – कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि एक तो पहली बार किसी ने उसके प्रति इतनी आत्मीयता दिखाई और उसके दुःख को समझने का प्रयास किया दूसरा उसे रोहिणी के बच्चे चुन्नू-मुन्नु में अपने ही बच्चे नज़र आए।

8. इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?

उत्तर – हाँ आज भी कुछ पिछड़े ग्रामीण, रुढ़िवादी और कुछ जाति विशेष परिवारों में पर्दा प्रथा का चलन है। मेरी राय में ये बिल्कुल भी उचित नहीं है। ये प्रथा न केवल स्त्रियों की स्वतंत्रता का हनन करती है बल्कि उनकी प्रगति में भी रूकावट उत्पन्न करती है। साथ ही इस प्रकार की प्रथाएँ हमारे देश की छवि को भी विश्व-पटल पर धूमिल करती है।

कहानी से आगे

1. मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?

उत्तर – मिठाईवाला एक प्रतिष्ठत तथा सुखी सम्पन्न व्यापारी था। दुर्घटनावश किसी दिन उनकी पत्नी और उनके दोनों बच्चों की मृत्यु हो गई। पत्नी और बच्चों के न होने के कारण व्यापारी को अपना अस्तित्व और अपनी सम्पत्ति व्यर्थ लग रही थी। अतः इसी कारण मिठाईवाले ने अपने दुःख को भुलाने के लिए दूसरे बच्चों की खुशी में अपनी खुशी को ढूढ़ने की चेष्टा की। इसमें उसे काफी हद तक सफलता भी मिली।

2. हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने-बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।

उत्तर –  हाट-मेले, शादी में निम्नलिखित चीज़ें हमारा ध्यान आकर्षित करती हैं। जैसे- मिठाइयाँ, खिलौने, झूले, चाट, पकौड़े आदि। मिठाइयाँ हलवाई द्वारा बनाए जाते हैं, खिलौने कारीगरों द्वारा बनाए जातें हैं तथा झूले एक से अधिक श्रमिक मिल कर लगाते हैं। उनके चेहरे में परिश्रम और उनकी व्यस्तता स्पष्ट झलकती है।

3. इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है? इस मिजाज की और कहानियाँ, कविताएँ हूँढ़िए और पढ़िए।

उत्तर – पुस्तकालय की मदद से यह कार्य कीजिए।

अनुमान और कल्पना

1. आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।

उत्तर – मैं दिल्ली में रहता हूँ। हमारी गली में मौसम के अनुसार कई फेरीवाले आते हैं। ऐसे ही सर्दियों में एक बार एक कश्मीरी शालें बेचने के लिए आया। माँ ने उसे बिठाया और शालें देखने लगी। मेरे मन में चाह हुई कि यह इतनी दूर से शालें बेचने क्यों आया है। मैंने उससे पूछ ही लिया कि ‘भैया’ तुम्हारी कोई दुकान नहीं है? वह बेचारा चुप हो गया और मुसकुराने लगा लेकिन मैंने जिज्ञासावश दोबारा पूछने की कोशिश की तो उसकी आँखों में आँसू आ गए। वह कहने लगा कि मेरा बहुत बड़ा शोरूम था, कई नौकर-चाकर थे लेकिन आतंकवादियों ने ऐसा हमला किया कि हमारे बाजार में बम विस्फोट हो गया। बड़ी मुश्किल से जान बचाई। सामान व दुकान जलकर खाक हो गईं। पेट पालना भी कठिन हो गया। मेरे भी छोटे-छोटे बच्चे, पत्नी व माता-पिता हैं। उनकी परवरिश करने का साधन न रहा इसीलिए जगह-जगह जाकर कश्मीरी शालें बेचता हूँ।

2. आपके माता-पिता के ज़माने से लेकर अब तक फेरी की आवाजों में कैसा बदलाव आया है? बड़ों से पूछकर लिखिए।

उत्तर – जब माता-पिता का जमाना था तो हर चीज़ फेरी वाले बेचने के लिए लाया करते थे। फेरी वालों की आवाजें मनभावन और कोई न कोई विशेषता लिए होती थी। जैसे कपड़े वाला आएगा तो डमडम या भोंपू, खिलौनेवाला ज़ोर-जोर से सीटियाँ, खाने की चीजों जैसे टिक्कीवाला अपने तवे पर ही भारी चीज़ से टनटन, ठंडे शरबत वाला लंबी-लंबी तान में आवाजें, झूले वाला धुंघरू बजाता था, लेकिन आज पहली बात तो यह है कि अधिक फेरी वाले आते ही नहीं क्योंकि लोग मोहर लगी चीजें अधिक पसंद करते हैं। दूसरा आते भी हैं तो अपने सामान से संबंधित आवाजें तो अवश्य लगाते हैं लेकिन उनमें विशेष आकर्षण कम हो गया है।

3. क्या आपको लगता है कि-वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं? कारण लिखिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

भाषा की बात

1. मिठाईवाला                      बोलनेवाली गुडिया
• ऊपर वाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि-
(क) ‘वाला’ से पहले आनेवाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में से क्या हैं?
(ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है?

उत्तर –
(क) ‘वाला’ से पहले आने वाले शब्द संज्ञा और विशेषण के हैं-
(ख) मिठाईवाला में    –  मिठाई शब्द संज्ञा का है और वाला शब्द प्रकट करता है-मिठाई बेचने वाला।
बोलनेवाली गुड़िया में   –  बोलने वाली विशेषण शब्द है। जबकि गुड़िया शब्द संज्ञा है जो प्रकट करता है-वह गुड़िया जो बोलती है।

2. “अच्छा मुझे ज्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”

  • उपर्युक्त वाक्य में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे, भोजपुरी में-एक ठो लइका, चार ठो आलू, तीन ठो बटुली।
  • ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं/बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किस-किस की भाषा-बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।

उत्तर – 

  • उपर्युक्त वाक्यों में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान देने पर पता चलता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है; जैसे-भोजपुरी में-दो ठो आम, चार ठो समोसा, एक ठो लड़का।

    मिठाईवाला मिठाइयां क्यों बेचता था?

    मिठाईवाला अलग-अलग चीजें इसलिए बेचता था, क्योंकि वह बच्चों का सान्निध्य प्राप्त करना चाहता था। उसके बच्चों एवं पत्नी की मृत्यु असमय हो गई थी। वह अपने बच्चों की झलक इन गली के बच्चों में देखता था। इसलिए वह बच्चों की रुचि की चीजें बेचा करता था

    बच्चे मिठाई वाले की और क्यों आकर्षित हो जाते थे?

    उत्तर- बच्चों के साथ-साथ बड़े लोगों के आकर्षित होने का मुख्य कारण था मिठाई वाले की मधुर आवाज और गा-गाकर चीजों को बेचना। मिठाई वाले की विशेषता यह थी कि वह औरों से सस्ती चीजें बेचता था। विनम्र, सभ्य और शिष्ट व्यवहार के कारण बच्चों के साथ-साथ बड़े भी प्रभावित होकर उसकी ओर खींचे चले आते थे

    मिठाईवाला मिठाई से पहले कौन कौन सी चीजें लेकर बेचने आया था?

    वह रोहिणी से बोला कि मिठाई बेचने से पहले वह मुरली लेकर आया था और उससे भी पहले खिलौने लेकर वह रोहिणी के मोहल्ले में आया था। रोहिणी को पता था कि वह व्यक्ति जो भी चीज बेचता है बहुत ही कम दाम पर बेचता है।

    मिठाईवाला भावुक क्यों हो गया था?

    Solution : रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। उसने इन व्यवसायों के अपनाने का कारण यह बतलाया कि इन बच्चों को देखकर उसे अपने खोए बच्चों की एक झलक मिल जाती है जिससे असीम सुख की प्राप्ति होती है।