1. उत्तरी-पश्चिमी हिमालय क्षेत्र–इस क्षेत्र में भूस्खलन आपदा से सर्वाधिक हानि होती है, अत: इसे उच्च से अति उच्च भूस्खलन क्षेत्र कहा जाता है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखण्ड इसी क्षेत्र में सम्मिलित हैं। Show 2. पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र-भारत के समस्त उत्तर-पूर्वी राज्य इस क्षेत्र में सम्मिलित हैं। यहाँ वर्षा ऋतु में उच्च भीषणता वाले भूस्खलन से जान-माल की अधिक हानि होती है। 3. पश्चिमी घाट तथा नीलगिरि की पहाड़ियाँ-भारत के प्रायद्वीप के पश्चिमी घाट के राज्यों का समुद्रतटीय क्षेत्र जिसमें महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल राज्य तथा तमिलनाडु की नीलगिरि पहाड़ियों का क्षेत्र सम्मिलित है। यहाँ मध्यम से उच्च भीषणता वाला भूस्खलन होता रहता है। 4. पूर्वी घाट–पूर्वी घाट के राज्यों के तटवर्ती क्षेत्र में कभी-कभी सामान्य भूस्खलन की घटनाएँ होती | रहती हैं, जो वर्षा ऋतु में अधिक हानिकारक हो जाती हैं। भीषणता की दृष्टि से यह भारत का निम्न | भूस्खलन क्षेत्र माना जाता है। 5. विन्ध्याचल–यहाँ प्राचीन पहाड़ियों और पठारी भू-भाग वाले क्षेत्र में निम्न भीषणता वाले भूस्खलन की घटनाएं होती रहती हैं। भूस्खलन (landslide) एक भूवैज्ञानिक घटना है। धरातली हलचलों जैसे पत्थर खिसकना या गिरना, पथरीली मिटटी का बहाव, इत्यादि इसके अंतर्गत आते है। भू-स्खलन कई प्रकार के हो सकते हैं और इसमें चट्टान के छोटे-छोटे पत्थरों के गिरने से लेकर बहुत अधिक मात्रा में चट्टान के टुकड़े और मिटटी का बहाव शामिल हो सकता है तथा इसका विस्तार कई किलोमीटर की दूरी तक हो सकता है। भारी वर्षा तथा बाढ़ या भूकम्प के आने से भू-स्खलन हो सकता है। मानव गतिवधियों, जैसे कि पेड़ों आैर वनस्पति के हटाने, सड़क किनारे खड़ी चट्टान के काटने या पानी के पाइपों में रिसाव से भी भू-स्खलन हो सकता है।[1] भू-स्खलन से पहलेभू-स्खलन से पहले की गई तैयारी से आपको अपने घर तथा व्यापार को होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी तथा आपकी जीवित बच निकलने में सहायक होगी। अपनी काउंसिल से पता लगाएं कि आपके इलाके में पहले भी कभी भू-स्खलन हुआ है तथा उनके दुबारा कहाँ होने की संभावना है। धरती के हिलने के चिन्हों की जाँच करें। इन चिन्हों में निम्नलिखित शामिल हैं:
आपके लिए यह जानना जरूरी है कि ऐसे में आपकी तुरन्त क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए • निष्क्रमण करें (बाहर निकलें) तथा अपने साथ अपनी गेटअवे किट (प्रस्थान के समय साथ ले जाने की पेटी) लेकर जाएं • अपने स्थानीय सिविल डिफेन्स एमरजेंसी मैनेजमैंट आफिस से सम्पर्क करें • उन पड़ोसियों को सूचित करें जिनके इससे प्रभावित होने की संभावना है भू-स्खलन के बाद• जो क्षेत्र भू-स्खलन से प्रभावित है जब तक उसकी पूरी तरह से जाँच नहीं कर ली जाती, वहां लौट कर नहीं जाएं • जब ऐसा करना सुरक्षित हो जाए तो बीमे के उद्देश्य से उस इलाके के फोटो खींचें तथा नोटस (विवरण) तैयार करें जीएसई ने 16 राज्यों में कुल 2,239 भूस्खलनों का आंकड़ा एकत्र किया, अभूतपूर्व भारी बारिश भूस्खलन का सबसे बड़ा कारण By DTE Staff On: Wednesday 27 July 2022
अगली खबर ❯ भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसई) ने 2015 से 2022 के बीच 16 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 3,782 प्रमुख भूस्खलनों को दर्ज किया है। सर्वाधिक 2,239 भूस्खलन की घटनाएं केरल में दर्ज की गईं। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 376 भूस्खलन दर्ज हुए। इस अवधि में पांच राज्यों में 100 से अधिक भूस्खलन के मामले सामने आए। इनमें असम (169), हिमाचल प्रदेश (101), जम्मू एवं कश्मीर(184), कर्नाटक (194) और तमिलनाडु (196) शामिल हैं। ये ऐसे भूस्खलन हैं जिनसे आम जनजीवन और आधारभूत ढांचा प्रभावित हुआ। यह जानकारी लोकसभा में मनोज राजोरिया और सुमेधानंद सरस्वती द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने 27 जुलाई को मुहैया कराई है। राज्यमंत्री ने बताया कि जीएसई 2014-15 से राष्ट्रीय भूस्खलन संभावी मैपिंग (एनएलएसएम) कार्यक्रम चला रहा है। विभिन्न भूस्खलन संभावी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 4.3 लाख किमी क्षेत्रफल की 1:50,000 पैमाने पर भूस्खलन संभावी मैपिंग तैयार की है। एनएलएसएम के दौरान जीएसआई ने रिमोट सेंसिंग तथा फील्ड आधारित आंकड़ों की मदद से 86,459 भूस्खलन की पॉलीगॉन संबंधी ऐतिहासिक जानकारी हासिल की जिनसें से 29,738 भूस्खलनों को जीएसआई पहले ही प्रमाणित कर चुका है। उन्होंने आगे बताया कि वर्ष वार एकत्रित किए जाने वाले नए भूस्खलन आंकड़ों से इस विशाल ऐतिहासिक राष्ट्रीय भूस्खलन इन्वेंट्री को नियमित रूप से अद्यतित किया जा रहा है। भूस्खलन के कारण बताते हुए राज्यमंत्री ने अपने जवाब में कहा कि आपदा के बाद जांच में पता चला कि भूस्खलन का प्रमुख कारण अभूतपूर्व भारी बारिश है। इसके अतिरिक्त टेरेन कैरेक्टर, स्लॉप फार्मिंग सामग्री, जियोमॉरफोलॉजी, भू उपयोग आदि अन्य महत्वपूर्ण कारक रहे। राज्यमंत्री ने बताया कि बहुत से भूस्खलनों में मानवजनित कारक जैसे अनप्रोक्टेक्टेड स्लॉप कट व नालों को अवरुद्ध किया जाने की भी सूचना प्राप्त हुई। भूस्खलन से सर्वाधिक प्रभावित राज्य कौन सा है?भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसई) ने 2015 से 2022 के बीच 16 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 3,782 प्रमुख भूस्खलनों को दर्ज किया है। सर्वाधिक 2,239 भूस्खलन की घटनाएं केरल में दर्ज की गईं।
भारत में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र कौन कौन से हैं?पूर्वोत्तर क्षेत्र कई विस्मयकारी भूस्खलन संबंधी समस्याओं से बुरी तरह प्रभावित है। सिक्किम, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, असम, नागालैण्ड तथा अरुणाचल प्रदेष के साथ-साथ पष्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में भूस्खलन भी चिरकालिक समस्याएं उत्पन्न करते हैं जिनके कारण करोड़ों रुपए की आर्थिक हानियां होती हैं।
भूस्खलन की घटना कहाँ संभव है?भारी वर्षा तथा बाढ़ या भूकम्प के आने से भू-स्खलन हो सकता है। मानव गतिवधियों, जैसे कि पेड़ों आैर वनस्पति के हटाने, सड़क किनारे खड़ी चट्टान के काटने या पानी के पाइपों में रिसाव से भी भू-स्खलन हो सकता है।
भूस्खलन के क्या प्रभाव है?भूस्खलन प्रक्रिया मे भूमि का एक भाग टूटकर निचले भागों की तरफ गुरुत्वाकर्षण के कारण खिसकता जाता है। तीव्र ढाल कमजोर चट्टानों एवं अधिक वर्षा होने वाले पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन एक प्रमुख प्राकृतिक आपदा के रूप मे काफी जन-धन की हानि करता है।
|