मारपीट करने के लिए कौन सी धारा लगती है? - maarapeet karane ke lie kaun see dhaara lagatee hai?

भारत में हर जुर्म करने पर सजा निश्चित होती है। यह सजाएं आईपीसी, 1860 (भारतीय दंड संहिता) के व्यापक कानून के तहत दी जाती है। यह संहिता हर अपराध के लिए देने वाली सजा और जुर्माने को दर्शाता है। इसमें हर जुर्माना और सजा धारा के रूप में लिखी हुई है। आज हम जानेंगे कि मारपीट करने पर कौन सी धारा लगती है ?

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Table of Contents

  • मारपीट करने पर कौन सी धारा लगती है ?
  • 1. भयंकर चोट
  • 2. सर या चेहरे की चोट
  • 3. अंग या जोड़ का विच्छेद
  • 4. नेत्र दृष्टि विच्छेद
  • 5. हड्डियां या दांत तोड़ना
  • 6. स्थाई नुक्सान
  • 7. सुनने की शक्ति का विच्छेद
  • 8. यौन अंगों को क्षतिग्रस्त करना

मारपीट करने पर कौन सी धारा लगती है ?

मारपीट के दौरान किसी को अगर गंभीर चोट आती है तो उसके अंतर्गत धारा 320 के तहत सजा दी जाती है। गंभीर चोटों में आठ प्रकार के प्रकरण दर्ज किये जा सकते हैं। उन गंभीर चोटों में निम्नलिखित आती हैं :-

1. भयंकर चोट

मारपीट के दौरान मर्म स्थल पर चोट लगना भयंकर चोट में आता है। मर्म स्थल से तात्पर्य है कि मस्तिष्क, आंख, छाती आदि जगहों पर क्षतिग्रस्त होना। जो छोटे जीवन को संकट में डाल दें वे भी भयंकर चोट के अंतर्गत आती है। ऐसी चोटें जिससे व्यक्ति 20 दिन तक अच्छे से चल फिर नहीं सकता वे साड़ी चोट इसके अंतर्गत आती हैं। ऐसी चोटों की सजा धरा 320 के आठवे खंड में लिखी गयी हैं।

2. सर या चेहरे की चोट

सर या चेहरे पर किसी स्थाई चोट का निशान बन जाना या उसके सर या चेहरे का आकार क्षति के कारण बदल जाना धारा 320 के अंतर्गत आता है। नाक या कान को काट देना भी इसी प्रकरण में दर्ज किया जाता है।

3. अंग या जोड़ का विच्छेद

मारपीट के दौरान किसी व्यक्ति के अंग काट देना या उसके अंग को विच्छेद कर देना गंभीर चोट के अंतर्गत आता है। किसी भी जोड़ या अंग को तोड़ देना या उस पर घोर आघात करना भी धारा 320 के अंतर्गत अर्थात गंभीर चोट में आता है।

4. नेत्र दृष्टि विच्छेद

नेत्र हमारे जीवन के लिए कितने आवश्यक है। यह हम सभी बखूबी जानते है। नेत्र के बगैर कोई भी काम नहीं हो सकता। नेत्र को किसी भी तरह की क्षति देना या उससे फोड़ देना या उस पर चोट करना गंभीर चोट में आता है। इस तरह की गंभीर चोट लगने पर भी धारा 320 के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है।

5. हड्डियां या दांत तोड़ना

किसी व्यक्ति की हड्डी या दांत तोड़ने की क्षति गंभीर चोट में आती है। किसी की भी हड्डी टूटने से यह डर होता है की शायद वह अपाहिज हो सकता था। इसके अलावा और भी पारिवारिक और सामाजिक असुविधा उसे झेलनी पड़ेंगी। दांत तोड़ने से उसके जबड़े और चेहरे दोनों को ही दुविधा होगी इसलिए इस चोट को भी धारा 320 के अंतर्गत लिया जाता है।

6. स्थाई नुक्सान

किसी व्यक्ति के अंगो की कार्य करने की क्षमता का नाश कर देना स्थाई नुक्सान कहलाता है। स्थाई नुक्सान में हो सकता है की किसी व्यक्ति के अंग सही सलामत हों पर उसे मार कर या क्षति पहुंचा कर उसके अंग के काम करने की शक्ति छीन लेना स्थाई नुकसान में आता है। स्थाई नुकसान भी गंभीर चोट में लिया जाता है अतः इसमें भी धारा 320 के अंतर्गत सज़ा दी जाती है।

7. सुनने की शक्ति का विच्छेद

किसी क्यक्ति के कान पर प्रहार करने के कारण उसकी सुनने की शक्ति का चले जाना गंभीर के अंतर्गत आता है। अनेक लड़ाई झगड़ो में कान पर मुक्का पड़ने या किसी हथियार से प्रहार होने से व्यक्ति की सुनने की शक्ति चली जाती है। ऐसी किसी भी चोट का लगना गंभीर चोट के अंतर्गत धारा 320 में आता है।

8. यौन अंगों को क्षतिग्रस्त करना

यौन अंगो को किसी व्यक्ति द्वारा चाहे वह पुरुष हो या महिला गंभीर चोट के अंतर्गत अत आता है। यौन अंगो को क्षतिग्रस्त करने में अंडकोष को दबा देना , अंडकोष को सदा के लिए दुर्लभ बना देना, और किसी हथियार से अंडकोष पर प्रहार होना जिससे यौन सम्बन्धी बीमारियां हो सकती हो आदि आते हैं। ऐसा कुछ करने वाले व्यक्ति को धारा 320 के अंतर्गत सजा दी जाती है।

द्वितीय अपरसत्र न्यायाधीश शशिकांता वैश्य की अदालत ने घर में घुसकर मारपीट करने वाले आरोपियों को दोषी करार दिया है। अदालत ने आरोपियों को 5- 5 साल की कठोर कैद और 15 हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई है।

एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि 21 अप्रैल 2013 को रात करीब 8 बजे बसारी निवासी रंबा अपने परिवार के साथ घर के अंदर बैठा था। उसी दौरान गांव के ही मुन्नीलाल कौंदर वहां आया और उसने अपने बेटों के साथ रंबा के घर के अंदर घुसकर लाठी से हमला कर दिया। आरोपी रंबा को घर से घसीटकर बाहर ले गए जहां साथियों के साथ मिलकर मारपीट की। थाना बमीठा में शिकायत पर मुन्नीलाल कौंदर, टाई, लल्ला, परशु, राजेश और तेज कौंदर पर मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने जांच के बाद मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया। विचारण के दौरान आरोपी मुन्नीलाल की मौत हो गई थी। द्वितीय अपरसत्र न्यायाधीश शशिकांता वैश्य की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए शेष सभी 5 आरोपियों को दोषी करार दिया। आरोपियों को आईपीसी की धारा 452 में 5-5 वर्ष की कठोर कैद के साथ दो दो हजार रुपए के जुर्माना और धारा 323 में 6-6 माह की कठोर कैद के साथ 5-5 सौ के जुर्माना की सजा सुनाई।

भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के अनुसार, जो भी व्यक्ति (धारा 334 में दिए गए मामलों के सिवा) जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुँचाता है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।

मारपीट करने के लिए कौन सी धारा लगती है? - maarapeet karane ke lie kaun see dhaara lagatee hai?
Ishan Sid

Apr 25, 2020 - 18:05

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मारपीट करने के लिए कौन सी धारा लगती है? - maarapeet karane ke lie kaun see dhaara lagatee hai?

IPC Section 323 324 325 326 in Hindi - मार-पीट, जख्मी करने या किसी को चोट पहुंचाने का मामला गंभीर है। ऐसे मामलों में क्या हैं कानूनी प्रावधान, कौनसी धारा लगेगी और कितनी सजा होगी इसके बारे में आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे.

IPC Section 323 - सामान्य मार-पीट मसलन चांटा मारने जैसे मामलों की शिकायत थाने में की जा सकती है, लेकिन यह मामला संज्ञेय अपराध की श्रेणी में नहीं आता। पुलिस सीधे एफआईआर दर्ज नहीं करती, फिर भी शिकायती को चाहिए कि वह पुलिस से शिकायत करे। इस मामले में अदालत के सामने अर्जी दाखिल कर एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगाई जा सकती है।

IPC Section 324 - साधारण मार-पीट के केस में धारा-323 के तहत केस दर्ज होता है। इसके लिए अदालत के आदेश के बाद पुलिस केस दर्ज करती है। अगर किसी के साथ कोई मार-पीट करता है, तो पीड़ित को पहले एमएलसी करा लेनी चाहिए जिससे जब कोर्ट में शिकायत की जाए तो सबूत के तौर पर मेडिकल लीगल सर्टिफिकेट (एमएलसी) लगाया जा सके। एमएलसी मार-पीट के बाद किसी भी डॉक्टर से कराई जा सकती है।

IPC Section 324 - अगर साधारण मार-पीट के दौरान कोई किसी को घातक हथियार से जख्मी करता है, तो यह मामला आईपीसी की धारा-324 के तहत आता है। ऐसे मामले में शिकायती के बयान के आधार पर पुलिस सीधे एफआईआर दर्ज करती है। आरोपी अगर दोषी करार दिया जाता है तो उसे अधिकतम तीन साल कैद हो सकती है। यह अपराध गैरजमानती और गैरसमझौतावादी है। साथ ही संज्ञेय भी है। बाद में अगर दोनों पक्षों में समझौता भी हो जाए तो भी एफआईआर कोर्ट की इजाजत से ही खत्म हो सकती है।

IPC Section 325 - अगर कोई शख्स किसी को गंभीर चोट पहुंचाता है तो आईपीसी की धारा-325 के तहत केस दर्ज होता है। यह मामला भी संज्ञेय है लेकिन समझौतावादी है। साथ ही यह जमानती अपराध भी है।

IPC Section 326 - अगर कोई शख्स किसी घातक हथियार से किसी को गंभीर रूप से जख्मी कर दे तो आईपीसी की धारा-326 के तहत केस दर्ज होता है। किसी को चाकू मारना, किसी अंग को काट देना या ऐसा जख्म देना जिससे जान को खतरा हो जैसे अपराध इसी कैटिगरी में आते हैं। अगर किसी के साथ मार-पीट कर कोई हड्डी या दांत तोड़ दे तो भी धारा-326 के तहत ही केस दर्ज होता है। यह गैरजमानती और गैर समझौतावादी अपराध है। दोषी पाए जाने पर 10 साल की कैद या उम्रकैद तक हो सकती है।

IPC Section 307- अगर किसी पर कोई उसकी जान लेने की नीयत से हमला करता है, तो आरोपी पर आईपीसी की धारा-307 (हत्या का प्रयास) का केस दर्ज होता है। इसमें दोषी पाए जाने पर उम्रकैद तक हो सकती है।

IPC Section 308 - अगर कोई शख्स किसी पर अटैक करे और इस कारण जान को खतरा हो जाए लेकिन आरोपी की नीयत जान लेने की न हो तो गैर इरादतन हत्या का प्रयास यानी आईपीसी की धारा-308 के तहत केस दर्ज हो सकता है। दोषी पाए जाने पर अधिकतम सात साल कैद हो सकती है।

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किसी को मारने पर कौन सी धारा लगती है?

इस पूरे मामले में पुलिस ने इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 323 और 506 के तहत केस दर्ज कर लिया है. ऐसा करने पर कितनी सजा हो सकती है? - धारा 323: अगर कोई अपनी इच्छा से किसी को चोट या नुकसान पहुंचाता है, तो ऐसा करने पर उसे 1 साल तक की कैद या 1 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

हाथापाई में कौन सी धारा लगती है?

अदालत इसमें 3 से 7 साल तक की सजा दे सकती है. धारा 332- इस धारा का उपयोग किसी सरकारी कर्मचारी से मारपीट की स्थिति में होता है. इसमें आरोपी के 3 से 10 साल तक की सजा देने का प्रावधान है. धारा 383, 384 व 386- सरकारी कर्मचारी को ब्लैक मेल करने पर इन 3 धाराओं के तहत आपको 3 से 10 साल तक जेल की सजा दी जा सकती है.

रात मे घर में घुसकर मारपीट करने पर कौन सी धारा लगती है?

धारा 328 के तहत तीन वर्ष सजा व तीन हजार रुपये जुर्माना तथा जुर्माना अदा न करने पर तीन महीने की अतिरिक्त सजा दी जाएगी। धारा 323 के तहत छह महीने सजा व पांच सौ रुपये जुर्माना तथा जुर्माना अदा न करने पर 15 दिन की अतिरिक्त सजा दी जाएगी व धारा 506 के तहत तीन वर्ष की सजा सुनाई गई है।

धारा 323 324 506 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के अनुसार, जो भी व्यक्ति (धारा 334 में दिए गए मामलों के सिवा) जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुँचाता है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।