प्राथमिक डेटा और द्वितीयक डेटा में से कौन अधिक विश्वसनीय है और क्यों? - praathamik deta aur dviteeyak deta mein se kaun adhik vishvasaneey hai aur kyon?

2 आंकड़ो का (संग्रह) – (Collection of Data)

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2.8 What is the different between Primary or secondary data

2.8.2 द्वितीयक आकड़े

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2021+ 10 best step Difference between primary and secondary data

प्राथमिक डेटा और द्वितीयक डेटा में से कौन अधिक विश्वसनीय है और क्यों? - praathamik deta aur dviteeyak deta mein se kaun adhik vishvasaneey hai aur kyon?
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आंकड़ो का (संग्रह) – (Collection of Data)

इस Blog में आपको Best 10 step में Primary and secondary data  के बारे में जानकारी प्राप्त होगी जिसमें,Collection of Data क्यों किया जाता है,Collection of Data के उद्देश्य क्या होते है,सांख्यकी के कार्य ,आर्थिक नियोजन के लिए सांख्यकी का क्या महत्व,आकड़ो के संकलन के स्त्रोत,What is the Primary or secondary data,सांख्यकी की अविश्विनीयता के क्या कारण है। और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है।

प्राथमिक ओर द्वितीयक आकड़ो में क्या अंतर है।,एक अच्छी प्रशनावाली के गुण,राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण एजेंसीया जो आकड़ो  संग्रह ओर सारणीबद्ध करती है।,संगगरण विधि से आप क्या समझते है।,प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि (Direct Personal Investigation) से आप क्या समझते है,इनके गुण व दोष।

Siya Gaur Sharma Ji ke  इस Blog में आपको दोनों विधियों (best 10 step में Difference between primary and secondary data के लाभ और हानि के बारे में जानकारी मिलती है तथा इन विधियों का किस प्रकार प्रयोग किया जाता है इसके बारे में भी बताया जाएगा।

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उदाहरण

  1. भारत मे विदेशी कंपनी 12 है जबकि चीन में 16 विदेशी कंपनिया है।
  2. भारत की 70% जनसंख्या प्राथमिक छेत्रो में लगी हुई है।

नमस्कार !

मेरा नाम Siya Gaur sharma ji  है और  मुझे इन्टरनेट पर लोगो की  मदद करने में रूचि है। साथ ही siyagaursharmaji.in or siyagaursharmaji.com की Founder हुँ।

इस  Blog पर आपको  11 class के free chapter wise Notes और आंकड़ों के संकलन की, best 10 step में census method and sample method, What is the Primary or secondary data collection of data इत्यादि इन्टरनेट से जुडी जानकारी हिंदी मे share की जाएगी। जो कि आपको 11 class Economics Subject की परीक्षा के लिए बहुत (Best) उपयोगी सिद्ध होगी। हमारे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद.

आपको प्राथमिक आंकड़े और द्वितीयक आंकड़े के बारे में जानकारी एकत्रित करनी है। तो  हमारे Blog को  पड़ने के  लिए आपको इस लिंक पर क्लिक करना है।

मुख्य बिंदु

  • आकड़ो का संकलन क्यों किया जाता है
  • Primary or secondary data के उद्देश्य क्या होते है
  • सांख्यकी के कार्य बताओ
  • आर्थिक नियोजन के लिए सांख्यकी का क्या महत्व है।
  • आकड़ो के संकलन के स्त्रोत बताइये।
  • प्राथमिक ओर द्वितीयक आकड़ो से आप क्या समझते है।
  • सांख्यकी की अविश्विनीयता के क्या कारण है। और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है।
  • प्राथमिक ओर द्वितीयक आकड़ो में क्या अंतर है।
  • एक अच्छी प्रशनावाली के गुणों का वर्णन कीजिये?
  • राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण एजेंसीया जो statics आंकड़े संग्रह ओर सारणीबद्ध करती है।
  • संगगरण विधि से आप क्या समझते है।
  •  प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि (Direct Personal Investigation) से आप क्या समझते है?इनके गुण व दोष बताइये।
  • न्यायदर्श या निदर्शन विधि से आप क्या समझते हो?
  • अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान विधि से आप क्या समझते हो इसके गुण व दोष बताइए?
  • द्वितीयक आकड़ो के स्त्रोत बताइये?
  • समग्र से आप क्या समझते है?
  • What is the Primary or secondary data and collection of data
  • एक अच्छे न्यायदर्श के आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिये।
  • Lotry विधि
  • यादृच्छिक प्रतिचयन से क्या तात्पर्य है।
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सांख्यकी के कार्य बताओ

  1. सँख्यात्मक प्रस्तुतिकारण – सांख्यकी का सबसे प्रमुख कार्य एकत्रित सूचनाओं को संख्या के रूप में प्रकट करना है। ताकि उनका तुलनात्मक अध्धयन किया जा सके।
  2. सरलीकरण – सांख्यकी का एक ओर प्रमुख कार्य जटिल आकड़ो को सरल रूप में प्रस्तुत करता है ताकि उनको समझने में कठिनाई न हो और साधारण व्यक्ति भी उन्हें आसानी से समझ सके।
  3. ज्ञान में वृद्धि – सांख्यकी व्यक्ति के ज्ञान और अनुभव में वृद्धि करती है यह व्यक्ति की निपुणता ओर तर्क शक्ति में वृद्धि करती है।
  4. तुलनात्मक – सांख्यकी संबंधित आकड़ो को तुलना करने योग्य बनाती है इसके माध्यम से तथ्यों में सम्बंध ज्ञात किया जाता है।
  5. संक्षिप्तीकरण – सांख्यकी एकत्रित आकड़ो को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करती है जो अव्यवस्थित होते है ताकि वे आसानी से याद हो सके। अव्यवस्थित आकड़ो से कोई निष्कर्ष निकालना संभव नही होता।

सांख्यकी की अविश्विनीयता के क्या कारण है। और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है।

सांख्यकी की अविश्विनीयता के निम्न कारण है-

  1. एक समस्या के बारे में अनेक प्रकार के आंकड़े प्राप्त होते है।
  2. पूर्व निर्धारित लक्ष्यो को प्राप्त करने के लिए आकड़ो को बदला जा सकता है।
  3. पक्षपात पूर्ण आंकड़ो का संकलन करने पर गलत निष्कर्ष निकलते है।
  4. बिना संदर्भ अध्धयन करने पर इनमे भृम उतपन्न हो सकता है।

अविश्विनीयता को दूर करने के उपाय

  1. सांख्यकी का प्रयोग केवल विशेषज्ञयो द्वारा ही होना चाइये ताकि गलती की संभावना न्यूनतम हो जाये।
  2. आंकड़ो का संकलन पक्षपात रहित होना चाइये।
  3. आकड़ो का अध्धयन करते समय उनकी एकरूपता को ध्यान में रखना चाइये।
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Difference between primary and secondary data (Best 10 step)

आर्थिक नियोजन के लिए सांख्यकी का क्या महत्व है।

नियोजन से आशय विकास के लिए बनाई गई योजनाओं से है ताकि पूर्व निर्धारित लक्ष्यो को प्राप्त किया जा सके। इस झेत्र में सांख्यकी का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि आकड़ो से नियोजन की कल्पना नही की जा सकती।

इसकी सहायता से उपलब्ध साधनो का ज्ञान प्राप्त होता है।इसके आधार पर नियोजन कि प्राथमिकता निश्चित की जाए तथा इस बात का अनुमान लगाया जाता है कि विकास के लिए आवश्यक धन की प्राप्ति किन- किन स्त्रोतों से की जाएगी।

आर्थिक नियोजन की सफलता और असफलता का मूल्यांकन आकड़ो के ही आधार पर किया जाता है। इस प्रकार देश की अल्पकालीन ओर दीर्घ कालीन  योजनाए आकड़ो पर निर्भर करती है।

आकड़ो के संकलन के स्त्रोत बताइये।

आकड़ो के संकलन के दो स्त्रोत मुख्य है-

  1. आंतरिक स्त्रोत – जब आंकड़ो का संकलन किसी संगठन की आंतरिक रिपोर्ट या रिकॉर्ड से प्राप्त होता है तो उसे आंतरिक स्त्रोत कहते है।
  2. बाहृय स्त्रोत – जब आकड़ो का संकलन किसी अन्य संगठन या दूसरे स्त्रोतो के माध्यम से किया जाता है तो वह बाहरी स्त्रोत कहलाता है।

प्राथमिक (Primary) ओर द्वितीयक (secondary) आकड़ो से आप क्या समझते है।

Difference between primary and secondary data (Best 10 step)

  1. प्राथमिक आकड़े – वे आकडे जो अनुसंधानकर्ता द्वारा मौलिक रूप से एकत्रित किये जाते है वे प्राथमिक आकड़े कहलाते है।
  2. द्वितीयक आकड़े – वे आकड़े जो पहले से ही किसी अन्य व्यक्ति या संस्था द्वारा एकत्रित किये जाते है और अनुसंधान कर्ता द्वारा उनका संसोधन करके प्रयोग किये जाते है वे द्वितीयक आकड़े कहलाते है।
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Primary data or secondary data important question

What is the different between Primary or secondary data

प्राथमिक आकड़े

  1. प्राथमिक आंकडे –  वे आकडे जो अनुसंधानकर्ता द्वारा मौलिक रूप से एकत्रित किये जाते है वे प्राथमिक आकड़े कहलाते है।
  2. प्राथमिक आकड़े मूल उद्देश्य के अनुकूल होते है इसमें संसोधन की आवश्यकता नही होती।
  3. प्राथमिक आंकडे एकत्रित करने में धन समय व परिश्रम अधिक लगता है।
  4. प्राथमिक आंकडे पूर्ण रूप से विश्वसनीय होते है।

द्वितीयक आकड़े

  1. द्वितीयक आकड़े – वे आकड़े जो पहले से ही किसी अन्य व्यक्ति या संस्था द्वारा एकत्रित किये जाते है और अनुसंधान कर्ता द्वारा उनका संसोधन करके प्रयोग किये जाते है वे द्वितीयक आकड़े कहलाते है।
  2. द्वितीयक आकड़े मूल उद्देश्य के अनुकूल नही होते है इसमें संसोधन की आवश्यकता होती है।
  3. द्वितीयक आकड़े एकत्रित करने में धन समय व परिश्रम कम लगता है।
  4. द्वितीयक आकड़े पूर्ण रूप से विश्वसनीय नही होते है।

Primary data description – How Basic Data is collected

एक अच्छी प्रशनावाली के गुणों का वर्णन कीजिये?

Qualities of a Good Questionnaire

(Telegram  – https://t.me/siyagaursharmaji)

  • सरलता – एक अच्छी प्रशनावाली के प्रशनों की भाषा सरल होनी चाइए। प्रशन अधिक लंबे व जटिल नही होने चाइए ताकि कोई साधारण व्यक्ति भी उन्हें आसानी से समझ सके।
  • सिमित्ता – प्रशनवाली के प्रशनों की संख्या न्यूनतम होनी चाइए तथा सभी प्रशन अनुसंधान से सम्बंधित होने चाइए उनका उचित क्रम होना चाइए।
  • उचित्ता – प्रशनवाली में किसी व्यक्ति के मान सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले प्रशन नही होने चाइए तथा कोई गाड़ना संबंधित प्रशन भी नही होने चाइए।
  • मतभेद रहित – प्रशनवाली में इस प्रकार के प्रशन पूछने चाइए जिसका उत्तर बिना किसी पक्ष पात के दिया जा सके तथा सूचना गुप्त रखने का आश्वासन होना चाइए।
  • निर्देश – प्रशनवाली को उचित प्रकार से भरने के लिए उसमे निश्चित निर्देश होने चाइए।
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Questionery sample

आप अपने इलाके के 500 परिवारों को मिलने वाली आय पर सांख्यकीय सूचनाएं एकत्रित करनी है आपको इस कार्य के लिए अनुसंधान की कौन – सी विधि अपनानी चाइए ओर आप इस समस्या का सामना कैसे करेंगे इसलिए collection of data ke इस  blog me aapko adhik jankari mil sakti hai….आइये आपको बताते है आपको कौन सी विधि का चुनाव करना चाइए

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Questionery sample of collection of data (संगगरण विधि से आप क्या समझते है।)

प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि (Direct Personal Investigation) से आप क्या समझते है?इनके गुण व दोष बताइये।

उपरोक्त संगरण विधि ओर प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि दोनो बाते एक ही है जिनमे अनुसंधान कर्ता स्वम् समग्र की प्रत्येक इकाई से प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करके सूचना एकत्रित करता है। यह विधि निम्न परिस्थितियों में उपयुक्त (Suitability) होती है –

  • जहाँ अनुसंधान का झेत्र सीमित हो।
  • जहाँ आकड़ो में मौलिकता (Originality)की आवश्यकता हो।
  • जहाँ आकड़ो को गुप्त रखना आवश्यक हो।
  • जहाँ सूचनाकर्ता से प्रत्यक्ष संबंध स्थापित हो सके।

गुण

  1. विश्वसनीय– प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि द्वारा एकत्रित आंकड़े अधिक विश्वसनीय होते है क्योंकि अनुसंधान कर्ता समग्र की प्रत्येक मद के सम्बंध मे आकड़े एकत्रित किये जाते है।
  2. विस्तृत सूचना – प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि द्वारा समग्र की प्रत्येक मद के बारे में मुख्य सूचना के अतिरिक्त अनेक उपयोगी सूचनाएं एकत्र की जा सकती है जिससे ज्ञान में व्रद्धि होती है।
  3. अप्रत्क्ष जाँच – प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि में उन समस्याओं के सम्बंध में भी आंकड़े प्राप्त करके अध्ययन किया जा सकता है जिनका अध्ययन प्रत्यक्ष रूप से संभव नही है।
  4. अनिवार्यता – यदि समग्र की प्रकृति ऐसी है कि समग्र की सभी इकाइयों के अध्ययन करना आवश्यक है अर्थात सभी मदे एक दूसरे से भिन्न है तो प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि लाभदायक होंगी।

दोष

  1. अपव्ययी – अनुसंधान की यह विधि बहुत अधिक ख़र्चीली है इसके लिए अधिक धन की आवश्यकता है इसलिए प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि को बड़ी संस्थाएं ही अपना सकती है।
  2. समय विलंभ – प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि द्वारा आकड़े एकित्रत करने मे समय बहुत अधिक लगता है इसलिए कभी कभी निष्कर्ष निकालने में देरी हो जाती है।
  3. असुविधाजनक – प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि द्वारा आंकड़े एकत्रित करने में बड़ी मात्रा मे गणको की आवश्यकता होती है जिनका संचालन करने में बहुत अधिक मेहनत की आवश्यकता है।
  4. विशाल झेत्र – यदि अनुसंधान का झेत्र बहुत विस्तृत है तो समग्र की सभी मदो से सम्पर्क करना सम्भव नही है इसलिए प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि का प्रयोग वहाँ उपयुक्त नही होगा।

SIYA GAUR SHARMA JI ( YOUTUBE – https://www.youtube.com/channel/UCCJWwvoSyvRwHXnnoEDoiTw/videos)  jahan mai tech releted. Latest Education Blogs, Economics, Political Science, History, wahan bhi same topic apko video dekhne ko apko milegi agar app video dekh k aur acche se samjhna chahte hai to app hamare youtube channel ko bhi visit kar sakte hai.

राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण एजेंसीया जो statics आंकड़े संग्रह ओर सारणीबद्ध करती है।

LB (श्रम ब्यूरो)

NSSO (राष्ट्रीय प्रतिदर्श सवेक्षण कार्यालय)

RGI (भारत का महापंजिकरण)

DGCIS (वाणिजियक सतर्कता एव सांख्यकी महानिदेशलय)

न्यायदर्श या निदर्शन विधि से आप क्या समझते हो?

अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान विधि से आप क्या समझते हो इसके गुण व दोष बताइए?

अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान विधि  ओर न्यायदर्श या निदर्शन विधि (Indirect Oral Investigation) सभी बातें एक ही है अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान विधि मे समग्र से सम्बंधित व्यक्तियों से मौखिक पूछताछ द्वारा आकड़े एकत्रित किये जाते है।न्यायदर्श या निदर्शन विधि निम्न परिस्थितियों मे उपयुक्त है।

  • 1जहाँ अनुसंधान का झेत्र व्यापक हो।
  • 2जहाँ समग्र की प्रत्येक इकाई से प्रत्यक्ष संबंध स्थापित न हो सके।
  • 3जहाँ आकड़े जटिल हो।
  • 4जहाँ सूचना देने वाला अज्ञान हो।

गुण

  1. समय – न्यायदर्श या निदर्शन विधि द्वारा आकड़े एकित्रत करने मे समय बहुत कम लगता है
  2. सुविधाजनक – न्यायदर्श या निदर्शन विधि द्वारा आंकड़े एकत्रित करने में बड़ी मात्रा मे गणको की आवश्यकता होती है वहाँ न्यायदर्श या निदर्शन विधि का प्रयोग आवश्य करना चाहिए।
  3. विशाल झेत्र (Wide Coverage)– यदि अनुसंधान का झेत्र बहुत विस्तृत है जहाँ समग्र की सभी मदो से सम्पर्क करना सम्भव नही है इसलिए वहाँ न्यायदर्श या निदर्शन विधि का प्रयोग उपयुक्त होगा।

दोष (Demerits)

  1. अविश्वसनीय– अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान विधि द्वारा एकत्रित आंकड़े अविश्वसनीय होते है क्योंकि इस विधि में सूचना देने वालों के व्यवहार में पक्ष पात की संभावना होती है।
  2. गलत निष्कर्ष ( Wrong Conclusion) – अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान विधि में व्यक्तिगत पक्ष पात ओर अज्ञानता के कारण गलत निष्कर्ष निकलने की संभावना रहती है।
  3. शुद्धता (Accuracy) की कमी – अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान विधि मे एकत्रित आकड़ो में शुद्धता नही होती क्योंकि सूचना देने वाले लापरवाही बरतते है।

द्वितीयक आकड़ो के स्त्रोत बताइये?

  • प्रकाशित स्त्रोत –  प्रकाशित स्त्रोत से आशय उन स्त्रोतों से है जो आकड़ो का प्रकाशन करते है।जैसे सरकारी प्रकासन, अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन, पत्र- पत्रिकायें, तथा विभिन्न उधोगों की रिपोर्ट इत्यादि।
  • अप्रकाशित स्त्रोत – अप्रकाशित स्त्रोत से आशय उन स्त्रोतों से है जो आंकड़ो का प्रकाशन नही करते जैसे निजी संस्थान,आस्पताल, विश्वविद्यालय, तथा अनुसंधान की रिपोर्ट इत्यादि।

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primary data vs Secondary data in statistics

समग्र से आप क्या समझते है?

सांख्यकी में किसी विषय से सम्बंधित उस समूह के सभी मदो को समग्र  या जनसंख्या कहते है जिसके विषय मे जानकारी प्राप्त की जाती है।

एक अच्छे न्यायदर्श के आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिये।

  • 1.प्रतिनिधित्व – न्यायदर्श इस प्रकार का होना चाहिए कि जो समग्र का पुर्ण प्रतिनिधित्व कर सके। यह तब सम्भव होगा जब समग्र की प्रत्येक ईकाई को चुने जाने का समान अवसर प्राप्त हो।
  • 2.स्वतंत्रता – समग्र की किसी एक इकाई का न्यायदर्श में शामिल होना दूसरी इकाई पर निर्भर नही होना चाहिए।
  • 3.समानता – जनसंख्या में से अधिक न्यायदर्श घटाने पर उनमें समानता होनी चाइए अर्थात विशेषंताये एक जैसी होनी चाइए।
  • 4.उचित – जनसंख्या में चुने जाने वाले न्यायदर्श की संख्या उचित होनी चाइए।

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Lotry विधि

यादृच्छिक प्रतिचयन से क्या तात्पर्य है।

यादृच्छिक प्रतिचयन में समष्टि में से इकाइया इस प्रकार छांटी जाती है ताकि प्रत्येक इकाई के प्रतिदर्श में सम्मिलित होने की बराबर संभावना हो।

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आज अपने क्या सीखा

अब तक आपको 2021+ 10 best step Difference between primary and secondary data  के बारे में संपूर्ण जानकारी हिंदी में मिल गई होगी। मुझे पूर्ण आशा है कि मैंने आप लोगों को Difference between primary and secondary data इनके बारे में पूरी जानकारी दी।

मैं आशा करती हूं। कि मेरे सभी पाठक अपने आस-पड़ोस, रिश्तेदार और अपने मित्रों में यह जानकारी शेयर करेंगे। जिससे कि हमारे बीच जागरूकता होगी और इससे सब को बहुत लाभ मिलेगा

मुझे आप लोगों के सहयोग की आवश्यकता है। जिससे मैं और भी नई – नई जानकारी आप लोगों तक पहुंचा सकूं। मेरी हमेशा से यही कोशिश रही है कि मैं हमेशा अपने पाठकों की हर तरह से help कर सकूं। यदि आप लोगों को किसी भी तरह का कोई भी Doubt है तो आप मुझसे बेझिझक पूछ सकते हैं।

मैं जल्दी से जल्दी उन doubt का हल निकालने की कोशिश करूंगी। आपको यह लेख जनगणना विधि और प्रतिदर्श विधि कैसा लगा हमें कमेंट में लिखकर जरूर बताएं। ताकि हमें भी आपके विचारों से कुछ सीखने को और कुछ सुधारने का मौका मिले।

About us:-
Name- Siya Gaur Sharma JI
City- Delhi
State- Delhi  india

WRITTEN BY

D.K.GAUR

कौन सा अधिक विश्वसनीय प्राथमिक डेटा या द्वितीयक डेटा है और क्यों?

प्राथमिक डेटा की विश्वसनीयता माध्यमिक डेटा की तुलना में बहुत अधिक है क्योंकि ये संबंधित और विश्वसनीय पार्टी द्वारा एकत्र किए जाते हैं।

द्वितीयक डेटा पर प्राथमिक डेटा को प्राथमिकता दी जाती है क्यों?

द्वितीयक डेटा संग्रह के लिए प्राथमिक डेटा की तुलना में कम समय लेता है, क्योंकि ये पहले से ही एकत्र किए जाते हैं और बाद में उपयोग किए जा सकते हैं।

डेटा के प्राथमिक और द्वितीयक स्रोतों में क्या अंतर है?

दूसरी ओर, द्वितीयक स्रोत वे सूचनाएँ हैं जिन्हें प्राथमिक सूचना का विश्लेषण करने के बाद पुन: प्राप्त किया जाता है। प्राथमिक स्रोत वे सूचनाएँ हैं जो सीधे स्रोत से एकत्रित की जाती हैं। इसे दूसरे तरीके से रखने के लिए, प्राथमिक स्रोत किसी व्यक्ति द्वारा एकत्रित की गई कच्ची या बेतरतीब जानकारी है।

प्राथमिक डेटा और द्वितीयक डेटा से आप क्या समझते हैं?

इन आँकड़ों को या तो प्रकाशित स्रोतों से जैसे सरकारी रिपोर्ट, दस्तावेज, समाचार पत्र, अर्थशास्त्रियों द्वारा लिखित पुस्तकें, या किसी अन्य स्रोत से प्राप्त किया जा सकता है, जैसे वेबसाइट | अतः ये आँकड़े उन स्रोतों के लिए प्राथमिक हैं जो उन्हें पहली बार संगृहीत एवं संसाधित करते हैं, तथा बाद में प्रयोग करने वाले सभी स्रोतों ...