आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों ने वहां के राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। इसी बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को अपना आधिकारिक निवास छोड़कर भागना पड़ा। बता दें कि श्रीलंका में 1987 में भी संघर्ष के हालात बने थे। तब भारत ने अपनी सेना भेजी थी। हालांकि, इससे भारत को ही नुकसान हुआ था। Show Colombo, First Published Jul 12, 2022, 3:43 PM IST Sri lanka Crisis: श्रीलंका में चल रहे आर्थिक संकट के बीच प्रदर्शन कर रही जनता ने वहां के राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। इसी बीच वहां के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति भवन छोड़कर भागना पड़ा। खबर आई कि श्रीलंका में बिगड़े हालात के बीच भारतीय सेना मदद के लिए वहां पहुंची है। हालांकि, भारतीय उच्चायोग ने फौरन ही ट्वीट कर इस खबर का खंडन किया और साफ कहा कि भारतीय सेना श्रीलंका में नहीं है। बता दें कि 35 साल पहले भी श्रीलंका में हालात बिगड़े थे और तब 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भारतीय सेना भेजी थी। हालांकि, इसका खामियाजा भारत को भुगतना पड़ा था। दरअसल, श्रीलंका में सेना भेजने का उद्देश्य वहां की सरकार और लिट्टे (LTTE) के बीच झगड़े को शांत कराना था। लेकिन वहां लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण ने अपने लड़ाकों को भारतीय सेना के खिलाफ उतार दिया था। श्रीलंका में करीब 32 महीने तक चले गतिरोध के बाद भारतीय सेना को वहां से लौटना पड़ा था। इस दौरान श्रीलंका की सेना ने तमिल लोगों और लिट्टे के खिलाफ जमकर एक्शन लिया। बाद में लिट्टे समर्थकों ने श्रीलंका में भारतीय सेना भेजने की वजह से आत्मघाती हमला कर राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। सिंहली और तमिलों के बीच संघर्ष से बना लिट्टे : लिट्टे
ने तमिलियंस के लिए की अलग देश की मांग : लिट्टे और श्रीलंकाई सेना आ गई आमने-सामने : भारत के एक्शन से श्रीलंका सरकार समझौते को हुई राजी : भारत ने भेजी सेना, लेकिन लिट्टे से जंग में फंसे सैनिक : ये भी देखें : Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के संकट से जोड़कर क्यों वायरल की जा रही 36 साल पुरानी ये ऐतिहासिक तस्वीर? Sri Lanka Crisis: 2019 में छिड़े गृहयुद्ध के बाद सबसे बुरे हालात, हर चीज महंगी, वो भी मिल जाए तो किस्मत समझो Last Updated Jul 12, 2022, 3:45 PM IST श्रीलंका में लिट्टे की प्रमुख मांग क्या है?मई 1976 में स्थापित यह एक हिंसक पृथकतावादी अभियान शुरू कर के उत्तर और पूर्वी श्रीलंका में एक स्वतंत्र तमिल राज्य की स्थापना करना चाहते थे। यह अभियान श्रीलंकाई नागरिक युद्ध जो एशिया का सबसे लंबे समय तक चलने वाला सशस्त्र संघर्ष था, के साथ तब तक चलता रहा जब तक लिट्टे सैन्य, श्रीलंका सेना द्वारा मई 2009 में हराया नहीं गया।
लिट्टे प्रमुख कौन था?वेलुपिल्लई प्रभाकरण (२६ नवंबर, १९५४-१८ मई, २००९) लिट्टे के नेता था। १९७५ के आसपास लिट्टे के गठन के बाद से वो दुनिया के सबसे ताकतवर गुरिल्ला लड़ाकाओं के प्रमुख के रूप में जाना जाता था।
लिट्टे का पूरा नाम क्या है?संदर्भ गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार भारत ने लिबरेशन टाइगर ऑफ तमिल ईलम (Liberation Tiger of Tamil Eelam-LTTE) जिसे लिट्टे भी कहा जाता है, पर लगे प्रतिबंध को पाँच साल के लिये बढ़ा दिया है।
लिट्टे की स्थापना कब हुई?1976लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम / स्थापना की तारीख और जगहnull
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